तमिलनाडु के मुदुमलै नैशनल पार्क में 5 साल तक फिल्माई गई कार्तिकी गोंजाल्विस की फिल्म ‘द एलिफैंट व्हिस्परर्स’ ने औस्कर अवार्ड जीत कर इतिहास रचा है. इस की कहानी अकेले छोड़ दिए गए हाथी और उस की देखभाल करने वालों के बीच अटूट बंधन है. 13 मार्च, 2023 भारत के लिए गर्व का क्षण था जब नैटफ्लिक्स पर स्ट्रीम हुई फिल्म ‘आरआरआर’ के गाने ‘नाटू नाटू’ को औस्कर अवार्ड से सम्मानित किया गया.

इतना ही नहीं, नैटफ्लिक्स पर ही 8 दिसंबर, 2022 से स्ट्रीम हुई कार्तिकी गोंजाल्विस निर्देशित डौक्यूमैंट्री फिल्म ‘द एलिफैंट व्हिस्परर्स’ ने 95वें औस्कर में ‘डौक्यूमैंट्री शौर्ट फिल्म’ श्रेणी में अकादमी पुरस्कार जीतने वाली भारत की पहली फिल्म बन कर इतिहास रच दिया. यह हर भारतीय के लिए गौरव की बात है. क्या है डौक्यूमैंट्री ‘द एलिफैंट व्हिसपरर्स’ डौक्यूमैंट्री ‘द एलिफैंट व्हिसपरर्स’ की कहानी इस की निर्देशक कार्तिकी गोंजाल्विस की मां प्रेसिला ने लिखी है. 40 मिनट की अवधि वाली यह डौक्यूमैंट्री तमिल भाषा में है और इंग्लिश भाषा में सब टाइटल्स हैं. इस फिल्म का विश्व प्रीमियर 9 नवंबर, 2022 को संयुक्त राज्य अमेरिका के वृत्तचित्र फिल्म समारोह ‘डाक एनवाईसी फिल्म फैस्टिवल’ में हुआ था. बाद में 8 दिसंबर, 2022 से यह फिल्म नैटफ्लिक्स पर एकसाथ 190 देशों में स्ट्रीम होने लगी. इस की कहानी तमिलनाडु में मुदुमलाई नैशनल पार्क से सटे गांव थेपाथलई की है जहां कट्टुनायकर आदिवासी जनजाति के लोग रहते हैं. इसी गांव में बोमन और बेली रहती हैं.

बेली के पति की मौत हो चुकी है. बोमन व बेली के बीच दोस्ती है. फौरेस्ट औफिसर एक दिन बोमन व बेली को अनाथ हाथी रघु को उस की देखभाल करने के लिए सौंपते हैं. रघु की मां की बिजली का करंट लगने के बाद एक गांव में उस के झुंड द्वारा छोड़ दिया गया था. बोमन व बेली हाथी रघु को अपने बेटे की तरह पालते हैं. बाद में बेली और बोमन ने 3 माह की अनाथ हथिनी अम्मू को गोद ले लिया था. बोमन उन के माथे को सुंदर रंगीन डिजाइनों से सजाते हैं, शायद पहचान चिह्न के रूप में उन्हें अन्य 150 विषम हाथियों से अलग करने के लिए जो हरे जंगलों में रहते हैं.

बाघ बारबार झाडि़यों के पीछे से झांकते हैं. रघु व अम्मू की परवरिश करतेकरते बोमन व बेली एकदूसरे के इतने करीब आ जाते हैं कि दोनों अधेड़ उम्र में शादी कर लेते हैं. अमूमन हर डौक्यूमैंट्री फिल्म में वौइसओवर ज्यादा होता है. मगर कार्तिकी गोंजाल्विस निर्देशित डौक्यूमैंट्री फिल्म ‘द एलिफैंट व्हिसपरर्स’ में वौइसओवर नहीं है. हम जब इसे देखते हैं तो यह एक पारिवारिक ड्रामा वाली इमोशनल फिल्म लगती है. फिल्म में हाथी की बुद्धिमत्ता, भावना और उस की संजीदगी भी उभर कर आती है. एक दृश्य है जब बोमन और बेली को रघु व अम्मू का साथ छोड़ना पड़ता है.

तब रघु यानी कि हाथी की आंखों से भी आंसू बहते हैं. पूरी फिल्म में आदिवासी संस्कृति और जंगल वगैरह सबकुछ बहुत सजीवता से उभर कर आता है. इसी के साथ यह डौक्यूमैंट्री प्रकृति के साथ सद्भाव व जनजातीय लोगों के जीवन की पड़ताल करती है. यह फिल्म पर्यावरण संरक्षण की भारतीय संस्कृति और परंपरा को भी प्रदर्शित करती है. जश्न का हिस्सा बने बोमन और बेली हाल ही में नैटफ्लिक्स ने औस्कर अवार्ड का जश्न मनाने के लिए तमिलनाडु के गांव से बोमन व बेली को मुंबई बुलाया.

तब हमारी भी उन से मुलाकात हुई. डौक्यूमैंट्री के मुख्य नायक बोमन ने औस्कर अवार्ड की ट्रौफी अपने हाथ में ले कर कहा, ‘‘मु झे गर्व है कि हमारे बच्चों (हाथी के बच्चे रघु व अम्मू) व हमारी कहानी को पूरे विश्व के सामने रखा गया. मु झे तो 2 हाथियों का पिता होने पर गर्व है.’’ लेकिन बेली ने एकदम अलग बात कह दी. उस ने कहा, ‘‘मु झे किसी से डर नहीं लगता. मैं तो जंगल में रहती हूं. आप लोगों को लगता है कि औस्कर अवार्ड बहुत बड़ी बात है पर मेरे लिए आप लोग महत्त्व रखते हैं, आप लोगों का प्यार माने रखता है जिन्होंने हमें इज्जत बख्शी है. मु झे इस बात की खुशी है कि मु झे मुंबई जैसे बड़े शहर में आने का अवसर मिला.’’ मां की ममता जब आप ने 6 वर्ष तक ‘रघु’ और ढाई वर्ष तक ‘अम्मू’ की परवरिश की, उस के बाद फौरेस्ट औफिसर ने उन्हें आप लोगों से अलग कर दूसरों को दे दिया तब आप को कैसा लगा के सवाल पर बेली ने कहा,

‘‘एक मां के रूप में हम हमेशा अपने बच्चों को बड़ा करते हैं पर कई बार बच्चे हमें छोड़ कर दूर किसी दूसरे शहर में चले जाते हैं. हम उन्हें रोक नहीं पाते. जब मु झ से रघु और अम्मू को वापस ले लिया गया तब मु झे दूसरे बच्चे को पालने के लिए मन में हिचक थी लेकिन कुछ समय बाद जब फौरेस्ट औफिसर नए बच्चे धर्मम को ले कर आए और बताया कि यह दुर्लभ प्रजाति के हाथी का बच्चा है. इस की मां की मौत हो चुकी है और इस के 3 भाईबहन गायब हैं. ऐसे में भला एक मां होने के नाते इस की परवरिश करने से मैं कैसे मना कर सकती थी. हम ने धर्मम को भी ले लिया और इन दिनों हम उसी की परवरिश कर रहे हैं.’’

निर्देशक की 5 साल की मेहनत लेकिन डौक्यूमैंट्री ‘द एलिफैंट व्हिसपरर्स’ कार्तिकी गोंजाल्विस की 5 साल की मेहनत का परिणाम है. कार्तिकी गोंजाल्विस कहती हैं, ‘‘हमारी डौक्यूमैंट्री ‘द एलिफैंट व्हिस्परर्स’ मनुष्य और प्रकृति के बीच पवित्र बंधन की एक बहुत ही खास फिल्म है. मेरी परवरिश इस अभयारण्य से महज 30 मिनट की दूरी पर हुई है. इसलिए मैं चाहती थी कि दुनिया इस लुभावने परिदृश्य की असीम सुंदरता को देखे और अनुभव करे. ‘‘मैं अपने गुरु डगलस ब्लश, बोमन और बेली, मेरे मातापिता, स्वेन फाल्कनर, करण, कृष, आनंद, मेरे फिल्म क्रू, सोनी इंडिया, तमिलनाडु फौरेस्ट विभाग, सिख्या इंटरटेनमैंट और नैटफ्लिक्स की सा झेदारी के लिए बहुत आभारी हूं. मु झे उम्मीद है कि यह जीत वृत्तचित्र फिल्म निर्माताओं की एक नई पीढ़ी को अपनी कहानियों व हमारे देश की सुंदरता को सा झा करने के लिए प्रोत्साहित करेगी.’’

क्या निर्देशक कार्तिकी गोंजाल्विस को पता था कि यह डौक्यूमैंट्री उन्हें औस्कर दिला देगी? इस पर कार्तिकी ने कहा, ‘‘हम ने ईमानदारी से यह फिल्म बनाई है. औस्कर अवार्ड की बात मेरे दिमाग में ही नहीं थी. नैटफ्लिक्स पर दिसंबर 2022 से जब यह डौक्यूमैंट्री स्ट्रीम होने लगी तब भी मेरे मन में औस्कर अवार्ड की बात नहीं थी. मैं ने सपने में भी नहीं सोचा था कि हम अपनी फिल्म को औस्कर भेजेंगे और यह फिल्म औस्कर जीत जाएगी. नैटफ्लिक्स ने इसे औस्कर अवार्ड के लिए भेजा. उस वक्त मैं अपनी शादी की तैयारी कर रही थी. अर्जेंट में पासपोर्ट बनवा कर मैं वहां पहुंची थी तब मेरे दिमाग में तो सिर्फ दर्शकों की प्रतिक्रिया देखने की चाहत थी. सच कह रही हूं,

मेरे लिए तो औस्कर अवार्ड सब से बड़ा आश्चर्य है.’’ औस्कर अवार्ड के लिए सब से बड़ी जरूरत की चर्चा चलने पर डौक्यूमैंट्री की निर्माता गुनीत मोंगा ने कहा, ‘‘फिल्म के लिए एक मजबूत अमेरिकी वितरक होना चाहिए. हमारे पास सशक्त अमेरिकी वितरक भी है. इस के अलावा हमें नैटफ्लिक्स से भी मदद मिली. नैटफ्लिक्स की 190 देशों में पहुंच है.’’ ‘द एलिफैंट व्हिसपरर्स’ को औस्कर मिलने के बाद डौक्यूमैंट्री फिल्मों के प्रति फिल्म इंडस्ट्री में तबदीली की संभावनाओं पर कार्तिकी गोंजाल्विस कहती हैं, ‘‘हमारी डाक्यमैंट्री की वजह से अब डौक्यूमैंट्री फिल्मों के प्रति हर किसी का नजरिया बदलेगा.’’ नैटफ्लिक्स की वाइस प्रैसिडैंट, कंटैंट, मोनिका शेरगिल कहती हैं, ‘‘हम कार्तिकी और सिख्या की टीम के साथ ‘द एलिफैंट व्हिस्परर्स’ की दिल छू लेने वाली यात्रा का हिस्सा बन कर सम्मानित महसूस कर रहे हैं. हाथी के बच्चे अम्मू और रघु के मातापिता के रूप में बोमन और बेली की कहानी मानव और प्रकृति के बीच बंधन का उत्सव है.

नैटफ्लिक्स के रूप में, हम रचनाकारों की दृष्टि से प्यार करते थे और जानते थे कि यह शुरुआत से ही वास्तव में एक प्रेरणादायक स्थानीय कहानी थी जिस की सार्वभौमिक अपील होगी.’’ सिख्या एंटरटेनमैंट की गुनीत मोंगा आगे कहती हैं, ‘‘यह वन्यजीवों पर हमारी पहली फिल्म है. यह कार्तिकी, बोमन, बेली और बच्चे हाथियों के साथ एक अद्भुत यात्रा रही है. हमें प्रकृति के बारे में बहुतकुछ सीखने को मिला और हम आभारी हैं कि कार्तिकी ने हमें इस कहानी के लिए चुना. हमें खुशी है कि इस पूरी यात्रा में नैटफ्लिक्स ने हमें सशक्त बनाया. ‘‘हम ने दिल की कहानियों को बताने के विजन के साथ सिख्या की शुरुआत की और हमारा प्रयास रहा है कि हम उन्हें एक वैश्विक पदचिह्न दें. ‘द एलिफैंट व्हिस्परर्स’ के लिए अकादमी की मान्यता ने मु झे और मेरी टीम को इस विजन को दोगुना करने के लिए प्रेरित किया है. ‘‘हम नए फिल्म निर्माताओं के साथ सहयोग करना जारी रखेंगे और ऐसी दिल को छू लेने वाली कहानियां ढूंढें़गे.

यह पुरस्कार हमारे आसपास के सब से साधारण कोनों में छिपी असाधारण कहानियों का है. यह हमारे सुंदर भारत के स्वदेशी समुदायों से संबंधित है.’’ द्य एक तरफ खुशी तो दूसरी तरफ गम जब 23 मार्च, 2023 को मुंबई के ताज लैंड होटल में डौक्यूमैंट्री फिल्म ‘द एलिफैंट व्हिसपरर्स’ के मुख्य हीरो व थेपाथलई निवासी बोमन व बेल्ली से हम मिले थे, उस वक्त उन्होंने बताया था कि सब से पहले उन्होंने हाथी के बच्चों रघु व अम्मू की परवरिश की और जब बच्चे बड़े हो गए तो फौरेस्ट विभाग ने उन से ये बच्चे वापस ले लिए थे. उस के बाद वे तीसरे बच्चे की परवरिश नहीं करना चाहते थे. लेकिन तीसरे बच्चे यानी कि धर्मम नामक 4 माह के हाथी के बच्चे के अनाथ होने के कारण उन के अंदर की मां व पिता के दिल ने धर्मम को भी पालना स्वीकार कर लिया था.

लेकिन एक इंग्लिश अखबार में छपी खबर के अनुसार थेपाथलई में इस बच्चे की शुक्रवार को मौत हो गई. पोस्टमार्टम करने वाले डाक्टरों के अनुसार अपने 3 भाईबहन व मां से बिछुड़ने के सदमे को हाथी का यह बच्चा सहन नहीं कर पाया. डाक्टरों के अनुसार, बच्चे के फेफड़े में निमोनिया के भी लक्षण पाए गए. जानवरों के डाक्टरों ने इस बच्चे के शरीर से कुछ अंग निकाल कर प्रयोगशाला में जांच के लिए भेज दिए. उस के बाद इस के अंतिम संस्कार की विधि को बोमन व बेल्ली ने ही फौरेस्ट औफिसरों की मौजूदगी में अंजाम दिया. ज्ञातव्य है कि अभी 16 मार्च को ही हाथी का यह 4 माह का बच्चा बोमन व बेल्ली को परवरिश के लिए सौंपा गया था. उस के एक सप्ताह बाद ही बोमन व बेल्ली ‘औस्कर अवार्ड’ के जश्न का हिस्सा बनने मुंबई आए थे. उस वक्त धर्मम का जिक्र होने पर बोमन ने कहा था, ‘मु झे वापस जाने की जल्दी है. धर्मम हमारे पास है. उसे हमारी जरूरत है.

धर्मम को मु झे बड़ा करना है.’ पर अफसोस, बोमन व बेल्ली को 31 मार्च को छोड़ कर धर्मम चला गया. इंग्लिश अखबार में इस खबर को जिस तरह से और बोमन व बेल्ली की तसवीर के साथ जिस हैडलाइन से छापा गया है, उस से एक वर्ग नाराज है. इस वर्ग का मानना है कि पत्रकार व संपादक ने संजीदगी नहीं दिखाई तथा कहीं न कहीं कुछ ईर्ष्या की भावना है कि बोमन व बेल्ली को अंतर्राष्ट्रीय ख्याति क्यों मिल गई.

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