सौजन्य- सत्यकथा

29दिसंबर, 2021 को दिन के कोई डेढ़ बजे का वक्त होगा. ऊधमसिंह नगर जिले के कस्बा नानकमत्ता के कुछ बच्चे राष्ट्रीय राजमार्ग 125 से जुड़े सिद्धानवदिया मार्ग पर खेल रहे थे. उन्होंने पुल के नीचे 2 लाशें देखीं.

इस के बाद उन बच्चों के वहां पांव नहीं रुके. वे खेलना भूल गए और उन्होंने गांव की ओर दौड़ लगा दी. गांव में जाते ही बच्चों ने 2 लाशें पड़े होने की सूचना गांव के लोगों को दी.

एक ही जगह पर 2 लाशों की सूचना पाते ही पूरे गांव में खलबली मच गई. देखते ही देखते लाशों के पास लोगों की भीड़ जमा हो गई. गांव के लोगों ने इस बात की सूचना तुरंत ही थाना नानकमत्ता पुलिस तक पहुंचा दी थी.

ग्रामीणों की सूचना पर पुलिस घटनास्थल पर पहुंची. पुलिस ने लाशों का निरीक्षण किया. वह युवकों के थे और बुरी तरह क्षतविक्षत थे. दोनों युवकों के सिर, गरदन और शरीर के अन्य हिस्सों को धारदार हथियार से निर्ममतापूर्ण तरीके से काटा गया था.

लाशों को देखते ही मौजूद ग्रामीणों ने एक युवक की शिनाख्त नानकमत्ता निवासी 28 वर्षीय अंकित रस्तोगी पुत्र शिवशंकर रस्तोगी के रूप में की. घटनास्थल पर ही पुलिस को एक मोबाइल फोन पड़ा मिला.

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पुलिस ने मोबाइल से ही मृतक अंकित रस्तोगी के घर वालों का नंबर निकाल कर उस के भाई आदेश रस्तोगी से संपर्क साध कर कर घटना की सूचना दी. उसी दौरान पुलिस को जानकारी मिली कि अंकित रस्तोगी के घर की स्थिति भी संदिग्ध है. घर के अंदर उस की मां और नानी मौजूद हैं, जो दरवाजा नहीं खोल रही हैं.

इस जानकारी पर पुलिस आदेश रस्तोगी के साथ अंकित रस्तोगी के घर पर पहुंची. पुलिस ने जैसेतैसे कर के घर का दरवाजा खोला तो वहां का दृश्य भी दिल दहलाने वाला था.

घर के अंदर अंकित रस्तोगी की 55 वर्षीय मां आशा देवी व कस्बा शाही, बरेली निवासी उस की 75 वर्षीय नानी सन्नो देवी के शव बरामद हुए. जिन की हत्या भी किसी तेज धारदार हथियार से गला काट कर की गई थी.

इन 4 हत्याओं ने पूरे क्षेत्र में दहशत का माहौल पैदा कर दिया था. पुलिस में खलबली मची तो सड़कों पर पुलिस की गाडि़यां दौड़ने लगी थीं. देखते ही देखते पूरा पुलिस प्रशासन हिल चुका था.

वहां से करीब 500 मीटर दूरी पर छोटा भाई अंकित रहता था. उस के परिवार के साथ क्या हुआ, उसे कोई जानकारी नहीं. अंकित अभी कुंवारा ही था.

अंकित ने अभी कुछ महीनों पहले ही अपने घर में ज्वैलर्स की दुकान खोली थी. मां आशा देवी उसी अंकित के साथ रहती थीं. जबकि उस के पिता शिवशंकर बड़े भाई आदेश के साथ ही रहते थे.

अंकित की नानी सन्नो देवी एक महीने पहले ही अपने पोते उदित के साथ उस के घर आई थीं. जब से वह दोनों भी घर पर ही रह रहे थे.

गहनता से जांचपड़ताल के लिए डौग स्क्वायड टीम के साथसाथ फोरैंसिक टीम, एसओजी व सर्विलांस टीम को भी मौके पर बुला लिया था. सभी टीमें अपनीअपनी काररवाई में जुट गई थीं.

अंकित की दुकान में सामान इधरउधर बिखरा पड़ा था. अंकित के घर और दुकान में अधिकांश सोने के जेवर गायब थे, जबकि नकली जेवरात वहीं पर पड़े मिले. जिस से साफ जाहिर था कि इस

जघन्य अपराध को जिस ने भी अंजाम दिया था, वह अंकित के परिवार से काफी घुलामिला था.

अंकित के भाई आदेश से पूछताछ के दौरान एक जानकारी और सामने आई. आदेश ने पुलिस को बताया कि अंकित के अपने गुरु रामनाथ के साथ घनिष्ठ संबंध थे. उस का अधिकांश समय उन्हीं के साथ बीतता था.

आदेश ने बताया कि अंकित ने देहरादून के एक संस्थान से एमसीए किया था. अंकित को कक्षा 9 और 10वीं में रामनाथ ने ही ट्यूशन पढ़ाया था. तभी से अंकित के उन के साथ घनिष्ठ संबंध हो गए थे.

बरेली मूल निवासी रामनाथ वर्ष 2013 से नगर के एक निजी स्कूल में ही पढ़ाते हैं. एक गुरुशिष्य का रिश्ता होने के कारण ही अंकित का अधिकांश समय रामनाथ के साथ ही बीतता था.

यह जानकारी मिलते ही पुलिस ने रामनाथ को भी पूछताछ के लिए अपनी हिरासत में ले लिया था. जिस के बाद उन से भी कड़ी पूछताछ की गई. लेकिन पुलिस पूछताछ के दौरान उन से कोई विशेष जानकारी नहीं मिल सकी.

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पुलिस जांचपड़ताल के दौरान एक बात और सामने आई. हत्यारों ने चारों लोगों की हत्या भी किसी धारदार हथियार से की थी. चारों के एक ही तरह से गले रेते गए थे. चारों की मौत भी अधिक मात्रा में खून निकलने के कारण हुई थी.

हर तरह से जांचपड़ताल करने के बाद पुलिस ने चारों मृतकों का पंचनामा भरने के बाद शवों को पोस्टमार्टम के लिए भिजवा दिया था. चारों लाशों का पोस्टमार्टम भी विशेष डाक्टरों के पैनल द्वारा वीडियो रिकौर्डिंग के साथ किया गया था.

साथ ही चारों का विसरा भी सुरक्षित रख लिया गया. इस मामले को ले कर मृतक अंकित के भाई आदेश कुमार ने थाना नानकमत्ता में अज्ञात व्यक्तियों के खिलाफ भादंवि की धारा 302, 201 के तहत मुकदमा दर्ज कराया था.

इस घटना के बाद से ही एसएसपी दलीप सिंह कुंवर नानकमत्ता में ही अपना डेरा डाले हुए थे. वहीं डीआईजी नीलेश आनंद भरणे के निर्देश के बाद एसटीएफ को भी टास्क में लगाया गया था.

इस केस को जल्द से जल्द खोलने के लिए पुलिस की 20 टीमें लगाई गई थीं, जो दिनरात अपनी ड्यूटी निभाते हुए पूरी तरह से मुस्तैद थीं. एसओजी, एसटीएफ की टीमें अंकित रस्तोगी के घर के आसपास लगे सभी सीसीटीवी फुटेज खंगालने में लग गईं.

एसओजी टीम इंचार्ज कमलेश भट्ट ने अपनी टीम के साथ बारबार घटनास्थलों का निरीक्षण किया.

यह मामला अब तक का सब से बड़ा ऐसा मामला था, जिस ने प्रशासन को हिला कर रख दिया था. यही कारण था कि इस मामले में हत्यारोपियों तक पहुंचने के लिए नानकमत्ता, खटीमा, सितारगंज, पुलभट्टा, किच्छा, रुद्रपुर और आईटीआई थानों की पुलिस लगाई गई थी.

जांच के दौरान नानकमत्ता के 2 ग्राम प्रधानों के भी नाम सामने आए. जिस के बाद पुलिस ने पूछताछ के लिए दोनों को हिरासत में लिया. इस बात की जानकारी मिलते ही व्यापारी भड़क उठे. व्यापारियों ने ग्राम प्रधानों से पूछताछ का विरोध करना शुरू कर दिया.

उसी जांचपड़ताल को आगे बढ़ाते हुए पुलिस ने अंकित के मोबाइल फोन की काल डिटेल्स भी निकलवा ली थी. लेकिन उस से भी कोई बात नहीं बन पाई तो पुलिस ने अंकित के घर की तरफ जाने वाले सभी रास्ते ट्रेस करने शुरू किए. उसी दौरान नानकमत्ता निवासी मास्टर अखिलेश रस्तोगी ने पुलिस को जानकारी दी कि एक वैगनआर कार यूए06ई 6212 को रानू रस्तोगी ले कर घूम रहा था. यह जानकारी मिलते ही पुलिस ने रानू रस्तोगी की तलाश की तो वह भी घर से गायब मिला.

वैगनआर कार की जानकारी मिलते ही पुलिस ने सब से पहले उस नंबर की कार की डिटेल्स निकलवाई तो वह कार स्पर्श ग्रोवर नामक व्यक्ति की पाई गई.

पुलिस ने फुरती दिखाते हुए कार मालिक के पते पर दबिश डाली. वह घर पर मिल गया. पुलिस पूछताछ के दौरान एलायंस सिटी, रुद्रपुर निवासी स्पर्श ग्रोवर ने पुलिस को बताया कि 29 दिसंबर, 2021 को उस का दोस्त विवेक उस की कार मांग कर ले गया था.

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उसे इस बात की जानकारी नहीं थी कि वह उस की कार का इस्तेमाल किसी अपराध में करेगा.

इस जानकारी के मिलते ही पुलिस ने रुद्रपुर निवासी विवेक वर्मा के ठिकानों पर छापे मारे. लेकिन विवेक वर्मा घर से फरार मिला.

यह सब जानकारी मिलने के बाद पुलिस ने रानू रस्तोगी और विवेक दोनों के मोबाइल नंबरों को सर्विलांस पर लगा दिया. सर्विलांस से रानू रस्तोगी के मोबाइल की लोकेशन दिल्ली की मिली.

यह जानकारी मिलते ही पुलिस टीम रानू रस्तोगी को गिरफ्तार करने के लिए दिल्ली रवाना हो गई. पुलिस टीम ने दिल्ली जाते ही रानू रस्तोगी के मोबाइल लोकेशन का पीछा करते हुए उसे अपनी हिरासत में ले लिया.

रानू रस्तोगी को हिरासत में लेते ही पुलिस ने उस से 4 हत्याओं के मामले में कड़ी पूछताछ की तो वह जल्दी ही टूट गया. उस ने स्वीकार करते हुए बताया कि उस ने ही दोस्त की धनदौलत के लालच में हत्याएं की हैं.

रानू को अपने साथ ले कर पुलिस टीम नानकमत्ता आ गई. जहां पर उस से कड़ी पूछताछ करने के बाद उस के अन्य साथियों के ठिकानों पर दबिश दे कर सुभाष कालोनी रुद्रपुर निवासी विवेक वर्मा व मुकेश रस्तोगी को भी गिरफ्तार कर लिया था.

अंकित रस्तोगी और रानू रस्तोगी की दांत काटी दोस्ती थी. फिर ऐसा क्या हुआ कि रानू ने अपने दोस्त अंकित के साथसाथ उस के ममेरे भाई, उस की मां के साथ उस की नानी की भी हत्या कर डाली. पुलिस ने जब इस की जांच की तो चौहरे हत्याकांड के पीछे दोस्ती को कलंकित कर देने वाली दर्दनाक कहानी सामने आई.

उत्तराखंड के जिला ऊधमसिंह नगर के कस्बा नानकमत्ता में शिवशंकर सिंह का परिवार रहता था. शिवशंकर के परिवार में कुल 6 सदस्य थे. शिवशंकर शुरू से ही कबाड़ के व्यापार से जुड़े थे. जिस के सहारे ही उन का परिवार चलता था. उन का कारोबार ठीकठाक चलता था.

उसी कमाई के सहारे शिवशंकर ने अपनी बेटियों की समय से शादी कर विदा कर दिया था. 2 बेटियों के बाद उन का तीसरा बेटा आदेश था. आदेश होश संभालते ही अपने पिता के व्यापार में सहयोग करने लगा था.

वक्त आने पर उन्होंने आदेश की भी शादी कर दी थी. शादी हो जाने के कुछ समय बाद आदेश ने अपना अलग काम कर लिया था, जबकि अंकित अपने पिता के साथ ही कबाड़ के काम में हाथ बंटाने लगा था.

अपने पिता के काम में हाथ बंटाने के साथसाथ अंकित ने पढ़ाई भी जारी रखी थी. उसी कबाड़ के कारोबार से घर में पैसा आया तो अंकित ने अपने व्यापार की लाइन को चेंज करने का मन बनाया. अंकित ने ज्वैलरी शोरूम खोलने की योजना बनाई.

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अब से लगभग एक माह पहले ही अंकित ने 30-40 लाख रुपए लगा कर अपने ही घर में आशीर्वाद ज्वैलर्स के नाम से शोरूम खोल लिया था. जिस के तुरंत बाद ही उस का काम भी ठीकठाक चल निकला था.

अंकित रस्तोगी के पास ही उस का रानू रस्तोगी नाम का दोस्त रहता था. रानू से अंकित की काफी पुरानी दोस्ती थी. अंकित भी रानू रस्तोगी पर बहुत विश्वास करता था. रानू रस्तोगी पहले से ही खानेपीने वाला था. यही वजह थी कि उस के अंकित रस्तोगी के अलावा अन्य कई युवकों से भी अच्छे ताल्लुकात थे, जिन के साथ वह उठताबैठता और खातापीता था.

जब तक अंकित रस्तोगी कबाड़ के व्यापार से जुड़ा रहा रानू रस्तोगी का व्यवहार ठीकठाक रहा. लेकिन जैसे ही अंकित रस्तोगी ने ज्वैलरी का शोरूम खोला, उस का व्यवहार भी बदलने लगा था. साथ ही उस ने अंकित के घर आनाजाना भी बहुत कम कर दिया था.

उसी दौरान रानू की मुलाकात बरेली निवासी सचिन सक्सेना से हुई. सचिन सक्सेना आपराधिक प्रवृत्ति का था. उस के 2 साथी और थे विवेक वर्मा व मुकेश वर्मा, जो सचिन सक्सेना के साथ ही काम करते थे.

एक दिन अनौपचारिक मुलाकात के दौरान रानू ने अपने दोस्त अंकित का हवाला देते हुए उस के पास मोटी रकम का जिक्र सचिन के सामने किया. अंकित के पास पैसे की बात सामने आते ही सचिन ने रानू से कहा, ‘‘यार दूसरे के पैसे को देख कर क्यों परेशान होता है?’’

‘‘अगर तू चाहे तो उस में तेरा भी हिस्सा कर दें.’’

पैसे में हिस्से वाली बात आते ही रानू मुसकराया, ‘‘अरे यार, क्यों मजाक करता है.’’

‘‘भाई, मजाक वाली क्या बात है. इधर का उधर करना तो हम लोगों का धंधा है. हम तो पलक झपकते इंसान को गायब कर देते हैं. यह तो रही बात पैसे की.’’

सचिन की बात सुनते ही रानू कुछ गंभीर हो गया, ‘‘यार, अपनी किस्मत ऐसी भी नहीं कि एक कबाड़ के काम से करोड़पति बन जाएं.’’

अभी रानू और सचिन के बीच यह बात चल ही रही थी. उसी समय सचिन के अन्य दोस्त विवेक वर्मा और मुकेश वर्मा भी वहां आ गए थे. रानू रस्तोगी उन दोनों को भी पहले से ही जानता था.

तीनों एक साथ बैठे तो फिर पार्टी जम गई. तीनों ने एक साथ बैठ कर शराब पी. शराब का सुरूर चढ़तेचढ़ते बात फिर से वही अंकित रस्तोगी पर आ कर अटक गई.

उसी खानेपीने के चलते सचिन ने रानू से कहा, ‘‘अगर तू हमारा साथ दे तो हम तुझे भी मालामाल कर देंगे.’’

रानू पर नशा चढ़ कर बोलने लगा था, ‘‘यार, आप लोग जो चाहे मुझ से करा लें. मैं आप लोगों का हर तरह से साथ देने को तैयार हूं.’’

रानू की तरफ से हां होते ही चारों दोस्तों ने अंकित रस्तोगी की दौलत पर शनि का प्रकोप चढ़ाना शुरू कर दिया था. अंकित रस्तोगी की दौलत पर नजर जमते ही चारों ने उसे हड़पने की योजना बनानी शुरू कर दी थी.

रानू अंकित रस्तोगी के घर से ले कर बाहर तक सब कुछ जानता था. रानू को पता था कि अंकित अपनी मां के साथ ही अकेला रहता है. वह उस पर पूरी तरह से विश्वास भी करता है. वह उसी विश्वास के सहारे उसे कहीं भी बुला सकता है.

रानू ने अपने साथियों के साथ मिल कर कई बार अंकित के घर में लूटपाट करने की योजना बनाई थी. लेकिन घर में उदित और उस की दादी के होते अपने मकसद में कामयाब नहीं हो पा रहे थे.

26 दिसंबर, 2021 को चारों दोस्त लूटपाट के इरादे से अंकित के घर पहुंचे, लेकिन बाहर ही रैकी कर वापस चले गए. 27 दिसंबर को भी योजना बना कर अंकित के पास पहुंचे. उस दिन चारों दोस्त अंकित को ले कर शहर में कई जगह घूमे. उस दिन चारों दोस्तों ने एक होटल पर बैठ कर चाय भी पी.

चाय पीने के दौरान ही उन्होंने उस की चाय में नशे की गोलियां भी डाल दीं. अंकित पर नशे की उन गोलियों का कोई असर नहीं हुआ. जिस के कारण वह अपनी योजना को अंजाम देने में असफल रहे.

एक बार फिर अपनी योजना पर पानी फिरते देख वे उसे घर छोड़ कर अपनेअपने घर चले गए. चारों दोस्तों की अंकित के धन पर ऐसी कुदृष्टि जम गई थी कि हर रोज उस के घर लूटपाट करने की योजना बनाते, लेकिन असफल हो कर लौट जाते.

28 दिसंबर, 2021 को दिन निकला तो फिर से चारों दोस्त एक साथ मिले. उस दिन चारों ने तय कर लिया था कि चाहे जो भी हो जाए, आज अंकित के माल पर हाथ सफाया करना ही है.

28 दिसंबर की शाम को रानू ने अंकित को फोन कर बताया, ‘‘आज सचिन का बर्थडे है. उसी बर्थडे की खुशी में सचिन हम सब को होटल में दावत दे रहा है. शाम के वक्त हम लोग तुम्हें और उदित को लेने आएंगे, आप लोग तैयार रहना.’’

तय समय के मुताबिक रानू, सचिन अंकित और उस के भाई उदित को लेने उन के घर पहुंचे. उन के घर पहुंचते ही अंकित अपने भाई उदित रस्तोगी को साथ ले कर उन के साथ चला गया. नानकमत्ता से जैसे ही कार ले कर चारों सिद्धा गांव से आगे मोहम्मदगंज गांव के पास पहुंचे, सचिन ने कार रोक दी.

वहां पर पहले से ही विवेक और मुकेश खड़े थे. जैसे ही अंकित और उदित कार से नीचे उतरे विवेक और मुकेश ने उन पर डंडों और रौड से वार कर दिया. पलभर में दोनों भाई धराशाई हो गए. दोनों के बेहोश होते ही उन्हें खींच कर झाड़ी के पास ले गए.

विवेक रुद्रपुर में किसी मैडिकल स्टोर पर काम करता था. वह जानता था कि सर्जिकल ब्लेड काफी तेज होता है. उन्होंने पहले ही योजना बना रखी थी कि अंकित और उस के भाई को मौत के घाट उतारने के बाद वह उन का सारा पैसा लूट लेंगे. इसी कारण विवेक उस दिन पूरी तैयारी के साथ आया था. उस ने पहले ही अंकित और उस के भाई का गला काटने के लिए सर्जिकल ब्लेड खरीद लिए थे.

झाड़ी के पास पहुंचते ही विवेक ने वह सर्जिकल ब्लेड निकाले और बारीबारी से दोनों के गले काट दिए. अधिक खून बहने की वजह से दोनों ही मौत के मुंह में समा गए. अंकित और उदित को मौत की नींद सुलाने के बाद दोनों के शव झाड़ी में फेंक दिए. उस के बाद चारों ने अंकित के घर जा कर लूटपाट की योजना बनाई.

सचिन बहुत ही तेजतर्रार था. इस से पहले भी वह लखनऊ में एक ज्वैलर को मौत के घाट उतार कर लूटपाट करने के आरोप में जेल जा चुका था.

उस ने उसी समय सभी को आगाह करते हुए कहा कि हमें इस मामले के सारे सबूत पूरी तरह से मिटाने होंगे. जिस के लिए अंकित की मां को भी मौत की नींद सुलाना पड़ेगा. वरना उस की मां हमारा सारा राज खोल कर जेल की सलाखों के पीछे भिजवा सकती है.

यह सब तय हो जाने के बाद सचिन, रानू, विवेक और मुकेश गाड़ी से ही अंकित के घर की ओर चले गए. रानू ने घर की घंटी बजाई तो अंकित की मां घर से बाहर आई. आशा देवी रानू को भलीभांति जानती थीं.

घर का दरवाजा खुलते ही चारों अंदर घुस गए. इस से पहले आशा देवी कुछ बोल पातीं, चारों ने उन्हें दबोच कर गला दबा कर उन की हत्या कर दी. फिर विवेक ने अंकित और उदित की भांति ही उसी सर्जिकल ब्लेड से उन का गला रेत दिया.

आशा देवी को मौत की नींद सुलाने के बाद चारों आगे बढ़े तो सामने से अंकित की मम्मी सन्नो देवी आती दिखाई दीं. वह भी रानू को ठीक से पहचानती थीं. इस से पहले कि सन्नो देवी कुछ पूछ पातीं, चारों ने उन का गला दबा कर हत्या करने के बाद गला रेत दिया.

आशा देवी और सन्नो देवी को मौत की नींद सुला कर उन चारों ने घर की तलाशी लेनी शुरू की. घर की तलाशी में उन्हें तिजोरी की चाबी तो नहीं मिली, लेकिन घर की अलमारी में रखे 40 हजार रुपए ही मिल पाए थे. जिन को देख कर उन के सपनों पर पानी फिर गया था.

जबकि इस घटना को अंजाम देने से पहले रानू ने अंकित के घर से 15 से 18 लाख कैश मिलने की उम्मीद जताई थी.

अपने दोस्त के घर में खून की होली खेलने के बाद रानू रस्तोगी अपने साथियों के साथ कार से रुद्रपुर के लिए रवाना हुआ. लेकिन ड्यूढ़ी मोड़ पर जातेजाते उन की कार खराब हो गई. जिस को वहीं पर एक वर्कशौप में खड़ी कर बस से रुद्रपुर चले गए.

अगली सुबह आ कर रानू कार को वर्कशौप से ले गया और वह सिडकुल फेज टू के पीछे छिपा दी. कार को छिपाने के बाद चारों अलग हो गए थे. रानू पुलिस से बचने के लिए दिल्ली भाग गया था.

एक घर के 4 सदस्यों को मौत की नींद सुलाने के बाद चारों निर्भीक थे. उन्हें उम्मीद थी कि जिस तरह से उन्होंने इस घटना को अंजाम दिया, पुलिस का शक उन पर नहीं जाएगा.

लेकिन कानून के लंबे हाथों से वे बच नहीं पाए. इस केस के खुलते ही पुलिस ने तीनों आरोपियों रानू रस्तोगी, विवेक वर्मा और मुकेश वर्मा को कोर्ट में पेश कर जेल भेज दिया था. जबकि इस मामले में फरार चौथे अभियुक्त सचिन के पीछे पुलिस टीम लगी हुई थी.

यह मामला इतना पेचीदा था कि हत्यारों ने सभी साक्ष्य मिटाने की कोशिश की. लेकिन इस के बाद भी पुलिसप्रशासन ने दिनरात एक करते हुए हत्यारों को खोज ही निकाला.

इस केस को खोलने के लिए 6 थानों की 20 टीमें चयनित की गई थीं. जिनकी कड़ी मेहनत के बाद हत्यारे पकड़ में आ सके.

पुलिस काररवाई से खुश हो कर प्रदेश के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने ढाई लाख रुपए, डीजीपी अशोक कुमार ने एक लाख रुपए, डीआईजी नीलेश आनंद भरणे ने 50 हजार, एसएसपी दिलीप सिंह कुंवर ने 25 हजार और विधायक डा. प्रेम सिंह राणा ने पुलिस टीम को 11 हजार रुपए का ईनाम दे कर पुलिस की सराहना की.

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