सुप्रीम कोर्ट के स्पष्ट आदेश के बाद भी इलैक्टोरल बौंड की जानकारी न देने पर 11 मार्च को स्टेट बैंक औफ इंडिया (एसबीआई) को कोर्ट के भीतर जिस तरह फटकार पड़ी है, वह बेहद शर्मनाक है. कोर्ट ने एसबीआई द्वारा और समय मांगे जाने वाली याचिका को खारिज कर 12 मार्च को सारी जानकारी देने का आदेश दिया है. कोर्ट ने कड़ी चेतावनी देते हुए कहा कि कल तक अगर जानकारी नहीं दी गई तो कोर्ट एसबीआई पर अवमानना का केस चलाएगी.

गौरतलब है कि पिछले महीने सुप्रीम कोर्ट के 5 जजों की बेंच ने इलैक्टोरल बौन्ड को असंवैधानिक बताते हुए उसे रद्द कर दिया था और स्टेट बैंक औफ इंडिया जो इलैक्टोरल बौन्ड बेचने वाला अकेला अधिकृत बैंक है, को निर्देश दिया था कि वह 6 मार्च 2024 तक 12 अप्रैल, 2019 से ले कर अब तक खरीदे गए समस्त इलैक्टोरल बौन्ड की जानकारी चुनाव आयोग को उपलब्ध कराए ताकि चुनाव आयोग उसे अपनी वेबसाइट पर अपलोड के सके. चुनाव आयोग को इलैक्टोरल बौंड से संबंधित तमाम जानकारी 31 मार्च तक अपनी वेबसाइट पर जारी करनी थी. मगर एसबीआई ने और समय की मांग करते हुए कोर्ट में याचिका दाखिल कर दी.

इस पर सुप्रीम कोर्ट ने एसबीआई को खूब खरीखरी सुनाई. चीफ जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़ ने कहा, “आप को कुछ बातों पर स्पष्टीकरण देना चाहिए. कृपया आप मुझे बताएं कि आप 26 दिनों से क्या कर रहे थे? आप के हलफनामे में इस पर एक शब्द नहीं लिखा गया है. बौन्ड खरीदने वाले के लिए एक केवाईसी होती थी तो आप के पास खरीदने वाले की जानकारी तो है ही. फिर दिक्कत कहां है?

उल्लेखनीय है कि सुप्रीम कोर्ट ने जानकारी मांगी थी कि कितने इलैक्टोरल बौंड्स किनकिन पार्टियों के लिए खरीदे गए और किस ने खरीदे, मगर एसबीआई ने जानकारी नहीं दी. एसबीआई की तरफ से कोर्ट में पेश वरिष्ठ वकील हरीश साल्वे ने जानकारी उपलब्ध कराने के लिए समय 30 जून तक का समय मांगा तो सुप्रीम कोर्ट भड़क उठा. कोर्ट ने कहा कि जो काम 24 घंटे में हो सकता है उस के लिए महीनों का समय क्यों?

इस पर हरीश साल्वे ने कहा इस बात में कोई दोराय नहीं है कि हमारे पास जानकारी है. डोनर्स से मिलान करने में वक्त लगेगा. साल्वे की बात पर जस्टिस संजीव खन्ना ने नाराज होते हुए कहा कि जानकारी अगर सील कवर में है तो उस सील कवर को खोलिए और जानकारी दीजिए.

बता दें कि इस मामले की सुनवाई चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता में जस्टिस संजीव खन्ना, जस्टिस बीरआर गावई, जस्टिस जबी पार्दीवाला और जस्टिस मनोज मिश्रा की बेंच कर रही है. एसबीआई जिस तरह चुनावी बौंड से संबंधित जानकारी देने में ही लापरवाही कर रही है उस से कोर्ट भड़का हुआ है.

एसबीआई चाहता है कि लोकसभा चुनाव हो जाएं, उस के बाद यह खुलासा हो, मगर कोर्ट का आदेश उस की गर्दन पर खंजर की तरह आ टिका है. अब बैंक भारतीय जनता पार्टी की चाकरी बजाए या कोर्ट का आदेश माने, इस ऊहापोह में घिर गया है. उस के पास 24 घंटे से भी कम समय है.

दरअसल इलैक्टोरल बौंड के मामले में एसबीआई नहीं, बल्कि भारतीय जनता पार्टी की गर्दन फंसी हुई है. लोकसभा चुनाव सिर पर हैं और ऐसे में अगर ये पोल पट्टी खुल गई कि कौन कौन उद्योगपति, पूंजीपति, व्यापारी, धंधेबाज, रसूखदार, एनआरआई, भारतीय जनता पार्टी की तिजोरियां भरते रहे हैं और बदले में उस से क्याक्या फायदे उठाते रहे हैं, तो भारतीय राजनीति में भूचाल आ जाएगा. विपक्ष को बहुत बड़ा मुद्दा मिल जाएगा और देश की जनता के सामने भारतीय जनता पार्टी की “ईमानदारी” का भंडाफोड़ हो जाएगा. यह खुलासा लोकसभा चुनाव में भाजपा का वोट प्रतिशत गिरा सकता है. ऐसे में एसबीआई पर मोदी सरकार द्वारा जानकारी न देने जबरदस्त दबाव है.

कांग्रेस का आरोप है कि एसबीआई ऐसा इलैक्टोरल बौंड स्कीम की सब से बड़ी लाभार्थी भाजपा की छवि बचाने के लिए कर रही है. राहुल गांधी ने एक सोशल मीडिया पोस्ट में लिखा, “एक क्लिक पर निकाली जा सकने वाली जानकारी के लिए 30 जून तक का समय मांगना बताता है कि दाल में कुछ काला नहीं है, बल्कि पूरी दाल ही काली है.”

पूर्व वित्त सचिव सुभाष गर्ग भी कहते हैं कि एसबीआई सिर्फ बहाना बना रही है. बैंक को सिर्फ 3 आधारभूत जानकारी कोर्ट को देनी है कि किस ने बौंड खरीदा, कितने का बौंड खरीदा और कब खरीदा. ऐसे ही बौंड किस को मिला, कितने का मिला और कब मिला, यह जानकारी देनी है. यह सब जानकारी एसबीआई के कम्प्यूटर्स पर हर वक्त उपलब्ध होती है. इस जानकारी को इकट्ठा कर कोर्ट के सामने पेश करने के लिए महीनों का समय नहीं, बल्कि सिर्फ 10 मिनट का वक़्त चाहिए.

बता दें कि जब मोदी सरकार इलैक्टोरल बौंड स्कीम तैयार कर रही थी, उस वक्त सुभाष गर्ग इकोनौमिक अफैयर्स सेक्रेटरी थे. एसबीआई सरकार को इलैक्टोरल बौंड्स से जुड़ा डाटा देती रही है. वह बिक्री की प्रत्येक विंडो अवधि के बाद केंद्रीय वित्त मंत्रालय को रेगुलर ऐसी जानकारी भेजती थी.

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