एक साल से ज्यादा समय हो गया मणिपुर में आग लगी हुई है. विपक्ष कहता रहा है प्रधानमंत्री जी, कुछ बोलिए. मगर नरेंद्र मोदी मणिपुर के संदर्भ में मौन धारण किए हुए हैं. अब जबकि लोकसभा 2024 का आगाज हो गया है, पहले चरण का मतदान हो चुके हैं. लेकिन मणिपुर में ‘न्याय नहीं तो वोट नहीं’ की आवाज भी गूंजने लगी है. भारतीय जनता पार्टी नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में देश को एक ऐसे चौराहे पर खड़ा कर चुकी है जो अनेक त्रासदी और दंश लिए हुए है. नरेंद्र मोदी के 10 साल का कार्यकाल सिर्फ हिंदूमुसलिम, रामरहीम और मैंमैं का बन कर इतिहास बन जाएगा. मणिपुर की जनता ने जो घाव सहे हैं जिस तरह मणिपुर जलता रहा है वह देशभर में ही नहीं, बल्कि दुनियाभर में चर्चा का सबब बन गया जिसे देख कर के भाजपा और उस के नेतृत्व की मोदी सरकार यही कहती रही कि यह हमारा आंतरिक मामला है.

भारतीय जनता पार्टी के साथ विसंगति यह है कि कब मामला भारत का आंतरिक और संप्रभुता का हो जाता है, कोई नहीं जानता. अपने हिसाब से हर समय की परिभाषा करने में भाजपाई महारत हासिल कर चुके हैं. मगर वे यह भूल जाते हैं. दूसरे देशों में जब कोई घटना घटित होती है तब प्रधानमंत्री और विदेश मंत्रालय सक्रिय हो जाता है और दुनिया में नेतागीरी झाड़ने लगता है. तब यह भूल जाते हैं कि उस देश वाले भी कह सकते हैं कि यह उन का आंतरिक मामला है. लाख टके की बात है कि जब आप अपने मणिपुर को नहीं संभाल सकते, वहां जा कर अपने लोगों के आंसू नहीं पोंछ सकते, वहां शांति कायम नहीं कर सकते तो दुनिया को सीख देने का आप को क्या अधिकार है.

वोट का बहिष्कार, एक संदेश है

मणिपुर में कुकी-जो समुदाय के कुछ संगठनों ने घोषणा की है कि वे संघर्ष प्रभावित राज्य में हिंसा की ताजा घटनाओं के बाद ‘न्याय नहीं तो वोट नहीं’ का आह्वान करते हुए आगामी लोकसभा चुनावों का बहिष्कार करेंगे. गौरतलब है कि विगत दिनों इंफाल पूर्वी जिले में 2 सशस्त्र समूहों के बीच हुई गोलीबारी में 2 लोगों की मौत हो गई, वहीं 12 अप्रैल, 2024 को तेंगनौपाल जिले में सशस्त्र ग्रामीण स्वयंसेवकों और अज्ञात लोगों के बीच हुई गोलीबारी में 3 लोग घायल हो गए.

कुकी समुदाय के लोगों ने घोषणा की है कि वे बहिष्कार के रूप में ‘संसदीय चुनाव’ में कोई उम्मीदवार नहीं उतार रहे. वैश्विक कुकी जोमी-हमार महिला समुदाय ने पहले मुख्य निर्वाचन आयुक्त राजीव कुमार को पत्र लिख कर चुनाव का बहिष्कार करने के फैसले की जानकारी दी थी. यह महिलाओं का एक समूह है जिस में सामाजिक कार्यकर्ता, बुद्धिजीवी, अखबारों के लेखक, बाहरी मणिपुर के पूर्व सांसद किम गांगटे और दिल्ली में कुकी जीमी-हमार महिला मंचों के नेता शामिल हैं.

अब कुकी नैशनल असैंबली और कुकी इन्पी नामक संगठन ने भी संसदीय चुनाव के बहिष्कार करने की घोषणा कर दी है. कुकी नैशनल असैंबली के मांगबोई हाओकिप ने कहा, “हम अपने नेताओं के प्रति अपना असंतोष व्यक्त करते हैं. यह निराशाजनक है कि भारतीय सेनाएं, जो चीन और पाकिस्तान के खतरों को रोकने व उन का मुकाबला करने में सक्षम हैं, वे निर्दोष नागरिकों को आतंकवादियों से बचाने में विफल रही हैं. इस से भारतीय संविधान और देश के इस दावे पर से विश्वास उठ गया है कि यह दुनिया का सब से बड़ा लोकतंत्र है.”

उन्होंने आगे कहा, “हम भारतीय नेतृत्व के प्रति अपना क्षोभ प्रकट करने के लिए लोकसभा चुनाव में मतदान से दूरी बनाने को बाध्य हैं. अगर भारत में परेशानियों को ही हमारा अधिकार समझा जाता है तो हम चुनाव में भाग लेना नहीं चाहते. यह बहिष्कार भारत और दुनिया में हमारे दुख और पीड़ा को जताने का तरीका है.”

दूसरी तरफ, कांग्रेस ने देश के गृहमंत्री अमित शाह के मणिपुर दौरे से पहले 15 अप्रैल, 2024 को आरोप लगाया कि पूर्वोत्तर के इस राज्य में कानूनव्यवस्था की स्थिति ध्वस्त होने के बावजूद मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह को बरखास्त क्यों नहीं किया गया? पार्टी महासचिव जयराम रमेश ने मणिपुर के संदर्भ में मोरचा संभालते हुए कहा, “प्रधानमंत्री मोदी मणिपुर के मुख्यमंत्री को क्यों बचा रहे हैं? गृहमंत्री अमित शाह ने आगामी लोकसभा चुनाव के मद्देनजर भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के उम्मीदवारों के समर्थन में मणिपुर में प्रचार किया.” यह सारा देश जानता है कि चुनावों के हर चरण में प्रधानमंत्री मोदी हर स्टेट में पहुंच जाते हैं मगर वे मणिपुर क्यों नहीं जा रहे हैं, यह सवाल आज हवाओं में गूंज रहा है.

 

और कहानियां पढ़ने के लिए क्लिक करें...