पानीपत शहर से 7 किलोमीटर पहले दिल्लीचंडीगढ़ हाईवे पर बाएं हाथ पर एक गांव है सिवाह. वहां के एक प्रगतिशील किसान रामप्रताप शर्मा ने आधुनिक तरीके से खेतीबारी कर के न केवल धरती से सोना उगाया है, बल्कि कई अवार्ड भी जीते  हैं. 55 साल के रामप्रताप शर्मा ने कम उम्र में ही खेतीबारी से नाता जोड़ लिया था और आज वे अपनी तकरीबन 30 एकड़ पारिवारिक जमीन पर परंपरागत व आधुनिक दोनों तरीकों से फसलें उगा रहे हैं.

वैसे तो खेतीबारी की इस बैल्ट में  ज्यादातर किसान साल में 3 फसलें जैसे गेहूं, धान व गन्ना अपने खेतों में उगाते  हैं, लेकिन रामप्रताप शर्मा ने कुछ हट कर सोचा. उन्होंने कृषि विज्ञान केंद्र ऊझा, पानीपत के कृषि वैज्ञानिकों डा. राजबीर गर्ग और आरएस दहिया की मदद से 4-5 एकड़ जमीन में खेतीबारी के आधुनिक तरीके अपना कर बैगन, प्याज, हरी मिर्च, टमाटर, घीया, तुरई, सेम, खीरा, आलू, शलगम के अलावा खरबूजा और पपीता की भी खेती की. रामप्रताप शर्मा मल्चिंग तकनीक से आधुनिक खेती करते हैं, जिस में ड्रिप सिंचाई का अहम योगदान होता  है. साथ ही उत्तम किस्म के बीज और उन की बोआई पर भी खास ध्यान दिया जाता  है.

रामप्रताप शर्मा ने बताया, ‘नई तकनीक से खेती करने में ज्यादा मेहनत की जरूरत होती है. आम शब्दों में कहें, तो किसान को एक वैज्ञानिक की सोच अपनानी पड़ती है और ज्यादा से  ज्यादा फसल लेने के लिए उसे खेतीबारी के आधुनिक उपकरणों, खाद और दवाओं की पूरी जानकारी होनी चाहिए. कृषि विज्ञान केंद्र इस के लिए किसानों के सम्मेलन और कार्यशालाएं आयोजित कराते  हैं, जो बहुत उपयोगी साबित होते  हैं.

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