यह सरकार विशेषरूप से केंद्र सरकार के लिए भूलनेबिसरने वाली बात नहीं बल्कि सतर्कता का संकेत है. कुदरत ने बता दिया कि आज के नए विशाल निर्माण में सावधान रहना कितना आवश्यक है और वह इसलिए भी क्योंकि दिल्ली भूकंप के केंद्र में है। यह क्षेत्र 2 विशाल टैक्टोनिक प्लेटों की सीमा पर स्थित होने के कारण बारबार भूकंप की संभावना रखता है.

आखिर हुआ क्या

उस दिन 28 मई की देर शाम को नरेंद्र मोदी सरकार द्वारा निर्मित और विगत वर्ष सिर्फ 7 माह पूर्व प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा उद्घाटन किए गए उज्जैन में तेज आंधी के चलते महाकाल लोक कौरिडोर में स्थापित मूर्तियां तिनके की तरह गिर कर टूट गईं. एक ही दिन घटित यह 2 घटनाएं अनेक सवाल देश के समक्ष ले कर खडी हैं, जिस का जवाब जितनी जल्दी मिल जाए देश के लिए अच्छा है.

दरअसल, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 2014 के बाद अभी तक बहुत कुछ नया बनवा चुके हैं और भविष्य में योजना भी होगी. मगर जिस तरह तेजी से निर्माण होते हैं उस से कहीं न कहीं कुछ खामियां रह जाती हैं जो थोड़े से समय या बाद में विकराल रूप धारण कर सकते हैं. महाकाल उज्जैन कौरिडोर का उदाहरण बहुत छोटा सा है जिस में जनहानि नहीं हुई है मगर यह घटना एक संकेत है कि इस तरह निर्माण कार्यों में खामी है. अगर ऐसा ही अन्य निर्माण कार्यों में भी पाया गया, घटित हुआ तो आने वाले समय में छोटीबड़ी जनहानि भी हो सकती है जो देश के लिए दुखद होगी और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के लिए एक सोचनीय विषय.

समीक्षा करनी चाहिए

पिछले साल अक्तूबर में ही नरेंद्र मोदी ने महाकाल लोक कौरिडोर परियोजना के पहले चरण का उद्घाटन किया था और इतनी जल्दी देखते ही देखते यह दुखद घटना का सामने आना हमें सतर्कता और सुरक्षा का संदेश दे रहा है. जहां तक नए संसद भवन का सवाल है राष्ट्रीय और जनहित में हम केंद्र सरकार से अपेक्षा करते हैं कि इस घटना के परिप्रेक्ष्य में संसद भवन निर्माण के उद्घाटन की जल्दबाजी में कहीं सुरक्षा के मानदंड पीछे न छूट जाए, इस की समीक्षा एक दफा जरूर कर लेनी चाहिए.
क्योंकि सवाल है अति संवेदनशील संसद भवन का जहां माननीय सांसद बैठ कर देश का भविष्य तय करेंगे.

लोग कुछ भी कहें, बड़ीबड़ी बातें कर लें, मगर यह है हमारे देश के निर्माण की सचाई। हालात इतने बदतर होते जा रहे हैं कि जिस भव्यता और करोड़ों रुपए खर्च करने के बाद सरकार के संरक्षण में निर्माण होता है आगे उसी में ध्वंस नजर आता है.

महाकाल उज्जैन के कौरिडोर का यह उदाहरण संसद भवन पर भी सवाल खड़े करने का जनमानस को मौका दे गया है और शंका प्रकट की जा रही है कि जिस तरह आननफानन में सिर्फ ढाई साल के भीतर नए संसद भवन का निर्माण हो गया है, इस में भी ऐसी ही कोई छोटीबड़ी दुर्घटनाएं घटित हो गईं तो देश को कितनी बड़ी क्षति पहुंच सकती है, इस का अंदाजा नहीं लगाया जा सकता.

क्यों खङे हो रहे सवाल

सवाल इसलिए खड़े हो रहे हैं कि जिस शुभ घड़ी में 28 मई, रविवार को संसद भवन का उद्घाटन हुआ उसी दिन शाम अचानक तूफानी हवाओं के चलते महाकाल लोक में बनी मूर्तियों को नुकसान हुआ है. इन में से कई मूर्तियां जमीन पर गिर गईं तो कई मूर्तियों के हाथ और सिर टूट गए. महत्त्वपूर्ण बात यह है कि रविवार होने के चलते बड़ी संख्या में श्रद्धालु महाकाल लोक पहुंचे हुए थे. हालांकि, राहत की बात यह है कि इतने नुकसान के बाद भी किसी को चोट नहीं आई.

दरअसल, 10 से 25 फीट ऊंची ये मूर्तियां लाल पत्थर और फाइबर रेनफोर्स प्लास्टिक से बनी हैं. इन पर गुजरात की एमपी बाबरिया फर्म से जुड़े गुजरात, ओडिशा और राजस्थान के कलाकारों ने कारीगरी की है. 7 माह पूर्व देश के सब से महत्त्वपूर्ण राजनीतिक शख्सियत शक्ति के केंद्र प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 11 अक्तूबर, 2022 को उज्जैन में महाकालेश्वर मंदिर के नए परिसर ‘महाकाल लोक’ का लोकार्पण किया था जिस के बाद देशविदेश से लगातार श्रद्धालु महाकाल लोक को निहारने पहुंचते हैं. लेकिन यहां हुए गुणवत्ताहीन निर्माण की पोल खुल गई. इसलिए नरेंद्र मोदी और केंद्र सरकार को इस संदर्भ में संज्ञान लेना चाहिए और एक जांच टीम बना कर संपूर्ण कार्य योजना विशेषरूप से संसद भवन की समीक्षा की जानी चाहिए।

सवाल यह है कि जिस परियोजना का उद्घाटन प्रधानमंत्री करते हों वहां अगर खामियां दिखें, भ्रष्टाचार हो और आने वाले समय में कोई दुर्घटना घटित हो जाए तो सीधेसीधे यह प्रधानमंत्री पद के सम्मान पर प्रश्नचिन्ह है और देशभर में इस का संदेश नकारात्मकता से भरा हुआ ही प्रसारित होगा.

ऐसे में नए संसद भवन की सुरक्षा पर सवाल खड़े हो गए हैं जिस के जवाब जितनी जल्द देश को मिल जाए उतना ही अच्छा है.

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