आपने शादी के बाद मनमुटाव होने पर दंपत्ति को काउंसलिंग के लिए जाते तो कई बार देखा होगा लेकिन आज के समय में समझदार जोड़े शादी से पहले काउंसलिंग लेने लगे हैं ताकि विवाह के बाद आने वाली समस्याओं को पहले से ही सुलझा लिया जाए. दरअसल, आज के समय में रिश्तों में स्थिरता और एक दूसरे के लिए धैर्य खत्म होता जा रहा है जिसके चलते विवाह के बाद पति-पत्नी आपस में एक-दूसरे को समझने के बजाय छोटी छोटी बातों पर झगड़ने लगते हैं. नतीजन, बात अलगाव तक पहुंच जाती है. ऐसे में जरूरी है कि रिश्तों में अंतरंगता और रिश्तों को लंबे समय तक बनाए रखने के लिए शादी से पहले काउंसलिंग ली जाए. इससे आपको चीजों को बेहतर ढंग से समझने में मदद मिलेगी.

मैरिज काउंसलर आजकल प्रोफेशनल एक्सपर्ट भी होते हैं, जिनसे नए जोड़े और शादी करने वाली जोड़ियां मिलकर अपनी समस्याओं और शंकाओं का समाधान पा सकती हैं. कई बार पति पत्नी का रिश्ता बेतुकी बातों के कारण टूटने के कगार पर आ जाता है क्योंकि उन्हें विवाह के बाद रिश्तों को कैसे निभाया जाए इस बात की ट्रेनिंग या सलाह नहीं दी जाती.

प्रसिद्ध  साइकोलोजिस्ट अनुजा कपूर का इस बाबत  कहना है “हम भारतीय शादी पर लाखों करोड़ों रुपये तो खर्च कर देते हैं लेकिन शादी को निभाने के लिए ज़रूरी काउंसलिंग पर पैसा नहीं खर्चते या फिर हम इसकी अहमियत या जरूरत नहीं समझते, तभी आजकल तलाक के ऐसे भी मामले देखने में आते हैं जहां तलाक का कारण मात्र यह होता है कि हनीमून के अगले दिन पति ने गीला टोवेल बेड पर छोड़ दिया जो पत्नी को नागवार गुजरा.”

मैरिज काउंसलिंग 2 बातों से जुड़ी होती है. पहली स्वास्थ्य से संबंधित तो दूसरी रिश्तों से संबंधित. काउंसलिंग के दौरान आपको शादीशुदा जीवन में आने वाली सामान्य कठिनाईयों और उनसे बचने के उपाय और शादी को सफल बनाने की  जानकारी दी जाती है. जहां विवाह के पश्चात स्वास्थ्य संबंधी काउंसलिंग आप के वैवाहिक जीवन में काम आती है, वहीं रिश्तों से संबंधित जानकारी होने से नवविवाहित नए माहौल में खुद को एडजस्ट आसानी से कर लेते हैं.                                  

मैरिज काउंसलिंग के फायदे

शादी को लेकर लड़के लड़की दोनों के मन में शारीरिक के अलावा रिश्ते निभाने संबंधी अनेक सवाल होते हैं, पर उनका सही जवाब न दोस्तों के पास होता है न परिवार वालों के पास. ऐसे  में मैरिज काउंसलर ही एक ऐसा शख्स होता है जो उनकी शंकाओं का समाधान कर सकता है. मैरिज काउंसलिंग का फायदा यह भी होता है कि दोनों पार्टनर जो एक दूसरे से इन विषयों पर बात करने से झिझकते हैं, वे एक दूसरे से खुल जाते हैं और दोनों के बीच बेहतर संवाद स्थापित होता है.

शादी एक ऐसा टर्निंग प्वाइंट होता है जब आपका लाइफ स्टाइल बिल्कुल बदल जाता है, शादी से पहले की काउंसलिंग से वैवाहिक बंधन में बंधने वाले जोड़े को आने वाले जीवन के लाइफस्टाइल को समझने और उसके हिसाब से खुद को ढलने में मदद मिलती है.

शादी के बाद प्रैक्टिकल तौर पर जब आप प्रेमी प्रेमिका से पति पत्नी बन जाते हैं तो घरेलू जिम्मेदारियों को लेकर एक-दूसरे पर गलतियां थोपने से रिश्तों में दरार आ जाती है. ऐसे में दोनों में से कोई भी एक-दूसरे की जिम्मेदारी उठाने से कतराने लगता है. ऐसे में जिम्मेदारियों को समझने और उन्हें सही तरह से निभाने के लिए मैरिज काउंसलिंग बहुत जरूरी होती है. शादी के परामर्श की मदद से दोनों साथी एक-दूसरे की जिम्मेदारी को बेहतर तरीके से समझ सकते हैं.

काउंसलर, कपल्स की मदद करते हैं ताकि वे वर्तमान के साथ ही अपने भविष्य के बारे में भी प्लानिंग कर सकें. जैसे फैमिली प्लानिंग ससुराल के रिश्तों के साथ मैनेजमेंट, फाइनैंशियल प्लानिंग क्योंकि एक सफल शादीशुदा रिश्ते के लिए सिर्फ प्यार नहीं प्रैक्टिकल सोच की जरूरत होती है. काउंसलर, कपल्स से सिर्फ पॉजिटिव बातें ही नहीं करता बल्कि वह ऐसे मुद्दों को भी उठाता है जिसके बारे में लोग बात नहीं करना चाहते या झिझकते हैं.  शादी करने से पहले जानना जरूरी है कि क्या सचमुच आप एक दुसरे एक लिए बने हैं? क्या एक इमोशनली, सेक्शुअली, फाइनैंशली  के साथ निभा सकते हैं क्या अपने रिश्ते को लेकर आप दोनों की सोच एक जैसी है. इन सवालों के जवाब से आप जान पाएंगे कि क्या सच में आप शादी के लिए तैयार हैं या नहीं?

हाल ही में इस दिशा में देहरादून के राज्य महिला आयोग द्वारा महिेलाओं को उनका हक दिलाने और रिश्तों को मजबूत करने की सीख देने के लिए एक नई शुरुआत की गई है. आयोग ने प्री-मेरिटल काउंसलिंग की शुरुआत की है.  आयोग का मानना है कि शादी करने से पहले सभी जोड़े एक बार यह काउंसलिंग अवश्य कराएं, इससे उनके रिश्ते मजबूत होंगे और भवि ष्य में उन्हें आपसी रिश्ते निभाने में आसानी होगी.

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