अपने नजदीकियों में प्यार से शोभाक्का नाम से पुकारी जाने वाली वे घोषित तौर पर साध्वी नहीं हैं और न ही गेरुए कपड़े पहनती हैं लेकिन विचारों और हरकतों से वे किसी उमा भारती या प्रज्ञा सिंह ठाकुर से उन्नीस नहीं हैं. केंद्रीय राज्य मंत्री शोभा करंदलाजे कर्नाटक की फायर ब्रांड भाजपा नेत्री हैं जिन्हें हलाल मीट पर भी एतराज रहता है, हिजाब पर भी और लव जिहाद जैसे मुद्दों पर भी वे ताबड़तोड़ बोलती हैं. ऐसे मुद्दों पर हालांकि अकसर वे आलाकमान और शीर्ष नेताओं के बयानों को ही कौपी पेस्ट करती हैं लेकिन तब कट्टरवादी शैली उन की लैंग्वेज और बौडी लैंग्वेज दोनों में होती है.

अविवाहित, 57 वर्षीय, सुंदर, आकर्षक हिंदुत्व की राजनीति में दक्ष शोभा पर्याप्त शिक्षित भी हैं. उन के पास 2 मास्टर्स डिग्री हैं. कौलेज की पढ़ाई के दौरान ही वे आरएसएस से जुड़ गईं थीं और तभी उन्होंने प्रण ले लिया था कि आजीवन शादी नहीं करेंगी और हिंदुत्व के लिए ही समर्पित रहेंगी. इन दोनों कसमों पर वे आज तक कायम हैं और दिनरात हिंदुत्व के विचारों में ही वे विचरण करती हैं. इसी हिंदुत्व ने उन्हें केन्द्रीय मंत्रीमंडल तक पहुंचाया और अभी और भी आसमान अभी बाकी हैं.

शोभा ने बम वाला जो बयान दिया वह अब उन के ही गले पड़ता नजर आ रहा है. हालांकि मौसम चुनाव का है और कर्नाटक भाजपा के लिए अब पिछले चुनाव सरीखा आसान नहीं है, यह बात शोभा भी जानती हैं इसलिए उन्होंने कहा, “तमिलनाडु का व्यक्ति आता है और वह बेंगलुरु में ट्रेनिंग ले कर रामेश्वरम में बम रखता है.”

गौरतलब है कि एक मार्च को बेंगलुरु के रामेश्वरम केफे में बम विस्फोट हुआ था जिस की पुलिस जांच अभी चल रही है. लेकिन जादू के जोर से शोभा को पता चल गया कि आरोपी कहां से आए थे. अच्छा तो यह होता अगर वे उन के नाम पते भी बता देतीं तो कोई झंझट ही नहीं रह जाता.

लेकिन शोभा की मंशा असल में झंझट खड़ी कर मीडिया का ध्यान अपनी तरफ खींचने की थी जिस से पब्लिसिटी मिले इस में वे कामयाब भी रहीं. क्या यह या ऐसा बयान देना फौरीतौर पर उन की मजबूरी हो गया था? तो इस का जबाब हां में ही निकलता है क्योंकि उन का उबके ही संसदीय क्षेत्र उडड्पी चिकमंगलूर में काफी विरोध हो रहा था जो उन की ही पार्टी के लोग कर रहे थे.

बहुत ज्यादा नहीं बल्कि बीती 10 मार्च को ही उडड्पी चिकमंगलूर में भाजपा कार्यालय में भाजपा कार्यकर्ताओं ने ही उन की उम्मीदवारी का विरोध करते गो बैक के नारे लगाए थे. मीडिया के सामने कुछ आक्रोशित कार्यकर्ताओं ने कहा था कि शोभा करंदलाजे जो पिछले 10 सालों से चिकमंगलूर का प्रतिनिधित्व कर रही हैं उन का पार्टी के ब्लौक समिति नेताओं से कोई परिचय नहीं है.

ये छोटे नेता शोभा की संभावित उम्मीदवारी को ले कर इतने भड़के हुए थे कि किसी की बात सुनने तैयार नहीं थे. यह पहला मौका नहीं था जब चिकमंगलूर के भाजपा कार्यकर्ताओं ने शोभा का विरोध किया हो. उन्होंने 10 फरवरी को भी नरेंद्र मोदी, अमित शाह और अध्यक्ष जेपी नड्डा को पत्र लिखते कहा था कि शोभा को टिकट न दिया जाए बल्कि किसी नए चेहरे को उतारा जाए. इन कार्यकर्ताओं ने शोभा पर उदासीनता का आरोप लगाया था. इन्हीं दिनों में मछुआरों की उन से नाराजगी की बात भी उजागर हुई थी.

लेकिन शोभा के गौड फादर पूर्व मुख्यमंत्री येदियुरप्पा उन के नाम पर अड़ गए थे इसलिए आलाकमान ने बीच का रास्ता निकालते शोभा को बेंगलुरु उत्तर से टिकट दे दिया जहां से पूर्व मुख्यमंत्री सदानंद गोडा फिर से लड़ना चाह रहे थे. अब उन के भाजपा छोड़ने और कांग्रेस से लड़ने की अटकलें लग रही हैं. तो बेंगलुरु में बवंडर मचाने की गरज से शोभा ने जो बयान दिया वह अब उन्ही के गले की हड्डी बनता जा रहा है.

बयान को कोई सरपैर नहीं था और था भी तो बस इतना कि बेंगलुरु उत्तर के लोग जान लें कि अब यहां से दक्षिण की साध्वी चुनाव मैदान में है जिस का इकलौता एजेंडा सांप्रदायिक बैर फैलाने का रहता है. इस विवादित बयान के 2 दिन पहले ही बेंगलुरु में एक हिंदू दुकानदार की ठुकाई कुछ मुसलिम युवकों ने इसलिए कर डाली थी कि वह नमाज के दौरान स्पीकर पर तेज आवाज में हनुमान चालीसा बजा रहा था. इस पर हजारों भाजपा कार्यकर्ताओं ने विरोध प्रदर्शन किया था जिस की अगुवाई शोभा करंदलाजे कर रहीं थीं. क्योंकि वे अब वहां से उम्मीदवार हैं और जीतने के लिए हिंदूमुसलिम वाला अपना प्रिय टोटका आजमा रहीं हैं. इसी झक में वे कन्नड़ और तमिलों में भी नफरत फैलाने की चूक कर बैठी. आदत से मजबूर जो हैं.

तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन ने तुरंत शोभा को घेर लिया. उन्होंने कहा भाजपा की केंद्रीय मंत्री शोभा के बेतुके बयान की मैं कड़ी निंदा करता हूं. इस तरह के दावे करने के लिए या तो एनआईए का अधिकारी होना चाहिए या फिर रामेश्वरम केफे ब्लास्ट से करीबी तौर पर जुड़ा होना चाहिए.

स्पष्ट तौर पर उन के पास इस तरह के दावे करने का कोई अधिकार नहीं है तमिल और कन्नड़ के लोग समान रूप से भाजपा की इस विभाजनकारी बयानबाजी को खारिज कर देंगे. बात यहीं खत्म हो जाती तो और बात थी लेकिन बात तब और बिगड़ी जब मैदुरे सिटी में उन की टिप्पणी पर साइबर क्राइम पुलिस ने एक डीएमके कार्यकर्ता की शिकायत पर एफआईआर दर्ज की. शिकायत चुनाव आयोग तक भी पहुंची जिस ने आदर्श आचार संहिता के उल्लघन करने पर नोटिस देते शोभा को जवाब देने के लिए 48 घंटों का वक्त दिया है.

अब जो भी हो जल्द सामने आ जाना है मगर बवंडर मचते देख शोभा ने तमिल भाईबहनों से माफी मांग ली है. लेकिन यह टिप्पणी उन्हें और भाजपा दोनों को महंगी पड़ सकती है क्योंकि तमिलनाडु में तो भाजपा की हालत खस्ता है ही लेकिन कर्नाटक में भी अंदरूनी कलह के चलते सब कुछ ठीकठाक नहीं है.

अगर चुनाव आयोग ने सख्ती बरती तो शोभा को लेने के देने भी पड़ सकते हैं. न जाने क्यों केरल के मुख्यमंत्री पी विजयन और कांग्रेस इस टिप्पणी पर खामोश हैं. आम आदमी पार्टी की खामोशी तो समझ आती है क्योंकि उन के मुखिया अरविंद केजरीवाल पर गिरफ़्तारी की तलवार लटक रही थी जो आखिरकार गिर भी गई.

दरअसल में कर्नाटक की कथित रूप से बिगड़ती कानून व्यवस्था पर शोभा ने इतना भर नहीं कहा था कि तमिलनाडु से आए लोग बम लगाते हैं बल्कि उन्होंने आगे यह भी जोड़ा था कि दिल्ली से आए लोग पाकिस्तान जिंदाबाद के नारे लगाते हैं और केरल से आने वाले तेजाबी हमले करते हैं.

यह भी पहला मौका नहीं है जब कोई भाजपाई नेता अपने ही बयान पर घिर रहा हो बल्कि कई बार ऐसा हो चुका है. आलू से सोना बनाने की बात असल में कही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने थी जिस का हवाला एक मीटिंग में राहुल गांधी ने दिया था लेकिन भगवाईयों ने वीडियो एडिट कर उसे राहुल गांधी का ही बना कर वायरल कर दिया.
नरेंद्र मोदी का वह वीडियो भी अकसर वायरल होता रहता है जिस में वे एक चाय वाले का जिक्र करते हुए कह रहे हैं कि वह नाले की गैस का इस्तेमाल गैस सिलेंडर में कर लेता है.

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