शरीर की देखभाल में हम सब से कम महत्त्व पैरों की देखभाल को देते हैं. हम दिन में कई बार चेहरे पर क्रीम लगाते हैं, लेकिन पैरों को नजरअंदाज करते हैं, जबकि इन की देखभाल को नजरअंदाज करने के घातक परिणाम हो सकते हैं. मिसाल के तौर पर बैक्टीरियल या फंगल संक्रमण, कौर्न्स, पैरों की त्वचा में दरारें, दुर्गंध आदि समस्याएं हो सकती हैं. बरसात के मौसम में तो पैरों की देखभाल पर विशेष ध्यान देना और भी जरूरी हो जाता है, क्योंकि इस मौसम में पैर गंदे पानी के संपर्क में ज्यादा आते हैं. अगर पैरों की त्वचा में खुजली, सूजन या त्वचा के उखड़ने जैसी समस्या हो तो तुरंत चिकित्सक से संपर्क करें, क्योंकि यह गंभीर त्वचा ऐलर्जी हो सकती है, जिस का तत्काल इलाज जरूरी है.

उपाय पैरों की देखभाल के

पैरों को अच्छी तरह धोएं: पैरों की त्वचा बैक्टीरियल और फंगल संक्रमण के प्रति बहुत अधिक संवेदनशील होती है. हालांकि हम दिन में अधिकतर समय मोजे और जूते पहने होते हैं तो भी पैर इन में मौजूद बैक्टीरिया और फंगस के संपर्क में रहते हैं. इस के अलावा पैर फर्श पर जमी धूल और गंदगी के संपर्क में भी रहते हैं. अगर पैरों को ठीक से धोया और साफ न किया जाए तो पैरों की उंगलियों के बीच की त्वचा बैक्टीरिया और फंगस के संक्रमण के पनपने के लिए आदर्श जगह होती हैं. इसलिए अपने पैरों को दिन में कम से कम एक बार साबुन से धोना बहुत जरूरी है ताकि उन में जमी गंदगी और पसीना साफ हो जाए.

पैरों को रखें सूखा: ऐथलीट्स फुट पैरों का आम फंगल संक्रमण है, जो खुजली, जलन, त्वचा उखड़ने के साथसाथ फफोले भी पैदा कर सकता है. ऐथलीट्स फुट जैसे फंगल संक्रमण के लिए पैरों की नमी एक आदर्श स्थिति है. इसलिए पैरों को धोने के बाद उन्हें सुखाना, विशेषरूप से उंगलियों के बीच की जगह को सुखाना बहुत ही जरूरी है.

पैरों को नियमित मौइश्चराइज करें: सिर्फ चेहरे और हाथों को ही मौइश्चराइज न करें, पैरों पर भी ध्यान दें, क्योंकि उन में नमी की कमी होने पर पैरों की त्वचा सूखी, पपड़ीदार हो सकती है. यहां तक कि फट भी सकती है. पैरों की त्वचा फटने पर विशेषकर एडि़यों की त्वचा फटने पर बेहद शुष्क और कड़ी हो जाती है. उस के बाद यह हिस्सा गंदगी और मैल के लिए चुंबक का काम करता है. फटी एडि़यां देखने में भद्दी ही नहीं लगती हैं, बल्कि उन में दर्द भी हो सकता है. इसलिए रोजाना पैरों को धोने के बाद उन पर मौइश्चराइजिंग क्रीम जरूर लगाएं. कोकोआ बटर या पैट्रोलियम जैली अच्छे विकल्प हो सकते हैं.

खुरदरी त्वचा हटाएं: मृत त्वचा को मौइश्चराइज करने से कोई फायदा नहीं होगा. इसलिए महीने में एक बार ऐक्सफौलिएट कर मृत त्वचा को हटाना जरूरी है. ऐसा प्युमिक स्टोन या लूफा से किया जा सकता है, लेकिन हलके हाथों से. ये कठोर मृत त्वचा पर जमी गंदगी को हटाने में भी मदद करते हैं. मृत त्वचा को हटाने के बाद उसे मौइश्चराइजर लगा कर हाइड्रेट करें और रात भर ऐसे ही छोड़ दें. चीनी और जैतून के तेल के मिश्रण में कुछ बूंदें मिंट या टी ट्री औयल मिला कर भी स्क्रबिंग की जा सकती है, क्योंकि इस में बैक्टीरियारोधी गुण होते हैं.

पैरों को पैंपर करें: महीने में 2 बार पैरों को 10 से 15 मिनट गरम पानी में भिगोए रखें. इस से त्वचा के नर्म होने में मदद मिलती है. फिर पैरों को अच्छी तरह सुखाएं और विटामिन ई युक्त कोल्ड क्रीम लगाएं. यदि पैर संक्रमण के प्रति अतिसंवेदनशील हैं, तो ऐंटीबैक्टीरियल क्रीम का इस्तेमाल करें. आप हाइड्रेटिंग मास्क के रूप में मसले केले में नीबू का रस मिला कर भी इस्तेमाल कर सकती हैं. इसे पूरे पैर पर लगाएं और 20 मिनट बाद कुनकुने पानी से धो लें. बाहर जाने से या सोने से पहले मौइश्चराइजिंग फुट क्रीम अथवा पैट्रोलियम जैली लगाएं.

मोजे पहनें: मोजे धूल, गंदगी से पैरों की रक्षा करते हैं. यही नहीं ये पराबैगनी विकिरण से भी सुरक्षा प्रदान करते हैं.

आरामदायक जूते पहनें: हमेशा आरामदायक जूते पहनें. तंग जूते पहनने से बचें, क्योंकि वे त्वचा में संक्रमण या घावों को जन्म दे सकते हैं. ऊंची एड़ी के जूतेचप्पलें नियमित पहनने से बचें, क्योंकि वे पैरों के ऊतकों और लिगामैंट को नुकसान पहुंचा सकते हैं.

– डा. सपना वी रोशनी, प्लास्टिक ऐंड रिकंस्ट्रक्टिव सर्जन, कोकूना सैंटर फौर ऐस्थैटिक ट्रांसफौर्मेशन, नई दिल्ली

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