यह महज संयोग है कि दर्शकों ने सत्ता के चाटुकार बौलीवुड के 2 कलाकारों को सिरे से खारिज कर दिया है.इनमें से एक हैं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का इंटरव्यू करने वाले अभिनेता अक्षय कुमार व दूसरी हैं देश को 2014 में असली आजादी मिलने की बात करने वाली कंगना रनौत.

बौलीवुड की ये दोनों हस्तियां हिंदुत्व व राष्ट्रवाद को प्रचारित करती रहती हैं.उनके इस कृत्य ने उन्हें देश के शासकों, भाजपा व आरएसएस के करीब जरूर पहुंचा दिया हैमगर दर्शकों ने उन्हें ठुकरा दिया है. परिणामतया इन दोनों कलाकारों की कई फिल्में बौक्सऔफिस पर लगातार मुंह के बल गिर रही हैं.इनकी फिल्मों की दुर्गति की वजह यह है कि इन्होंनेएजेंडे के तहत फिल्में बनाते व अभिनय करते हुए ‘कला’ के साथ न्याय नहीं किया.इनकी फिल्में मनोरंजनविहीन होती हैं.कहानी का कोई सिरपैर नहीं होता.

ऐसे में दर्शक इनकी फिल्मों को देखने के लिए अपनी गाढ़ी कमाई बरबाद नहीं करना चाहता. मजेदार बात यह है कि ‘सम्राट पृथ्वीराज’ के असफल होने के बाद अक्षय कुमार ने बाकायदा अपने दर्शकों और प्रशंसकों से माफी मांगते हुए अपनी गलती कुबूल करते हुए कहा था कि अब वे राष्ट्रवाद व हिंदुत्व की बात करने वाली ऊलजलूल कहानी की फिल्में नहीं करेंगे. अब वे अच्छी कहानी व पटकथा वाली फिल्मों पर जोर देंगे.

अक्षय ने यह भी कहा था कि उन्होंने कमजोर पटकथा के चलते कौन सी फिल्में छोड़ दी हैं.मगर वे आज भी अपने पुराने ढर्रे पर चल रहे हैं जिसका सुबूत उनकी नई फिल्म ‘मिशन रानीगंज‘है, जिसे दर्शकों ने पूरी तरह से खारिज कर दिया.

अक्षय कुमार की ही तरह कंगना रनौत ने भी अब एक वीडियो जारी कर लगभग माफी मांगते हुए दर्शकों और अपने प्रशंसकों से अपनी फिल्म ‘तेजस’ को देखने का आह्वान किया हैपर कंगना के इस वीडियो का दर्शकों पर कोई असर नहीं हुआ.लगभग 100करोड़ रुपए की लागत से बनी फिल्म ‘तेजस’ बामुश्किल3 दिन में साढ़े 3 करोड़ का ही व्यापार कर सकी.इसमें से निर्माता के हाथ में बामुश्किल45 लाख रुपए ही आए.

हिमाचल में जन्मी,36 वर्षीया कंगना रनौतशुरू से ही नारीवाद की वकालत करने वाली अतिविद्रोही स्वभाव की रही हैं.फिल्मों से जुड़ने के लिए वे अपने मातापिता का विद्रोह करके मुंबई आईथीं. 18साल के अपने अभिनय कैरियर में अपनी दबंग ईमेज के बावजूद उत्कृष्ट अभिनय प्रतिभा के चलते उन्होंने अपनी झोली में सर्वश्रेष्ठ अदाकारा के 4राष्ट्रीय पुरस्कार, 5 फिल्मफेयर अवार्ड सहित कई दूसरे अवार्ड भी डाल लिए.

2020 में उन्हें वर्तमान सरकार ने ‘पद्मश्री’ से भी नवाज दिया.शुरुआती दौर में एक तरफ वे अध्ययन सुमन,रितिक रोशन के साथ अपने रिश्तों को लेकर चर्चा में बनी रहींतो वहीं दूसरी तरफ वे अपनी अभिनय क्षमता को निखारने पर ध्यान देती रहीं.निजी जीवन के कटु अनुभवों व उन से पैदा हुए क्रोध को दबाकर उन्होंने अपने को अभिनय के माध्यम से बाहर निकाला.

यहां तक कि फिल्म ‘क्वीन’ में अभिनय करने से पहले कंगना ने लंदन जाकर पटकथा व संवाद लेखन का कोर्स भी किया.अपने ज्ञान व प्रतिभा को उन्होंने2013 में प्रदर्शित फिल्म ‘क्वीन’ के वक्त भरपूर उपयोग किया था.कंगना रनौत ने फिल्म ‘क्वीन’ के संवाद भी लिखे थे.परिणामतया इस फिल्म को जबरदस्त सफलता मिली और वे स्टार बन गईं.

उन्हें इस फिल्म के लिए सर्वश्रेष्ठ अभिनेत्री का राष्ट्रीय पुरस्कार सहित करीबन एक दर्जन अवार्ड मिले.यों तो पहली फिल्म ‘गैंगस्टर’ के लिए भी उन्हें सर्वश्रेष्ठ नवोदित अभिनेत्री का फिल्मफेयर पुरस्कार मिल गया था.‘वो लमहे’ तथा ‘लाइफ इन मैट्रो’ में भावनात्मक रूप से गहन किरदारों को चित्रित करने के लिए उन्हें प्रशंसा मिली थी.

‘फैशन’के लिए उन्हें सर्वश्रेष्ठ सहायक अभिनेत्री का राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार मिला था. मगर 2010 तक उनका कैरियर महज घिसट रहा था. 2010 में आनंद एल राय निर्देशितफिल्म ‘तनु वेड्स मनु’ से उन्हें अच्छी सफलता नसीब हुई थी.फिल्म ‘क्वीन’ के बाद प्रदर्शित फिल्म ‘रिवौल्वर रानी’ अपनी लागत वसूल नहीं कर पाई थी लेकिन 22 मई, 2015 को प्रदर्शित फिल्म ‘तनु वेड्स मनु रिटर्न’ ने अपनी लागत से 6 गुना अधिक कमा कर हंगामा बरपा दिया था.इस फिल्म को मिली बंपर सफलता के साथ ही कंगना रनौत के कैरियर का पतन शुरू हो गया.

पतन की वजहें

2005 में मुंबई पहुंचने के बाद से कंगना रनौत अपने कैरियर को संवारने के लिए काफी मेहनत कर रही थीं. चालाक लोमड़ी की तरह अपना उल्लू साधने के लिए वे अपने मित्रों, खासकर पुरुष कलाकारों का भरपूर उपयोग कर रही थीं. उनके अफेयर के किस्से अध्ययन सुमन तक फ़ैल चुके चुके थे. 2010 में जब कंगना रनौत ने रितिक रोशन के साथ फिल्म ‘काइट्स’ की तो उन्हेंएहसास हुआ कि स्टार कलाकार रितिक रोशन से उनकी नजदीकी उन्हें फायदा पहुंचा सकती है.मगर उस वक्त रितिक रोशन फिल्म ‘काइट्स’ की नायिका बारबरा मोरी की तरफ आकर्षित थे, इसलिए उनकी दाल नहीं गली.

वहीं ‘काइट्स’ असफल हो गई और कंगना रनौत की फिल्म ‘तनु वेड्स मनु रिटर्न’ ने सफलता के झंडे गाड़ दिए थे. सो, एक बार फिर कंगना ने अपने अभिनय पर ध्यान देना शुरू कियामगर ‘तनु वेड्स मनु रिटर्न’ को मिली सफलता के चलते निर्मातानिर्देशक राकेश रोशन ने फिल्म ‘क्रिश 3’ में रितिक रोशन के साथ कंगना रनौत को हीरोइन बना दिया.

इस फिल्म की शूटिंग के ही दौरान कंगना व रितिक के बीच रोमांस की पतंग ने उड़ान भरनी शुरू कर दी. 2013 में प्रदर्शित ‘कृश3’ ने लागत से चारगुना कमाई कर ली,तो चर्चा शुरू हो गई कि ‘क्रिश 4’ में भी रितिक रोशन के साथ कंगना ही होंगी.

उधर, कंगना और रितिक के बीच प्यार परवान चढ़ चुका था.कंगना ने भी मान लिया था कि अब रितिक रोशन की हर फिल्म में वही होंगी. लेकिन ऐसा नहीं हुआ.इधर 2014 में दो बातें हो गईं.एक तरफ 7 मार्च,2014 को कंगना की फिल्म ‘क्वीन’ ने अचानक उन्हें स्टार बना दिया.लोग उनके अभिनय के साथ ही उनके लेखन की भी तारीफ करने लगे.दूसरी तरफ मई 2014 में देश में नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भाजपा की सरकार बन गई.

फिल्म ‘क्वीन’ में नारी स्वतंत्रता व नारीवाद की बातें थीं.नई सरकार भी इन मुद्दों पर बात कर रही थी, जिसके चलते कंगना रनौत धीरेधीरे सरकार व भाजपा नेताओं से नजदीकियां बढ़ाने लगीं.इसका असर उनकी कला पर पड़ने लगा. तो वहीं 2017 आतेआते कंगना और रितिक रोशन के बीच अलगाव के साथ ही एकदूसरे के खिलाफ जबरदस्त बयानबाजी शुरू हो गई.कंगना रनौत ने अपने विवेक से या अपने पीआर के कहने पर,पता नहीं,रितिक रोशन के साथ ईमेल पर बातचीत को भी सार्वजनिक करना शुरू किया.

कंगना रनौत अभिनय पर कम, सरकार के साथ रिश्ते प्रगाढ़ करने व रितिक के साथ झगड़े में इस कदर लिप्त हुईन कि उनका अभिनय कैरियर चौपट हो गया.2018 से कंगना रनौत ने हिंदुत्व, राष्ट्रवाद, नारीवाद आदि को लेकर बयानबाजी करने के साथ ही सरकार के पक्ष में बातें करने लगीं.जनवरी 2020 में उन्हें सरकार ने ‘पद्मश्री’ से नवाज दिया. फिर तो कंगना हवा में उड़ने लगीं.

कंगना रनौत ने तो सरकार की चापलूसी करते हुए यहां तक कह डाला कि देश को असली आजादी 2014 में मिली.कोविडकाल में कंगना ने केंद्र सरकार का पक्ष लेते हुए बौलीवुड व अन्य लोगों को जमकर लताड़ना शुरू कर दिया.उनके बयानों में पूर्णतया सरकार की चापलूसी करने के ही भाव नजर आते हैं.

जब कंगना की व्यस्तता राजनीति में बढ़ गई,तो अभिनय से उनका ध्यान भंग हुआ, जिसके चलते ‘क्वीन’ के बाद उन की ‘उंगली’, ‘आई लव यू न्यूयौर्क’,‘कट्टी बट्टी’,‘रंगून’,‘सिमरन’,‘मणिकर्णिकाःद क्वीन औफ झांसी’, ‘जजमैंटल है क्या’,‘पंगा’, ‘थलैवी’,‘धाकड़’, ‘टिकू वेड्स शेरू’, ‘चंद्रमुखी 2’ फिल्मों ने बौक्सऔफिस पर पानी नहीं मांगा.

फिल्म ‘जजमैंटल है क्या’ की प्रैसकौन्फ्रैंस में कंगना रनौत की मीडिया से तीखी नोकझोंक हो गई थी.उसके बाद कंगना ने मीडिया से भी दूरी बना ली.कंगना रनौत ने 2020 में अपनी फिल्म प्रोडक्शन कंपनी शुरू कर ली.

‘मणिकर्णिका: द क्वीन औफ झांसी’ का सहनिर्माण करने के साथ ही उन्होंने इसका निर्देशन भी किया था और झांसी की रानी का किरदार भी निभाया था. पर उनकी नीयत सही नहीं थी, इसलिए यह बहुत ही ज्यादा खराब बनी थी.इसके बाद कंगना ने फिल्म ‘टीकू वेड्स शेरू’ का निर्माण किया. यह ओटीटी प्लेटफौर्म अमेज़न प्राइम पर आई.मगर इसे भी दर्शकनहीं मिले.अब कंगना ने फिल्म ‘इमरजैंसी’ का निर्माण,लेखन व निर्देशन करने के साथ ही इंदिरा गांधी का किरदार भी निभाया हैजो 2024 में चुनाव होने से पहले प्रदर्शित की जाएगी.

फिल्म ‘तेजस’ : राम भक्ति भी काम न आई

अब 27 अक्टूबरको कंगना रनौत के अभिनय से सजी फिल्म ‘तेजस’ प्रदर्शित हुई है.फिल्म ‘तेजस’ एयरफोर्स अफसर तेजस गिल की काल्पनिक कहानी है.तेजस गिल के मुख्य किरदार में कंगना रनौत है.फिल्म को दर्शकों ने सिरे से नकार दिया.लगभग 70 करोड़ की लागत से बनी फिल्म ‘तेजस’ ने 3 दिन के अंदर सिर्फ साढ़े 3 करोड़ रुपए ही कमाए.इतना तो शूटिंग के दौरान मेकअप मैन वगैरह का खर्च हो गया होगा.हम सभी जानते हैं कि इन दिनों हर फिल्म का असली कलैक्शनशुरुआत के 3 दिनों में ही होता है.

फिल्म ‘तेजस’ के प्रदर्शन से पहले कंगना रनौत ने पत्रकारों से दूरी बनाकर रखी.अपनी फिल्म का ट्रेलरउन्होंने सोशल मीडिया पर पोस्ट किया था.मगर कंगना ने फिल्म के प्रदर्शन से पहले ही ‘तेजस’ को रक्षामंत्री राजनाथ सिंह के अलावा कई भाजपा नेताओं को दिखाया.

24 अक्टूबर को दशहरे के मौके पर दिल्ली में रावण दहन करने पहुंचीं. इजराइली दूतावास जाकर इजराइल के राजदूत नाओर गिलौन से मिलकर फिलिस्तीन व मुसलिमों के खिलाफ बकबक की. फिर 26 अक्टूबर को अयोध्या जाकर ‘राम लला’ मंदिर के दर्शन करने के साथ ही ‘जयश्री राम’ के जमकर नारे लगाएमगर इससे उनकी फिल्म ‘तेजस’ को फायदा होने के बजाय नुकसान ही हुआ.

दर्शक अपनी मेहनत की कमाई को महज राष्ट्रवाद के नारे या ‘जयश्रीराम’ के नारे के लिए खर्च नहीं कर सकता.उसे फिल्म में अच्छी कहानी,अच्छी परफौर्मेंस,अच्छा मनोरंजन चाहिए.इस कसौटी पर फिल्म ‘तेजस’ शून्य है.‘तेजस’ में पाकिस्तान, आतंकवाद के साथ ही अयोध्या के उस राममंदिर पर ‘आतंकवादी हमले’ और उस आतंकवादी हमले से राममंदिर को सुरक्षित करने की काल्पनिक कहानी बयां की गई हैजो मंदिर अभी तक निर्माणाधीन है.फिल्म में कंगना का अभिनय भी शून्य है.

जब 2 दिनों तक ‘तेजस’ को दर्शकनहीं मिले, तब कंगना ने दर्शकों के नाम माफीनामानुमा एक वीडियो संदेश जारी कियाजिसमें उन्होंने कोविड के बाद सिनेमाघरों में कम दर्शकों की संख्या के बारे में बात करते हुए अपने दर्शकों से सिनेमाघर जाकर फिल्म ‘तेजस’ को देखने व आनंद लेने का आग्रह किया.मगर कंगना रनौत की घटिया फिल्म ‘तेजस’ देखने के लिए कोई तैयार नहीं है.

बौलीवुड में अब लोग खुलेआम कह रहे हैं कि कंगना को अब राजनीति में सक्रिय होकर मंडी,हिमाचल प्रदेश से चुनाव लड़ना चाहिए.तो वहीं कंगना अपने ऐसे विरोधियों को श्राप देने से बाज नहीं आ रही हैं.

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