बंगलादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना एक बार फिर सत्ता पर काबिज हो गई हैं. उन की पार्टी अवामी लीग ने हिंसा की घटनाओं तथा मुख्य विपक्षी दल बंगलादेश नेशनलिस्ट पार्टी और उस के सहयोगियों के बहिष्कार के बीच हुए चुनावों में दोतिहाई सीटों पर जीत दर्ज की.

बंगलादेश में चुनाव से पहले कई हिंसक घटनाएं हुईं. हज़ारों राजनीतिक प्रतिद्वंदियों को हसीना सरकार ने चुनाव पूर्व ही जेल की सलाखों में ठूंस दिया. आम चुनाव में सिर्फ 40 प्रतिशत मतदाताओं ने भागीदारी की. कह सकते हैं कि बंगलादेश में काफी हद तक अलोकतांत्रिक तरीके से चुनाव संपन्न हुआ और हसीना के हाथ में सत्ता की कमान आई, लेकिन राजनीतिक विश्लेषकों की मानें तो यह ठीक ही हुआ क्योंकि शेख हसीना के नेतृत्व में बंगलादेश ने तरक्की के जो सोपान बीते एक दशक में पार किए हैं, वह उस हाल में कभी संभव न होता अगर सत्ता धर्म की अंधी किसी पार्टी के हाथ में होती.

2009 से ही हसीना के हाथों में सत्ता की बागडोर है. एकतरफा चुनाव में उन्होंने लगातार चौथा कार्यकाल हासिल किया है और प्रधानमंत्री के रूप में यह उन का अब तक का 5वां कार्यकाल होगा.

बंगलादेश में राष्ट्रीय स्तर पर एक सदन वाली विधायिका का चुनाव होता है. यहां की राष्ट्रीय संसद को जातीय संघ कहा जाता है. बंगलादेश के जातीय संघ में कुल 350 सदस्य (सांसद) हैं जिन में से 300 सदस्य सीधे वोटिंग के माध्यम से चुने जाते हैं. वे जीतने के बाद संसद में अगले 5 साल तक एक निर्वाचन क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करते हैं. हसीना की पार्टी ने 300 सदस्यीय संसद में 200 सीटों पर जीत दर्ज की है. इस के अलावा बाकी बची 50 सीटें उन महिलाओं के लिए आरक्षित होती हैं जो सत्तारूढ़ दल या गठबंधन द्वारा चुनी जाती हैं.

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