जब प्रधानमंत्री नरेंद्र दामोदरदास मोदी विदेश जाते हैं और वहां भारतीयों से मिलते हैं और वहां जब ‘मोदीमोदी’ के नारे लगते हैं, तो सत्ता में बैठे हुए उन के हमराह और भारतीय जनता पार्टी गदगद हो जाती है.

कहते हैं, देखिए मोदी का कितना क्रेज है. मगर, जब कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी जो कांग्रेस के एक बड़े नेता के रूप में सर्वमान्य हैं, विदेश पहुंचते हैं और अगर सरकार की नीतियों पर नरेंद्र मोदी पर आक्षेप लगाते हैं, तो लोग तालियां बजाने लगते हैं और ‘राहुलराहुल’ करने लगते हैं, ऐसे मे नरेंद्र मोदी को चाहने वाले नाकभौं सिकोड़ने लगते हैं.

दरअसल, समझने वाली बात यह है कि हमारे देश भारत में लोकतंत्र है. यहां कोई अधिनायकवाद नहीं है. ऐसे में देश के बड़े नेता चेहरे, जिन के प्रति लोगों की आस्था है, वे इसी तरह अपनी भावना प्रकट करते हैं. इस का मतलब यह नहीं है कि कोई ज्यादा है और कोई कम. अगर आज देश में नरेंद्र मोदी की सत्ता है तो कल हो सकता है कि कांग्रेसी अपनी सत्ता कायम कर लें.

इस सचाई को मानना चाहिए और अगर कोई यह कल्पना करने लगे कि हम तो आजीवन सत्ता पर काबिज रहेंगे तो यह उन का दिवास्वप्न है और भारतीय लोकतंत्र का अपमान भी.

राहुल गांधी अभी विदेशी दौरे पर हैं और अपनी भूमिका निभाते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र दामोदरदास मोदी और भारतीय जनता पार्टी की सरकार की तीखे शब्दों में आलोचना कर रहे हैं. मगर सच तो यह है कि भाजपा के नेताओं और सत्ता में बैठे हुए चेहरों को यह रास नहीं आ रहा है.

विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने कहा कि कांग्रेस नेता राहुल गांधी को विदेश में भारत की आलोचना करने की आदत है, लेकिन अपने आंतरिक मामलों को दुनिया के सामने उठाना देश के हित में नहीं है.

समझने वाली बात यह है कि देश और दुनिया आज पारदर्शिता चाहती है और सबकुछ खुला हुआ है. ऐसे में बातबात में राहुल गांधी की किसी टिप्पणी या वक्तव्य पर यह कहना कि यह देश के खिलाफ है, कानूनी दृष्टि से तो गलत है ही, नैतिक दृष्टि से भी यह पूरी तरह गलत है, क्योंकि 5 सप्ताह में बैठे हुए चेहरों को भाजपा को यह जानना चाहिए कि नरेंद्र मोदी या फिर भारत सरकार की आलोचना करना देशहित के खिलाफ बात करना नहीं है. ये चेहरे बातबात में जब इन की आलोचना होती है, तो कहते हैं कि यह देशहित में नहीं है, देश की आलोचना है. इन्हें कौन बताए कि ये लोग देश नहीं हैं, वर्तमान में देश की नुमाइंदगी कर रहे हैं.

विदेश मंत्री के मुताबिक, राहुल गांधी को विदेश में भारत की आलोचना करने और विदेश जाने पर हमारी राजनीति के बारे में टिप्पणी करने की आदत है. दुनिया हमें देख रही है और दुनिया क्या देख रही है? देश में चुनाव होते हैं और कई बार एक पार्टी जीतती है और कई बार दूसरी पार्टी जीतती है.

देश में कोई लोकतंत्र न हो, तो ऐसे बदलाव नहीं आते… वर्ष 2024 का परिणाम तो वही होगा, हमें पता है.

उन्होंने कहा, अगर हम सभी विमर्शों को देखें (सरकार के खिलाफ), ये देश के भीतर दिए गए हैं. अगर विमर्श काम नहीं करते या कम प्रभावी होते हैं, तब उन्हें विदेशों में ले जाया जाता है. वे उम्मीद करते हैं कि बाहरी समर्थन भारत में काम करेगा.

विदेश मंत्री ने यह भी कहा कि राष्ट्रीय राजनीति को विदेशों में ले जाने से गांधी परिवार की विश्वसनीयता नहीं बढ़ेगी. देश में लोकतंत्र है. आप की अपनी राजनीति है और हमारी अपनी.

दरअसल, कांग्रेस पार्टी के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने हाल ही में अमेरिका में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की आलोचना की और विभिन्न मोरचों पर सरकार की नीतियों को ले कर उन पर निशाना साधा था.

कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने भारतीय जनता पार्टी और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ को भविष्य की ओर देखने में अक्षम करार दिया था और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर निशाना साधते हुए कहा था कि वह केवल पीछे (रियर व्यू मिरर) देख कर भारतीय कार चलाने की कोशिश कर रहे हैं, जिस से एक के बाद एक हादसे होंगे.

दरअसल, लोकतंत्र में आलोचना और अति आलोचना सरकार के लिए किसी विटामिन से कम नहीं होनी चाहिए, यही कारण है कि देश में कई संवेदनशील नेताओं में सदैव आलोचना को तरजीह दी. विपक्ष को साथ ले कर के चलने का प्रयास किया, यही लोकतंत्र की खूबसूरती है.

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