सौजन्य: सत्यकथा

संध्या पर भी उसे शक हुआ तो उस ने उस की भी उसी स्थान पर ले जा कर हत्या की, जहां पत्नी की की थी. इस के बाद जो हुआ… शाम के यही कोई 4 बजे थे. महाराष्ट्र के सतारा जिले के भुइज क्षेत्र के रहने वाले काश्तकार संतोष इथापे हमेशा की तरह अपने खेतों की देखरेख कर के लौट रहे थे, तभी पड़ोस के गन्ने के खेत में एक लाश देख कर उन के होश उड़ गए. वह खेत शिवतम भिवताई का था. उस युवती की लाश अर्धनग्नावस्था में थी. यह देख कर वह घबरा गए और उन्होंने शोर मचा कर अन्य किसानों को एकत्र कर लिया. इस के बाद उन्होंने फोन कर के इस की सूचना भुइज थाने में दे दी.

उस समय थाने में एपीआई आशीष कांमले मौजूद थे. उस समय वह अपने सहयोगियों के साथ किसी गंभीर विषय पर विचारविमर्श कर रहे थे. लाश मिलने की सूचना उन के लिए अहम थी, इसलिए वह उसी समय पुलिस टीम के साथ शिवराम द्वारा बताई गई जगह के लिए रवाना हो गए.

घटनास्थल थाने से लगभग 4 किलोमीटर की दूरी पर था. वह करीब 10 मिनट में वहां पहुंच गए. इस बीच रास्ते में ही उन्होंने अपने मोबाइल फोन से मामले की जानकारी अपने वरिष्ठ अधिकारियों के साथसाथ पुलिस कंट्रोल रूम को दे दी. यह बात 3 अगस्त, 2021 की है.

इस बीच मामले की खबर आग की तरह पूरे इलाके में फैल गई थी. पुलिस के पहुंचने से पहले ही घटनास्थल पर काफी लोगों की भीड़ जुट चुकी थी. घटनास्थल पर पहुंच कर पुलिस ने वहां का निरीक्षण करना शुरू कर दिया था.

निरीक्षण में मृतका की उम्र यही कोई 34 साल के आसपास लग रही थी. हत्यारे ने उस की हत्या कर उसे गन्ने के पत्तों से छिपाने की कोशिश की थी. लेकिन जानवरों ने उस के शव के ऊपर से उन पत्तों को इधरउधर कर दिया था.

सहायक इंसपेक्टर आशीष कांमले घटनास्थल का निरीक्षण कर ही रहे थे कि घटना की जानकारी पा कर एसपी (सिटी) अजय बंसल, एडिशनल एसपी धीरज पाटिल और डीवाईएसपी शीतल जानवे मौका ए वारदात पर पहुंच गए. उन के साथ ही फोरैंसिक ब्यूरो के अधिकारी भी थे.

निरीक्षण में पुलिस अधिकारियों ने देखा कि मृतका के दोनों हाथ पीछे कर के उस के ही दुपट्टे से बंधे थे. देखने से लग रहा था कि उस की हत्या गला घोंट कर की गई थी.

मृतका कौन थी और कहां की रहने वाली थी, इस का कोई सबूत लाश के पास से नहीं मिला. तब उस की शिनाख्त के लिए पुलिस ने वहां पर एकत्र भीड़ से पूछताछ की. मगर उस भीड़ में से कोई भी उस की शिनाख्त कर सका. इस से यह साफ हो गया कि वह महिला वहां की रहने वाली नहीं थी.

पुलिस टीम को यह समझने में देर नहीं लगी कि वह महिला किसी अन्य जगह की रहने वाली है.

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शिनाख्त न होने की स्थिति में पुलिस ने मौके की काररवाई कर लाश पोस्टमार्टम के लिए भेज दी. एसपी (सिटी) अजय बंसल के निर्देश पर एपीआई आशीष कांमले ने इस मामले की जांच शुरू कर दी.

ऐसे में समस्या यह थी कि बिना शव की शिनाख्त के तफ्तीश एक कदम भी आगे नहीं बढ़ सकती थी. ऐसे में जांच अधिकारियों ने वही रास्ता अपनाया जो पुलिस अकसर अपनाती है.

पुलिस टीम ने पहले यह पता लगाने की कोशिश की कि किसी महिला की गुमशुदगी की सूचना शहर के किसी पुलिस थाने में तो दर्ज नहीं है. मगर इस में उन्हें शीघ्र कामयाबी नजर नहीं आई.

ऐसे में जांच अधिकारी एपीआई आशीष कांमले ने टीम के साथ दोबारा घटनास्थल के आसपास के खेतों का निरीक्षण किया. इस में उन्हें कामयाबी मिली.

घटनास्थल से लगभग 10 मीटर की दूरी पर उन्हें एक बैग मिला. जिस में मृतका का आधार और पैन कार्ड थे. आधार कार्ड में मृतका का नाम संध्या विजय शिंदे था और वह सतारा शहर की रहने वाली थी.

यह जानकारी मिलते ही जांच अधिकारी आशीष कांमले ने तत्काल अपनी एक टीम सतारा सिटी भेज कर संध्या शिंदे के बारे में जानकारी हासिल की. वहां पता चला कि सतारा सिटी पुलिस थाने में उस के भाई ने उस की गुमशुदगी शिकायत दर्ज करवाई थी.

पुलिस ने उस के भाई से संपर्क कर शव की शिनाख्त के लिए अस्पताल बुलाया. भुइज पुलिस थाने से संध्या शिंदे की हत्या की खबर पाते ही भाई और कुछ रिश्तेदार तुरंत अस्पताल पहुंच गए थे. जहां उन्होंने रोतेबिलखते हुए संध्या शिंदे के शव की शिनाख्त कर ली.

जांच अधिकारी आशीष कांमले ने उन्हें सांत्वना देते हुए जब संध्या शिंदे की हत्या के मामले में पूछताछ की तो उन्होंने बताया कि वह कैटरिंग का काम करती थी. अपने काम की वजह से वह 2-3 दिनों तक घर से बाहर रहा करती थी. उस की सहेलियों में कामले थी, जिस के साथ उस की गहरी दोस्ती थी. संध्या उसे मौसी कहती थी.

संध्या शिंदे के भाई और उन के नातेरिश्तेदारों के बयानों के आधार पर जांच टीम ने जल्द ही कामले मौसी को खोज निकाला.

कामले मौसी ने पुलिस को बताया कि वैसे तो वह संध्या शिंदे के दोस्तों के विषय में कुछ खास नहीं जानती, लेकिन अकसर वह निखिल गोले नाम के व्यक्ति के संपर्क में रहती थी. उसे फोन भी करती और उस के साथ कभीकभार बाहर भी घूमने जाती थी. वह कहां जाती थी, इस विषय में कोई जानकारी नहीं है.

नितिन कौन था, क्या करता था और कहां रहता था. इस बारे में पुलिस को कोई जानकारी नहीं थी. इस कड़ी को सुलझाने के लिए इंसपेक्टर आशीष कांमले ने

॒4 टीमें तैयार कर उन्हें उन की जिम्मेदारी सौंप दी.

पुलिस ने संध्या, उस के घर वालों और कामले मौसी के मोबाइल नंबरों की काल डिटेल्स निकलवा कर उस का बारीकी से अध्ययन किया तो नितिन और संध्या का रहस्य सामने आ गया था.

नितिन गोले का अब पुलिस को पता मिल चुका था. पुलिस ने सादे कपड़ों में उस के ठिकाने पर जब दबिश दी तो कामयाबी नहीं मिली. रात के अंधेरे का फायदा उठा कर पुलिस पर हमला कर वह निकल गया था. जिस के चलते पुलिस टीम को यह यकीन हो गया था कि संध्या का कातिल नितिन गोले ही है.

वह हाथ से निकल गया था, इस के लिए पुलिस को पछतावा तो हुआ, लेकिन ऐसे में उन्हें एक फायदा यह हुआ कि उस का मोबाइल घर पर ही छूट गया था, जिस में उस के सगेसंबंधियों के साथसाथ उस के दोस्तों के भी नंबर थे.

उन नंबरों के जरिए पुलिस ने नितिन गोले की खोजबीन तेजी से शुरू कर दी. साथ ही अपने सभी मुखबिरों को भी उस के प्रति सावधान कर दिया था. ऐसे में उन्हें कामयाबी मिली. 2-4 दिन निकल जाने के बाद सहायक इंसपेक्टर आशीष कांमले को एक मुखबिर ने उन्हें बताया कि नितिन अपने एक दोस्त के संपर्क में अकसर रहता है.

उसे भरोसे में ले कर मुखबिर ने जब पूछा तो उस ने बताया कि वह कर्नाटक के संखकेशवर नगर में रहता है. और एक ट्रक पर क्लीनर का काम करता है.

यह जानकारी पाते ही पुलिस ने उस के मोबाइल को सर्विलांस पर लगा कर उस इलाके की नाकेबंदी कर दी. 2-4 दिनों की नाकेबंदी में वह उन की गिरफ्त में आ गया था.

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थाने ला कर पूछताछ करने पर पहले तो उस ने मुंह नहीं खोला लेकिन सख्ती के बाद जब उस ने अपना मुंह खोला तो एक नहीं बल्कि 2-2 गुनाहों को स्वीकार करते हुए बताया कि प्रेमिका संध्या शिंदे की हत्या के 3 साल पहले अपनी पत्नी मनीषा गोले की भी हत्या कर चुका है. जिस का शव भी उस ने उसी जगह दफनाया है, जहां अपनी प्रेमिका संध्या शिंदे के शव को डाला था.

2-2 महिलाओं की हत्याओं के रहस्य को ले कर पुलिस टीम हैरान थी. वहीं दूसरे दिन जब समाचार पत्रों में यह खबर छपी तो इसे ले कर क्षेत्र में सनसनी फैल गई थी.

सातारा जिले के तालुका वाई के सीरियल किलर संतोष पोल को वहां के लोग अभी भूले भी नहीं थे कि नितिन गोले के रूप में दूसरा हत्यारा उन के सामने आ गया था.

38 वर्षीय नितिन गोले महाराष्ट्र के जनपद सतारा का रहने वाला था. उस के पिता का नाम आनंद राव था. गांव में उन की कुछ पुश्तैनी जमीन थी जिस पर वह काश्तकारी किया करते थे परिवार छोटा था. परिवार में पतिपत्नी के अलावा बेटा नितिन गोले था.

इकलौती औलाद होने के नाते वह मातापिता का लाडला और दुलारा होने के साथसाथ महत्त्वाकांक्षी था. वह सेना में जाना चाहता था. उस का यह सपना साकार भी हुआ था.

अपनी पढ़ाईलिखाई पूरी करने के बाद वह सेना में भरती हो गया. उस की पहली पोस्टिंग आंध्र प्रदेश के बेलगांव में हुई थी. लेकिन 2 महीने बाद ही उस के सिर से देश सेवा का भूत उतर गया था. उसे सर्विस बोझ लगने लगी थी.

सेना के नियमों का पालन न कर पाने की स्थिति में उस ने नौकरी छोड़ दी और घर आ कर अपनी काश्तकारी की देखरेख करने लगा था. मगर जल्द ही उसका मन काश्तकारी से भी ऊब गया और वह सतारा, लोणंद वाठार के रेलवे स्टेशनों पर जा कर हम्माली (सामान उठाने) का काम करने लगा था. इस बीच परिवार वालों ने उस की शादी मनीषा के साथ कर दी थी.

मनीषा को अपनी पत्नी के रूप में पा कर नितिन गोले जितना खुश था, उतनी ही खुश मनीषा भी थी. शादी के कुछ दिन बाद ही वह अपने नए काम की तलाश में महाराष्ट्र के जनपद कोल्हापुर आ गया और एमआईडीसी परिसर की एक प्राइवेट कंपनी में सर्विस करने लगा था.

कुछ दिनों बाद उस ने अपनी पत्नी मनीषा को भी कोल्हापुर बुला कर के उसी परिसर की कंपनी में उस की भी नौकरी लगवा दी थी.

समय अपनी गति से चल रहा था पतिपत्नी दोनों की कमाई से उन का दांपत्य जीवन अच्छी तरह चल रहा था. समय के साथ साथ वह 2 बच्चों का पिता बन गया. बच्चे जैसेजैसे बड़े हो रहे थे, वैसेवैसे उन की जिम्मेदारियां भी बढ़ती जा रही थीं, जिसे दोनों बखूबी निभा भी रहे थे.

लेकिन एक कहावत है कि आदमी की फितरत कब और कैसे बदल जाए, इसे कोई नहीं जानता. यही नितिन गोले के साथ भी हुआ था. मनीषा के खुले विचार और चंचल स्वभाव नितिन गोले को जरा भी पसंद नहीं थे. उस का अपनी कंपनी के कर्मचारियों के साथ हंसनाबोलना बिलकुल ही पसंद नहीं था.

मनीषा अपना काम जिस मेहनत और लगन से करती थी, उस से उस के बौस और उस के कंपनी के कर्मचारियों से उस का मधुर व्यवहार था. उस का अपनी कंपनी के कर्मचारियों से बेझिझक और खुल कर बातें करना नितिन गोले के संदेह का कारण बन गया था, जो समय के साथसाथ एक कू्रर अपराध में बदल गया था.

इस के लिए वह मनीषा को कई बार समझा भी चुका था. लेकिन मनीषा ने उस पर ध्यान नहीं दिया था. उस का कहना था कि वह जिस माहौल में काम करती है, उस में एकदूसरे के संपर्क में रहना ही पड़ता है. मगर नितिन गोले यह मानने को तैयार नहीं था.

मनीषा के चरित्र को ले कर नितिन गोले का संदेह दिनप्रतिदिन गहरा ही होता जा रहा था, जिसे ले कर वह अकसर मनीषा से उलझ जाता था. ऐसे में दोनों के बीच मारपीट तक की नौबत आ जाती थी.

ऐसी स्थिति में वह कोल्हापुर की नौकरी छोड़ कर मनीषा और बच्चों सहित अपने गांव में आ कर रहने लगा था. गांव आने के बाद उस के बाद जो थोड़ीबहुत खेती थी, उसी में वह गुजरबसर करने लगा था. बच्चों को स्कूल में डाल दिया था. सब कुछ ठीकठाक चल रहा था.

लेकिन नितिन गोले के मन में पत्नी के प्रति जन्मा संदेह का कीड़ा मरा नहीं था. वह अकसर उस कीड़े को ले कर के मनीषा से उलझ जाता था. इस में मनीषा भी पीछे नहीं रहती थी. वह भी उसे खरीखोटी सुना दिया करती थी. जिस से गुस्सा हो कर नितिन गोले ने मनीषा के प्रति एक क्रूर फैसला ले लिया था.

पहली मई, 2021 मौका देख कर नितिन मनीषा को घुमाने के बहाने अपने तालुका से बाहर उस जगह पर ले कर गया, जहां उस ने अपनी प्रेमिका संध्या शिंदे को ले कर गया था.

अंधेरे का फायदा उठा कर उस ने मनीषा की हत्या कर गला घोंट कर दी. और उसी खेत के पास बहने वाले नाले में उस के शव को दफन कर घर लौट आया था.

घर में तो उस ने अपने बच्चों को यह समझा दिया था कि उस की मां उन्हें छोड़ कर कहीं चली गई है, लेकिन गांव और परिवार वालों की नजर को वह क्या करता.

उन के संदेह से बचने और अपने को सुरक्षित रखने के लिए वह वाई पुलिस थाने पहुंचा और वहां मनीषा की गुमशुदगी की शिकायत दर्ज करवा दी. गांव में उस ने यह अफवाह फैला दी कि मनीषा अपने किसी यार के साथ भाग गई.

गांव वाले तो मनीषा को भूल ही गए थे, पुलिस ने भी इसे गंभीरता से नहीं लिया. मामला ठंडे बस्ते में चला गया था. कुछ दिनों बाद गांव वालों की भी उस से सहानुभूति हो गई थी.

सब कुछ सामान्य होने के बाद नितिन गोले को अपनी काश्तकारी से जो समय मिलता था, वह सतारा और लोणंद रेलवे स्टेशन पर जा कर हम्माली कर लिया करता था. इस से उस का ऊपरी खर्चा निकल जाता.

30 वर्षीय संध्या शिंदे को नितिन गोले ने अपने एक दोस्त के यहां शादी समारोह में देखा था. जहां वह वेटर के रूप में आई थी. उस का सौंदर्य, उभरा यौवन और उस के स्वागत के हावभाव को देख कर वह उस का दीवाना हो गया हो गया था.

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समारोह में उस ने उस के आसपास ही रह कर उस से बातचीत का सिलसिला बनाए रखा था. और समारोह से निकला तो उस का मोबाइल नंबर ले लिया था.

घर लौटने के बाद वह सो नहीं पाया. सारी रात करवटें बदलता रहा. वह जिस करवट सोने की कोशिश करता था, उसी करवट संध्या शिंदे का मुसकराता हुआ चेहरा आ कर उस के सामने खड़ा हो जाता था.

किसी तरह रात तो बीत गई थी. लेकिन दिन पहाड़ जैसे लग रहा था. आखिरकार शाम होतेहोते उस ने संध्या शिंदे को फोन लगा ही दिया.

दूसरी तरफ से बिना किसी देर के संध्या शिंदे की मीठी आवाज आई, मानो वही बेकरारी संध्या शिंदे में भी थी, जो नितिन गोले में थी. दोनों में कुछ समय तक औपचारिक बातें हुईं और फिर दोनों ने मिलने का समय व स्थान तय किया.

संध्या शिंदे सतारा सिटी की रहने वाली थी. उस के पति का नाम विजय शिंदे था. विजय शिंदे को शराब पीने की बुरी आदत थी. वह पहले तो कोई कामधंधा करता नहीं था और जब करता था तो कमाई का सारा पैसा अपने दोस्तों के साथ शराब की पार्टी में उड़ा दिया करता करता था. जिस से घर की आर्थिक स्थिति काफी खराब हो गई थी.

ऐसे में उस के वैवाहिक जीवन और शारीरिक सुख की बात छोड़ो, रोटी का भी जुगाड़ संध्या शिंदे को ही करना पड़ता था. यही कारण था कि वह केटरिंग का काम करने लगी, जहां उस की सारी आर्थिक स्थिति धीरेधीरे सुधर गई थी.

दोनों के बीच मोबाइल से बात होने के बाद तय समय और स्थान पर पहुंच गए थे. दोनों ने एकदूसरे का स्वागत किया. कुछ देर पार्क में बैठ कर बातें करने के बाद उन्होंने मौल में जा कर शौपिंग की, जिस का बिल नितिन गोले ने चुकाया. इस मुलाकात में पहले दोस्ती और फिर दोस्ती प्यार में बदल गई थी. प्यार हुआ तो उन की मर्यादा भी टूट गई थी. एक बार जब मर्यादा टूटी तो फिर टूटती ही चली गई.

अब जब भी उन्हें मौका मिलता, वे दोनों एकदूसरे से दिल खोल कर मिलतेजुलते और मौजमस्ती किया करते थे. 6 महीने के इस प्यार और दोस्ती में निखिल गोले को झटका तब लगा, जब उसे यह मालूम पड़ा कि उस की पत्नी मनीषा की ही तरह संध्या शिंदे का भी किसी और के साथ चक्कर चल रहा है.

इस वजह से उसे संध्या शिंदे से भी नफरत हो गई. और उस ने उस का भी वही हाल किया, जो अपनी पत्नी मनीषा का किया था.

पहली अगस्त, 2021 को आखिरकार उसे यह मौका मिल ही गया. उस दिन सतारा स्टैंड से संध्या शिंदे को ले कर के वह बाहर निकला और सीधे नागेवाड़ी गया. वहां एक होटल में रह कर 2 दिनों तक मौजमस्ती की. दूसरे दिन उन्होंने माढर देवी के दर्शन का प्लान बनाया था. लेकिन बरसात के कारण वहां नहीं गए.

3 अगस्त, 2021 को नितिन गोले संध्या शिंदे को ले कर उसी जगह गया, जहां 3 साल पहले उस ने अपनी पत्नी मनीषा गोले को ले जा कर हत्या की थी. वहां पहुंचने के बाद वह कुछ समय तक इधरउधर की बातें करते हुए संध्या शिंदे के चरित्र पर बातें करने लगा. जिसे ले कर दोनों के बीच जम कर झगड़ा हुआ.

इस झगड़े के बीच नितिन गोले ने संध्या शिंदे के दुपट्टे से उस का गला घोट दिया था. उस की हत्या के बाद नितिन गोले ने उस के दोनों हाथों को पीछे कर के उस के दुपट्टे से कस कर बांध दिए. और उस का बैग घटनास्थल से दूर फेंक कर अपने घर लौट आया था.

विस्तार से पूछताछ करने के बाद एपीआई आशीष कांमले ने नितिन गोले के खिलाफ भादंवि की धारा 302 के अंतर्गत मुकदमा दर्ज कर घटनास्थल से उस की पत्नी मनीषा गोले की अस्थियों को बरामद कर वह फोरैंसिक जांच के लिए भेज दीं.

इस के बाद उसे सतारा के मेट्रोपौलिटन मजिस्ट्रैट के सामने पेश किया, जहां से उसे जेल भेज दिया. आज वह सलाखों के पीछे है, लेकिन उसे अपने गुनाहों का जरा भी अफसोस नहीं है.

—कथा पुलिस सूत्रों पर आधारित

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