Loksabha Election 2024: जानेअनजाने या जोशखरोश में कांग्रेस अकसर कैसे अपने ही पांव पर कुल्हाड़ी मारती रही है, इस का एक और उदाहरण कुरुक्षेत्र से बीती एक अप्रैल को देखने में आया जब रणजीत सिंह सुरजेवाला के हेमा मालिनी को ले कर दिए एक बयान ने खासा तहलका मचा दिया. इस बार अपनी जीत को ले कर जो दिग्गज भाजपाई डरे हुए हैं, 75 वर्षीया बुजुर्ग फिल्म ऐक्ट्रैस हेमा मालिनी उन में से एक हैं.
यह डर बेवजह नहीं है बल्कि इस की वजह उन का अपने संसदीय क्षेत्र के लिए कुछ उल्लेखनीय न कर पाना है. जिस के चलते मथुरा में उन का अंदरूनी विरोध भी है. हेमा 10 साल से मथुरा से सांसद हैं. इस दरम्यान वे बमुश्किल 10 बार ही वहां गई होंगी और अकसर गईं भी तभी जब कोई बड़ा राजनीतिक या धार्मिक आयोजन वहां था या मोदीयोगी मथुरा पहुंचे थे.
आलाकमान के लिहाज और हेमा मालिनी के रसूख के चलते स्थानीय भाजपा कार्यकर्ता भले ही मुंह में दही जमाए मथुरा की लस्सी बेमन से प्रचार के दौरान गले के नीचे उतार रहे हों लेकिन यहां से प्रत्याशी बदले जाने की उम्मीद हर किसी को थी. 2 बार मोदी लहर पर सवार हेमा भले ही अपने बसन्ती और धन्नो छाप ग्लैमर के चलते जीत गईं हों लेकिन इस बार कोई उन की चर्चा भी नहीं कर रहा था.
भाजपा ने उन्हें तीसरी बार टिकट दिया तो स्थानीय लोगों में कोई खास हलचल नहीं हुई. लोग यह मान कर भी चल रहे थे कि उम्र का फार्मूला शायद मथुरा में लागू हो पर उन की उम्मीदवारी से साबित हो गया कि भाजपा कितनी मुश्किलों से गुजर रही है और मेहनत से ज्यादा ग्लैमर के सहारे 400 की गिनती गिन रही है. इस नामुमकिन से टारगेट में मथुरा कहीं है भी या नहीं, यह तो नतीजों वाले दिन 4 जून को पता चलेगा.
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