रीना सोनालिका

बात उन दिनों की है, जब हमारी शादी के 2 साल हो गए थे और हम पतिपत्नी दोनों आपस में लड़ते बहुत थे। वह हमें उकसाती बहुत थी और मैं बात को खींचता बहुत था। हालांकि हम दोनों एकदूसरे को बहुत प्यार करते थे और एकदूसरे का बहुत खयाल भी रखते थे। इसी वजह से हमारी आपस में बनती बहुत थी। लेकिन सारा दिन हमलोग लड़ते ही रहते थे और एकदूसरे की टांग खींचते ही रहते थे।

लोगों को हमारे प्यार का पता नहीं, बस हमारे बीच जो झगङे होते थे उसी का पता है। लेकिन कहते हैं न कि इश्क और मुश्क छिपाए नहीं छिपते, वही हाल हुआ हमारे प्यार का और हम पकड़े गए।

एक दिन की बात है। मैं सुबह बहुत लेट से उठा था और मुझे औफिस जाना था। मैं जल्दीजल्दी तैयार हुआ। इधर मेरी पत्नी डाइनिंग टेबल पर नाश्ता लगाई हुई थी और मुझे खाने पर बुला रही थी। मैं ने कहा कि आज बहुत लेट हो गया है, आज नाश्ता नहीं कर पाऊंगा और दोपहर का लंच भी मत देना। आज समय नहीं मिलेगा खाने का। इतना सुनते ही मेरी पत्नी झल्लाने लगी और बोलने लगी कि आप की तो रोज की आदत है ऐसा करने की। कब सवेरे उठते ही ठीक से नाश्ता करते हो और आराम से औफिस जाते हो। हमेशा हड़बड़ी रहती है तुम्हें। मैं रोज सबेरे उठ कर आप के लिए नाश्ता बनाती हूं, लंच तैयार करती हूं। फिर नहाधो कर आप के लिए नाश्ता परोसती हूं।

मेरी पत्नी हमेशा यही करती थी। मुझे खिला कर ही वह खाती थी और तभी उस के दिल को सुकून मिलता था। लेकिन आज मेरे पास वक्त बहुत कम था, इसलिए मैं ने साफ मना कर दिया। इस पर वह बोली,”मैं कुछ नहीं सुनती। रोजरोज बस एक ही बहाना। अब से मैं सवेरे उठूंगी नहीं और न ही आप के लिए कुछ काम करूंगी,” इतना सुनते ही मेरे भी कान खड़े हो गए और मैं भी झल्ला उठा,”कौन बोलता है तुम्हें मेरे लिए सवेरे उठने… जाओ आराम करो और अब से मेरे लिए कोई काम मत करना। मेरी चिंता करने की जरूरत नहीं है। मैं औफिस जा रहा हूं, मेरे बदले तुम सारा खाना खा लेना।”

वह और गुस्सा गई,”मुझे तो आप से कोई बात ही नहीं करनी।” मैं औफिस को निकल गया और उधर वह रोरो कर अपना हाल बुरा किए हुए थी। कुछ खा पी नहीं सकी, जिस के कारण बीपी लो हो गया और चक्कर आने की वजह से वह गिर गई। परिवार वाले ने उसे उठा कर बिस्तर पर सुला दिया और आराम करने को कहा।

शाम का समय था और औफिस में छुट्टी होने का भी समय था कि तभी मेरे छोटे भाई का फोन आया,”भैया, भाभी की बहुत तबीयत खराब है,” इतना सुनते ही मैं दौड़तेभागते घर पहुंचा। पत्नी बैड पर लेटी थी। मैं ने कहा,”एक तो लड़ती भी हो मुझ से, दूसरा परेशान भी करती हो। खाने ने तुम्हारा क्या बिगाड़ा था, जो अभी तक कुछ नहीं खाई…” मैं उस के करीब गया और उसे उठाया,”चलो कुछ खा लो तभी तुम्हारी तबीयत ठीक होगी फिर दवा दे दूंगा।”

वह बोली,”मैं कुछ नहीं खाऊंगी जब तक आप कुछ नहीं खाते।”

मैं बोला,” मैं खा चुका हूं…”

वह बोली,” चेहरे का रंग बता रहा है कि आप ने सुबह से ही कुछ नहीं खाया।”

मैं बोला,”हां, बस 1 गिलास जूस पीया है।”

वह बोली,”जब तक आप मेरी बात नहीं मानेंगे तब तक मैं कुछ नहीं खाऊंगी।”

“कौन सी तुम्हारी बात है, जो मैं नहीं मानता?”

“यही कि आप सवेरे उठेंगे और ठीक से नाश्ता करेंगे। दोपहर का लंच भी ले कर जाएंगे।”

मैं बोला,”ठीक है, वादा रहा। मैं भी तुम से एक बात आज बोलता हूं कि आज के बाद तुम कभी भी रोरो कर अपनी तबीयत नहीं खराब करोगी और खाना समय पर बनाओगी,” मैं ने उस के आंसू पोछे और किचन से ला कर उसे खाना खिलाया। कभी वह मुझे खिलाती तो कभी मैं। अभी हम दोनों करीब ही आ रहे थे कि तभी हमारी चोरी पकड़ी गई और मेरे छोटे भाई ने गा कर हमारी पोल खोल दी,”कैसा यह प्यार है… कैसा खुमार है…”

परदे के पीछे से वह हमारी सारी बातें सुन रहा था। वह बोला,”वाह भैया, परिवार और समाज को दिखाते कुछ और करते कुछ और हो।”

तब तक घर के सभी लोग आ गए और हमें देख कर हंसने लगे। मैं शरमाते हुए बोला,”मैं तो इसे बस समझा रहा था…”

दादीमां मेरे कान पकड़ते हुए बोलीं,”मुझे समझाएगा.. मुझे सब पता है। अरे बेटा, 50 साल हो गए हमारी शादी को, इसलिए पता है कि पतिपत्नी का प्यार क्या होता है…पति और पत्नी एकदूसरे के पूरक और जरूरत होते हैं, क्योंकि वे सच्चे जीवनसाथी होते हैं।”

भाई ने गाना चला दिया,”कैसा यह प्यार है, कैसा खुमार है…”

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