Rambhadracharya Video Controversy : अयोध्या का राम मंदिर अभी तक पूरा बना नहीं है. 22 जनवरी को इस का उद्दघाटन होना है इस दिन रामलला की मूर्ति की प्राण प्रतिष्ठा होगी जिस की धमक, जोश और जुनून हिंदी पट्टी में शबाब पर है. आयोजन के मुख्य यजमान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 11 दिवसीय गोपनीय अनुष्ठान कर रहे हैं जिस की सूचना खुद उन्होंने ही सोशल मीडिया के जरिए दी है.

लेकिन यह भव्य मंदिर आखिर है किस का इसे ले कर भी विवाद शबाब पर है. चंपत राय ने 4 दिन पहले ही खुलासा करते बताया था कि अयोध्या का राममंदिर रामानंदी संप्रदाय का है. अब रामानंदी संप्रदाय के मुखिया रामभद्राचार्य के एक बयान को ले कर नया फसाद छिड़ गया है. वायरल हो रहे एक वीडियो में वे यह कहते नजर आ रहे हैं कि ‘गोस्वामी जी कहते हैं कि जो रामजी को नहीं भजता वो चमार है.’ यह बात उन्होंने 8 जनवरी को बिहार के करवी अरवल में राम कथा के दौरान कही थी.

इस बयान से पूरा दलित समुदाय आहत है जो पहले से जानता था कि राममंदिर उस के लिए नहीं है, यह तो ऊंची जाति वालों का है लेकिन इस बात को मंच से कहने की जरूरत क्यों आ पड़ी और इस के पीछे मंशा क्या है इसे समझने की कोशिश दो निष्कर्षों की तरफ ले जाती है –

– एक – जो चमार हैं, दलित हैं, पिछड़े, आदिवासी हैं उन्हें अयोध्या आने की जरूरत नहीं क्योंकि उन से विष्णु अवतारों के पूजापाठ का हक काफी पहले ही छीना जा चुका है बल्कि यह तो कभी उन्हें दिया ही नहीं गया था.

– दो – जो ऊंची जाति वाले हिंदू राम को नहीं भजते आज से वे भी चमार हैं.

इस लिहाज से चारों शंकराचार्य, समूचा विपक्ष जो अयोध्या नहीं जा रहा वह और तमाम वे हिंदू जो राम को नहीं भजते चमार हैं. दो टूक कहें तो लड़ाई हमेशा की तरह शैव और वैष्णवों की है जो राममंदिर के बहाने फिर उबल रही है. करोड़ोंखरबों के इस मंदिर को रामानंदी संप्रदाय को सौंप दिया गया है. आम हिंदू को इस से कोई ख़ास सरोकार नहीं है जिस की दिली ख्वाहिश भव्य राममंदिर को बनते देखने की थी.

अब मंदिर लगभग बन ही गया है तो ये विवाद उस के गले नहीं उतर रहे हैं या वह जानबूझकर इन की अनदेखी कर रहा है यह कह पाना मुश्किल है लेकिन दूसरी बात उस के मन के ज्यादा नजदीक लगती है. उसे इस बात पर कोई एतराज नहीं है कि जो राम को नहीं भजता वह चमार है.

यानी चमार कहलाने से बचने के लिए राम को भजना जरूरी है. शिव, हनुमान, देवी या साईं बाबा जैसे दूसरे देवीदेवताओं को भजने से यह चमारपन दूर होता है या नहीं इस की घोषणा उम्मीद है जल्द ही कोई मठाधीश दक्षिणा पंथी करेगा. लेकिन तब तक सरयू का काफी पानी बह चुका होगा.

हालफिलहाल तो रामभद्राचार्य आम लोगों के निशाने पर हैं. सोशल मीडिया पर लोग उन्हें पानी पीपी कर कोस रहे हैं. एक यूजर ने लिखा, रामभद्राचार्य को तत्काल गिरफ्तार किया जाना चाहिए. एक अन्य यूजर के मुताबिक दलितों के प्रति जातिसूचक शब्द, छुआछूत, घृणा और नफरत रखने वाले ऐसे जातिवादी व्यक्ति पर कठोर कार्रवाई की जाए.

एक और यूजर ने लिखा ये किसी संत की वाणी है, हिंदू समाज पहले से ही खंडखंड है , रहीसही कसर ये पूरी कर रहे हैं. 800 साल की गुलामी ऐसे ही नहीं आई क्योंकि एकता कभी नहीं बन पाई. लोकतंत्र के बाद सब ठीक हो रहा है तो इन को हजम नहीं हो रहा.

देश के दिग्गज दलित नेताओं ने इस अपमान को प्रसाद समझ ग्रहण कर लिया लेकिन भीम आर्मी के मुखिया चंद्रशेखर रावण ने सोशल मीडिया पर लिखा, यह जातीय कुंठा से ग्रसित एक पाखंडी है. जो संत के वस्त्र पहन कर भी जातिगत गालीगलौच और जातीय ऊंचनीच की बात करता रहता है. इस के बयान तमाम मेहनतकश एससी, एसटी, ओबीसी वर्गों व जातियों के साथ हमारे महापुरुषों का भी अपमान है.

चंद्रशेखर रावण सहित तिलमिलाए दूसरे दलित युवाओं को बेहतर मालूम है कि केंद्र में भगवा सरकार के आते ही 2015 में रामभद्राचार्य को यों ही पद्म विभूषण सम्मान से नहीं नवाज दिया गया था. दलितों को सरेआम मंच से चमार कहने वाले इन महाराजजी को महान दल के अध्यक्ष केशव देव मौर्य ने आंखों के नहीं बल्कि अक्ल के अंधे तक कह डाला.

लेकिन इस भड़ास या प्रतिक्रियाओं से कुछ होगा ऐसा लगता नहीं क्योंकि रामभद्राचार्य अयोध्या के इंतजामों के मुखिया होने के साथसाथ नरेंद्र मोदी की आंख के भी तारे हैं. जनता 2024 के आम चुनाव में क्या फैसला देगी इस में अब कुछ महीने बाकी हैं लेकिन रामभद्राचार्य ने उन्हें तीसरी बार प्रधानमंत्री बनने का आशीर्वाद अभी से दे दिया है.

रही बात सवर्णों चमारों सहित दूसरे हिंदुओ की तो सब के सब सिरे से असहाय से खड़े हैं. राममंदिर के शोर में तमाम आवाजें घुट कर रह गई हैं. जलजला वैष्णवों का है जिन्हें राम और अयोध्या के आगे न महंगाई दिख रही, न भ्रष्टाचार दिख रहा और न ही दिनोंदिन भीषण होती बेरोजगारी नजर आ रही है.

नजर तो किसी को यह भी नहीं आ रहा कि देश में लाखों मंदिर हैं और 72 साल पहले सोमनाथ के मंदिर पर भी ऐसा ही धूमधड़ाका किया गया था, उस से आम और खास लोगों को क्या हासिल हो गया. हां, इतना जरूर हो रहा है कि देश 10 साल में पिछड़ गया है और लगातार पिछड़ता ही जा रहा है. दूसरी दिक्कत वाली बात हिंदू समाज में पसरती खाई है जिसे रामभद्राचार्य सरीखे `विद्वान मौके बेमौके और चौड़ा करने वाले बयान देते रहते हैं.

और कहानियां पढ़ने के लिए क्लिक करें...