ओडिशा के बालासोर में हुई भीषण ट्रेन दुर्घटना से देश के आम से ले कर खास आदमी का दर्द तो झलका ही, दुनियाभर में रेलवे कुप्रबंधन को भी जिम्मेदार ठहराया जा रहा है, फिर भी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव से इस्तीफा न मांग कर यक्ष प्रश्न खड़े कर रही है. क्यों?
ओडिशा के बालासोर में हुए रेल हादसे का दर्द पूरे देश में महसूस किया गया और दुनियाभर में यह भारत देश के रेलवे कुप्रबंधन का साक्ष्य बन गया. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी लगातार देश की अत्याधुनिक ट्रेन ‘वंदेमातरम’ का घूमघूम कर शुभारंभ कर रहे हैं, बड़ीबड़ी बातें करने में उन का कोई सानी नहीं है. ऐसे में यह दुर्घटना नरेंद्र मोदी सरकार पर एक प्रश्नचिह्न है, जिस का जवाब देश की जनता मांग रही है.
मगर जैसा कि नरेंद्र मोदी का स्वभाव है, वे बातों को नकारने और घुमाने दोनों में सिद्धहस्त हैं, इसलिए न तो स्वयं अपना इस्तीफा देने की पेशकश की और न ही रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव का इस्तीफा लिया गया. अगर ऐसा हो पाता तो देश में नरेंद्र मोदी की छवि संवेदनशील और प्रभावशाली हो पाती. मगर जिस तरह पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी घटनास्थल पर पहले पहुंच जाती हैं और हकीकत से रूबरू होती हैं, उस से महसूस किया जा सकता है कि केंद्र सरकार और नरेंद्र मोदी रेल दुर्घटना को किस तरह छोटा कर के आंक रहे थे, मगर अंततः राजनीति और भावी आम चुनाव के कारण नरेंद्र मोदी को दुर्घटनास्थल का दौरा करना पड़ा और एक बार वही बातें दुहराई हैं कि दोषियों पर कड़ी कार्यवाही होगी.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी यह ‘कड़ी कार्यवाही होगी’ क्या होता है? अगर आप का शासन प्रभावी है तो कड़ा ऐक्शन तो हो जाना चाहिए था. ‘दोषियों को कड़ी सजा देंगे’ बोल कर आप ने यह संदेश दे दिया है कि सरकार दोषियों को क्या छोड़ती भी है? दोषियों को दंड और कड़ी सजा तो मिलनी ही चाहिए, मगर उस से पहले नैतिकता के आधार पर कम से कम रेल मंत्री को इस्तीफा दे देना चाहिए था या फिर उन से आप को इस्तीफा ले लेना चाहिए था.
नरेंद्र मोदी सरकार के 9 वर्ष मनाए जाने के उत्सव के समयकाल में यह दुर्घटना एक ब्रेक बन कर और कई संदेश ले कर आई है, जो मोदी सरकार की विफलताओं का कच्चाचिट्ठा है.
ओडिशा के बालासोर में पिछले दिनों 2 जून, 2023 को हुए भीषण रेल हादसे में मृतकों की संख्या 288 से पार हो गई है और तकरीबन 1,100 से ज्यादा लोग घायल हुए हैं. रेलवे ने इस हादसे की उच्चस्तरीय जांच शुरू की है, वहीं दूसरी तरफ दुर्घटना के बाद तोड़फोड़ की आशंका के पश्चात केंद्र सरकार ने केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो से जांच कराने का ऐलान कर दिया है.
यह हादसा आजादी के बाद हुए सब से भीषण हादसों में से एक है. इस हादसे में बैंगलुरुवड़ा सुपरफास्ट ऐक्सप्रैस, शालीमारचेन्नई सैंट्रल कोरोमंडल ऐक्सप्रैस और एक मालगाड़ी शामिल थीं. कोलकाता से तकरीबन 250 किलोमीटर दक्षिण में लासोर जिले के बाहानगा बाजार स्टेशन के पास 2 जून, 2023 की शाम तकरीबन 7 बजे यह हादसा हुआ था.
घटना में मृत लोगों की संख्या और भीषण दृश्य देख कर कहा जा सकता है कि नरेंद्र मोदी सरकार के लिए यह दुर्घटना एक काला अध्याय बन गई है. अगर लाल बहादुर शास्त्री की तरह रेल मंत्री अपना इस्तीफा दे देते तो नरेंद्र मोदी और सरकार के पक्ष में देश की जनता में सकारात्मक भाव जागृत होता. मगर मोदी सरकार इस मोरचे पर भी असफल हो गई.
महत्वपूर्ण बात यह है कि ट्रेन हादसे के कारण जमीन में धंस गए एक डब्बे को 3 जून को क्रेन और बुलडोजर की मदद से ऊपर लाने की कोशिश की गई. इस से पता चलता है कि रेल दुर्घटना कितनी भीषण थी. इस संपूर्ण रेल दुर्घटना में 5,000 कर्मियों के अलावा 200 एंबुलैंस, 50 बस और 45 सचल स्वास्थ्य इकाइयां दुर्घटनास्थल पर काम कर रही हैं. वायु सेना ने गंभीर रूप से घायल यात्रियों के लिए 2 हैलीकौप्टर भेजे. हादसे के कारण 90 ट्रेनें रद्द कर दी गईं और 46 ट्रेनों का मार्ग बदलना पड़ा.
देश में घटित हुई इस घटना के बाद जिस तरह सरकार का रवैया सामने आया है, वह सोचनीय कहा जा सकता है.