भारत में महंगाई अब चर्चा का विषय नहीं रह गया है. जब भी किसी वस्तु के दाम बढ़ते है, अखबारों में सिंगल कौलम खबर छप जाती है. जो खबर कम, सूचना अधिक होती है. 1 मार्च, 2023 को सुबह के अखबारों से पता चला कि केंद्र सरकार ने घरेलू रसोई गैस की कीमत में 50 रुपए बढ़ा दिया है. सरकार ने इस तरह से जनता को होली का उपहार दिया. होली से पहले आम जनता को महंगाई का तगड़ा झटका लगा. पहले त्योहारों के समय सरकार जनता को राहत देने वाले काम करती थी. 14.2 किलोग्राम के रसोई गैस सिलैंडर को 50 रुपए महंगा कर दिया गया. दिल्ली में इस की कीमत 1,103 रुपए हो गई. हर शहर में इस की कीमत बढ़ गई.

घरेलू गैस के साथ ही साथ कमर्शियल सिलैंडर के दाम भी बढ़ा दिए गए. 19 किलोग्राम वाले कमर्शियल सिलैंडर के दाम में 350.50 रुपए का बड़ा इजाफा किया गया. इस के बाद दिल्ली में इस की कीमत 1,769 रुपए से बढ़ कर 2,119.5 रुपए, मुंबई में 1,721 रुपए की जगह 2,071.5 रुपए, कोलकाता में रेट 1,870 रुपए से बढ़ कर 2,221.5 रुपए और चेन्नई में 1,917 रुपए के बजाय 2,268 रुपए हो गई. इस का असर बाजार में बिकने वाली खानेपीने की चीजों पर पडा. होली में सब से अधिक खोया प्रयोग में आता है. इस का उपयोग गुझिया बनाने में किया जाता है. जो खोया मार्च के पहले 3 सौ रुपए किलो मिलता था, गैस की कीमत बढ़ने के बाद 4 सौ से  अधिक कीमत का हो गया.

केंद्र की भाजपा सरकार द्वारा घरेलू रसोई गैस और कमर्शियल गैस सिलैंडर के दामों में वृद्धि को कांग्रेस ने देश की आम जनता पर गहरी चोट बताया. उत्तर प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष व पूर्व सांसद बृजलाल खाबरी के नेतृत्व में कांग्रेसी लोगों ने प्रदेश कांग्रेस मुख्यालय से निकल कर विधानसभा पर विरोध प्रदर्शन किया. पुलिस प्रशासन ने उन्हें विधानसभा जाने से रोक दिया. जिस के विरोध में कांग्रेसजन धरने पर बैठे.
उत्तर प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष बृजलाल खाबरी ने कहा कि जब से देश एवं प्रदेश में भारतीय जनता पार्टी की सरकारें सत्ता में आई हैं, महंगाई अपने चरमोत्कर्ष पर है. रोज ही खाद्य वस्तुओं आटा, दाल, सरसों के तेल इत्यादि के दाम बढ़ रहे है. केंद्र की मोदी सरकार को देश की आम जनता की कोई परवा नहीं है. वह अपने पूंजीपति मित्रों को लाभ पहुंचाने की दिशा में कार्य कर रही है जो कि देश की भोलीभाली जनता पर सीधा कुठाराघात है.

कांग्रेस जिलाध्यक्ष वेद प्रकाश त्रिपाठी ने कहा कि कांग्रेस पार्टी सदैव जनहितों के मुद्दों को प्रमुखता से उठाते हुए सदन से ले कर सड़क तक संघर्षरत रही है. कांग्रेस घरेलू गैस के दामों में हुई अप्रत्याशित वृद्धि का सख्त विरोध करती है. यदि सरकार जल्द से जल्द बढ़े हुए दामों को वापस नहीं लेती है तो कांग्रेस पार्टी अपने प्रदर्शन का और भी अधिक उग्र स्वरूप प्रदान करेगी. प्रदर्शन में बड़ी संख्या में कांग्रेसी कार्यकताओं ने हिस्सा लिया. कांग्रेस ने जो प्रदर्शन किया वह अखबारों की छोटी सी खबर बन कर रह गया. इस की वजह यह है कि जनता महंगाई से परेशान है पर उस में सरकार के प्रति कोई गुस्सा नहीं है.

महंगाई बढ़ने के कारण
भारतीय अर्थव्यवस्था इस समय दोहरे संकट से जूझ रही है. महंगाई और तेजी से गिरते रुपए ने अर्थव्यवस्था को मुश्किल में डाल दिया है. देश में बीते जून में खुदरा महंगाई दर 7.01 फीसदी थी. यह अभी भी आरबीआई की अधिकतम सीमा यानी 6 फीसदी से अधिक है. दूसरी ओर डौलर की तुलना में रुपए में तेज गिरावट जारी है. डौलर महंगा होने से भारत का आयात और महंगा होता जा रहा है और इस से घरेलू बाजार में चीजों के दाम भी बढ़ रहे हैं. हाल में जो महंगाई बढ़ी है उस में पैट्रोलडीजल की कीमतों में बढ़ोतरी का बड़ा हाथ है.

ऐसे दौर में जब महंगाई लगातार बढ़ती जा रही, उस पर सरकार ने कई जरूरी चीजों पर जीएसटी बढ़ाने का फैसला किया. यह लोगों पर महंगाई की दोहरी मार है. जब जीएसटी की शुरुआत की गई थी तब एवरेज न्यूट्रल रेट 12 फीसदी रखने की बात हुई थी. लेकिन राजनीतिक कारणों से कई राज्यों ने यह मांग रखी कि यह रेट कम होना चाहिए. इसलिए कुछ जरूरी चीजों पर कोई जीएसटी नहीं लगाया गया और कुछ चीजों पर पांचदस फीसदी टैक्स लगाया गया. लेकिन इस से सरकार का राजस्व घटने लगा. जीएसटी बढने से जो राजस्व बढ़ा दिखाई दे रहा है वह जनता पर बोझ के कारण बढ़ा है.

महंगाई ने रोके जरूरी काम
महंगाई के असर से हर चीज की कीमत दोगुनी हो गई है. फल, सब्जियां या किराने का सामान खरीदते हैं तो 1,500 रुपए का बिल बन जाता है. परिवार में लोगों की इच्छाएं बढ़ने लगी हैं. लखनऊ की रहने वाली शालिनी श्रीवास्तव कहती हैं, ‘हमारे परिवार में बच्चे और बुजुर्ग दोनों हैं. इसलिए हम बहुत ज्यादा कटौती नहीं कर सकते. हमें अच्छे खाने और फलसब्जियों की जरूरत होती है. फल और सब्जियों के बढ़ते दाम चिंता का कारण बन गए हैं. हम पहले हर त्योहार में लोगों को मिठाई और जरूरत का सामान देते थे लेकिन इस साल महंगाई के कारण यह बड़ी संख्या में नहीं हो पा रहा है. पैट्रोल, डीजल और गैस के बढ़ते दामों को देख कर कोई अलग खर्च करने की हिम्मत नहीं हो पा रही है.’

बढ़ती महंगाई के कारण लोगों ने कई जरूरी कामों को रोक दिया है. इन में सब से बड़ा कारण बचत का है. बैंकों के बचत खाते में पैसा जमा होता था. घरेलू खर्च से कटौती कर के बैंकों में पैसा रखा जाता था. कई बार महिलाएं अपने पास नकदी भी बचा कर रखती थीं. नोटबंदी के समय औरतों की इस जमा बचत को ले कर तमाम तरह की बातें हुई थीं. अब महिलांए यह बचत नहीं कर पा रही हैं. शालिनी श्रीवास्तव कहती हैं, ‘आज बढ़ती महंगाई में रसोई के खर्च पूरे ही नहीं हो रहे हैं. ऐसे में बचत की बात तो लोग सोच ही नहीं सकते.’

रिजर्व बैंक औफ इंडिया ने अपने मार्जिनल कास्ट औफ फंड्स बेस्ड लैंडिंग रेट यानी कर्ज की दरों में 10 बेसिस पौइंट या 0.10 फीसदी की बढ़ोतरी की है. बैंक के अनुसार, नई एमसीएलआर दर 1 मार्च, 2023 से लागू कर दी गई है. इस के चलते अब बैंक से होम लोन, पर्सनल लोन और औटो लोन समेत सभी तरह के कर्ज महंगे हो जाएंगे. इन तमाम कारणों से बचत कम हो गई है.

एक तरफ महंगाई के कारण लोगों की बचत कम हो रही है दूसरी तरफ वे अपनी मेहनत की कमाई धार्मिक स्थलों के पर्यटन व कथाप्रवचनों को सुनने के लिए चढावे में भेंट चढ़ा दे रहे हैं. लोगों को कई तरह से इस के लिए लुभाने का काम होता है. इस में सरकार और टीवी चैनलों का बहुत बड़ा रोल है. वे इन चीजों का इतना महिमामंडन करते हैं कि लोगों को लगता है कि यहां नहीं गए तो जीवन बेकार है. इस में उलझ कर धार्मिक पर्यटन और कथाप्रवचन में चढ़ावा बचत से भी अधिक जरूरी लगने लगता है. बचत का पैसा बैंकों में न जा कर धार्मिक यात्राओं में खर्च हो जाता है.

बढ़ रहा धार्मिक पर्यटन
महंगाई के बाद भी धार्मिक पर्यटन बढ़ रहा है. धार्मिक स्थलों पर जाने वालों की संख्या तेजी से बढ़ रही है. धार्मिक पर्यटन स्थलों की चमक बढ़ रही है. केंद्र सरकार इस को ही दिखा कर बता रही है कि देश तरक्की की राह पर चल रहा है. सरकार धार्मिक पर्यटन के सहारे ही अपना खजाना भर रही है. धार्मिक पर्यटन पहले के मुकाबले काफी महंगा हो गया है. सरकार लोगों को लुभाने के लिए यहां नएनए लालच देती जा रही है. धार्मिक पर्यटन स्थलों में जाने से सरकार को 2 तरह के लाभ हो रहे हैं- एक, उस का हिंदुत्व का चुनावी मुददा प्रभावी बना हुआ है, दूसरे, उस का और मंदिरों का खजाना भी भर रहा है. टीवी चैनलों के प्रचारप्रसार से प्रभावित लोग अपनी बचत को धार्मिक पर्यटन स्थलों में घूमने पर खर्च कर रहे हैं.

केंद्र सरकार ने काशी विश्वनाथ, मथुरा, केदारनाथ, चारधाम यात्रा, महाकाल और अयोध्या में राममंदिर जैसे धार्मिक स्थलों का विकास कर के उन का ऐसा महिमामंडन किया कि हर कोई वहां जाने लगा. देश में ऐसे अनगिनत मंदिर और तीर्थस्थल हैं जिन से लाखोंकरोड़ों लोगों की भावनाएं जुड़ी हैं. आस्था और राजनीति के साथसाथ तीर्थस्थलों का एक अर्थशास्त्र भी होता है. 250 साल बाद काशी विश्वनाथ धाम का कायाकल्प हुआ. जिस के बाद काशी विश्वनाथ मंदिर 3 हजार स्क्वायर फुट से बढ़ कर 5 लाख स्क्वायर फुट में फैल गया है. अब मंदिर परिसर में 75 हजार श्रद्धालु आ सकते हैं. इतनी अधिक संख्या में लोग यहां आएंगे तो उन की बचत का पैसा बैंकों में न जा कर मंदिरों और पूजापाठ में ही तो खर्च होगा.

मंदिर और दूसरे तीर्थस्थलों के बारे में आम धारणा यही है कि इस से स्थानीय लोगों को रोजगार मिलता है और पर्यटन को बढ़ावा. अब यह पूरा सच नहीं रह गया है. स्थानीय दुकानदार केवल वस्तुएं बेचने का काम करते हैं. इस के बदले उन को एक तय रकम मिलती है. इस का बड़ा लाभ उन लोगों की जेब में जा रहा है जो इन को बनाते हैं. आज मंदिरों के पास की दुकानों में बिकने वाला हर सामान बाहर से मंगाया जाता है. इस में बड़ी संख्या में गुजरात से तैयार माल आता है. जिन में फोटो, मूर्तियां और मूर्तियों को पहनाए जाने वाले कपड़े व सजावटी सामान होता है. देश की जीडीपी में 2.32 प्रतिशत हिस्सेदारी धार्मिक यात्राओं से मिलने वाले पैसे की होती है. 55 प्रतिशत हिंदू धार्मिक यात्राएं करते हैं. भारत में सब से ज्यादा सैलानी तीर्थस्थल जाते हैं.

मंदिर और तीर्थस्थल आस्था से जुड़े होते हैं, जिस के कारण लोग दिल खोल कर खर्च करते हैं. भारत में कारोबार और शिक्षा के लिए टूर करने से दोगुना लोग तीर्थयात्रा करते हैं. धार्मिक यात्राओं पर भारतीयों के इस खर्च को देखते हुए ही सरकार धार्मिक यात्राओं को बढ़ाने की जीतोड़ कोशिश कर रही है. मंदिरों का कायाकल्प और उस का प्रचार करने का मुख्य कारण यह है कि आप की जेब का पैसा बचत के रूप में बैंक में न जा कर मंदिरों के पूजापाठ और चढ़ावा में चला जाए.

बढ़ रही धार्मिक पर्यटन की योजनाएं
धार्मिक पर्यटन को बढ़ाने के लिए तीर्थयात्रा के लिए लगातार नईनई योजनाएं सरकार बनाने का काम कर रही है. इन में प्रमुख हैं- रामायण सर्किट, चारधाम रोड प्रोजैक्ट, बुद्ध सर्किट, केदारधाम का कायाकल्प, बद्रीधाम का कायाकल्प, जम्मूकश्मीर में मंदिरों का जीर्णोद्धार, अयोध्या में राम के जीवनदर्शन के लिए सरकार ने रामायण सर्किट बनाया. साथ ही, चारधाम रोड प्रोजैक्ट भी तैयार किया गया है. बुद्ध सर्किट को भी सरकार ने और मजबूत बनाया है. इस के अलावा केदारधाम  और बद्रीधाम का भी कायाकल्प हो चुका है. यही नहीं, जम्मूकश्मीर में सरकार करीब 50 हजार मंदिरों का जीर्णोद्धार कर रही है.

अयोध्या से काशी विश्वनाथ तक रामायण यात्रा के लिए टूर पैकेज तैयार किया गया. आईआरसीटीसी के रामायण सर्किट यात्रा के जरिए अब अयोध्या से ले कर काशी विश्वनाथ तक के दर्शन कर सकते हैं. इस टूर पैकेज के जरिए यात्रियों ने अयोध्या में राम से जुड़े धार्मिक स्थलों के दर्शन किए. 18 दिनों की यह यात्रा 18 नवंबर से शुरू हुई थी. सिंगल यात्री का खर्च 68 हजार रुपए था. टूर पैकेज 17 रात और 18 दिन का था. यात्रा का टूर सर्किट दिल्ली, अयोध्या, जनकपुर, सीतामढ़ी, बक्सर, वाराणसी, प्रयागराज,चित्रकूट, नासिक, हम्पी, रामेश्वरम, भद्राचलम, दिल्ली था. इस टूर पैकेज में यात्री अपने कंफर्ट के हिसाब से कंफर्ट क्लास और सुपीरियर क्लास की यात्रा चुन सकते हैं जिस का खर्च अलग था.

कंफर्ट क्लास का किराया प्रति व्यक्ति 68,980 रुपए देने होंगे. जबकि डबल शेयरिंग के लिए यात्रियों को प्रति व्यक्ति 59,980 रुपए का भुगतान करना था. 5 साल से 11 साल तक के बच्चों के लिए 53,985 रुपए प्रति चाइल्ड भुगतान करना था. सुपीरियर क्लास में सिंगल औक्युपेसी के लिए यात्रियों को प्रति व्यक्ति 82,780 रुपए खर्च करने पड़े. डबल शेयरिंग पर प्रति व्यक्ति यात्रियों को 71,980 रुपए खर्च करने पड़े. एक तरह से सरकार धार्मिक पर्यटन स्थलों तक लोगों को ले जाने के लिए हर तरह के काम कर रही है जिस से आप की जेब का पैसा निकल कर दूसरी जेबों में चला जाए. इन धार्मिेक स्थलों का प्रचार करने का जिम्मा टीवी के खबर दिखाने वाले चैनलों ने ले लिया.

मंदिरों के महिमामंडन में जुटे चैनल
11 अक्टूबर, 2022: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी मध्य प्रदेश के उज्जैन जिले में महाकाल मंदिर में ‘जय महाकाल मंदिर के श्रीमहाकालेष्वर मंदिर कौरिडोर’ का उद्घाटन करने गए थे. इस को खबरिया चैनलों ने ‘श्री महाकाल लोक’ के रूप में स्थापित करने का काम किया. यह भी बताया गया कि इस कौरिडोर के बनने से पर्यटकों की संख्या में बड़ा बदलाव हुआ है. ‘न्यूज 24’ ने कौरिडोर के लोकापर्ण कार्यक्रम को ‘मोदी के महादेव’ नामक टाइटल के साथ दिखाया. 20 मिनट के इस प्रसारण में एंकर पूजा ने महाकाल की पूजा, इतिहास और प्रभाव के साथ मंत्र और आरती के साथ दर्शकों को मोदी की पूजापाठ को दिखाया.
‘जी न्यूज’ ने ‘महाकाल के मंदिर में पीएम मोदी’ नाम से 15 मिनट का कार्यक्रम दिखाया. इस में मोदीमय हो कर एंकर ने लोगों से बात की. ‘जी न्यूज’ ने ही अपने दूसरे कार्यक्रम ‘मोदी का जय कहाकाल’ नामक कार्यक्रम दिखाया गया. इसी तरह से ‘न्यूज नेशन’ ने ‘मोदी के महाकाल कौरिडोर’ भव्य विशाल का प्रसारण किया गया. 10 मिनट के इस कार्यक्रम में मोदी माहात्मय का विवरण किया गया. वे कितने धार्मिक हैं, यह बताया गया. ‘इंडिया न्यूज’ ने ‘पीएम मोदी इन महाकाल’ नाम से लाइव प्रसारण किया. 30 मिनट के इस प्रसारण में भव्य महाकाल, दिव्य महाकाल और मोदी का जिक्र हुआ. ‘इंडिया न्यूज’ पर ही दूसरा कार्यक्रम ‘महाकाल में बाबा के भक्त’ का प्रसारण किया गया.

एक ही समाचार को अलगअलग ‘टाइटल‘ और ‘थंबनेल’ बना कर पूरेपूरे दिन दिखाया गया. समाचारों की जगह सासबहू के सीरियल की तरह इस को दो दिनों तक खींचने का काम किया गया. इस की वजह से दर्शक यह समझ नहीं पा रहे थे कि यह न्यूज पहले दिखाई जा चुकी है या नई दिखाई जा रही है. यात्रा से 2 दिनों पहले और 2 दिनों बाद तक खबर दिखाने वाले चैनलों को देख कर यह समझ नहीं आ रहा था कि ये खबर दिखाने वाले चैनल हैं या बाबाओं का प्रवचन करने वाले. पूजा, आरती और पूरे विधिविधान का प्रसारण किया जा रहा था.

22 अक्टूबर, 2022: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी दीवाली के पहले केदारनाथ और बद्रीनाथ धाम की यात्रा पर थे. इस को ले कर एक सप्ताह पहले से खबरिया चैनलों ने धार्मिक चैनलों की तरह से खबरों के कार्यक्रम दिखाने शुरू कर दिए. प्रधानमंत्री के दौरे की वीडियो फुटेज एएनआई न्यूज एजेंसी से ले कर अपने संवाददाताओं के साथ केदारनाथ मंदिर से सामने से 3-3 घंटे की लाइव कवरेज दिखाने की होड़ सी लगी रही. मोदी ने किसी भी चैनल से बात नहीं की, इस के बाद भी चैनल के रिपोटर्र ने मंदिर के पुजारियों, पंडों और संतों से बात करते हुए पूजा विधि से ले कर उस के प्रभाव तक का पूरा खाका खींचने का काम किया. प्रधानमंत्री की इस कवरेज को टुकड़ोंटुकड़ों में अलगअलग कार्यक्रम बना कर भी दिखाया गया. हर चैनल का एकजैसा ही हाल था.

‘एबीपी न्यूज’ ने ‘बाबा केदारनाथ की शरण में पीएम मोदी’ नाम से 30 मिनट का एक कार्यक्रम पेश किया. इस में केदारनाथ के महाभारत काल से महत्त्व की चर्चा के साथ ही साथ पूजा और मंदिर का पूरा धार्मिक प्रसारण किया गया. ‘जी न्यूज’ ने 19 मिनट की लाइव कवरेज ‘मोदी के महादेव’ में अपने संवाददाता अमित प्रकाश से बातचीत के साथ कई धार्मिक लोगों से बात की. जिस से पूरा प्रसारण समाचार की जगह पर धार्मिक चैनल का सा लग रहा था. ‘एबीपी न्यूज’ में ही ‘मोदी के नाथ’ नाम से अलग प्रसारण भी किया गया. यह मोदी की केदारनाथ यात्रा की तैयारी को ले कर तैयार किया गया था.

‘न्यूज लाइव’ ने 15 मिनट के अपने कार्यक्रम ‘बद्रीनाथ धाम रवाना हुए पीएम मोदी’ का प्रसारण किया और ब्रदीनाथधाम का पूरा धार्मिक विवरण पेश किया. इसी कार्यक्रम में यह भी बताया गया कि नरेंद्र मोदी की यह दूसरी बद्रीनाथ धाम की यात्रा है. ‘न्यूज इंडिया’ ने अपने कार्यक्रम ‘मोदी का भक्ति पर्व’ में एंकर अनुपमा झा ने बताया कि पीएम नरेंद्र मोदी ने 6 बार केदारनाथ धाम की यात्रा है. 30 मिनट कह कवरेज में यह बताया गया कि मोदी पूजा के बाद किस से मिलेगे, किस गुफा में ध्यान लगाएंगे, कितनी देर तक ध्यान में रहेंगे.

23 अक्टूबर, 2022: उत्तर प्रदेश के अयोध्या में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और राज्य के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने रामलला की पूजा और दीपउत्सव में हिस्सा लिया. यहां भी खबरिया चैनलों ने खबर कम और धर्म का माहात्म्य अधिक बताया. दीपउत्सव में 17 लाख दीये जलाने का विश्व रिकौर्ड बनाया गया. रामलीला में राम, सीता और लक्ष्मण का किरदार निभाने वाले कलाकारों को रूस से खासतौर पर बुलवाया गया था. भगवान के पहनावे में उन के विमान को अयोध्या की धरती पर उतारा गया. भगवान का स्वरूप मान कर उन सब की आरती की गई. राष्ट्रवाद की बात करने वालों से किसी ने यह नहीं पूछा कि विदेशी कलाकारों में ही राम का स्वरूप क्यों दिखा?

‘इंडिया टीवी’ ने ‘अयोध्या दीपउत्सव में मोदी’ नाम से अपना कार्यक्रम पेश किया. इस लाइव प्रसारण में अयोध्या की पूरी कवरेज दिखाई गई. ‘इंडिया टीवी’ ने ही ‘मोदी चले अयोध्या’ कार्यक्रम भी पेश किया. ‘इंडिया टीवी’ ने ‘अयोध्या में रामराज्य’ के टाइटल से भी प्रसारण किया. इस को 1990 के मोदी के राममंदिर आंदोलन भी भूमिका से शुरू किया गया. यह बताया गया कि मोदी का सपना कैसे साकार हुआ. अयोध्या को सनातन धर्म से जोड़ कर बताया गया कि यह मोदी की पूजा की सफलता है. मोदी ने मंदिर निर्माण देखा और मुख्यमंत्री को इस को भव्य बनाने के निर्देश दिए.

‘आर भारत’ ने ‘अयोध्या से विहंगम कवरेज’ पेश किया. इस में ‘पीएम मोदी इन अयोध्या में’ लाइव दिखाया गया. यह बताया गया कि मोदी ने केवल दर्शन ही नहीं किए, मंदिर में दान भी दिया. मंदिर निर्माण की तैयारियों से ले कर किसकिस तरह से पीएम मोदी रुचि ले रहे है, इस का सविस्तार विवरण पेश किया गया. रामकथा पार्क के बारे में बताया गया. ‘न्यूज 18’ ने ‘राम जानकी मंदिर में योगी’ नाम से भी कार्यक्रम पेश किया. ‘न्यूज 18’ ने ‘पीएम ने की रामलला की पूजा’ टाइटल से पूरी पूजा को दिखाया. ‘जी न्यूज’ ने ‘अयोध्या के विकासपथ पर मोदी का महामंथन’ नाम से कवरेज किया.

कथा, प्रवचनों और कथावाचकों का महिमामंडन
टीवी चैनलों ने केवल मंदिर ही नहीं, मंदिर और धर्म की बात करने वालों का भी भरपूर प्रचार किया. इन में सब से बड़ा उदाहरण बागेश्वर धाम के पंडित धीरेंद्र शास्त्री का है. पंडित धीरेंद्र शास्त्री और उन के जैसे तमाम कथावाचक सनातन धर्म का प्रचार कथा और प्रवचन से करते हैं. इस से लोगों में धर्म की भावना तेज होती है. जो लोग मंदिरों तक नहीं जा पाते वे इन कथाओं और प्रवचनों को सुनने को हजारोंलाखों की संख्या में जाते हैं. इन का महिमामंडन करने के लिए कुछ टीवी चैनल बागेश्वर धाम तक गए तो कुछ ने लाइव शो आयोजित किया. इंडिया टीवी के रजत शर्मा ने ‘आपकी अदालत’ में धीरेंद्र शास्त्री को बुला कर उन का महिमामंडन किया.

एबीपी की एंकर रूबिका लियाकत धीरेंद्र शास्त्री से मिलने बागेश्वर धाम तक गईं. धीरेंद्र शास्त्री ने उन को ही हिंदू धर्म में शामिल होने का प्रस्ताव दे दिया. दोनों ही एकदूसरे की तारीफ करते रहे. करीब एक घंटे के इस शो के छोटेछोटे हिस्से यूट्यूब के जरिए लोगों तक पहंचाए जा रहे हैं. इंडिया टीवी के रजत शर्मा ने ‘आपकी अदालत’ में धीरेंद्र शास्त्री से सवालजवाब करने के लिए पूरा ड्रामा रच रखा था जिस में जज भी थे और जनता भी. एकदूसरे की तारीफ करते यह भी एक घंटे का शो टैलीकास्ट किया गया.

धीरेंद्र शास्त्री का महिमामंडन करने वालों में एबीपी और इंडिया टीवी के साथ ही साथ और भी तमाम चैनल आगे थे. आज तक में सुधीर चौधरी और श्वेता सिंह ने अपने शो में इन के कामों को दिखाया. जी न्यूज पर दीपक चौरसिया ने धीरेंद्र शास्त्री का महिमामंडन किया. जनवरीफरवरी माह में सब से अधिक कवरेज धीरेंद्र शास्त्री को मिली. इन चैनलों के ये शो इतने अधिक हैं कि इन का सही अनुमान लगाना मुश्किल है. कथा प्रवचनों से भी धार्मिक भावनाओं को बढ़ाने का काम होता है. तीर्थस्थलों की ही तरह यहां भी जेब का पैसा चढ़ावे की भेंट चढ़ जाता है. जो पैसा बैंकों में जमा होता, भविष्य में लोगों के काम आता, वह महंगाई और चढ़ावे की भेंट चढ़ रहा है.

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