World Protein Day 2024: फिट रहना कितना जरूरी है, कोरोना ने यह सबक बखूबी समझाया है. अब लोग फिटनैस को ले कर बहुत ज्यादा जागरूक हो गए हैं. हैल्दी लाइफस्टाइल, हैल्दी डाइट, जिम जाना जैसी चीज़ों को युवा लड़केलडकियां सीरियसली फौलो कर रहे हैं. अधेड़ उम्र के लोग भी अब पार्कों के ओपन जिम में नज़र आने लगे हैं. फिटनैस के प्रति युवाओं की बढ़ती रुचि के चलते ही शहरों में जिम की संख्या स्कूलकालेजों की संख्या से अधिक हो गई है. अनेक शहरों में हर गलीमोहल्ले में जिम खुले हुए हैं, जहां बड़ी संख्या में युवा वर्जिश के लिए आ रहे हैं. इन में से मात्र 25 फ़ीसदी जिम ही रजिस्टर्ड होते हैं. ज्यादातर में अनट्रेंड कोच भरे हुए हैं. वही आप को वर्जिश का अधकचरा तरीका सिखा रहे हैं और वही जल्दी से जल्दी मसल्स बनाने के लिए विभिन्न प्रकार की दवाएं व पाउडर का घोल पीने की सलाह दे रहे हैं.

मसल्स बनाने के लिए आजकल युवाओं में होड़ मची हुई है. मसल्स बनाने के लिए जब युवा जिम जाता है तो जिम ट्रेनर सब से पहले प्रोटीन रिच डाइट लेने की सलाह देते हैं और प्रोटीन पाउडर का डब्बा उन्हें पकड़ा देते हैं. पहले कोई 4 या 5 कंपनियां प्रोटीन पाउडर बेचती थीं. यह पाउडर डाक्टर की सलाह पर कैमिस्ट शौप से खरीदे जाते थे, मगर आज बाज़ार में 20 से अधिक कंपनियों के प्रोटीन पाउडर बिक रहे हैं और इन के सेल्स मैनेजर जिम और योगा इंस्टिटूट्स तक पूरा जाल बिछा चुके हैं. देशभर के जिमों में आज प्रोटीन पाउडर बिक रहे हैं जो युवाओं की सेहत बनाने की जगह बिगाड़ रहे हैं. इंदौर जैसे शहर में 500 से अधिक जिम और 20 से ज्यादा दुकानों से प्रतिदिन 4 लाख रुपए का प्रोटीन पाउडर बेचा जा रहा है. 6 साल में इस की बिक्री 25 प्रतिशत बढ़ गई है. दाम भी तीनगुना अधिक हो गए हैं. 5 किलो प्रोटीन पाउडर के डब्बे का दाम करीब 14,500 रुपए है.

प्रोटीन पाउडर पीपी कर आज बड़ी संख्या में युवा किडनी की बीमारी और हाई ब्लडप्रैशर का शिकार हो रहे हैं. कम उम्र में ही दिल की बीमारी और अन्य साइड इफैक्ट भी सामने आ रहे हैं और इस की वजह है वह प्रोटीन शेक, जो बिना डाक्टरी सलाह के लिया जा रहा है. 80 प्रतिशत से ज्यादा जिम ट्रेनर सुडौल शरीर बनाने के नाम पर लोगों को बिना डाक्टरी सलाह के प्रोटीन पाउडर पिला रहे हैं. इस के साइड इफैक्ट के रूप में कई गंभीर बीमारियां हो रही हैं. किडनी रोग विशेषज्ञ डा. राजेश भराणी के मुताबिक, प्रोटीन व अन्य फूड सप्लीमैंट का ज्यादा उपयोग करने से लोगों में किडनी से संबंधित परेशानियां हो रही हैं. किडनी से संबंधित मरीजों में 2 से 3 प्रतिशत जिम जाने वाले हैं. कई मामलों में 8 से 10 साल बाद जब दुष्परिणाम सामने आते हैं, तब तक बहुत देर हो चुकी होती है. इस के अलावा प्रोटीन पाउडर के ज्यादा सेवन से थकान, सिरदर्द, जी मिचलाना जैसे साइड इफैक्ट्स देखने को मिल रहे हैं. आर्टिफिशियल प्रोटीन लेने से ब्लडप्रैशर लैवल एकदम से बढ़ जाता है जिस की वजह से कार्डियक अरेस्ट, हार्ट पल्पिटेशंस की समस्या भी सामने आ रही है.

आजकल हर युवा मसल्स बनाने में लगा हुआ है. इस के लिए वह हैल्दी और नेचुरल प्रोटीन का सेवन करने से ज्यादा प्रोटीन पाउडर पर भरोसा कर रहा है. ज्यादातर प्रोटीन पाउडर को दूध से तैयार किया जाता है. दूध में लैक्टोज होता है, जो एक नेचुरल शुगर का प्रकार है. जो लोग लैक्टोज को नहीं पचा पाते हैं उन का पाचनतंत्र प्रोटीन को भी नहीं पचा पाता. इस से गैस और ब्लौटिंग की प्रौब्लम होती है. ऐसे ही अगर सोया पर आधारित प्रोटीन का सेवन ज्यादा दिन तक करते रहें तो हार्मोन प्रभावित हो जाते हैं क्योंकि सोया में फाइटोएस्ट्रोजन होते हैं. यह शरीर में एस्ट्रोजन रिलीज करता है, जिस से हार्मोन असंतुलित होते हैं. फाइटोएस्ट्रोजन ब्रेस्ट कैंसर के ट्यूमर का विकास करता है. वर्कआउट के बाद प्रोटीन पाउडर लेने से इंसुलिन में बढ़ोतरी होती है. इस तरह नियमित रूप से इंसुलिन में होने वाली यह एकाएक बढ़ोतरी आगे के लिए नुकसानदायक हो सकती है.

बाजार में कई प्रकार के प्रोटीन पाउडर बिक रहे हैं. कैसीन, व्हे प्रोटीन जैसे प्रोटीन पाउडर में चीनी, आर्टिफिशियल स्वीटनर, विटामिन, मिनरल आदि मिलाए जाते हैं. मार्केट में मिलने वाले प्रोटीन पाउडर के एक स्कूप में 10 से 30 ग्राम तक प्रोटीन हो सकता है. कुछ पाउडर में घातक धातुएं भी मिलाई जाती हैं. क्लीन लेबल प्रोजैक्ट नामक एक नौनप्रोफिट ग्रुप ने प्रोटीन पाउडर में विषैले पदार्थ के बारे में 3 साल पहले एक रिपोर्ट जारी की थी. रिसर्चर्स ने 134 प्रोटीन पाउडर प्रोडक्ट की जांच की थी और पाया कि उन प्रोडक्ट्स में 130 प्रकार के विषैले पदार्थ थे. इस रिपोर्ट के मुताबिक, कई प्रोटीन पाउडर में भारी मात्रा में धातु (सीसा, आर्सेनिक, कैडमियम और पारा), बिस्फेनौल ए (इस का प्रयोग प्लास्टिक बनाने के लिए किया जाता है), कीटनाशक और अन्य खतरनाक कैमिकल होते हैं. इन कैमिकल्स से कैंसर और अन्य बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है. प्रोटीन पाउडर में कुछ विषैले पदार्थ काफी मात्रा में मौजूद थे. उदाहरण के लिए एक प्रोटीन पाउडर में बीपीए की सीमा बताई गई सीमा से 25 गुना अधिक थी. हालांकि, सभी प्रोटीन पाउडर में विषैले पदार्थ की अधिक मात्रा नहीं थी.

न्यूट्रिशनिस्ट डा. नीना बहल कहती हैं कि जिम जाने वाले युवाओं को हमेशा कैमिकल-फ्री प्रोटीन पाउडर ही लेना चाहिए. लेकिन इस बात का खास ध्यान रखें कि डाक्टर या एक्सपर्ट की सलाह के बिना कोई भी सप्लीमैंट यूज न करें. लेकिन फिर भी मेरी सलाह यही है कि प्रोटीन सप्लीमैंट की अपेक्षा प्रोटीन वाले फूड अंडा, नट्स, मीट, दही, दाल, बीन्स, मछली, पनीर आदि का सेवन ज़्यादा ठीक है बजाय प्रोटीन पाउडर के. इन खाद्य पदार्थों से शरीर अपनी आवश्यकतानुसार प्रोटीन एब्जौर्ब कर लेता है. शरीर में प्रोटीन की अधिक मात्रा यूरिक एसिड की समस्या पैदा करती है जो आगे जा कर किडनी खराब कर देता है, साथ ही, आर्थराइटिस की ऐसी समस्या पैदा हो जाती है कि दर्द के कारण इंसान का चलनाफिरना भी बंद हो जाता है.

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