असली लोकतंत्र वह होता है जहां विचारों की अभिव्यक्ति की खुली छूट हो. जहां आप अपनी बात रखते वक्त न डरें कि कोई आ कर आप की गर्दन उड़ा देगा या उठा कर जेल में ठूंस देगा. लोकतंत्र वह जिस में लोक यानी लोगों की बात को अहमियत दी जाए. जहां विचारविमर्श को जगह मिले, जहां तर्क का जवाब तर्क से दिया जाए न कि आस्था का विराम दंड लगा कर तर्क करने का रास्ता ही बंद कर दिया जाए. जैसा कि बीजेपी में है.
बीजेपी में या बीजेपी से लोगों को सवाल करने की छूट नहीं है. सवाल किया नहीं कि आप देशद्रोही घोषित कर दिए जाएंगे. यहां नेताओं तक को अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता नहीं है. बस धर्म के चाबुक से भेंड़बकरियों की तरह लोग हांके जा रहे हैं. कहां जा रहे हैं, क्यों जा रहे हैं, कोई सवाल नहीं कर सकता.
सत्ता की चरण वंदना करने वाले मीडिया संस्थान इंडिया गठबंधन को ले कर आएदिन यह ढोल पीटते हैं कि वहां एकजुटता नहीं है, लोग सीटों के लिए लड़ रहे हैं, आदिआदि. मगर सही मायनों में बातचीत, तर्कवितर्क, सवालजवाब आदि वहीं होते हैं जहां खुलापन हो, अपनी बात कहने की स्वतंत्रता हो, यानी लोकतंत्र हो.
बीजेपी में तो अपने मन की न कह सको, न कर सको, बस सिर झुका कर सत्ता प्रमुख के मन की बात सुनते रहो. मगर इंडिया गठबंधन में सिर उठा कर ऊंची आवाज में अपनी बात कहने अधिकार है. तृणमूल कांग्रेस की नेता ममता बनर्जी अगर सीट बंटवारे को ले कर कोई बात कहती हैं तो अन्य क्षेत्रीय दल भी सीटों को ले कर अपनी अपनी पसंद बताते हैं. वहां अगर कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी देशभर में न्याय यात्रा निकालना चाहते हैं तो गठबंधन के अन्य दल उन के साथ चल पड़ते हैं.
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