खिरमने बाजार में भी
तेरी आहटों का धोखा रहा
कुछ इस अदा से
दाएंबाएं गुजर गए.
तमन्ना थी ख्वाबतराशी की
पर नूर ताबीर पर पड़ गए
ताबीर थी ख्वाबों की
गुलों को गुलनार कर गए.
इस कदर शीराजा हर्फ
बिखरबिखर से गए
मानो साल गुजरे नहीं
फिसलफिसल से गए.
– पम्मी सिंह
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