सौजन्य: मनोहर कहानियां
2 बच्चों के पिता होने के बावजूद सुलभ मलहोत्रा को अपनी दुकान की सेल्सगर्ल किरण गुप्ता से प्यार हो गया. सुलभ की पत्नी अंजना को जब इस की जानकारी हुई तो उस ने पति को समझाया. सुलभ ने पत्नी की बात मान भी ली लेकिन इस दौरान ऐसा क्या हुआ कि अंजना को अपनी जान से हाथ धोना पड़ा?
रात के 8 बज रहे थे. उस समय अंजना कानपुर के मोहल्ला कौशलपुरी स्थित अपने मकान के बरामदे में बैठी अपने
पति सुलभ मलहोत्रा के आने का इंतजार कर रही थी. सुलभ मलहोत्रा क्राकरी कारोबारी थे. गुमटी नंबर 5 के मेन मार्केट में उन की दुकान थी. रात 8 बजे दुकान बंद हो जाती थी. दुकान से घर आने में 20 मिनट का ही समय लगता था.
लेकिन इधर काफी दिनों से वह कभी समय पर घर नहीं लौट रहे थे. कभी रात के 10 बजे तो कभी 11 बजे और कभीकभी तो 12 बजा देते. जब भी घर लौटते, बहाने बना देते. कभी कहते दुकान में काम ज्यादा था तो कभी कहते कि तकादे के लिए निकल गया था. अंजना उस के इन बहानों पर विश्वास कर लेती थी.
लेकिन विश्वास की भी एक सीमा होती है. यह सीमा पार हो जाए तो आशंकाएं सिर उठाने लगती हैं. कुछ दिनों पहले अंजना ने इन बातों पर गौर करना शुरू किया तो उसे दाल में कुछ काला लगा था. फिर एक दिन उसे उड़तीउड़ती सी खबर मिली थी कि उस के पति सुलभ और किरण के बीच प्रेम का चक्कर चल रहा है.
25 वर्षीया किरण गुप्ता उस के पति सुलभ की क्राकरी दुकान पर काम करती थी, लेकिन यही किरण अब आस्तीन का सांप बन कर उसे डस रही थी. उस का मन हुआ कि किरण को बुला कर डांटेफटकारे और चेतावनी दे कि जिस रास्ते पर वह चल रही है, उस के हक में वह ठीक नहीं है.
लेकिन सुनीसुनाई बातों पर विश्वास कर किसी कुंवारी लड़की को लांछित करना उसे ठीक नहीं लगा. पति से पूछना ही ठीक रहेगा. यह सोच कर अंजना उस रात 8 बजे बरामदे में आ बैठी थी.
समय बड़ी तेजी से सरक रहा था पति के इंतजार में बैठेबैठे अंजना को 2 घंटे बीत गए थे. इस के साथ ही उस के चेहरे पर खीझ और गुस्से के भाव तैरने लगे थे. उस ने दीवार घड़ी पर नजर डाली. रात के 11 बजे रहे थे. अब सुलभ पर उसे गुस्सा आने लगा था.
वह उठ कर कमरे में आ गई. कमरे में आ कर उस ने दरवाजा बंद किया था कि कुछ पलों में दस्तक हुई. उस ने दरवाजा खोला. सामने सुलभ ही था. सुलभ अंदर आ गया तो वह फट पड़ी, ‘‘हद कर दी आप ने. आज भी देर से आए.’’
‘‘अरे भाई, सांस तो लेने दो जरा,’’ सुलभ ने सफाई देनी चाही. लेकिन अंजना ने मौका ही नहीं दिया. वह बोलती गई, ‘‘मैं इंतजार करतेकरते थक गई आप का. आप हैं कि अब आ रहे. कब तक चलेगा ऐसा? समय तो देखिए जरा, क्या बज रहा है?’’
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सुलभ सोफे पर बैठ गया और जूते उतारते हुए बोला, ‘‘तुम्हें तो पता ही है अंजना कि दुकान पर कितना काम रहता है. इस के अलावा मुझे कुछ उधारी वसूलने भी जाना पड़ता है. मैं तो पूरी कोशिश करता हूं कि काम निपटा कर जल्दी घर आ जाऊं. लेकिन ऐसा हो नहीं पाता. फिर आज तो हमारी
कार जाम में फंस गई. बड़ी मशक्कत के बाद निकल पाया.’’
‘‘झूठ बोलते हैं आप,’’ अंजना बिफर पड़ी, ‘‘दुकान पर पहले भी काम रहता था. तगादे पर भी जाते थे. तब भी आप क्या इतनी देर से आते थे. आप बहाना बनाते हैं. अपनी पत्नी से ही छल करते हैं. कुछ तो शर्म कीजिए.’’
सुलभ चकित रह गया. अंजना के इस बदले व्यवहार पर सकपका कर बोला, ‘‘अंजना, आज तुम कैसी बातें कर रही हो?’’
‘‘झूठ तो बोल नहीं रही हूं,’’ अंजना की आवाज तेज हो गई, ‘‘आज आप को बताना ही पड़ेगा कि इतनी देर तक कहां रहते हैं आप? दुकान बंद हो जाने के बाद कहां जाते हैं? किस के साथ गुलछर्रे उड़ाते हो? किरण से आप के क्या संबंध हैं? बताइए …बताइए वरना मैं अभी चीखचीख कर सब के सामने कहूंगी कि मेरे पति दुश्चरित्र हैं. किरण से उन के नाजायज संबंध हैं. दोनों घर से बाहर मिलते हैं. इसलिए घर लौटने में देर करते हैं.’’
यह सुन कर सुलभ चुप हो गया. सन्नाटे में आ गया था वह. उस ने अंजना का ऐसा रूप पहले कभी नहीं देखा था. दयनीय स्वर में बोला, ‘‘अंजना, प्लीज अब चुप भी हो जाओ, वरना पड़ोसी इकट्ठे हो जाएंगे और हमारी इतने दिनों की इज्जत, मानमर्यादा सब मिट्टी में मिल जाएगी.’’
फिर उस ने अंजना से माफी मांगी और वायदा किया कि आइंदा किरण से बाहर नहीं मिलेगा.
अंजना ने उसे माफ कर दिया यह सोच कर कि पति कैसा भी हो, है तो अपना ही. उसे सुधरने का मौका मिलना ही चाहिए.
उत्तर प्रदेश के कानपुर महानगर के नजीराबाद थाना अंतर्गत एक मोहल्ला है कौशलपुरी. पंजाबी बाहुल्य मोहल्ले में ज्यादातर धनाढ्य कारोबारियों के मकान हैं.
इसी कौशलपुरी मोहल्ले में बिहारी लाल मलहोत्रा सपरिवार रहते थे. उन के परिवार में पत्नी पूनम के अलावा बेटा सुलभ तथा बेटी पूजा थी. पूजा की शादी वह विक्रम कपूर के साथ कर चुके थे. वह पति के साथ दिल्ली में रहती थी.
बिहारी लाल मलहोत्रा चर्चित क्राकरी कारोबारी थे. गुमटी नंबर 5 के मेन मार्केट में उन की ‘मलहोत्रा क्राकरी’ के नाम से दुकान थी. क्राकरी का कारोबार वह स्वयं तथा उन का बेटा सुलभ संभालता था.
बिहारी लाल की आर्थिक स्थिति मजबूत थी. कौशलपुरी में उन का निजी आलीशान मकान था. उन के पास कार भी थी. जिसे सुलभ ड्राइव करता था. व्यापारी वर्ग में उन की अच्छीखासी पहचान थी.
सुलभ कारोबार संभालने लगा तो बिहारी लाल को उस के विवाह की चिंता सताने लगी. वह अपनी बिरादरी की पढ़ीलिखी लड़की से उस की शादी करना चाहते थे. वह कई लड़कियां देख भी चुके थे लेकिन सुलभ शादी को राजी नहीं हुआ.
मौल में हुई अंजना से मुलाकात
इन्ही दिनों एक रोज मौल में सामान खरीदते समय सुलभ की मुलाकात एक खूबसूरत युवती अंजना भदौरिया से हुई. वह भी मौल में सामान खरीदने आई थी.
पहली ही मुलाकात में दोनों एकदूसरे के प्रति आकर्षित हुए. दोनों में बातचीत हुई फिर दोनों ने एकदूसरे को अपना मोबाइल फोन नंबर दे दिया. इस के बाद उन की मोबाइल फोन पर बातचीत होने लगी.
जल्द ही बातचीत प्यार में बदल गई और दोनों एकदूसरे से प्यार करने लगे. प्यार की मंजिल आगे बढ़ी और सुलभ ने अंजना के समक्ष शादी का प्रस्ताव रखा तो वह राजी हो गई.
इस के बाद दोनों ने अपने घर वालों को बताए बिना आर्यसमाज मंदिर में प्रेम विवाह कर लिया. कुछ दिनों बाद घर वालों को उन के प्रेम विवाह की जानकारी हुई तो उन्होंने दोनों का सामाजिक रीतिरिवाज से विवाह करने का निश्चय किया.
अंजना फेथफुलगंज में अपनी बड़ी बहन बबीता उर्फ बबली भदौरिया के साथ रहती थी. 3 बहनों में वह सब से छोटी थी.
बिहारीलाल मलहोत्रा ने अंजना की बड़ी बहन बबली से बातचीत की. फिर सहमति से 8 फरवरी, 2008 को सुलभ का विवाह अंजना के साथ सामाजिक रीतिरिवाज से कर दिया. अंजना सुलभ की दुलहन बन कर ससुराल कौशलपुरी आ गई.
ससुराल में अंजना को सास पूनम मलहोत्रा का भरपूर प्यार मिला. उन्होंने उसे बहू के रूप में स्वीकार कर लिया. ससुराल में किसी चीज की कमी नहीं थी. सो अंजना पति के साथ सुखमय जीवन व्यतीत करने लगी.
सुलभ अंजना को भरपूर प्यार देता था और कभी किसी चीज की कमी का अहसास नहीं होने देता था. व्यापारिक बंदी के दिन वह अंजना को अपनी कार से सैरसैपाटे पर ले जाता था.
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किरण ने अंजना की बढ़ा दी चिंता
शादी के एक साल बाद अंजना ने एक बेटे को जन्म दिया, जिस का नाम उस ने अयान रखा. बेटे के जन्म से पूरे परिवार में खुशियां छा गईं. सास पूनम भी खुश थी और ससुर बिहारीलाल भी.
अयान का जन्मदिन हर साल बड़ी धूमधाम से मनाया जाता था. इस में नातेदारों को भी बुलाया जाता था. अयान के जन्म के 5 साल बाद अंजना ने दूसरे बेटे को जन्म दिया.
इस का नाम उस ने नभ रखा. नभ के जन्म से मलहोत्रा परिवार की खुशियां और भी बढ़ गईं.
शादी के बाद 10-12 साल तो बड़े आराम से बीते. अंजना भी खुश रहती और सुलभ भी. लेकिन फिर अचानक उन की खुशियों में ग्रहण लगना शुरू हो गया. दरअसल, अंजना के पति सुलभ के जीवन में किरण ने प्रवेश किया, जिस ने अंजना की रातों की नींद हराम कर दी और दिन का चैन छीन लिया.
किरण भन्नानापुरवा में रहती थी. उस के पिता रामदयाल गुप्ता ड्राइवर थे. वह भाड़े पर कार चलाते थे. उन की माली हालत ठीक नहीं थी. उस की बेटी किरण खूबसूरत व जवान थी. फैशनपरस्त भी थी. आधुनिक कपड़े पहनना और सजसंवर कर रहना, उस की आदत थी. वह महत्त्वाकांक्षी भी थी, अभावों से जीना उसे पसंद नहीं था.
किरण इंटरमीडिएट की परीक्षा पास कर चुकी थी और अपनी जरूरतों को पूरा करने के लिए नौकरी की तलाश में जुटी थी. जनवरी, 2020 में एक दिन उस की नजर अखबार में छपे इश्तहार पर पड़ी. जिस में लिखा था, ‘मलहोत्रा क्राकरी शौप गुमटी नंबर 5 में एक महिला सेल्स वर्कर चाहिए.’
इश्तहार पढ़ कर किरण सजधज कर मलहोत्रा क्राकरी शौप पहुंच गई. उस समय वहां कुछ अन्य महिलाएं भी मौजूद थीं. इन में से शौप मालिक सुलभ मलहोत्रा ने किरण गुप्ता को नौकरी पर रख लिया. इस के बाद किरण गुप्ता रोजाना समय से सुलभ मलहोत्रा की क्राकरी शौप पर काम पर जाने लगी.
वह मन लगा कर काम करती थी. सुलभ ने अहसास किया कि किरण दुकान में काम करने वाले अन्य कर्मचारियों से अलग है. वह काम पर बहुत ध्यान देती है.
किरण को वहां काम करतेकरते एक महीना हो गया था. जिस दिन उसे तनख्वाह मिली, खुशी का ठिकाना न था, क्योंकि वह उस की पहली तनख्वाह जो थी. छुट्टी के बाद वह शौप से बाहर निकली और अपने घर की राह पकड़ ली.
किरण अपने घर की तरफ जा रही थी, तभी सुलभ की कार उस के पास आ कर रुकी. उस ने देखा, वह उस के मालिक सुलभ की कार थी. इस के पहले कि वह कुछ समझती, सुलभ ने कार का अगला गेट खोलते हुए कहा,‘‘बैठो, मैं भी इधर जा रहा हूं. तुम्हें घर के पास छोड़ दूंगा.’’
किरण और सुलभ की बढ़ीं नजदीकियां
किरण चुपचाप कार में बैठ गई. वह हैरान थी. उस ने कभी सोचा भी नहीं था कि शौप मालिक उसे अपनी कार में लिफ्ट दे सकता है. सुलभ ने उसे उस के घर के कुछ दूर पर छोड़ दिया. किरण तेजी से घर की ओर चली गई.
अगले दिन किरण दोगुने उत्साह के साथ काम पर गई. शौप पहुंचते ही वह अपने काम में जुट गई. कुछ देर बाद सुलभ ने किरण को अपने पास बुलाया और कुछ इधरउधर की बात करने के बाद बोला, ‘‘किरण, मैं चाहता हूं कि आज तुम मेरे साथ डिनर पर चलो.’’
‘‘आप के साथ डिनर?’’ किरण चौंकते हुए बोली, ‘‘कहां?’’
‘‘किसी अच्छे होटल में चलेंगे. देखो किरण, मुझे कंपनी की जरूरत है. मैं चाहता हूं कि तुम मेरे साथ खाना खाओ.’’
किरण कुछ समझ नहीं पा रही थी कि मालिक उस पर इतना मेहरबान क्यों है, पर वह उसे मना भी नही कर पाई. छुट्टी के बाद सुलभ उसे अपनी कार से एक अच्छे होटल में ले गया और वहां दोनों ने साथ में खाना खाया. इस के बाद सुलभ ने किरण को उस के घर छोड़ दिया.
किरण को अब सुलभ से सहानुभूति होने लगी थी. उस की अपनी महत्त्वाकांक्षाएं उसे सुलभ के करीब लाती जा रही थीं. सुलभ भी एक मकसद से किरण के करीब आ रहा था. यानी दोनों के स्वार्थ उन्हें एक पटरी पर ले आए थे और उन के बीच दोस्ती हो गई थी.
इस के बाद सुलभ किरण को महंगेमहंगे गिफ्ट देने लगा. उसे शौपिंग कराने भी ले जाता था.
किरण के पिता रामदयाल को जब पता चला तो उस ने समझाया, ‘‘बेटी, हमें अपनी औकात में रहना चाहिए. मालिक के साथ तुम्हारा मेलजोल ठीक नहीं. समाज में हमारी बदनामी हो रही है, तुम समझने की कोशिश क्यों नहीं करती?’’
‘‘पिताजी, ये तुम कैसी बातें कर रहे हो. मैं नौकरी कर रही हूं तो इस में बुराई क्या है? मेरी तरह तमाम लड़कियां नौकरी करती हैं. एक बात मैं कहना चाहती हूं कि इतनी अच्छी नौकरी को मैं नहीं छोड़ सकती.’’
रामदयाल गुप्ता समझ गए कि बेटी की हसरतें उड़ान भर रही हैं. अत: किरण किसी भी तरह उस की बात मानने वाली नहीं है. इसलिए वह चुप हो गए. किरण रोजाना ही काम पर जाती रही. सुलभ और किरण की दोस्ती का सिलसिला आगे बढ़ रहा था.
एक दिन शाम को सुलभ मलहोत्रा अपनी कार से किरण के घर पहुंचा. किरण उस समय घर में अकेली थी. उस के पिता भाड़े पर कार ले कर सरसौल गए थे. सुलभ किरण के पास जा कर बैठ गया और उस का हाथ पकड़ कर सहलाने लगा.
सुलभ ने जता दिया प्यार
किरण कोई नादान तो थी नहीं, जो ऐसे स्पर्श का मतलब न समझे. उस का दिल तेजी से धड़कने लगा. तभी सुलभ ने कहा, ‘‘किरण मैं तुम्हें प्यार करने लगा हूं और तुम्हें अपना साथी बनाना चाहता हूं.’’
किरण ने गहरी नजरों से देखा और बोली, ‘‘आप शादीशुदा और 2 बच्चों के पिता हैं.’’
‘‘जानता हूं, लेकिन इस से क्या होता है. हर आदमी की अपनी जिंदगी होती है और अपनी ख्वाहिशें. अपने सुख के लिए कोई कुछ भी कर सकता है. हम तुम्हें वह हर सुख व खुशी देंगे. जिस की तुम्हें ख्वाहिश है.’’
किरण को लगा कि जीवन में जो सहज रूप से मिल रहा है, उसे हासिल कर लेना चाहिए. अभावों की गर्दिश में वह जीना भी नहीं चाहती थी. अत: वह मर्यादा की सीमा लांघ गई और सुलभ के आगोश में समा गई.
अवैध रिश्ता एक बार बना तो फिर बढ़ता ही गया. किरण के पिता इस रिश्ते का विरोध न करे, सो वह उस की भरपूर आर्थिक मदद करने लगा. सुलभ जहां किरण का दीवाना था, वहीं किरण भी सुलभ के लिए पागल सी हो गई.
दोनों अकसर मिलने लगे. सुलभ किरण को पार्क में घुमाता. कभी किसी होटल में जा बैठता और कभी सिनेमा देखने का प्रोग्राम बन जाता. कोशिश यह होती कि किसी को इस बात की भनक न लगे. न पड़ोसियों को और न सुलभ की पत्नी अंजना को.
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लेकिन प्यार तो कभी छिपता नहीं. अंजना को भी अंतत: इस बात की भनक लग ही गई थी. सुलभ को उस ने आड़ेहाथों लिया और माफी मंगवा कर यह वायदा भी कराया कि आइंदा वह किरण से वास्ता नहीं रखेगा.
सुलभ ने कुछ दिनों तक अपना वायदा निभाया. उस के बाद सुलभ का रवैया पहले जैसा हो गया. सुबह घर से निकलना और देर रात घर लौटना. अंजना का माथा फिर ठनका. आशंकाएं फिर उभरीं.
अंजना ने सुलभ की निगरानी शुरू कर दी. जल्द ही पता चल गया कि सुलभ और किरण फिर मिलने लगे हैं. अंजना के क्रोध की सीमा न रही.
एक शाम अंजना का गुस्सा सुलभ पर फट पड़ा, ‘‘आखिर मंशा क्या है तुम्हारी? घर की इज्जत खाक में क्यों मिलाना चाहते हो? ऐसा क्या है तुम्हारी किरण गुप्ता में, जो मेरे पास नहीं है? क्या वह मुझ से ज्यादा खूबसूरत है? मुझ से ज्यादा हौट है? मेरा पति किसी और की प्यास बुझाए और मैं प्यासी रहूं, यह नहीं हो सकता. इसे मैं सहन नहीं कर सकती.’’
फिर तो उस रोज किरण को ले कर अंजना और सुलभ में खूब तकरार हुई. नौबत मारपीट तक आ गई. गुस्से में सुलभ पैर पटकता हुआ घर से निकल गया. वह वापस घर आया तो नशे में धुत था. वह बिना किसी से बात किए कमरे में जा कर सो गया. सुबह अंजना ने किरण और सुलभ के नाजायज रिश्तों की जानकारी सास पूनम तथा ससुर बिहारीलाल को दी.
इस पर उन्होंने सुलभ का ही पक्ष लिया और किरण से नाजायज रिश्तों को नकार दिया. सासससुर ने साथ नहीं दिया तो अंजना ने अपनी बड़ी बहन बबली से अपनी व्यथा बताई. बबली ने बहन का दर्द समझ कर सुलभ को समझाने का प्रयास किया. लेकिन सुलभ ने अपना रवैया नहीं बदला.
किरण को ले कर पतिपत्नी में शुरू हुई कलह
किरण को ले कर अब अंजना और सुलभ में अकसर झगड़ा होने लगा था. कभीकभी तो झगड़ा इतना बढ़ जाता कि सुलभ अंजना को पीट भी देता था. अंजना भी कम न थी वह भी पति से भिड़ जाती और नोचखसोट करती. इस रवैए से सुलभ अंजना से नफरत करने लगा था.
इधर किरण और सुलभ के बीच प्यार गहराता जा रहा था. किरण अब सुलभ मलहोत्रा की पत्नी बनने का ख्वाब देखने लगी थी. लेकिन उसे यह भी पता था कि जब तक अंजना है, उस का यह ख्वाब पूरा नहीं हो सकता. अंजना के खिलाफ वह सुलभ को उकसाती रहती थी.
27 दिसंबर, 2021 की सुबह 10 बजे सुलभ मलहोत्रा थाना नजीराबाद पहुंचा. उस समय थाने में थानाप्रभारी संतोष कुमार सिंह मौजूद थे. चूंकि सुलभ मलहोत्रा की थाने में पैठ थी. अत: देखते ही थानाप्रभारी बोले, ‘‘आइए, मलहोत्रा साहब, बैठिए. कैसे आना हुआ?’’
‘‘सर, मेरी पत्नी अंजना 22 दिसंबर से घर से लापता है. पता नहीं कहां चली गई. मैं ने उस की हर जगह खोजबीन की, लेकिन कुछ पता नहीं चला. हमारे दोनों बच्चे अयान और नभ घर पर हैं. वे मां के लिए परेशान हो रहे हैं. आप मेरी गुमशुदगी दर्ज कर अंजना को खोजने का प्रयास करें.’’
थानाप्रभारी संतोष कुमार सिंह ने अंजना की गुमशुदगी दर्ज कर ली और सुलभ मलहोत्रा को भरोसा दिया कि वह अंजना को खोजने का प्रयास करेंगे. पुलिस ने गुमशुदगी तो दर्ज कर ली, उस के बाद हाथ पर हाथ रख कर बैठ गई.
इधर अंजना की बड़ी बहन बबली को अंजना की पड़ोसन से पता चला कि अंजना कई रोज से घर में दिख नहीं रही है. यह पता चलते ही बबली थाना नजीराबाद पहुंची तो वहां मौजूद दरोगा जयप्रताप सिंह ने बताया कि अंजना घर से लापता है. उस के पति ने थाने में गुमशुदगी दर्ज कराई है.
बबली ने आरोप लगाया कि वह खुद गायब नहीं हुई है, बल्कि ससुरालीजनों ने उसे गायब किया है. संभव है कि उस के साथ कोई अनहोनी हुई हो. आप ससुराल वालों के खिलाफ उत्पीड़न की रिपोर्ट दर्ज करें.
एसआई जयप्रताप सुलभ मलहोत्रा का खास था. वह उस के साथ होटल में बैठ कर खातापीता था. इसलिए बबली द्वारा रिपोर्ट दर्ज कराने की बात सुन कर वह भड़क गया, ‘‘मलहोत्रा की पत्नी अंजना को तुम्हीं लोगों ने गायब किया है. उसे थाने ले कर आओ. वरना तुम सब को जेल भेजूंगा.’’
एसआई की बात सुन कर बबली सन्न रह गई. पुलिस ने उस की रिपोर्ट दर्ज नहीं की. वह पुलिस अधिकारियों के पास भी गुहार लगाने गई, लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई. अत: वह वापस घर आ गई. बहन की खोज में वह जी जान से जुटी रही.
नहर में मिली नग्न महिला की लाश
इधर 7 जनवरी, 2022 को पनकी नहर में कुछ लोगों ने एक महिला की नग्न लाश उतराती देखी और पुलिस को सूचना दी. पनकी थाना पुलिस ने महिला के शव को नहर से बाहर निकलवाया और शिनाख्त हेतु अड़ोसपड़ोस के थानों में वायरलैस से सूचना भेज दी.
महिला का शव पनकी नहर में मिलने की सूचना जब नजीराबाद थानाप्रभारी संतोष कुमार सिंह को मिली तो उन का माथा ठनका. क्योंकि उन के थाने में 35 वर्षीया अंजना मलहोत्रा की गुमशुदगी दर्ज थी.
उन्होंने शव पाए जाने की सूचना पुलिस अधिकारियों को दी, फिर सहयेगी पुलिसकर्मियों के साथ पनकी नहर पहुंच गए. श्री सिंह ने मौके पर अंजना के मायके व ससुराल पक्ष के लोगों को भी बुला लिया.
सुलभ मलहोत्रा और उस के मातापिता ने शव को गौर से देखा और कहा कि यह शव अंजना का नहीं है. लेकिन जब बबली ने शव को देखा तो वह फूट कर रो पड़ी और बताया कि शव उस की बहन अंजना का ही है.
बबली ने पैर में चोट के निशान, नाक की बनावट और बालों में लगने वाले हेयर कलर से अंजना के शव की पहचान कर ली.
सूचना पा कर डीसीपी (साउथ) रवीना त्यागी तथा जौइंट सीपी आनंद प्रकाश तिवारी भी मौके पर आ गए थे. उन्होंने भी शव का निरीक्षण किया. शव 15 दिन पुराना लग रहा था और फूल गया था.
चूंकि बबली द्वारा शव की शिनाख्त हो गई थी. अधिकारियों ने जरूरी काररवाई कर शव को पोस्टमार्टम के लिए लाला लाजपत राय अस्पताल भिजवा दिया. डीसीपी (साउथ) रवीना त्यागी ने मृतका अंजना की बड़ी बहन बबली से पूछताछ की तो उस ने बताया कि सुलभ मलहोत्रा के किरण नाम की युवती से नाजायज संबंध हैं. वह उस की दुकान पर काम करती है.
अंजना उन के अवैध संबंध का विरोध करती थी. उसे शक है कि सुलभ ने ही षडयंत्र रच कर अंजना की हत्या की है. डीसीपी ने इस के बाद सुलभ को तत्काल हिरासत में लेने और कड़ाई से पूछताछ करने का आदेश थानाप्रभारी संतोष कुमार सिंह को दिया.
आदेश पाते ही 9 जनवरी, 2022 को उन्होंने सुलभ मलहोत्रा को हिरासत में ले लिया और थाना नजीराबाद ले आए. डीसीपी (साउथ) रवीना त्यागी की मौजूदगी में थानाप्रभारी संतोष कुमार सिंह ने सुलभ मलहोत्रा से अंजना की हत्या के संबंध में पूछताछ शुरू की.
सुलभ ने पत्नी की हत्या का किया खुलासा
साधारण पूछताछ में वह पुलिस को बरगलाता रहा, लेकिन जब सख्ती से पूछताछ की गई तो वह टूट गया. इस के बाद उस ने रोंगटे खड़ी कर देने वाली पत्नी अंजना की हत्या की दास्तां बयां की.
सुलभ द्वारा पुलिस को दी गई जानकारी के अनुसार सुलभ और दुकान पर काम करने वाली किरण के बीच नाजायज रिश्ता बढ़ गया था, जिस का विरोध अंजना करती थी और उसे बेइज्जत करती थी.
22 दिसंबर, 2021 को समय 6 बजे सुलभ और उस का चचेरा भाई ऋषभ आपस में घर में बतिया रहे थे, तभी बड़ा बेटा अयान, अंजना से कोल्ड ड्रिंक पीने की जिद करने लगा. सर्दी की बात कह कर अंजना ने मना कर दिया. अयान तब रोने लगा. इस पर ऋषभ उसे ले कर कोल्डड्रिंक पिलाने तथा घुमाने मोतीझील की तरफ चला गया.
ऋषभ और अयान के जाते ही कोल्डड्रिंक पिलाने को ले कर झगड़ा शुरू हो गया. गुस्से में सुलभ ने अंजना की पिटाई कर दी. इसी बीच अंजना किरण को ले कर टीकाटिप्पणी करने लगी, तो सुलभ फिर से अंजना को पीटने लगा. पिटाई से अंजना खून से लथपथ हो गई.
गुस्से में अंजना भी सुलभ से भिड़ गई और उस का कालर पकड़ लिया. कालर पकड़ते ही सुलभ आपा खो बैठा और उस ने अंजना के दुपट्टे से उस का गला घोंट दिया.
सुलभ ने अंजना की हत्या की जानकारी ऋषभ को दी और शव को ठिकाने लगाने में उस की मदद मांगी. इस के बाद सुलभ ने खून से सना अंजना का शव ऋषभ की मदद से अपनी कार में डाला और रात 10 बजे भन्नानापुरवा स्थित अपनी प्रेमिका किरण के घर ले गया.
लाश ठिकाने लगाने में प्रेमिका के पिता ने भी दिया साथ
घर पर उस समय किरण व उस का पिता रामदयाल मौजूद था. अंजना का शव देख कर दोनों सकते में आ गए. इस के बाद चारों ने मिल कर रात में पैट्रोल डाल कर शव को जलाने का प्रयास किया. लेकिन धुआं उठने से वे घबरा गए. दूसरे रोज रामदयाल तेजाब लाया और शव को जलाने का प्रयास किया. पर असफल रहे.
23 दिसंबर, 2021 की शाम रामदयाल भाड़े की कार लाया, क्योंकि सुलभ की अल्टो कार खून से सनी थी. इस अल्टो कार में चारों ने अंजना का शव डाला और रात 10 बजे पांडव नदी में फेंक आए. इस के बाद सब ने मिल कर हत्या के सबूत मिटाए.
किरण ने अपने घर की धुलाई व पुताई भी करा दी. सुलभ ने भी घर से खून आदि साफ कर दिया. इस के बाद सुलभ ने पुलिस को गुमराह करने के लिए 27 दिसंबर, 2021 को अंजना की गुमशुदगी थाने में दर्ज करा दी.
सुलभ के बयानों के आधार पर थानाप्रभारी संतोष कुमार सिंह की टीम ने देर रात छापा मार कर सुलभ की प्रेमिका किरण, उस के पिता रामदयाल तथा सुलभ के चचेरे भाई ऋषभ को उन के घरों से गिरफ्तार कर लिया और थाना नजीराबाद ले आए. यहां सभी ने अपना जुर्म कुबूल कर लिया.
सुबह उन चारों को पांडव नदी लाया गया और उन की निशानदेही पर अंजना की लाश की खोज की गई. लेकिन लाश बरामद नहीं हुई.
पुलिस को संदेह हुआ कि आरोपी गुमराह कर रहे हैं. अंजना की बहन बबली ने भी कहा कि पनकी नहर में मिली लाश ही उस की बहन की है. आरोपी जमानत पाने को संदेह का लाभ उठाना चाहते हैं. इधर हत्या के पर्याप्त सबूत जुटाने के लिए पुलिस और फोरैंसिक टीम ने सुलभ के कौशलपुरी स्थित मकान तथा उस की प्रेमिका किरण के भन्नानापुरवा स्थित घर की जांच की तो वहां पर कई जगह खून के निशान और बाल मिले. शव जलाने के निशान भी मिले.
किरण ने मकान में पुताई भी कराई, लेकिन निशान नहीं मिट सके. इस के साथ ही कैमिकल टेस्ट कराने पर सुलभ, किरण व ऋषभ के नाखूनों से खून के धब्बे मिले. शव लाने ले जाने की फुटेज किरण के घर के सामने लगे सीसीटीवी कैमरे में कैद हो गई.
इस फुटेज को पुलिस ने साक्ष्य के तौर पर सुरक्षित कर लिया. इस के अलावा पुलिस ने आरोपियों की निशानदेही पर हत्या में प्रयुक्त दुपट्टा, ब्लड लगा जैकेट, चप्पलें तथा शव को ठिकाने लगाने में प्रयुक्तकारें भी बरामद कर लीं.
चूंकि आरोपियों ने हत्या का जुर्म कुबूल कर लिया था और पुलिस ने हत्या के पर्याप्त साक्ष्य भी जुटा लिए थे, अत: थानाप्रभारी संतोष कुमार सिंह ने मृतका अंजना की बहन बबली की तहरीर पर भादंवि की धारा 302/201/120बी के तहत सुलभ मलहोत्रा, ऋषभ, किरण व रामदयाल के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज कर ली तथा उन्हें विधिसम्मत गिरफ्तार कर लिया.
11 जनवरी, 2022 को नजीराबाद पुलिस ने हत्यारोपी सुलभ, ऋषभ, किरण गुप्ता व रामदयाल गुप्ता को कानपुर की कोर्ट में पेश किया, जहां से उन्हें जेल भेज दिया गया.
—कथा पुलिस सूत्रों पर आधारित