शबनमशबनम बातें उस की
कलियोंकलियों किस्से हैं
कैसे बताऊं नाम मैं उस का
बागेबहारां जिस से है
देख कर उस का हुस्नेजमाल
सितारे प्रकृति से रूठे हैं
चांद भी उस से जलता है
यह फसाना क्या झूठा है
जुगनू सी चमके है वो
मेरी तनहातनहा रातों में
उस की मुहब्बत में जो गुजरा
दिन वह मेरा अच्छा है
उस की मखमल सी बांहों में
खो जाते हैं दिनरात हमारे
रहती दुनिया तक उस का ही हूं
इतना ही वादा उस से है.
- शमा खान
आगे की कहानी पढ़ने के लिए सब्सक्राइब करें
डिजिटल
(1 साल)
USD48USD10

सरिता सब्सक्रिप्शन से जुड़ेें और पाएं
- सरिता मैगजीन का सारा कंटेंट
- देश विदेश के राजनैतिक मुद्दे
- 7000 से ज्यादा कहानियां
- समाजिक समस्याओं पर चोट करते लेख
डिजिटल + 24 प्रिंट मैगजीन
(1 साल)
USD100USD79

सरिता सब्सक्रिप्शन से जुड़ेें और पाएं
- सरिता मैगजीन का सारा कंटेंट
- देश विदेश के राजनैतिक मुद्दे
- 7000 से ज्यादा कहानियां
- समाजिक समस्याओं पर चोट करते लेख
- 24 प्रिंट मैगजीन
और कहानियां पढ़ने के लिए क्लिक करें...
सरिता से और