मातापिता बच्चे की परवरिश की रीढ़ होते हैं. मातापिता के किसी अपराध में संलिप्त होने से उस का बच्चों पर सीधा असर पड़ता है. वे बेसहारा हो जाते हैं, दरदर भटकना पड़ता है उन्हें. आखिर ऐसी नौबत ही क्यों?

27 फरवरी, 2022 को कमल अहिरवार अपनी पत्नी नारायणी को उस के मायके पूनमखेड़ी से ससुराल बांसखेड़ी ले कर आया था. खाना खाने के बाद 17 साल की रजनी और छोटी बहन सुरक्षा घर पर ही थीं. एक भाई और 2 छोटी बहनें सो चुके थे. रात में रजनी और सुरक्षा बैठ कर बातें कर रही थीं, तभी किसी बात को ले कर मम्मीपापा झगड़ने लगे. पापा मां के साथ मारपीट करते हुए कह रहे थे, ‘तुम एक साल से घर क्यों नहीं आईं?’

उन को झगड़ते देख हम दोनों बहनें हाथ जोड़ कर गिड़गिड़ाते हुए पापा से कहने लगीं, ‘पापा, मत लड़ो, मम्मी को मत मारो.’ लेकिन पापा ने हम लोगों की एक न सुनी. इस के बाद मां को घर के अंदर ले गए और लाठीडंडों से पीटने लगे.

मां ने बचाव की बहुत कोशिश की. उस की चूडि़यां भी टूट गईं. जब वह थक कर गिर गई तो पापा उस के पेट पर बैठ गए और किचन से मसाला कूटने वाली पत्थर की लुढि़या ले कर आए और मां के सिर पर मारने लगे. पापा ने गुस्से में कई वार किए. मां के सिर से खून निकल रहा था. देखते ही देखते मां मर चुकी थी.

17 साल की रजनी अहिरवार उस रात की कहानी सुनाते हुए सिसकने लगती है, कहती है, ‘‘काश, पापा ने हमारा गिड़गिड़ाना सुन लिया होता, हम 5 भाईबहन आज अनाथ जैसी जिंदगी न जी रहे होते.’’

मातापिता में किसी का भी सहारा नहीं होने से रिश्तेदारों की मेहरबानी पर 5 बच्चों की जिंदगी गुजर रही है. नारायणी की हत्या के बाद कमल अहिरवार को जेल हो चुकी है. अब 17 साल की रजनी अहिरवार अपने साथ 3 छोटी बहनों और एक भाई की परवरिश कर रही है.

ऐसे ही दूसरे मामले में मां की हत्या के जुर्म में पिता को उम्रकैद हो गई. गुना जिले में ही 17 अगस्त, 2022 को धरनावदा इलाके के महू गांव का रहने वाला शैतान सिंह लोधा अपनी ससुराल पठार महल्ला आरोन में था. उस की पत्नी प्रीति लोधा भी वहीं पर थी. शैतान सिंह अपनी पत्नी के चरित्र को ले कर शक करता था.

17 अगस्त की रात को शैतान सिंह ने गला दबा कर पत्नी की हत्या कर दी. कोर्ट ने 1 मार्च, 2023 को 6 साल के बेटे की गवाही पर पिता को उम्रकैद की सजा सुनाई है. अब मासूम अपनी बहन और बुजुर्ग नानी के साथ आर्थिक सहायता के लिए दफ्तरों के चक्कर काट रहा है.

एक तीसरे मामले में अशोक नगर में अक्तूबर 2022 में मुंगावली की अजीज कालोनी में एक महिला रिंकी पाल की संदिग्ध अवस्था में मौत हो गई थी. पुलिस ने जब सख्ती से पूछताछ की तो पति लेखराज पाल ने चरित्र पर संदेह के चलते हत्या करने का गुनाह कुबूल कर लिया. बताया जाता है कि वह पत्नी का मोबाइल चैक करना चाहता था. इसी को ले कर दोनों में विवाद हो गया.

मोबाइल छुड़ाते हुए पति ने महिला का गला दबा दिया. घटना के 6 दिनों पहले ही महिला ने बच्ची को जन्म दिया था. मां की हत्या होने से 6 दिन की मासूम बेटी के सिर से मां का साया हट गया. अब पिता जेल में है और 5 महीने की बच्ची की परवरिश का संकट खड़ा हो गया.

गलती मातापिता की

पिछले कुछ महीनों में ऐसे मामले लगातार बढ़ते जा रहे हैं जिन में मातापिता की गलती की वजह से अपराध होने से बच्चे बेसहारा हो रहे हैं. मध्य प्रदेश के गुना जिले में ही ऐसे 44 केस हैं. वहीं, अशोक नगर जिले में 15 और शिवपुरी जिले में 30 केस इस तरह के हैं. गुना में हाल ही में 2 ऐसे मामलों में कोर्ट का फैसला आया जिन में पति अपनी पत्नी की हत्या के आरोप में जेल जा चुके हैं. अब उन के बच्चे दरदर की ठोकरें खा रहे हैं.

गांवकसबों के बड़ेबुजुर्गों से यह कहते कई बार सुना है कि औलाद अगर गलत रास्ते पर चल पड़े तो उस की शादी कर देनी चाहिए. शादी के बंधन में बंधते ही उसे घरगृहस्थी दिखने लगती है. गलत काम करने से पहले वह एक दफा अपने बीवीबच्चों के बारे में जरूर सोचता है. इंसान की सहनशीलता, बुद्धि और धैर्य उसे जीवन जीने की कला सिखाते हैं. कई बार देखने को मिला है कि छोटीछोटी बातों पर गुस्से में आ कर ऐसे अपराध हो जाते हैं जिन से जीवनभर जेल की चारदीवारी में रह कर पछताना पड़ता है. बिना सोचेविचारे किए गए अपराध बीवीबच्चों को यतीम बना देते हैं. अपराधियों के ये बच्चे अपने रिश्तेदारों के रहमोकरम पर अपना जीवन बिताने को मजबूर होते हैं.

माना जाता है कि अपराध की जड़

3 चीजें हैं- जर यानी धनसंपदा, जोरू यानी औरत और जमीन. धनदौलत की चाह में लोग बड़े से बड़ा अपराध करने से नहीं हिचकते, भले ही अंजाम कुछ हो. जमीनजायदाद पाने के लिए भाई भाई के खून का प्यासा हो जाता है.

इन में से जर और जमीन के मामलों में अपराध भले ही कम होते हैं लेकिन औरत के नाजायज संबंध की वजह से अपराध ज्यादा होते हैं. जब पुरुष को पता चलता है कि उस की पत्नी के किसी के साथ नाजायज ताल्लुकात हैं तो वह मरनेमारने पर उतारू हो जाता है. मौजूदा दौर में नाजायज संबंधों की वजह से होने वाले अपराधों की बाढ़ सी आ गई है.

पीछे रह जाता पछतावा

महिला अपराधों की एक खास वजह धर्म भी है. धार्मिक कथाकहानियों में यह सीख दी गई है कि महिलाओं पर पुरुष कितना ही जुल्म करे, मगर उसे पति को परमेश्वर मान कर चुप रहना चाहिए. आज की पढ़ीलिखी, कामकाजी नारी जब पुरुषों के अत्याचारों का विरोध करती है तो पुरुष का स्वाभिमान आड़े आ जाता है.

पुरुष भले ही दोतीन औरतों के साथ संबंध बना ले लेकिन औरत के किसी के साथ संबंध बनाने पर पुरुष इसे पचा नहीं पाता और अपराधी बनने से भी नहीं डरता. महिलाओं को भी जब पति से प्रेम नहीं मिलता तो वे कहीं और ठौर तलाश लेती हैं और वक्त आने पर पति को भी रास्ते से हटा देती हैं.

अपराध की वजह जो भी हो लेकिन परिवार में मातापिता द्वारा किए गए अपराध से बच्चे अनाथ हो जाते हैं. बच्चों की सही परवरिश न होने से वे भी नशे के शिकार हो सकते हैं और अपराध की दुनिया की तरफ उन के कदम भी मुड़ सकते हैं. किसी के किए गए गलत कामों पर तुरंत निर्णय करने के बजाय सोचविचार कर निर्णय लेना चाहिए.

अपराधी कितनी ही सफाई से अपराध की घटना को अंजाम दें मगर पुलिस की नजरों और कानून के लंबे हाथों से वे बच नहीं पाते और फिर जीवनभर पछतावा हाथ रह जाता है. किसी को खुद सजा देने की जगह कानून का सहारा लेना चाहिए. जल्दबाजी में कोई निर्णय लेने के बजाय अपने दिमाग का इस्तेमाल कर समस्या का हल खोजने में ही अपनी भलाई है. ऐसा करने से अपराध की संभावना भी कम होगी और बच्चे भी यतीम होने से बचेंगे.

और कहानियां पढ़ने के लिए क्लिक करें...