इतवार, 17 दिसंबर को जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अपने लोकसभा क्षेत्र वाराणसी में लाखों की भीड़ के सामने लच्छेदार भाषण देते लोकसभा चुनाव की दुंदुभी फूंक रहे थे ठीक उसी वक्त कोलकाता से कांग्रेसी दिग्गज पी चिदंबरम भी भाजपा की ही तारीफों में कसीदे गढ़ते कह रहे थे कि हवा उस के पक्ष में है और भाजपा हर चुनाव को आखिरी चुनाव समझते लड़ती है.

पूर्व वित्तमंत्री की मंशा हालांकि कांग्रेस और इंडिया गठबंधन को आगाह करने की थी लेकिन तरीका उन का ठीक वैसा ही था जैसे कोई पिता अपने आलसी और सुस्त बेटे को जिम जाने के फायदे न गिना कर पड़ोसी के लड़के के सिक्स पैक और सेहत की मिसाल देने लगे.

लोकतंत्र में नेता विपक्षी नेताओं की तारीफ करें, यह नई बात नहीं है. इंदिरा गांधी के दौर में जनसंघ सहित कई गैरकांग्रेसी नेता उन के प्रशंसक थे. इन में अटल बिहारी वाजपेयी का नाम उल्लेखनीय है लेकिन उन्होंने कभी कांग्रेस की नीतियोंरीतियों और खूबियों की तारीफ नहीं की.

आजकल उल्टा हो रहा है नरेंद्र मोदी की तारीफ करने से बचने के लिए कांग्रेसी नेता भाजपा के चुनावी प्रबंधन की तारीफ करने लगे हैं जबकि उन्हें इस की आलोचना करनी चाहिए कि भाजपा धर्म के नाम पर वोट मांग कर लोकतंत्र की गरिमा और खूबसूरती खत्म कर रही है जो देश के लिए नुकसानदेह है.

काशी में बोले मोदी

चिदंबरम ने हालांकि यह भी कहा कि हवाएं दिशाएं बदल भी देती हैं लेकिन इस के लिए भगवान भरोसे बैठ जाना बुद्धिमानी या तुक की बात नहीं. यह हवा जिस की पीड़ा उन के मुंह से निकली कैसे भाजपा अपने पक्ष में मोड़े हुए है. इस के लिए वाराणसी में मोदी ने क्या कुछ कहा उस पर एक नजर डालें तो स्पष्ट होता है कि अब धर्म के साथसाथ भाजपा एक नया काम यह कर रही है कि जिन लोगों को केंद्र और राज्य सरकार की योजनाओं से लाभ मिला है उन के मुंह से ही वह विज्ञापन करवा रही है.

मसलन – मुझे प्रधानमंत्री आवास योजना में घर मिला जिस से मेरी गरीबी दूर हो गई. स्कूल कालेजों में पढ़ रहे मेरे बच्चों में आत्मविश्वास आ गया, अब वे दोस्तों के सामने इस बात पर शर्मिंदा नहीं होते कि वे झेंपड़े या कच्चे घर में रहते हैं.

मसलन – मैं एक गरीब महिला हूं, मुझे उज्ज्वला योजना में गैस सिलैंडर मिला जिस से मेरी गरीबी दूर हो गई, मुझे लकडि़यों के धुएं से मुक्ति मिल गई.

मसलन – मैं गरीब हूं और अपना इलाज नहीं करा सकता था लेकिन आयुष्मान कार्ड बनने से मेरा लाखों का इलाज होता है. इस से अब मैं गरीब नहीं रहा. मेरा औपरेशन हुआ, अब मैं फिर से काम कर सकता हूं. यह कार्ड नहीं होता तो जिंदगी जैसेतैसे गुजारता.

यह ब्रैंडिंग ठीक वैसी ही है जैसी देर रात टीवी के विज्ञापनों में दिखाई जाती है कि पहले मैं बहुत दुबला और कमजोर था, फिर मुझे फलां प्रोडक्ट मिल गया. अब मैं बहुत ताकतवर हूं और कुछ भी कर सकता हूं. मेरी कमजोरी दूर हो गई है और इस से मेरी परफौर्मैंस सुधरी है. अब मैं बहुत खुश हूं.

तो बकौल मोदीजी, देश में सब खुश हैं, खुशहाल हैं क्योंकि उन की जरूरतें सरकारी योजनाओं से पूरी हो रही हैं. 80 करोड़ भूखों को सरकार अन्न दान कर रही है. बेघरों को दान में आवास दिया जा रहा है और बाकी बचे लोगों, जिन्हें रोटी, कपड़ा और मकान की भी जरूरत नहीं उन के दुखदर्द दूर करने के लिए राममंदिर लगभग बन चुका है. वहां भीड़ हो तो मथुरा, काशी ये लोग आ सकते हैं नहीं तो प्रयागराज, उज्जैन, हरिद्वार, ऋषिकेश, गया, बैजनाथ और चारों धाम सहित मंदिरों की लंबी शृंखला है. जिसे जहां सहूलियत हो, दक्षिणा चढ़ा कर मानसिक संतुष्टि और सुखसंपत्ति की गारंटी ले सकता है. लेकिन इस के लिए जरूरी है कि वोट भाजपा को ही दिया जाए.

जिन्हें विष्णु के क्षीर सागर में होने न होने पर शक हो वे चाहें तो सीधे नरेंद्र मोदी को भी पूज सकते हैं क्योंकि अयोध्या के एक ताजे बुलेटिन में उन्हें विष्णु अवतार घोषित कर दिया गया है. रामजन्म भूमि ट्रस्ट के सचिव चंपत राय ने मोदी के काशी दौरे के बाद यह पाताल वाणी की है.

मुमकिन है ऊपर कहीं से उन्हें यह निर्देश मिला हो कि अभी कल्कि अवतार में विलंब है, इसलिए नरेंद्र मोदी को ही विष्णु अवतार घोषित कर दिया जाए. बाद की खानापूर्तियां वक्त रहते होती रहेंगी. हालफिलहाल तो नरेंद्र मोदी 22 जनवरी को मानव रूप में ही विष्णु अवतार के दर्शन करेंगे.

कितना सच कितना झठ ?

वाराणसी में नरेंद्र मोदी ने सरकार की उपलब्धियां गिनाते चाहा यही है कि लोग योजनाओं का लाभ लें और वोटों की दक्षिणा भाजपा को दें. अब यह और बात है कि वे और दूसरे भाजपाई जितना और जैसे गिनाते हैं उतने का 10वां हिस्सा ही आमजन को मिलता है. मिसाल आयुष्मान कार्ड की लें तो भाषणों से तो लगता ऐसा है कि सभी लोग इस का फायदा उठा रहे हैं. लेकिन हकीकत कुछ और है.

स्वास्थ्य मंत्रालय ने 17 दिसंबर को ही आंकड़े जारी कर बताया है कि आयुष्मान योजना की पात्रता तो 33 करोड़ लोगों को है लेकिन अभी तक सिर्फ 3 करोड़ लोगों को ही ये कार्ड जारी किए गए हैं. इन में से भी लगभग आधे उत्तर प्रदेश के लाभार्थी हैं. कम काम में ज्यादा हल्ला कैसे मचाया जाता है, भाजपा को इस में मास्टरी हासिल हो चुकी है.

मोदीजी 4 करोड़ परिवारों को प्रधानमंत्री आवास योजना से लाभान्वित बता चुके हैं यानी एक परिवार में 4 सदस्य भी माने जाएं तो 16 करोड़ लोगों को छत मिल चुकी है. आयुष्मान की तरह यह दावा और आंकड़ा भी शक के दायरे में है.

उज्ज्वला योजना में सिलैंडर बंटे जरूर हैं लेकिन हकीकत यह है कि बड़ी तादाद में महिलाएं दोबारा सिलैंडर भरवा ही नहीं पाईं क्योंकि वे गरीब हैं और उन के पास हजार रुपए गैस सिलैंडर खरीदने को नहीं. इसी तरह स्वच्छ भारत अभियान के चीथड़े किसी भी शहरकसबे या गांव में उड़ते देखे जा सकते हैं, जहां शौचालयों में कुत्तों ने डेरा डाला हुआ है या टीन के वे डब्बे गायब ही हो चुके हैं. महिलाएं पहले की तरह लोटा या बोतल ले जाते दिख जाती हैं.

कांग्रेस खामोश क्यों ?

चिदंबरम जैसे नेता इन दावों और आंकड़ों का पोस्टमार्टम करें तो जो हकीकत सामने आएगी वह जरूर हवा का रुख कांग्रेस की तरफ मोड़ सकती है, इस के साथसाथ उसे यह भी लोगों को बताते रहना होगा कि दरअसल धर्म से रोजगार नहीं मिलने वाला, उस के लिए तो खुद लोगों को मेहनत करनी पड़ेगी. अभी कांग्रेसी यह बात यदाकदा कह जरूर रहे हैं लेकिन खुद इस बात को ले कर शंकित हैं कि लोग इसे स्वीकारेंगे और समझेंगे या नहीं.

सियासी बाजार में बिलाशक झठ बेचना आसान है लेकिन सच बेचना उस से भी ज्यादा आसान काम है. धर्म स्थलों से समस्याएं हल नहीं होतीं और रोजगार नहीं मिलता, यह जनता भी जानती और समझती है लेकिन उस की शंका कांग्रेस और इंडिया गठबंधन को ले कर यह है कि वे उसे भरोसा नहीं दिला पा रहे कि धर्म की राजनीति से हट कर यह काम कैसे होगा या हो भी सकता है.

इसी असमंजस का लाभ नरेंद्र मोदी और भाजपा उठा रहे हैं. इसीलिए हवा उन के पक्ष में है. और तो और उन्हें विष्णु अवतार घोषित करने पर आमजनों की धार्मिक भावनाओं पर कोई फर्क नहीं पड़ता. वे इस बात पर आहत नहीं होतीं कि सरासर एक आदमी को भगवान बनाया जा रहा है, जिस पर किसी को कोई एतराज नहीं.

दरअसल धर्म का डर जो सदियों से हिंदुओं के दिलोदिमाग में बैठा हुआ है को भगवा गैंग ने कुछ इस तरह हौआ बनाया है कि लोग उस के मकड़जाल से निकलने में डरने लगे हैं. कांग्रेसी और इंडिया गठबंधन नास्तिक कहलाने से डरते हैं और उन में से अधिकतर नास्तिक हैं भी नहीं, फिर भी मात खा रहे हैं तो इस की वजह भाजपा का बिछाया धर्मजाल है, जिसे काटने का जोखिम तो विपक्ष को उठाना पड़ेगा, नहीं तो योजनाओं के लाभार्थी पैसा और वोट दोनों लुटाते खुद भी लुटते रहेंगे.

नरेंद्र मोदी अब अस्पताल और स्कूल बनाने की बात कभीकभार ही करते हैं क्योंकि शिक्षा और इलाज दोनों महंगे होते जा रहे हैं. विधानसभा चुनावप्रचार के दौरान प्रियंका गांधी ने इस मुद्दे को उठाने की कोशिश राजस्थान से की थी लेकिन कांग्रेसियों ने इस पर ध्यान नहीं दिया था कि कैसे इसे जनता के सामने पेश करें कि हकीकत उन्हें समझ आए. लोकसभा चुनाव के मद्देनजर विपक्ष को आधेअधूरे नहीं बल्कि पूरे मन से इसे उठाना होगा तभी हवा उन की तरफ चलेगी.

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