लोग कहते तो हैं कि प्यार सभी बंधनों व दीवारों को तोड़ कर हो जाता है. चलो मान लिया पर जैसे बच्चे को पालने के लिए पैसों की जरूरत होती है वैसे ही प्यार को पालने के लिए भी पैसों की जरूरत होती है. ऐसे में क्या हो जब बौयफ्रैंड बेरोजगार हो. कहावत है ‘न बाप बड़ा न भैया, सब से बड़ा रुपैया’. यह बिलकुल सही है क्योंकि पैसे के बिना कुछ नहीं हो सकता और पैसा हर रिश्ते में अहम रोल अदा करता है.

ऐसे में अगर किसी लड़की का बौयफ्रैंड बेरोजगार हो तो उन का रिलेशन न सिर्फ उतारचढ़ाव से भरा होगा बल्कि यह तनाव से भरा भी होगा. सांवली सूरत वाली 20 वर्षीया काव्या 22 वर्षीय निखिल को पिछले 4 महीने से डेट कर रही है. वे दोनों कालेज में एकसाथ पढ़ते थे. जहां काव्या एक बीपीओ कंपनी में जौब करती है वहीं निखिल पिछले कई महीनों से जौब ढूंढ़ रहा है. निखिल कहता है, ‘‘उस का जौबलैस होना काव्या को अखरता है क्योंकि वह उस के मनमुताबिक खर्च नहीं कर पाता. वह कहता है कि जौब न होने की वजह से उसे खुद शर्मिंदगी महसूस होती है. काव्या का कहना है, ‘‘अगर कोई रिलेशनशिप है तो खर्चा तो होगा ही.

हां, यह कमज्यादा जरूर हो सकता है लेकिन खर्चा होगा, यह तय है.’’ 23 साल का वेद जो दिखने में काफी स्मार्ट है. वह कहता है, ‘‘एक दिन उस की गर्लफ्रैंड श्रुति, जो 21 साल की है, ने मूवी का प्लान बनाया. जिस में उस के दोस्त अपनेअपने गर्लफ्रैंडबौयफ्रैंड के साथ आए थे. सभी लड़कियों के बौयफ्रैंड ने टिकट और पौपकोर्न लिए लेकिन मैं सिर्फ मूवी टिकट ही ले पाया क्योंकि मेरे पास पौपकोर्न लेने लायक बजट नहीं था.’’ वह आगे कहता है, ‘‘यह देख कर श्रुति की सहेलियां हंसते हुए बोलीं, ‘श्रुति, क्या तुम्हारे बौयफ्रैंड के पास पौपकोर्न के भी पैसे नहीं हैं.’ यह सुन कर मैं शर्मिंदा हो गया.

वेद के अनुसार अगर वह जौब कर रहा होता तो उसे ऐसी नौबत न देखनी पड़ती और न ही कोई उन का मजाक उड़ाता. हमारे आसपास ऐसी बहुत सी लड़कियां हैं जिन के बौयफ्रैंड के पास कोई जौब नहीं है और अगर देश की बात की जाए तो देश में ऐसे लाखोंहजारों युवा हैं जो बेरोजगार हैं. सैंटर फौर मौनिटरिंग इंडियन इकोनौमी (सीएमआईई) की रिपोर्ट के अनुसार, 28 मार्च, 2023 तक भारत में बेरोजगारी दर 7.9 रही. सीएमआईई का कहना है कि भारत में रोजगार मिलने की दर बहुत कम है और यह सब से बड़ी समस्या है. देश में इतनी बेरोजगारी होने के कई कारण हैं जिन में सरकार सब से अहम है. युवाओं का कहना है कि सरकारें आती हैं,

अपना उल्लू सीधा करती हैं और चली जाती हैं. हमारी सरकारें हमें रोजगार देने में नाकामयाब रही हैं और फिर भी वे अपने मुंह मियां मिट्ठू बनी रहती हैं. जो लड़का कमाता नहीं है, अगर उस की गर्लफ्रैंड अपने दोस्तों को बौयफ्रैंड से मिलाने अपने साथ ले आए तो उस का बौयफ्रैंड प्रौब्लम में पड़ जाता है क्योंकि उस के पास इतने पैसे नहीं होते कि वह उन्हें किसी रैस्तरां में कौफी तक पिला सके या अच्छी जगह घुमा सके. वहीं अगर कमाऊ बौयफ्रैंड हो तो वह आसानी से उन्हें एक अच्छे रैस्टोरैंट में खाना तक खिला सकता है. 19 साल की अदिति और 21 साल के मयंक के रिलेशन को एक साल होने वाला है.

अदिति चाहती है कि वह अपनी एनिवर्सरी किसी अच्छी और महंगी जगह पर सैलिब्रेट करे. अदिति ने जब यह बात मयंक से शेयर की तो मयंक परेशान हो गया, क्योंकि उस के पास कोई जौब नहीं है. ऐसे में वह महंगी जगह कैसे अफोर्ड कर सकता है. बड़ी मुश्किल से वह डेट के खर्चे को उठा पा रहा था और फिर अदिति की यह फरमाइश. न चाहते हुए भी उस ने अदिति को यह प्लान कैंसिल करने को कहा तो वह नाराज हो कर वहां से चली गई. मयंक कहता है कि उस के पास कोई जौब नहीं है,

इसलिए अदिति ने ऐसा बिहेव किया. अगर वह भी जौब करता तो अदिति की सारी फरमाइशें पूरी कर देता और अदिति उस से नाराज न होती. वह कहता है, ‘‘बेरोजगार बौयफ्रैंड किसी को नहीं चाहिए. सब लड़कियों को अमीर और सक्सैसफुल बौयफ्रैंड ही चाहिए.’’ जागृति (बदला हुआ नाम) बताती है कि जब कभी भी वह आउट औफ स्टेशन का प्लान बनाती है तो हमेशा उस का बौयफ्रैंड प्लान को कैंसिल कर देता है. इस का कारण यह है कि उस का बौयफ्रैंड अभी जौब नहीं करता, ऐसे में वह ट्रैवल का खर्चा नहीं उठा सकता. वह कहती है, ‘‘बारबार प्लान कैंसिल होने से उस का मूड खराब हो जाता है.

सो, कभी भी बेरोजगार लड़के के साथ रिलेशन में मत आओ क्योंकि वहां आप को अपनी कई इच्छाओं को मारना पड़ेगा.’’ यह कड़वा सच है कि कोई भी लड़की ऐसा बौयफ्रैंड नहीं चाहती जो कमाता न हो क्योंकि ऐसे लड़के के साथ रहना आसान नहीं है. उसे यह सम झना पड़ेगा कि उस का बौयफ्रैंड उस पर ज्यादा खर्चा नहीं कर पाएगा क्योंकि उस के बौयफ्रैंड के पास पैसों का कोई सोर्स नहीं है. अंश बताता है कि 4 साल पुराने रिश्ते को उस की स्कूलटाइम गर्लफ्रैंड ने यह कहते हुए तोड़ दिया कि वह एक ऐसे लड़के के साथ नहीं रह सकती जो उस का खर्चा नहीं उठा सकता. वह कहता है कि देश में इतनी बेरोजगारी है कि उसे अपनी योग्यता के मुताबिक जौब ही नहीं मिल रहा.

वह अपना पक्ष रखते हुए कहता है, ‘‘एमबीए की पढ़ाई करने के बाद कोई 8-10 हजार वाला जौब वह नहीं करना चाहता. यह देखा गया है कि जिस लड़की का बौयफ्रैंड बेरोजगार होता है वह लड़की छोटीछोटी बातों पर गुस्सा करने लग जाती हैं. कई बार वह अपने बेरोजगार बौयफ्रैंड को उस की बेरोजगारी के लिए ताने भी देती है. कई मामलों में लड़कियां ऐसे लड़कों से रिश्ता भी तोड़ लेती हैं. सरकारी जौब की तैयारी कर रहे 22 साल के नवीन का मानना है कि सरकारी जौब पाना आसान नहीं है. वह कहता है, ‘‘उम्मीदवारों की संख्या लाखों में है जबकि सीटें सीमित हैं.’’ नवीन खुद भी सरकारी जौब की रेस का एक हिस्सा है, इसलिए वह अपनी पढ़ाई पर पूरा ध्यान देना चाहता है.

यही कारण है कि वह फिलहाल कोई जौब नहीं कर रहा. शायद इसलिए कोई भी लड़की उस का प्रपोजल ऐक्सैप्ट नहीं करती है. वह कहता है, ‘‘सभी को कमाऊ बौयफ्रैंड चाहिए, बेरोजगार बौयफ्रैंड नहीं.’’ भारत एक युवा प्रधान देश है, जिस में 15 साल से 29 साल के लोगों को युवा माना गया है. सांख्यिकी और कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय ने ‘यूथ इन इंडिया 2022’ रिपोर्ट पेश की जिस में 15 से 29 साल के युवाओं की संख्या 27.3 करोड़ है. लेकिन सोचने वाली बात यह है कि इस युवा प्रधान देश में ही सब से ज्यादा युवा बेरोजगार हैं. इस का कारण है कि सरकार अपने विजन को ले कर क्लीयर नहीं है. रोजगार न मिलने की वजह से यूथ डिप्रैस्ड हैं.

बेरोजगार युवा किसी से कौन्फिडैंस से बात नहीं कर पाता. वह सब से कटाकटा रहता है. बेरोजगार युवा रिश्तेदारों के घर आनेजाने से कतराता है. मनन बताता है कि जब कभी भी वह रिश्तेदारों और पड़ोसी के घर जाता है तो बारबार उस से एक ही सवाल पूछा जाता है कि कोई जौब मिली. वह कहता है, ‘ऐसे सवाल का जवाब देदे कर मैं थक गया हूं, इसलिए अब मैं किसी के घर नहीं जाता.’ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने एक इंटरव्यू में कहा कि पकौड़ा तलना भी एक रोजगार है. गृहमंत्री अमित शाह ने भी उन का समर्थन किया. वहीं पूर्व वित्तमंत्री पी चिदंबरम ने इस का कड़ा विरोध किया.

प्रधानमंत्री के दिए इस बयान ने देश के युवाओं के भविष्य को अंधकार में डाल दिया है. क्या वे पढ़ाईलिखाई करने के बाद पकौड़े की दुकान लगाएंगे. अगर यही करना है तो वे पढ़ेलिखे ही क्यों? क्यों वे इतनी मेहनत करें, क्यों वे अपने दिनरात खराब करें, आखिर में तो उन्हें पकौड़े का स्टौल ही लगाना है. विकास कहता है, ‘‘अगर ग्रेजुएशन करने के बाद भी पकौड़े का स्टौल लगाना पड़े तो हमारी पढ़ाई का क्या फायदा? क्या हम ने पकौड़ा तलने के लिए दिनरात मेहनत कर के पढ़ाई की है.’’ वहीं, अगर कालेज स्टूडैंट की बात करें तो डीयू के एसओएल डिपार्टमैंट में पढ़ने वाला विवेक कहता है, ‘‘नेताओं को ऐसे बयान न दे कर के रोजगार के अवसर उपलब्ध कराने पर फोकस करना चाहिए.

यह सरकार अपनी रणनीति में पूरी तरह फेल रही है, लीपापोती करने के लिए कुछ भी कह रही है.’’ 2022 में अपनी ग्रेजुएशन कंपलीट करने वाली आनंदी कहती है, ‘‘मोदी सरकार का ऐसा बयान देना उस की नाकामी को दर्शाता है. हम अपनी योग्यता के अनुसार काम करना चाहते हैं न कि कोई भी काम मिले और हम उसे कर लें.’’ सुधीर मिश्रा का मानना है, इतनी पढ़ाईलिखाई करने के बाद ऐसा काम करना सैल्फ कौन्फिडैंस को चोट पहुंचाता है. सुधीर मिश्रा कहता है कि वह पिछले 9 साल से नोएडा की एक जानीमानी कंपनी में जौब करता आ रहा था लेकिन बेरोजगारी की मार इस तरह गिरी कि कंपनी में कर्मचारियों की छंटाई होने लगी और इस में से एक कर्मचारी वह भी था.

वह बताता है, ‘‘पिछले 3 महीने से हमें सैलरी भी नहीं दी गई है. आम आदमी किस तरह अपना गुजारा करे?’’ अगर यह बात की जाए कि शहर या गांव, कहां ज्यादा बेरोजगारी है तो गांव के मुकाबले शहरों में बेरोजगारी दर ज्यादा है. गांव में जहां 7. 75 प्रतिशत बेरोजगारी दर है वही शहरों में यह दर 8.96 प्रतिशत है. भारत में ग्रेजुएट करीब 86.11 फीसदी, पोस्टग्रेजुएट 12.07, डिप्लोमा या सर्टिफिकेट वाले 1.01 फीसदी युवा रिसर्च वर्क से जुड़े हैं. इन्हें इन की योग्यता के अनुसार जौब नहीं मिली. अगर ये सभी सड़क पर रेहड़ी लगा कर पकौड़े बेचते दिखें तो यह सरकार के लिए हैरान करने वाली बात नहीं होगी क्योंकि उस के हिसाब से तो यह भी जौब ही है.

ऐसे युवा जिन के पास जौब नहीं है और वे रिलेशनशिप में हैं तो उन के मन में अपने रिलेशन को ले कर हमेशा इनसिक्योरिटी बनी रहती है. उन के मन में हमेशा यह डर रहता है कि कहीं उन की गर्लफ्रैंड उन्हें छोड़ कर न चली जाए क्योंकि वह उन्हें अच्छी और महंगी जगह नहीं ले जा पाते क्योंकि उन के पास इस के खर्च के पैसे नहीं होते. ऐसे लोगों की लाइफ में रोमांस की भी थोड़ी कमी होती है. यही कारण है कि वे हमेशा इस डर में रहते हैं कि कहीं बेरोजगारी उन्हें उन के प्यार से दूर न कर दे. युवकों का मानना है कि बहुत से ऐसे कपल हैं जिन्हें अपनी गर्लफ्रैंड से सिर्फ इसलिए दूर कर दिया जाता है क्योंकि वे बेरोजगार होते हैं. बिहार के रहने वाले पंकज ने अपना एक ट्वीट नीतीश कुमार के नाम लिखते हुए कहा,

‘कुछ ऐसा कीजिए कि कोई भी युवा बेरोजगार न रहे और उस की गर्लफ्रैड उस से दूर न हों.’ पंकज ने ऐसा इसलिए कहा क्योंकि सरकारी नौकरी न होने की वजह से उस की गर्लफ्रैंड के पिता ने अपनी बेटी की शादी उस से नहीं कराई. आएदिन ऐसे बहुत से केस आते हैं जिन में पत्नी अपने पति को छोड़ देती है. इस की एक बड़ी वजह पति का बेरोजगार या कंगला होना भी है. लड़की शादी कर के जब अपने पति के घर आती है तो वह यह सोच कर आती है कि उस का पति खर्च उठाएगा, क्योंकि उसे बचपन से यही सिखाया जाता है. लेकिन जब उसे यह पता चले कि उस के पति की जौब चली गई है और अब वह बेरोजगार हो गया है, वह खर्च उठाने में अब असमर्थ है तो कई बार कुछ समय तक हैंडल करने के बाद वह अपना संयम खो देती है और अलग होने का फैसला ले लेती है. कोई भी रिलेशन खर्चा जरूर मांगता है.

ऐसे में यह उम्मीद करना कि एक बेरोजगार बौयफ्रैंड के साथ रिश्ता अच्छे से निभाया जा सकता है, यह पूरी तरह से सही नहीं होगा क्योंकि कोई भी लड़की बेरोजगार बौयफ्रैंड नहीं चाहती. वह चाहती है एक ऐसा पार्टनर जिस के साथ उस की यादें जुड़ी हों और ये यादें उन के अलगअलग जगह जाने, वहां मजा करने से बनती हैं. लेकिन समस्या यह कि उन जगहों पर जाने के लिए उन्हें पैसों की जरूरत होगी और यह पैसा कुछ कमाधमा कर ही आ सकता है. इसलिए लड़के का जौब करना बेहद जरूरी है.

लेखिका- प्रियंका यादव

और कहानियां पढ़ने के लिए क्लिक करें...