एक विद्वान ने कहा है कि कभी किसी देश का प्रमुख किसी वणिक को नहीं बनाना चाहिए. यह बात बहुत पुरानी हो गई है और शायद लोग भूल भी गए हैं.

देश की कमान आवाम ने एक ऐसे ही शख्स के हाथों में सौंप दी है. अब जब लोकसभा चुनाव 2024 की चुनावी तैयारियां शबाब पर हैं, देश में हर चौकचौराहे पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का एक फ्लैक्स दिखाई दे रहा है जिस में लिखा हुआ है, ‘मोदी की गारंटी’.

सवाल इतना सा है कि एक राजनीतिक पार्टी, जो दुनिया की सब से बड़ी राजनीतिक पार्टी के रूप में अपनी पीठ थपथपाती रहती है, और एक ऐसा चेहरे, जिस के बारे में यह कहा जाता है कि वह दुनिया का नेतृत्व करने की क्षमता रखता है, को यह ‘गारंटी’ क्यों देनी पड़ रही है.

गारंटी शब्द का सीधा सा मतलब है कि मेरी दुकान के फलांफलां सामान को खरीद लो, इस पर इस बात की हम गारंटी देते हैं. अब देश के मतदाता कब से खरीदार हो गए और भारतीय जनता पार्टी, जो कि राजनीतिक दल है, एक दुकान कैसे बन गई है?

यह सभी जानते हैं कि अगर कोई दुकान है तो फिर वह मुनाफे की फ़िक्र करती है, मुनाफा कमाती भी है और उस का सरोकार सिर्फ स्वहित होता है. मगर राजनीतिक दल देश के लोकतंत्र में महत्त्वपूर्ण स्थान रखते हैं जो देश के नागरिकों के हित में योजनाएं बनाते हैं और उन के विकास के लिए काम करते हैं व देश को समृद्ध बनाने की दिशा में प्रयास करते हैं.

अब अगर हम आज के समय में गारंटी की बात करें तो सभी जानते हैं कि जब दुकानदार कोई गारंटी देता है तो उस का क्या हश्र हो सकता है. दरअसल, गारंटी की शुरुआत अरविंद केजरीवाल ने दिल्ली में की थी. उन्होंने शिक्षा, स्वास्थ्य को ले कर गारंटी दी और सत्ता में आ गए. अब प्रधानमंत्री नरेंद्र दामोदरदास मोदी ने गारंटी को लपक लिया है और लोकसभा चुनाव आतेआते चारों तरफ यह गारंटीगारंटी शब्द गूंज रहा है.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की गारंटी को ले कर जमीनी सच अगर आप को जानना है तो आप शहर से 5-10 किलोमीटर किसी गांव की तरफ निकल जाइए और किसानों से बात करें, महिलाओं से बात करें तो सारी सचाई सामने होगी. इसी तरह चुनाव के मौके पर राजस्थान में मुख्यमंत्री रहते अशोक गहलोत ने, छत्तीसगढ़ में भूपेश बघेल ने और भाजपा ने मोदी की गारंटी को ले कर के कई घोषणाएं की हैं मगर जमीनी स्तर पर सचाई कुछ और दिखाई दे रही है. जिस का सब से बड़ा उदाहरण है छत्तीसगढ़ में 3,100 रुपए में धान लेने की घोषणा की गई थी जो 3 दिसंबर को भाजपा को जनादेश मिलने के 1 महीने व्यतीत हो जाने के बाद भी अभी तक पूरी नहीं हो पाई है और किसान मुंह तक रहे हैं.

जब हमारे संवाददाता ने गांव के किसानों से बातचीत की तो साफ हो गया कि नरेंद्र मोदी की गारंटी के बावजूद 3,100 रुपए में धान खरीदी छत्तीसगढ़ सरकार नहीं कर रही है. यह खरीदी कब व कैसे होगी, इस को ले कर संशय बना हुआ है, किसानों को लग रहा है कि जैसे वे लुट गए हों.

यहां यह याद रखने की बात है कि छत्तीसगढ़ में भूपेश बघेल सरकार ने चुनाव से पहले किसानों के कर्ज को माफ़ करने की घोषणा की थी. इस तरह कम से कम छत्तीसगढ़ में एक तरफ तो किसानों का कर्ज माफ होने से रहा, दूसरी तरफ 2,500 में जो धान खरीदी हो रही थी वह भी रुक गई है.

भारतीय जनता पार्टी की सरकार छत्तीसगढ़ में 3,100 रुपये में धान कब खरीदेगी, यह एक मुश्त होगा या फिर बोनस के रूप में दिया जाएगा, यह भी भाजपा का कोई नेता बता पाने की स्थिति में नहीं है.

इस तरह नरेंद्र मोदी की गारंटी शब्द अपनेआप में व्यर्थ होता दिखाई दे रहा है. सो, यह चर्चा आम हो गई है कि मोदी की गारंटी का मतलब मानव अधिकारों का उल्लंघन, महिलाओं के साथ अत्याचार होने के साथ यह एक भूलभुलैया का खेल है जिस में देश की जनता आगामी चुनाव में उलझ कर रह जाएगी या फिर कोई रास्ता ढूंढ लेगी, यह आने वाला समय बताएगा.

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