देश में बीमा खासतौर से स्वास्थ्य बीमा को ले कर जागरूकता नहीं है. आंकड़े इस की गवाही भी देते हैं कि महज 27 फीसदी लोगों ने ही स्वास्थ्य बीमा ले रखा है. इरडा यानी भारतीय बीमा नियामक एवं विकास प्राधिकरण के एक आंकड़े के मुताबिक उस की और सरकार की तमाम कोशिशों के बाद भी लोग स्वास्थ्य बीमा लेने में दिलचस्पी नहीं ले रहे हैं. अब इरडा की कोशिश यह है कि जैसे यूपीआई की सुविधा पूरे देश में फैल गई है वैसे ही बीमा कंपनियों को भी अपने प्लान कुछ इस तरह बनाने चाहिए कि ज्यादा से ज्यादा लोग स्वास्थ्य बीमा लें.

लेकिन यह आसान काम नहीं है क्योंकि बीमा कंपनियों के बारे में लोगों के अनुभव बहुत अच्छे नहीं हैं. क्लेम का पैसा उतनी आसानी से मिलता नहीं है जितना कि पौलिसी लेते वक्त बताया जाता है. दरअसल, बीमा कंपनियों के नियम और शर्तें बहुत ज्यादा कड़े होते हैं. इन की अधिकतर औपचारिकताएं भी गैरजरूरी होती हैं. देश में 24 बीमा कंपनियां और 34 सामान्य बीमा कंपनियां अपनी सेवाएं दे रही हैं लेकिन उन की पहुंच बहुत सीमित है.

हालांकि सरकारों की विभिन्न योजनाओं के चलते लोग इस से जुड़ रहे हैं लेकिन उन के अनुभव बहुत अच्छे नहीं हैं. एनएफएचएस-5 की एक सर्वे रिपोर्ट के मुताबिक सरकारी स्वास्थ सेवाओं की खराब गुणवत्ता के चलते लोग बीमा सहूलियत का इस्तेमाल ही नहीं करते. वहीं प्राइवेट सैक्टर की अपनी अलग दिक्कतें हैं.

दूर हुई बड़ी दिक्कत

सब से अहम दिक्कत थी अस्पताल में 24 घंटे भरति रहने की शर्त, जिसे अब इरडा ने दूर करने की कोशिश की है. इरडा के नए नियम के मुताबिक अब अस्पताल में बिना 24 घंटे भरती हुए भी मैडिकल क्लेम लिया जा सकता है. इस सहूलियत के लिए बीमा कंपनियों को अलग से इंतजाम करने होंगे. यह सहूलियत या क्लेम डे केयर ट्रीटमैंट के तहत मिलेगा.

दरअसल, लोग स्वास्थ्य बीमा इसलिए भी नहीं लेते कि कई बीमारियों में अस्पताल में भरती होने की जरूरत नहीं पड़ती. ऐसे में उन्हें स्वास्थ्य बीमा अनुपयोगी लगता है जो गलत भी कहीं से नहीं. अब यह परेशानी एक हद तक दूर होती नजर आ रही है. इरडा के मुताबिक अब जिन खास बीमारियों के इलाज के लिए क्लेम लिया जा सकता है उन में कीमोथेरैपी, टांसिल्स का औपरेशन, मोतियाबिंद का औपरेशन, रेडियोथेरेपी, कोरोनरी एंजियोग्राफी, साइनस का औपरेशन, हीमोडायलिसिस, स्किन ट्रांसप्लान्टेशन और घुटनों का औपरेशन शामिल हैं.

लेकिन डे केयर ट्रीटमैंट में बीमा कंपनियां अब क्लेम तो देंगी पर उन में डाक्टर परामर्श शुल्क जांचें और टैस्ट शामिल नहीं होंगे. यह बहुत ज्यादा घाटे का सौदा महंगे होते इलाजखर्च को देखते नहीं है क्योंकि भले ही 2 से 12 घंटे अस्पताल में भरती रहना पड़े, इन बीमारियों में 25-30 हजार रुपए खर्च हो ही जाते हैं.

मनमानी और फैसला

इरडा का यह फैसला आम लोगों के लिए राहत और सहूलियत देने वाला है लेकिन इस से बीमा कंपनियों की मनमानी पर रोक लग पाएगी, इस में शक है. यह फैसला भी इरडा ने एक अदालती फैसले के बाद ही लिया है. गुजरात के वड़ोदरा के रमेशचंद्र जोशी ने साल 2017 में उपभोक्ता फोरम में शिकायत की थी कि उन्होंने अपनी पत्नी को साल 2016 में डर्मटोमायो साइटिस नाम की बीमारी के इलाज के लिए अहमदाबाद के लाइफ केयर इंस्टिट्यूट औफ मैडिकल साइंस एंड रिसर्च सैंटर में भरती कराया था. एक दिन में ही इलाज हो कर पत्नी की अस्पताल से छुट्टी हो गई जिस पर कोई 45 हजार रुपए का खर्च आया था.

इस के बाद उन्होंने जब अपनी बीमा कंपनी नेशनल इंश्योरैंस से क्लेम मांगा तो कंपनी ने क्लौज 3.15 का हवाला देते हुए उन का क्लेम खारिज कर दिया. इस पर रमेशचंद्र ने उपभोक्ता फोरम की शरण ली, तो फैसला उन के पक्ष में आया.

फोरम का यह तर्क अपनी जगह एकदम सटीक था कि आज के आधुनिक युग में इलाज के लिए तरीके और दवाएं विकसित हुई हैं. ऐसे में डाक्टर उसी के मुताबिक इलाज करते हैं. ऐसे में भले ही मरीज को कम समय के लिए अस्पताल में भरती कराया गया था, फिर भी वह मैडिकल इंश्योरैंस क्लेम का हकदार है.

इस फैसले के बाद इरडा ने जो नियम बनाया उस से आम लोगों को राहत तो मिलेगी लेकिन जरूरत बीमा कंपनियों की मनमानी पर लगाम कसने की भी है. पौलिसी देते वक्त तो कंपनियां और उस के एजेंट लच्छेदार बाते करते हैं लेकिन जब मरीज इलाज के लिए अस्पताल में भरती होता है तो पौलिसी में तरहतरह की खामियां निकाल कर और नियमकायदेकानून बता कर क्लेम रिजैक्ट कर दिए जाते हैं.

पीड़ित लोग जब अपने अनुभव दूसरों को सुनाते बताते हैं तो हर किसी को हैल्थ इंश्योरैंस बेकार की चीज लगने लगती है. बिरले ही लोग हैं जिन्हें क्लेम मिल पाता है वरना लोग मन मसोस कर उस घड़ी को कोसते नजर आते हैं जब उन्होंने पौलिसी ली थी. देशभर की अदालतों में हजारों मुकदमे बीमा कंपनियों के खिलाफ चल रहे हैं जो बताते हैं कि सरकारी एजेसिंयों की लाख कोशिशों के बाद भी लोग स्वास्थ्य बीमा करवाने में कतराते हैं.

और कहानियां पढ़ने के लिए क्लिक करें...