अपनी नाक के नीचे पनप रही आम आदमी पार्टी की दिल्ली में लगातार जीतों से केंद्र सरकार बुरी तरह गुस्सा है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी यों तो जगद्गुरु का खिताब सिर पर लिए फिरते हैं पर उन में जितना हेय, गुस्सा और ईर्ष्या है वह कम ही नेताओं में देखने को मिलती है.

आप नेता व दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के हर काम में अड़चन डालने के लिए उन्होंने उपराज्यपाल को लगा रखा है. संविधान ने केंद्र सरकार को पुलिस व जमीन के अधिकार दिए हैं पर मोदी उस से संतुष्ट नहीं हैं और अकसर उन के उपराज्यपाल एक नया शिगूफा खड़ा किए रहते हैं.

सुप्रीम कोर्ट कई बार कह चुकी है कि संघीय प्रणाली के अंतर्गत चुनी हुई राज्य सरकारों के कामों में उपराज्यपालों के हक़ औपचारिक भर हैं और दिल्ली सरकार विशेष दर्जा होने के बावजूद कोई अपवाद नहीं है.

मई माह में जब सुप्रीम कोर्ट ने उपराज्यपाल के कुछ कामों को अंसवैधानिक कहा तो बौखलाहट व गुस्से में नरेंद्र मोदी ने अध्यादेश ला कर सुप्रीम कोर्ट के आदेश को पलट दिया. मामला सिर्फ कुछ सचिवों की नियुक्ति का है पर अध्यादेश इस तरह बनाया गया है कि मुख्यमंत्री मात्र कठपुतली बन कर रह जाए और बड़े बाबुओं की माने जो नरेंद्र मोदी के इशारे पर काम करें.

दिल्ली कोई बड़ा प्रदेश नहीं है और दिल्ली आ कर चाहे जो कुछ भी कह ले, मुख्यमंत्री के पास एक जिला कमिश्नर से ज्यादा अधिकार वैसे भी नहीं हैं. ऐसे में उस से इतना जलना कि बारबार उपराज्यपाल से दखल देने को कहना केंद्र सरकार की तानाशाही प्रवृत्ति को ही दर्शाता है. इस से साफ है कि नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में केंद्र सरकार कानून व संविधान तो छोडि़ए, महज सामान्य लोकाचार को भी मानने को तैयार नहीं है.

वैसे, मोदी की खुन्नस को जायज बताने के लिए यह कहा जा सकता है कि 2014 में मोदी के गद्दी पर बैठने के तुरंत बाद अरविंद केजीवाल को उन्हीं वोटरों ने 70 में से 67 विधानसभाई सीटें दी थीं जिन्होंने सातों संसदीय सीटें नरेंद्र मोदी को दी थीं. उस के बाद नगर निगम में भारतीय जनता पार्टी का पलड़ा भारी रहा और फिर 2019 में आम चुनावों में फिर सातों सीटें नरेंद्र मोदी को मिलीं तो उन का अहं शांत हुआ पर कुछ दिनों के लिए ही. क्योंकि, 2019 के ही विधानसभा चुनावों में फिर अरविंद केजरीवाल भारी जीत पा गए. उस के बाद नगर निगम, जो 3 हिस्सों में बंटा था, एक किया गया पर फिर भी अरविंद केजरीवाल भाजपा से छीन ले गए.

अब फिर बौखलाहट जारी है कि केंद्र सरकार की नाक के नीचे क्यों और कैसे अरविंद केजरीवाल अपनी बढ़त बनाए हुए हैं. उन के उपमुख्यमंत्री को गिरफ्तार किया हुआ है, एक और वरिष्ठ नेता को गिरफ्तार किया हुआ है.

अरविंद केजरीवाल नरेंद्र मोदी के चरणों में जा कर बैठें, इस के लिए केंद्र सरकार जिस प्रकार की हठी दिखती है वह दुशासन की याद दिलाता है जिस ने जुए में जीत के बाद द्रौपदी का चीरहरण किया था. हर प्रयास के बावजूद द्रौपदी की भरी सभा में इज्जत लूटने की खुली कोशिश वैसी ही है जैसी केंद्र सरकार की दिल्ली राज्य के मुख्यमंत्री के अधिकार लूटने की.

कहते हैं कि पौराणिक कहानियां लोगों को सहनशील, त्यागी, संयमी, कानूनप्रिय, विधिनुसार काम करने की प्रेरणा देती हैं पर असलियत यह है कि पौराणिक कथाएं छल, कपट, दंभ, अकारण श्रापों, मारने, भस्म कर देने के संकल्पों से भरी हैं. जो इन्हें पढ़ कर ही बड़े हुए हैं उन के लिए ये काम एकदम शास्त्र के अनुसार ही हैं.

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