भारत जोड़ो न्याय यात्रा के नवें दिन राहुल गांधी असम के नगांव पहुंचे. यहां वह बोर्दोवा में संत श्री शंकरदेव के जन्मस्थल पर दर्शन करने जाना चाहते थे. सुरक्षाबलों ने राहुल और अन्य कांग्रेसी नेताओं को बरगांव में रोक दिया. सुरक्षाबलों से बहस के बाद राहुल और अन्य कांग्रेसी नेता धरने पर बैठ गए. सभी को अयोध्या में प्राण प्रतिष्ठा के बाद 3 बजे मंदिर आने के लिए कहा गया. कांग्रेस के कुछ नेताओं ने राहुल गांधी के मंदिर दर्शन को मुद्दा बना दिया. पुलिस ने गुवाहाटी सिटी जाने वाली सड़क पर बैरिकेडिंग कर दी. इस के बाद कांग्रेस समर्थक पुलिस से भिड़ गए. उन्होंने बैरिकेडिंग तोड़ दी. इस धक्कामुक्की में कइयों को चोटें भी आईं.

राहुल की न्याय यात्रा 18 जनवरी को नगालैंड से असम पहुंची थी. 20 जनवरी को यात्रा अरुणाचल प्रदेश गई, फिर 21 को असम लौट आई. इस के बाद यात्रा 22 जनवरी को मेघालय निकली और मंगलवार को एक बार फिर असम पहुंची. राहुल की न्याय यात्रा 25 जनवरी तक असम में रहेगी. भारत जोड़ो न्याय यात्रा के बारे में राहुल गांधी ने कहा ‘भाजपा देश में आर्थिक, सामाजिक और राजनीतिक अन्याय कर रही है. भारत जोड़ो न्याय यात्रा का लक्ष्य हर धर्म, हर जाति के लोगों को एकजुट करने के साथ इस अन्याय के खिलाफ लड़ना भी है’.

राहुल गांधी मैतेई और कुकी दोनों समुदायों के इलाकों से गुजरे. उन्होंने कांगपोकपी जिले की भी यात्रा की, जहां पिछले साल मई में दो महिलाओं को निर्वस्त्र कर घुमाया गया था. अपनी इस यात्रा के बारे में राहुल गांधी ने कहा था ‘भारत जोड़ो न्याय यात्रा को मणिपुर से शुरू करने की वजह यह है कि मणिपुर में भाजपा ने नफरत की राजनीति को बढ़ावा दिया है. मणिपुर में भाईबहन, मातापिता की आंखों के सामने उन के अपने मरे और आज तक हिंदुस्तान के प्रधानमंत्री मणिपुर में आप के आंसू पोछने, गले मिलने नहीं आए. ये शर्म की बात है.’

मंदिर दर्शन विवाद में फंसी न्याय यात्रा

66 दिनों तक चलने वाली भारत जोड़ो न्याय यात्रा देश के 15 राज्यों और 110 जिलों में 337 विधानसभा और 100 लोकसभा सीटों से हो कर गुजरेगी. इन राज्यों में मणिपुर, नगालैंड, असम, मेघालय, पश्चिम बंगाल, बिहार, झारखंड, ओडिशा, छत्तीसगढ़, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, राजस्थान, गुजरात और महाराष्ट्र शामिल है. राहुल गांधी जगहजगह रुक कर स्थानीय लोगों से संवाद करेंगे. इस दौरान राहुल 6,700 किमी का सफर तय करेंगे.

भारत जोड़ो न्याय यात्रा 20 मार्च को मुंबई में खत्म होगी. मगर इस यात्रा के बीच ही 22 जनवरी को मोदी और योगी सरकार द्वारा आयोजित अयोध्या के राम मंदिर में प्राण प्रतिष्ठा का कार्यक्रम आ गया. जिस में कांग्रेस के नेताओं को बुलाया गया था. कांग्रेस ने अपनी धर्मनिरपेक्ष नीति के उलट राम मंदिर न जाने के पीछे की वजह मंदिर का पूरा न बनना और राजनीति में धर्म का प्रयोग बताया. लेकिन इस को ले कर पूरी पार्टी दो भागों में बंटी दिखी.

एक तरफ केन्द्रीय नेताओं ने राम मंदिर समारोह में हिस्सा लेने से मना किया. दूसरी तरफ उत्तर प्रदेश कांग्रेस की पूरी टीम प्रचारप्रसार के साथ अयोध्या गई, मंदिर दर्शन किया और सरयू में स्नान किया.

यही ऊहापोह राहुल गांधी की भारत जोड़ो न्याय यात्रा में भी दिखी. राहुल गांधी की न्याय यात्रा भाजपा और संघ की नीतियों के खिलाफ है. भाजपा और संघ देश को हिंदू राष्ट्र बनाना चाहते हैं. कांग्रेस इस का विरोध करती आ रही थी. ऐसे में मंदिर दर्शन और धार्मिक आस्था की बातों को इस यात्रा से अलग रखना चाहिए था, मगर राहुल खुद मंदिर जाने की जिद में धरने पर बैठ गए. उन्हें धर्मनिरपेक्ष नीतियों पर चल कर अपनी यात्रा जारी रखनी चाहिए थी तो वे इस जिद पर अड़ गए कि उन्हें मंदिर जाना है. इस ने यात्रा में खलल डाल दिया.

धर्म से कैसे मिलेगा न्याय ?

कांग्रेस सौफ्ट हिंदुत्व की राह पर चल रही है. उस से उस की धर्मनिरपेक्ष छवि प्रभावित होगी और वह धर्म की राजनीति का विरोध पुरजोर तरीके से नहीं कर पाएगी. इस वक्त बहुत जरूरी है कि कांग्रेस भाजपा और संघ के हिंदूराष्ट्र के खिलाफ लोगों को आह्वान करे. आज भी आधे से कम वोट ही भाजपा को मिलते हैं. ऐसे में यह साफ है कि देश के आधे से अधिक लोग भाजपा की धर्म वाली नीतियों से खुश नहीं हैं.

दुनिया में जितने देश धार्मिक कट्टरता की राह पर चल रहे हैं, वो विकास की राह पर बहुत पीछे हैं और आतंकी गतिविधियों का शिकार हैं. पाकिस्तान, अफगानिस्तान इस का मुख्य उदाहरण हैं. दोनों ही देश अपनी धार्मिक छवि के कारण पूरी दुनिया का विरोध झेल रहे हैं. पाकिस्तान और बांग्लादेश की तुलना करें तो पाकिस्तान के मुकाबले कम कट्टरता वाला बांग्लादेश ज्यादा प्रगति कर गया.

बांग्लादेश की प्रति व्यक्ति आय 2227 डौलर भारत की 1947 डौलर से कहीं अधिक है. भाजपा और संघ ने जब से देश को मंदिर आंदोलन में ढकेला उस के बाद से देश का धार्मिक ढांचा ही प्रभावित नहीं हुआ बल्कि यहां की आर्थिक हालत भी प्रभावित हुई है.

2007 में भारत की प्रति व्यक्ति आय अधिक थी. उस समय भारत की प्रतिव्यक्ति आय बांग्लादेश से दोगुना थी. धर्म से न तो आर्थिक प्रगति हो सकती है और न ही न्याय मिल सकता है. अगर धर्म से ही लोगों को न्याय मिल जाता तो आईपीसी बनाने की जरूरत ही नहीं पड़ती.

धर्म औरतों की आजादी की बात नहीं करता है. औरतों की सारी परेशानियां धर्म के ही कारण हैं. धार्मिक कुप्रथाएं और रूढ़ियां औरतों के पैरों में बेड़ियों की तरह जकड़ी हैं. दहेज प्रथा, सती प्रथा, पेट में लड़की की हत्या, विधवाओं की बढ़ती संख्या इस के प्रमाण हैं. धर्मं ने महिलाओं को पढ़नेलिखने और नौकरी करने के अधिकार से वंचित कर उन्हें कम उम्र में पत्नी के रूप में पुरुष की दासी और बच्चा पैदा करने वाली मशीन बना दिया.

धार्मिक सत्ता से देश को आजादी दिलाने का काम कांग्रेस की जिम्मेदारी है. अब अगर कांग्रेस ही मंदिर मंदिर घूमेगी तो वह भाजपा और संघ की राह पर चल कर धर्म की सत्ता को मजबूत करने का ही काम करेगी.

राहुल गांधी 11 दिन की तपस्या करने में होड़ न करें. वह धर्म के शिकंजे में बारबार फंसने से खुद को बचाएं. यह काम देश की एक पार्टी कर रही है, उसे करने दें. अगर कांग्रेस भी यही करने लगी तो भारत को अफगानिस्तान बनते देर नहीं लगेगी.

राहुल को चाहिए कि वे अपनी न्याय की यात्रा को मजबूत कर देश को धार्मिक सत्ता से बाहर निकालने का काम करें ताकि देश की गरीब जनता को रोटी, शिक्षा, स्वास्थ्य और रोजगार मिल सके. राहुल को धर्म निरपेक्ष लोगों की आवाज बनना होगा. तभी उन की यात्रा सफल होगी और देश में डर का माहौल बदलेगा.

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