दोपहर का समय था. मैं बरामदे में बैठ कर अखबार पढ़ रहा था. अचानक मोबाइल फोन की घंटी बजने लगी.
मेरा ध्यान अखबार से हट कर मोबाइल फोन पर गया. मोबाइल फोन उठा कर देखा तो कोई अनजाना नंबर था.
स्विच औन करते ही उधर से आवाज आई, ‘हैलो... सर, क्या आप राकेशजी बोल रहे हैं?’
‘‘जी हां, मैं राकेश बोल रहा हूं?’’ अनजानी आवाज से मेरे नाम के संबोधन से मैं हैरान रह गया.
‘देखिए, मैं आरबीआई, भोपाल से बोल रहा हूं.’
‘‘आरबीआई, भोपाल से?’’ मैं ने हैरानी से पूछा.
‘जी हां, ठीक सुना है आप ने. मैं मैनेजर बोल रहा हूं.’
‘‘ओह सर... कहिए क्या बात है? आप को मेरा नाम और नंबर कहां से मिला?’’ मैं ने उत्सुकतावश पूछा.
‘आप का सवाल ठीक है. देखिए, बैंक मैनेजमैंट हर ग्राहक की पूरी जानकारी रखता है. आप चिंता न करें. आप के फायदे में जरूरी जानकारी देना हमारा फर्ज है.’
‘‘जी फरमाइए, क्या बात है?’’ मैं ने उन से पूछा.
‘जरूरी बात यह है कि क्या आप के पास एटीएम कार्ड है?’
‘‘जी, बिलकुल है,’’ मेरी उत्सुकता बढ़ने लगी.
‘आप का एटीएम कार्ड तकनीकी गड़बड़ी के चलते ब्लौक हो गया है.’
‘‘कौन से बैंक का एटीएम कार्ड ब्लौक हुआ है आप का?’’
‘आप के पास कितने एटीएम कार्ड हैं?’ बैंक मैनेजर के इस सवाल पर मेरे कान खड़े हो गए. मैं समझ गया कि कोई जालसाज अपना जाल फैला रहा है, फिर भी मैं अनजान बना रहा और बात आगे बढ़ाई, ‘‘सर, मेरे पास 4 बैंकों के एटीएम कार्ड हैं.’’
‘आप का एसबीआई का एटीएम कार्ड ब्लौक हो चुका है.’
‘‘मुझे इस के लिए क्या करना होगा?’’ मैं ने अपनी चिंता जाहिर करते हुए पूछा.