एक हलचल भरे महानगर के शांत कोनों में, शहर की रोशनी की चमक और जीवन की निरंतर खलबली से दूर एक विशाल गोदाम सा दिखने वाला क्षेत्र था. दूर से ही सुरक्षा बाड़ा शुरू हो जाता था और बड़ेबड़े अक्षरों में उस के बाहर लिखा था, “प्रवेश वर्जित”. सिर्फ अंदर काम करने वाले वैज्ञानिकों और अभियांत्रिकों को ही पता था कि इस विशाल गोदाम के भीतर क्या चल रहा है.

आकांक्षी नाम की एक युवती अंतरिक्ष वैज्ञानिक का पदभार यहां संभाले हुए थी. उस का दिल अंतरिक्ष को समर्पित हो चुका था, और आत्मा ब्रह्मांड के अज्ञात रहस्यों से घिर गई थी. उस के सपने उसे पृथ्वी की सीमाओं से बहुत दूर ले गए थे. अपनी हर सांस के साथ, वह चंद्रमा की मिट्टी की सुगंध लेती थी और जब चाहे तब आंखें मूंद कर अंतरिक्ष की भारहीनता को महसूस करती थी.

आकांक्षी की यात्रा गरमियों की रात में, चमकते सितारों से सजे आकाश के नीचे शुरू हुई. एक बच्ची के रूप में, वह अकसर अपने अति साधारण से दिखने वाले घर की छत पर लेटी रहती थी, उस की आंखें ऊपर प्रकाश के टिमटिमाते बिंदुओं पर टिकी रहती थीं. उस के मातापिता उसे घर के अंदर आने के लिए धीरे से डांटते थे, लेकिन कोई भी चीज उसे चमकते सितारों के दिव्य चमत्कार से दूर नहीं कर सकती थी मानो अंतरिक्ष उसे बुला रहा हो.

साल बीतते गए और उस का जुनून और भी मजबूत होता गया. अपने विरुद्ध खड़ी देहाती बाधाओं के बावजूद जहां गांव वाले स्त्री शिक्षा के खिलाफ थे, आकांक्षी ने शहर में कालेज, बाद में यूनिवर्सिटी और फिर देश के प्रतिष्ठित अंतरिक्ष अनुसंधान संस्थान में अपनी जगह बनाने के लिए संघर्ष किया. लेकिन अंतरिक्ष विज्ञान के क्षेत्र में उस का प्रवेश खुले दिल से नहीं किया गया. अंतरिक्ष अनुसंधान क्षेत्र भी पुरुष प्रधान क्षेत्र था. सैकड़ों विभागों में हजारों तकनीशियन, इंजीनियर और वैज्ञानिक कार्यरत थे, जिन में से पुरुष बहुसंख्यक थे. अपने क्षेत्र की कुछ महिलाओं में से वह एक थी. पहले तो उसे दुर्गम बाधा की तरह लगा, लेकिन जब उस ने अपने पुरुष सहकर्मियों का मित्रतापूर्ण आचरण देखा, तो धीरेधीरे अपने नए माहौल में पूरी तरह से घुलमिल गई और बेफिक्र हो गई.

अनुसंधान केंद्र में आकांक्षी ने खुद को एक ऐसे प्रोजैक्ट पर कड़ी मेहनत करते हुए पाया, जिस में चंद्रमा के बारे में मानवता की समझ को फिर से परिभाषित करने की क्षमता थी. एक चंद्रमा मिशन क्षितिज पर था, और उस ने चंद्रमा की सतह को छूने वाले लैंडर के लिए प्रमुख प्रौद्योगिकियों को विकसित करने की चुनौती ली थी. यह एक कठिन काम था, लेकिन उस की आंखों में शोध और अन्वेषण की ज्वाला जल उठी.

चंद्रमा मिशन के लिए लैंडर विकसित करने के लिए इस विशाल गोदामनुमा जगह को चुना गया. सुरक्षित और सफल लैंडिंग सुनिश्चित करने के लिए उन्नत प्रौद्योगिकियों के संयोजन के साथसाथ चंद्रमा की सतह पर वैज्ञानिक प्रयोग और डेटा संग्रह करने की क्षमता की आवश्यकता होती है.

आकांक्षी ने सब से पहले लैंडर के प्रोपल्शन सिस्टम पर काम करना शुरू किया. लैंडर के उतरने को धीमा करने और चंद्रमा की सतह पर नियंत्रित लैंडिंग प्राप्त करने के लिए एक विश्वसनीय प्रोपल्शन सिस्टम आवश्यक होगा. विभिन्न प्रणोदन विधियों का उपयोग किया जा सकता है, जैसे कि तरल या ठोस राकेट इंजन, थ्रस्टर्स या यहां तक कि हरित प्रणोदन प्रणाली जैसी नवीन प्रौद्योगिकियां जो गैरविषैले प्रणोदक का उपयोग करती हैं. इन में से किस को चुनना है? और क्यों? जिस को भी चुनना है, उस की तर्कसंगतता रिपोर्ट में जाहिर करनी पडेगी.

अंत में काफी कैलकुलेशन के पश्चात आकांक्षी ने तरल इंजन चुना और विस्तार से अपनी रिपोर्ट लिखी. अपनी रिपोर्ट में उस ने इस बात पर जोर दिया कि चंद्रयान-2 की असफलता की वजह थी कि लैंडर को सभी दिशाओं में कंट्रोल करने वाले थ्रस्टर नहीं थे, इसीलिए चंद्रयान-3 के लैंडर में जरूर होने चाहिए. इस के लिए उस ने लैंडर-3 पर लेजर डौप्लर वेलोसीमीटर लगाने का सुझाव दिया.

मिशन ग्रुप हेड को ये सुझाव इतने अच्छे लगे कि आकांक्षी को उन्होंने लैंडर टीम का चीफ घोषित कर दिया. आकांक्षी मानो हवा में उड़ रही हो.

चीफ बनाए जाने पर आकांक्षी ने तुरंत अपना ध्यान मार्गदर्शन, नेविगेशन और नियंत्रण (जीएनसी) प्रणाली पर केंद्रित किया. जीएनसी प्रणाली लैंडर के उतरने और उतरने के दौरान सटीक नेविगेशन और नियंत्रण सुनिश्चित करती थी. यह लैंडर की स्थिति निर्धारित करने और वास्तविक समय में इस के प्रक्षेप पथ को समायोजित करने के लिए एक्सेलेरोमीटर, जायरोस्कोप और अल्टीमीटर जैसे सेंसर का उपयोग करती थी.

आकांक्षी जीएनसी प्रणाली बनाने के अपने काम में डूब गई, तो दिन धुंधले हो कर रात में बदल गए. प्रयोगशाला उस का अभयारण्य बन गई, और समीकरणों और प्रयोगों का जटिल नृत्य उस की भाषा बन गई. वह अकसर समय का ध्यान खो देती थी, खुद को केवल दृढ़ संकल्प पर टिकाए रखती.

चंद ही हफ्तों में वह लैंडर के लैंडिंग गियर की डिजाइन स्टेज पर पहुंच गई. चंद्रमा की सतह पर लैंडिंग के प्रभाव को अवशोषित करने के लिए लैंडर को मजबूत लैंडिंग गियर की आवश्यकता होती है. इन प्रणालियों में आकांक्षी ने अपनी टीम के अलगअलग सदस्यों को शौक अवशोषक, कुचलने योग्य संरचनाएं, और कुछ को नवीन तंत्र डिजाइन करने के लिए कहा, जो लैंडिंग के बाद लैंडर के लिए चंद्रमा की सतह पर एक स्थिर मंच प्रदान कर सकें.

पृथ्वी पर मिशन नियंत्रण के साथ संपर्क बनाए रखने और चंद्रमा की सतह से एकत्र किए गए वैज्ञानिक डेटा और छवियों को प्रसारित करने के लिए एक विश्वसनीय संचार प्रणाली आवश्यक थी.

आकांक्षी ने अपनी टीम के सदस्यों को कुशल डेटा ट्रांसमिशन सुनिश्चित करने के लिए उच्च आवृत्ति रेडियो सिस्टम या यहां तक कि औप्टिकल संचार सिस्टम का उपयोग भी करने के लिए कहा. सभी डिपार्टमेंट के ग्रुप हेड, संचार प्रणाली की प्रगति और नायाब तरीके अपनाने से बेहद प्रसन्न थे.

लेकिन पूरा समय गोदाम में गुजारने से आकांक्षी का निजी जीवन कक्षा से बाहर गिरते उपग्रह की तरह ढहने लगा. मित्रताएं धूमिल हो गईं, चिंतित परिवार के सदस्यों के फोन काल अनुत्तरित हो गए, और सितारों के लिए जो प्यार उस के मन में था, वह एक दूर की स्मृति जैसा महसूस होने लगा. अकेलेपन का बोझ उस के कंधों पर भारी पड़ गया, फिर भी वह आगे बढ़ती रही, उस की आंखें चंद्रमा की सतह पर खूबसूरती से उतरते एक लैंडर के दृश्य पर टिकी रहीं. टीम मीटिंग ले कर आगंतुक और वरिष्ठ, सभी इंजीनियर और वैज्ञानिकों को उस ने बताया कि चंद्रमा की सतह अत्यधिक तापमान, और लंबे समय तक अंधेरे, दोनों का अनुभव करती है, जिस से बिजली उत्पादन और भंडारण महत्वपूर्ण हो जाता है. सूर्य से बिजली उत्पन्न करने के लिए सौर पैनलों को तैनात किया जा सकता है, और चंद्र रातों के दौरान लैंडर के उपकरणों को संचालित करना सुनिश्चित करने के लिए उन्नत बैटरी सिस्टम या अन्य ऊर्जा भंडारण समाधान की आवश्यकता होगी. अगले एक महीने तक पूरी टीम इसी काम में लगी रही.

अगले चरण में थर्मल नियंत्रण प्रणाली बनाते समय आकांक्षी को अप्रत्याशित हार का सामना करना पडा. चंद्र तापमान दिन और रात के बीच काफी भिन्न हो सकता है, इसलिए लैंडर के संवेदनशील उपकरणों को उन के औपरेटिंग तापमान सीमा के भीतर रखने के लिए एक प्रभावी थर्मल नियंत्रण प्रणाली आवश्यक है. इंसुलेशन, रेडिएटर और हीट सिंक गरमी के प्रवाह को प्रबंधित करने में मदद करते हैं. लेकिन प्रयोगशाला में दिनरात प्रयोग करने के बावजूद रेडिएटर अत्यधिक गरम होता रहा, हीट सिंक गलती रही और इंसुलेशन फटता रहा. हताशा और निराशा के क्षण थे. असफल प्रयोगों और असफलताओं ने उस की क्षमताओं पर सवाल खड़े कर दिए. सफल होने का दबाव उस पर हावी हो गया, जिस से उस चिंगारी के बुझने का खतरा पैदा हो गया, जिस ने कभी उस के सपनों को हवा दी थी. लेकिन अंधेरे के बीच आशा की एक किरण उभरी. टीम के सदस्यों ने मिल कर अपना काम बांटा और अंत में एक अच्छी थर्मल नियंत्रण प्रणाली डिजाइन कर ली, जो चंद्रमा के तापमान के भारी अंतर को सह सके.

आकांक्षी के सामने अगली बाधा तब उत्त्पन्न हुई, जब वह वैज्ञानिक उपकरण बनाने लगी. लैंडर के पेलोड में वैज्ञानिक उपकरणों का एक सेट शामिल करना था, जो प्रयोग करने और चंद्रमा की सतह, भूविज्ञान, वायुमंडल और अन्य घटनाओं के बारे में डेटा इकट्ठा करने के लिए डिजाइन किया जाए. इन उपकरणों में कैमरे, स्पेक्ट्रोमीटर, ड्रिल, सिस्मोमीटर और बहुतकुछ शामिल हो सकते थे. इन सब में तो आकांक्षी को महारत नहीं थी, इसीलिए संपर्कों का तांता लग गया. शोधपत्रों के विशाल ढेर लग गए. वैज्ञानिक उपकरण बनाने के लिए मशीनरी की गड़गड़ाहट के बीच, आकांक्षी को समर्थन का एक अप्रत्याशित स्रोत मिला. इस क्षेत्र के अनुभवी, 70 वर्षीय डा. कृष्णन को अहमदाबाद से बुलाया गया. उन्होंने आकांक्षी की क्षमता को पहचाना और उस के द्वारा सामना किए गए संघर्षों को देखा.

डा. कृष्णन आकांक्षी के गुरु बन गए, और परियोजना द्वारा प्रस्तुत चुनौतियों के माध्यम से उस का मार्गदर्शन किया. उन के मार्गदर्शन में आकांक्षी लैंडर पर सभी उपकरण लगाने में सफल हुई.

अब यह सोचना था कि लैंडर पर नमूना संग्रह किस प्रकार का हो, कैसे और कहां लगाया जाए. यदि मिशन में चंद्रमा की सतह से नमूने एकत्र करने हैं, तो भविष्य में पृथ्वी पर वापसी के लिए नमूने इकट्ठा करने और संग्रहीत करने के लिए लैंडर रोबोटिक हथियार, ड्रिल या स्कूप जैसे तंत्र से लैस हो सकता है.

डा. कृष्णन ने थकी हुई आंखों के पीछे छिपे प्रतिभाशाली दिमाग को देखा और जाना कि सितारों को भी अपनी सब से चमकीली चमक के लिए अंधेरे की जरूरत होती है. उन्होंने आकांक्षी को नमूना संग्रह तंत्र पर काम करने से मना कर दिया और कहा कि आने वाले किसी और चंद्र मिशन में इस काम को आगे बढाए. उन्होंने उसे याद दिलाया कि महानता आसान रास्तों और आसान जीत से नहीं, बल्कि संघर्ष और बाधाओं के बावजूद आगे बढ़ने के दृढ़ संकल्प से पैदा होती है. उन के मार्गदर्शन से, आकांक्षी ने अपने जीवन में संतुलन ढूंढना शुरू कर दिया, बिना अपराध बोध के आराम के क्षणों को अपनाना सीखा और अपनी प्रयोगशाला से परे दुनिया की सुंदरता में सांत्वना तलाशना सीखा.

डा. कृष्णन के उत्साहित किए जाने से आकांक्षी ने एक बार फिर तरोताजगी महसूस की. लैंडिंग साइट चयन सौफ्टवेयर के लिए शहर के दूसरे कोने पर स्थित सौफ्टवेयर सेंटर में सौफ्टवेयर बनवाया. मिशन से पहले, सुरक्षा और उच्चतम वैज्ञानिक मूल्य सुनिश्चित करने के लिए संभावित लैंडिंग साइटों का विस्तृत विश्लेषण किया जाने वाला सौफ्टवेयर बनवाया. उन्नत सौफ्टवेयर का उपयोग विभिन्न लैंडिंग परिदृश्यों को मौडल करने और इलाके, सतह संरचना और वैज्ञानिक लक्ष्यों जैसे कारकों के आधार पर इष्टतम साइट का चयन करने के लिए किया. पूरे सौफ्टवेयर को चंद्रमा के दक्षिण ध्रुवीय इलाके के लिए टेस्ट किया. यह बात वह नहीं भूली थी कि चंद्रयान-2 की विफलता सौफ्टवेयर ग्लिच के कारण ही हुई थी.

कठोर चंद्र वातावरण और अंतरिक्ष अभियानों की जटिलता के कारण, अतिरेक और विश्वसनीयता महत्वपूर्ण हैं, यह बात डा. कृष्णन को अपने अनेकों वर्ष के अनुभवी जीवन से अच्छे से ज्ञात थी. यह सुनिश्चित करने के लिए उन्होंने आकांक्षी को सिस्टम को डुप्लीकेट करने के लिए कहा कि यदि कोई सिस्टम विफल हो जाता है, तो बैकअप सिस्टम निर्बाध रूप से काम संभाल सके.

आकांक्षी ने प्रवेश, अवतरण और लैंडिंग (ईडीएल) प्रणाली पर काम करने के लिए पूरी टीम इकट्ठा की. ईडीएल प्रणाली अंतरिक्ष से चंद्रमा की सतह तक लैंडर के संक्रमण का प्रबंधन करने के लिए थी. इस में वायुमंडलीय प्रवेश के लिए सुरक्षात्मक हीट शील्ड, नियंत्रित वंश के लिए पैराशूट या रेट्रोप्रोपल्शन और सुरक्षित टचडाउन के लिए लैंडिंग तंत्र के लिए अपनी टीम को मार्गदर्शन दिया. टीम में अनेक सदस्य थे, जो चंद्रयान-2 के लिए यह काम कर चुके थे.

आकांक्षी ने उन से भी सीखा और उन्हें अपनी ओर से लैंडर-3 में जो भी परिवर्तन करने चाहिए, उन का सुझाव देने के लिए कहा.

चंद्रयान-2 की स्वायत्त प्रणाली वाली टीम ने अलग से यह प्रणाली तैयार कर ली. पृथ्वी और चंद्रमा के बीच संचार में देरी के कारण चंद्रमा लैंडर अकसर स्वायत्त रूप से काम करते थे. मिशन के महत्वपूर्ण चरणों के दौरान वास्तविक समय पर निर्णय लेने के लिए उन्नत एल्गोरिदम और एआई सिस्टम नए तौर पर आकांक्षी ने लैंडर-3 के लिए लगाए. टीम को उस ने समझाया कि पिछले कई वर्षों में एआई में तीव्र उन्नति हुई है और हमें नए सिरे से लैंडर-3 पर एआई अल्गोरिथम लगाने चाहिए.

जैसेजैसे चंद्रमा मिशन नजदीक आता गया, आकांक्षी का समर्पण और दृढ़ता रंग लाने लगी. सफलताएं मिलीं, हर सफलता उस की अटूट प्रतिबद्धता का प्रमाण. और लैंडर अंततः तैयार हो गया. उस के परिश्रम और जुनून का उत्कृष्ट नमूना. उसे एहसास हुआ कि उस ने जो यात्रा की थी, वह केवल चंद्रमा तक पहुंचने के बारे में नहीं थी. यह अपने भीतर की ताकत की खोज करने के बारे में थी, यह साबित करने के बारे में थी कि सपने गुरुत्वाकर्षण को चुनौती दे सकते हैं और सितारों से भरे दिल वाली एक युवा महिला ब्रह्मांड के माध्यम से अपना रास्ता खुद बना सकती है.

लौंच के दिन, जब दुनिया की सांसें रुकी हुई थीं, आकांक्षी अपने सहकर्मियों के बीच खड़ी थी, उस के दिल में प्रत्याशा और घबराहट भरी उत्तेजना थी. लैंडर, जो उस के बलिदान और विजय का प्रतीक था, चंद्रमा की गोद में जाने की अपनी यात्रा पर निकल पड़ा. जब उस ने राकेट को अपनी आत्मा के टुकड़े के साथ आसमान में गायब होते देखा, तो उस की आंखों में आंसू आ गए.

हफ्तों बाद खबर आई कि लैंडर सफलतापूर्वक चंद्रमा पर उतर गया है. इस से प्रसारित छवियां लुभावनी थीं और आकांक्षी का हृदय गर्व से फूल गया.

आकांक्षी ने इस मिशन को साकार करने में अहम भूमिका निभाई थी. लेकिन दुनिया जो नहीं देख सकी, वह अनगिनत रातें थीं, जो उस ने अपनी प्रयोगशाला की मंद चमक में, समीकरणों और संदेहों से जूझते हुए बिताई थीं.

मिशन की सफलता ने आकांक्षी के जीवन में एक महत्वपूर्ण मोड़ ला दिया. अपनी प्रतिष्ठा मजबूत होने के साथ उस ने महत्वाकांक्षी वैज्ञानिकों की एक नई पीढ़ी को प्रेरित करना शुरू कर दिया, विशेषकर युवा महिलाओं को, जो उसे दृढ़ता और उपलब्धि के प्रतीक के रूप में देखती थीं. और जैसेजैसे साल बीतते गए, आकांक्षी सितारों तक पहुंचती रही, न केवल अपने काम में बल्कि अच्छी तरह से जीवन जीने की कोशिश में भी. उस ने जान लिया कि ब्रह्मांड मानव आत्मा की तरह ही विशाल और अज्ञात है. जिस तरह उस ने अंतरिक्ष विज्ञान की चुनौतियों का सामना किया था, उसी तरह उसे अपने दिल के इलाकों को नेविगेट करने और अपनी महत्वाकांक्षाओं और अपनी भलाई के बीच संतुलन खोजने के महत्व का पता चला. और शांत क्षणों में, जब शहर की रोशनी कम हो जाती थी, तब भी वह अपनी छत पर छिप जाती थी, उन्हीं सितारों को देखती रहती थी, जिन्होंने उस की उल्लेखनीय यात्रा में उस का मार्गदर्शन किया था.

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