राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (NCP) के संस्थापक दिग्गज नेता शरद पवार की बेटी सुप्रिया सुले बारामती लोकसभा क्षेत्र से एक बार फिर चुनाव लड़ने जा रही हैं. वह इस सीट का साल 2009 से प्रतिनिधित्व कर रही हैं. बारामती पवार परिवार का गढ़ है. शरद पवार इस सीट से 1996 से 2009 तक सांसद रहे थे. सुप्रिया सुले भी यहां से लगातार 3 बार से सांसद हैं.
हालांकि यह चुनाव पिछले चुनावों से अलग है. अब शरद पवार की एनसीपी विभाजित हो गई है. इस के एक गुट की बागडोर 80 साल के शरद पवार के हाथ में है और दूसरे गुट का नेतृत्व उन के भतीजे अजित पवार कर रहे हैं. अजित पवार बीजेपी और शिवसेना के साथ गठबंधन कर के महाराष्ट्र सरकार का हिस्सा बन चुके हैं. सुप्रिया सुले अब एनसीपी (शरद पवार) की उम्मीदवार के रूप में चुनाव लड़ेंगी.
यह भी पढ़ें- हेमामालिनी एक बार फिर मथुरा से चुनाव लड़ेंगी, अब तीसरी बार जीत की गारंटी संदेह में
वैसे इस बार बारामती के चुनाव में पवार बनाम पवार मुकाबला देखने को मिलेगा. इस सीट पर सुप्रिया सुले का मुकाबला उन की भाभी और अजित पवार की पत्नी पर्यावरण कार्यकर्ता सुनेत्रा पवार से होने वाला है.
जाहिर है बारामती सीट पर लोकसभा चुनाव बेहद दिलचस्प हो गया है. इस सीट पर कौन बाजी मारेगा ये 4 जून को ही पता चलेगा लेकिन इस बार चुनाव में ननद और भाभी के बीच कड़ी टक्कर देखने लायक होगी. अजित पवार की पत्नी सुनेत्रा पवार और शरद पवार की बेटी सुप्रिया सुले एकदूसरे को कांटे की टक्कर दे रही हैं. महाराष्ट्र के डिप्टी सीएम अजित पवार खुद सुनेत्रा के प्रचार की कमान संभाले हुए हैं और लगातार इलाके में प्रचार कर रहे हैं. वहीं सुप्रिया सुले ने भी एड़ी चोटी का जोर लगा दिया है.
पिछले दिनों एक सवाल के जवाब में सुप्रिया सुले ने कहा, “मैं सुनेत्रा पवार को फौलो नहीं करती. मैं दूसरों के घर में नहीं झांकती. इस देश के कोर इश्यूज क्या हैं, मुझे पता है. मेरी लड़ाई उन से नहीं है. मेरी लड़ाई केंद्र सरकार की गलत नीतियों के खिलाफ है. मैं व्यक्तिगत तौर पर किसी से नही लड़ती.” सुले ने कहा कि “मैं अजित पवार को प्रतिद्वंदी नहीं समझती. मेरी लड़ाई महगाई बेरोजगारी और भ्रष्टाचार के खिलाफ है. अच्छे बदलाव के लिए मैं राजनीति में आई हूं.”
हाल ही में राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) के संस्थापक और 25 साल से अध्यक्ष शरद पवार ने अपनी बेटी सुप्रिया सुले को पार्टी का कार्याध्यक्ष नियुक्त किया था. सुप्रिया सुले को पंजाब, हरियाणा और महाराष्ट्र का प्रभारी भी बनाया गया. इन में सब से महत्वपूर्ण महाराष्ट्र है क्योंकि पार्टी का 90 प्रतिशत से ज्यादा आधार यहीं है. शरद पवार ने सुप्रिया सुले को शुरू में ही राज्यसभा भेज कर संसदीय राजनीति में रखा. जाहिर है पवार पार्टी की कमान सुरक्षित हाथों में दे कर अपना पूरा नियंत्रण जस का तस बनाए रखना चाहते हैं.
शरद पवार ने सोनिया गांधी के विदेशी मूल के मुद्दे पर कांग्रेस से नाता तोड़ कर जून 1999 में अपनी नई पार्टी राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी बना ली थी. जब से ये पार्टी बनी है तब से बारामती लोकसभा सीट पर इसी का कब्जा है.
बारामती अपने गन्ने के बागानों के लिए भी मशहूर है. इसी वजह से यहां की सियासत में किसान फैक्टर अहम हो जाता है. खुद शरद पवार भी इसी के दम पर न सिर्फ बारामती बल्कि प्रदेश और देश की सियासत में भी दम रखते हैं. दरअसल बारामती में लहलहाते गन्ने और दूसरे विकास कार्यों में बहुत हद तक शरद पवार का योगदान है. शरद पवार एंड फैमिली को ताकत इन्हीं किसानों से मिलती है.
1996 से ले कर 2004 तक लगातार 4 बार शरद पवार ही यहां से सांसद रहे. इस दौरान वे केंद्र में कई बड़े पदों पर रहे. शरद पवार के बाद ये सीट को उन की बेटी सुप्रिया सुले ने 2009 से ले कर अब तक अपने कब्जे में रखा है. साल 2014 की मोदी लहर में महाराष्ट्र में कई बड़े नाम धराशाही हो गए लेकिन बारामती सीट पर पवार परिवार का ही कब्जा रहा.
बारामती एक हाई प्रोफाइल चुनावी संघर्ष के लिए तैयार
3 बार की सांसद सुप्रिया सुले के खिलाफ महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री अजित पवार की पत्नी सुनेत्रा पवार के चुनावी अखाड़े में उतरने के बाद शरद पवार का गृह क्षेत्र बारामती एक हाई-प्रोफाइल चुनावी संघर्ष के लिए तैयार है. ‘पवार-बनाम-पवार’ का संघर्ष पिछले साल मूल राकांपा में हुए विभाजन का नतीजा है.
अजित पवार पिछले वर्ष अपने वफादार विधायकों के साथ सत्तारूढ़ भाजपा और एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाली शिवसेना के साथ चले गए थे. एनसीपी के संस्थापक गुट ने 54 वर्षीय सुप्रिया सुले को यहां से नामांकित किया है जबकि अजीत पवार के गुट ने सुले की भाभी 60 वर्षीय सुनेत्रा पवार को मैदान में उतारा है. दोनों ही उच्च शिक्षित महिला हैं और लोगों की नब्ज पहचानना भी जानती हैं.
सुप्रिया बनाम सुनेत्रा
बारामती लोकसभा क्षेत्र में 6 विधानसभा क्षेत्र शामिल हैं. बारामती शहर, इंदापुर, दौंड, पुरंदर, भोर और खड़कवासला. इन क्षेत्रों में, भोर और पुरंदर पर कांग्रेस का प्रभाव है जबकि बारामती और इंदापुर ने ऐतिहासिक रूप से (विभाजन से पहले) एनसीपी का पक्ष लिया है. दौंड और खड़कवासला में बीजेपी का प्रभाव है.
2019 के चुनावों में सुप्रिया सुले ने एनसीपी के बैनर तले बारामती निर्वाचन क्षेत्र में अपनी लगातार तीसरी जीत हासिल की थी. 2019 के लोकसभा चुनावों में बीजेपी उम्मीदवार और दौंड विधायक राहुल कुल की पत्नी कंचन कुल को सुप्रिया सुले ने 1.55 लाख से अधिक मतों के अंतर से हराया था.
बारामती में इस बार अभूतपूर्व मुकाबला है. NCP के दो धड़ों की यह निर्णायक लड़ाई है. इस में अजित हारे तो BJP में उन का कद घट जाएगा और शरद पवार हारे तो उन के राजनीतिक जीवन का पटाक्षेप आरंभ हो जाएगा. अजित की उम्मीदवार उन की पत्नी सुनेत्रा हैं, जबकि शरद पवार ने बेटी सुप्रिया सुले को उतारा है. इस तरह भौजाई और ननद के बीच यह दंगल है. उन के रूप में असल में भतीजे और चाचा की यह राजनीतिक लड़ाई है.
सुनेत्रा कभी राजनीतिक मैदान में नहीं उतरीं. लेकिन पर्यावरण, ग्रामीण विकास और शिक्षा के क्षेत्र में सक्रिय हैं. बारामती हाई-टेक टेक्सटाइल पार्क की अध्यक्ष रह चुकी हैं. इस पार्क से 15 हजार ग्रामीण महिलाएं जुड़ी हैं. शरद पवार द्वारा स्थापित विद्या प्रतिष्ठान की वह उपाध्यक्ष हैं. यह प्रतिष्ठान कई स्कूल-कौलेज चलाता है जिन में कोई 25 हजार छात्र पढ़ते हैं. पर्यावरण पर उन का इनवाइरमेंटल फोरम औफ इंडिया है जो फ्रांस के NGO से भी जुड़ा है.
इधर सुप्रिया गांवगांव जा कर लोगों से मिलती हैं. सुबह 8 बजे से ही उन के बहुत व्यस्त कार्यक्रम होते हैं जो देर रात तक चलते हैं. पिता शरद पवार भी पूरे क्षेत्र का लगातार दौरा कर रहे हैं.
प्रचार के दौरान ननद-भौजाई एकदूसरे पर व्यक्तिगत प्रहार नहीं करतीं. ननद का कहना है कि भौजाई मां के समान होती है. यही हमारी संस्कृति है. प्रचार की शुरुआत में दोनों की बारामती के हनुमान मंदिर में मुलाकात हुई. दोनों मुसकराते हुए एक दूसरे से मिलीं.
बारामती में तीसरे चरण में सात मई को मतदान होना है. महाराष्ट्र की 48 लोकसभा सीट पर 19 अप्रैल से 20 मई के बीच 5 चरणों में मतदान होगा और मतों की गिनती 4 जून को होगी.