कई महीनों के आंदोलन के बाद खेलमंत्री अनुराग ठाकुर के साथ पहलवानों की पहली मुलाकात हुई. इस बैठक के बाद पहलवानों ने जांच पूरी होने तक आंदोलन पर रोक लगाने का भी ऐलान किया. अनुराग ठाकुर ने बताया कि 15 जून, 2023 तक कुश्ती महासंघ के अध्यक्ष बृजभूषण शरण सिंह के खिलाफ जांच को पूरा कर लिया जाएगा.

बैठक में पहलवानों ने बृजभूषण शरण सिंह की गिरफ्तारी के साथ कुश्ती संघ के अध्यक्ष पद से इस्तीफे की भी मांग की. आंदोलन कर रहे पहलवानों से मुलाकात के बाद अनुराग ठाकुर ने कहा, “बैठक में हम ने जांच पूरी कर के चार्जशीट दायर करने की बात की है और हम यह करेंगे.”

इस से पहले केंद्र सरकार ने पहलवानों को बातचीत के लिए न्योता दिया था. इस बैठक के लिए खेलमंत्री ने खुद पहलवानों को आमंत्रित किया था, जिस में बजरंग पुनिया, साक्षी मलिक आदि शामिल हुए थे. दोनों पक्षों के बीच करीब 6 घंटे की बातचीत हुई.

एफआईआर से बर्बरता तक

21 अप्रैल, 2023 को महिला पहलवानों ने कुश्ती महासंघ के अध्यक्ष बृजभूषण शरण सिंह के खिलाफ यौन उत्पीड़न का आरोप लगाते हुए राजीव चौक थाने में एफआईआर दर्ज करवाने पहुंचे, जहां उन की शिकायत दर्ज नहीं की गई. जिस के बाद पहलावानों ने जंतरमंतर पर धरना शुरू किया, जिस के बाद महिला पहलवानों ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दर्ज कर शिकायत लिखने की मांग की.

कोर्ट ने दिल्ली पुलिस को नोटिस भेज जवाब मांगा, जिस के बाद बृजभूषण सिंह के खिलाफ 2 एफआईआर दर्ज हुई. जिस में से एक पौक्सो ऐक्ट के तहत दर्ज हुई. इस बीच दिल्ली के जंतरमंतर पर पहलवानों का प्रदर्शन जारी रहा और इसे खत्म करने के लिए हर कोशिश की गई.

बिजलीपानी की आपूर्ति बंद करने के साथ ही लोगों की प्रदर्शन स्थल पर आवाजाही बाधित तक करने की कोशिश हुई. नए संसद के उद्घाटन समारोह वाले दिन पहलवानों पर बेइंतिहा बर्बरता तक की गई. इन सब में प्रमुख बात यह है की जहां देश का नाम रौशन करने वाले पहलवान यह सब झेल रहे थे, वहीं बृजभूषण सिंह गिरफ्त से दूर होने के साथ ही भाषणबाजी कर रहे थे.

मामला दर्ज, फिर भी जांच का इंतजार

बृजभूषण शरण सिंह के खिलाफ 2 एफआईआर दर्ज हुई हैं. एक यौन उत्पीड़न के मामले में आईपीसी की धारा 354, 354(ए), 354(डी) के तहत और दूसरी एफआईआर पौक्सो ऐक्ट के तहत दर्ज हुई है जो कि गैरजमानती है. इस मामले में दोषी पाए जाने पर कम से कम 7 साल और अधिकतम उम्रकैद तक की सजा हो सकती है.

नाबालिग से होने वाले यौन उत्पीड़न को रोकने के लिए ही पौक्सो ऐक्ट बना है. यह कानून काफी सख्त है और इस में अभियुक्त को जमानत नहीं दी जाती है।

जानकारों के मुताबिक, पौस्को ऐक्ट में मामला दर्ज होना बहुत गंभीर मुद्दा है. लेकिन मामले में पहले जांच का इंतजार करना सोचने वाली बात है. क्योंकि इस ऐक्ट के तहत मामला दर्ज होने के साथ ही आरोपी को गिरफ्तार कर लिया जाता है और मामले की जांच इस के बाद की जाती है.

हालांकि मामले को ले कर दावा किया जा रहा है कि पुलिस गिरफ्तारी से पहले आरोपों की सत्यता की जांच कर सकती है और प्राथमिक जांच में पुलिस को आरोप सही लगता है तभी गिरफ्तार करेगी अन्यथा नहीं. गंभीर अपराधों के मामलों में आमतौर पर अभियुक्त की गिरफ्तारी होती है ताकि वह भाग न सके या फिर जांच को प्रभावित न कर सके. इसी कारण कहा जा रहा है कि मामले पर राजनीतिक दबाव के कारण अबतक बृजभूषण की गिरफ्तारी नहीं की गई है.

बृजभूषण की राजनीतिक पहुंच

उत्तर प्रदेश के गोंडा जिले के रहने वाले बृजभूषण शरण सिंह की गिनती यूपी के दबंग नेताओं में होती है और पिछले 3 दशक से वे राजनीति में काफी सक्रिय हैं. अभी वे कैसरगंज लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र से भाजपा से सांसद हैं और इस सीट पर वे पिछले 6 बार से जीत दर्ज कर चुके हैं. इस पूरे इलाके में उन का दबदबा है. बृजभूषण सिंह बीजेपी से पहले समाजवादी पार्टी से भी सांसद रह चुके हैं. ऐसे में ब्रजभूषण सिंह के नाराज होने का मतलब इन इलाकों में पार्टी को कमजोर करना होगा. इस इलाके के रजवाड़ों और ठाकुरों की मजबूत पट्टी उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री के साथ लामबंद है.

यहां राजनीति के कई ऐंगल हैं जो बृजभूषण के खिलाफ काररवाई में जल्दबाजी से रोक रहे हैं और एफआईआर के बावजूद उन की गिरफ्तारी को टालने का दबाव बना रहे हैं.

काररवाई न करने का दूसरा पहलू
इस पूरे मामले में बीजेपी का काररवाई करने का मतलब कांग्रेस की बात मानना है. ऐसे में बीजेपी बृजभूषण पर राजनीतिक काररवाई कर के यह बिलकुल भी साबित नहीं करना चाहती की वह ऐसा कांग्रेस के दबाव में कर रही है.

बीजेपी इस पूरे मामले में कोई ऐसा रास्ता चाहती है कि मामले पर ऐक्शन भी हो जाए और उस का पूरा श्रेय बीजेपी को जाए. इस पूरे मामले में कानूनी काररवाई के साथ बीजेपी अपनी राजनीतिक पकड़ नहीं खोना चाहती है.

बृजभूषण सिंह के खिलाफ पहले भी दर्जनों मुकदमे दर्ज हो चुके हैं जिन में कई मामले गंभीर धाराओं के तहत दर्ज किए गए हैं. बृजभूषण सिंह 2011 से लगातार कुश्ती महासंघ के अध्यक्ष हैं.

बृजभूषण सिंह ने क्या कहा

अपनी गिरफ्तारी को ले कर बृजभूषण शरण सिंह ने कहा कि वह इस्तीफा तभी देंगे जब उन से खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी कहेंगे. उन का कहना है कि इस्तीफा देने का मतलब होगा कि उन्होंने अपने खिलाफ लगाए गए आरोपों को स्वीकार कर लिया है.

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