उर्वरक के प्रयोग से फसल उत्पादन में बढ़ोतरी नैनो उर्वरकों को पारंपरिक उर्वरकों, उर्वरकों की थोक सामग्रियों के संश्लेषित या संशोधित रूप में या मिट्टी की उर्वरता, उत्पादकता और गुणवत्ता में सुधार लाने के लिए इस्तेमाल की जाने वाली नैनो तकनीक की मदद से विभिन्न रासायनिक, भौतिक, यांत्रिक या जैविक तरीकों से पौधे की विभिन्न वनस्पति या प्रजनन भागों से निकाला जाता है. नैनो उर्वरकों का सतह क्षेत्र अधिक होता है.

यह मुख्य रूप से कणों के बहुत कम आकार के कारण होता है, जो पौधे प्रणाली में विभिन्न चयापचय प्रक्रिया को सुविधाजनक बनाने के लिए अधिक साइट प्रदान करते हैं, जिस के परिणामस्वरूप अधिक प्रकाश संश्लेषण होता है. उच्च सतह क्षेत्र और बहुत कम आकार के कारण अन्य यौगिकों के साथ उन की उच्च प्रतिक्रियाशीलता होती है. पानी जैसे विभिन्न विलायकों में इन की उच्च विलेयता होती है. नैनो कण पोषक तत्त्वों का उपयोग दक्षता बढ़ाते हैं और पर्यावरण संरक्षण की लागत को कम करते हैं. फसलों की पोषण सामग्री और स्वाद की गुणवत्ता में सुधार होता है.

लोहे का इष्टतम उपयोग और गेहूं के दाने में प्रोटीन की मात्रा में वृद्धि होती है. रोगों का प्रतिरोध कर के पौधों की वृद्धि में वृद्धि और फसलों की गहरी जड़ें और झुकने से पौधों की स्थिरता में सुधार ने यह भी सुझाव दिया कि नैनो तकनीक के माध्यम से फसल के पौधे से संतुलित उर्वरक प्राप्त किया जा सकता है. अमेरिकी भौतिक विज्ञानी और नोबेल पुरस्कार विजेता रिचर्ड फेनमैन ने वर्ष 1959 में नैनो टैक्नोलौजी की अवधारणा का परिचय दिया.

15 वर्षों के बाद एक जापानी वैज्ञानिक नोरियो तानिगुची वर्ष 1974 में ‘नैनो टैक्नोलौजी’ शब्द का उपयोग और परिभाषित करने वाले पहले व्यक्ति थे : ‘नैनो टैक्नोलौजी में मुख्य रूप से एक परमाणु या एक अणु द्वारा सामग्री के पृथक्करण, समेकन और विरूपण का प्रसंस्करण शामिल है.’ भारत की सब से बड़ी उर्वरक सहकारी संस्था इफको ने 33 वर्षीय भारतीय वैज्ञानिक रमेश रालिया द्वारा आविष्कृत नैनो यूरिया का बड़े पैमाने पर उत्पादन शुरू कर दिया है.

तरल नैनो यूरिया के उपयोग की विधि नैनो यूरिया का 2 से 4 मिलीलिटर प्रति लिटर पानी के घोल का खड़ी फसल में छिड़काव करना चाहिए. नाइट्रोजन की कम आवश्यकता वाली फसलों में 2 एमएल और अधिक आवश्यकता वाली फसलों में 4 एमएल तक नैनो यूरिया प्रति लिटर पानी की दर से उपयोग करें. अनाज, तेल, सब्जी, कपास इत्यादि फसलों में 2 बार और दलहनी फसलों में एक बार नैनो यूरिया का उपयोग किया जा सकता है, जिस में पहला छिड़काव अंकुरण या रोपाई के 30 से 35 दिन बाद और दूसरा छिड़काव फूल आने के एक सप्ताह पहले किया जा सकता है. एक एकड़ खेत के लिए प्रति छिड़काव तकरीबन 140-150 लिटर पानी की मात्रा पर्याप्त होती है.

इफको ने भारत में पहला नैनो नाइट्रोजन यानी नैनो यूरिया तैयार किया है, जिसे यूरिया के विकल्प के रूप में इस्तेमाल किया जा सकता है. नैनो नाइट्रोजन का सही तरीके से इस्तेमाल करने पर यह यूरिया की खपत को 50 फीसदी तक कम कर सकता है. नैनो जिंक को जिंक उर्वरक के विकल्प के रूप में विकसित किया गया है. इस का इस्तेमाल करने पर जिंक की पूरी मात्रा पौधों को मिलेगी. इस से पौधों में जिंक ग्रहण करने की क्षमता का विकास होगा.

इस का फसल की पैदावार पर सीधा असर पड़ेगा. तीसरा उत्पाद इफको नैनो कौपर है, जो पौधे को पोषण और सुरक्षा दोनों में मदद करता है. इसे कवकनाशी के रूप में भी इस्तेमाल किया जाता है. यह पौधे में नुकसान पहुंचाने वाले कीटों से लड़ने की ताकत पैदा करता है. इस से पौधे में ग्रोथ हारमोन तेजी से बढ़ते हैं और पौधा भी तेजी से विकास करता है. नैनो कौपर का कृषि रसायन के रूप में भी इस्तेमाल किया जा सकेगा. नैनो यूरिया की कीमत और बिक्री केंद्र नैनो यूरिया की 500 एमएल की एक बोतल की कीमत तकरीबन 250 रुपए रखी गई है.

खरीदने के लिए अपने नजदीकी इफको बिक्री केंद्र पर संपर्क करें. नैनो यूरिया के लाभ

* उत्पादन वृद्धि के साथ उत्पादक गुणवत्ता में वृद्धि होती है.

* परिवहन एवं भंडारण खर्चों में कमी एवं सुगम परिवहन किया जा सकता है.

* यह सभी फसलों के लिए उपयोगी है. बिना उपज प्रभावित किए यूरिया और अन्य नाइट्रोजनयुक्त यूरिया की बचत करता है.

* वातावरण प्रदूषण की समस्या से मुक्ति यानी मिट्टी, हवा और पानी की गुणवत्ता में सुधार के साथ उर्वरक उपयोग दक्षता भी इस की अधिक है. उपयोग करने के दिशानिर्देश और सावधानियां

* उपयोग से पहले अच्छी तरह से बोतल को हिलाएं. प्लेट फैन नोजल का उपयोग करें.

* सुबह या शाम के समय छिड़काव करें. तेज धूप, तेज हवा और ओस हो, तब इस्तेमाल नहीं करना चाहिए.

* यदि नैनो यूरिया के छिड़काव के 12 घंटे के भीतर बारिश होती है, तो छिड़काव को दोहराना चाहिए.

* जैव उत्प्रेरक जैसे सागरिका, 100 फीसदी घुलनशील उर्वरकों और कृषि रसायनों के साथ मिला कर उपयोग किया जा सकता है. लेकिन जार परीक्षण कर के ही प्रयोग करें.

* बेहतर परिणाम के लिए नैनो यूरिया का उपयोग इस के निर्माण की तारीख से 2 वर्ष के अंदर कर लेना चाहिए.

* नैनो यूरिया विषमुक्त है, फिर भी सुरक्षा की दृष्टि से फसल पर छिड़काव करते समय फेस मास्क और दस्ताने का उपयोग करने की सलाह दी जाती है.

* नैनो यूरिया को बच्चों और पालतू जानवरों की पहुंच से दूर ठंडी और सूखी जगह पर ही रखें.

लेख- विकास सिंह, कृशानु, शोध छात्र, मुकेश कुमार, सहायक प्रोफैसर, आरएस सेंगर, प्रोफैसर, कृषि जैव प्रौद्योगिकी, सरदार वल्लभभाई पटेल कृषि

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