देवीदेवता चूंकि निरे काल्पनिक होते हैं इसलिए सपने में ही आते हैं. ठीक वैसे ही जैसे सपा प्रमुख अखिलेश यादव के सपने में कृष्ण आ कर रोज कहते हैं कि इस बार उत्तर प्रदेश में सपा की ही सरकार बनेगी और वही रामराज्य लाएगी. बात नई सी है लेकिन भाजपा के (क्षत्रिय) राम के मुकाबले सपा के (यादव) कृष्ण भारी पड़ सकते हैं क्योंकि वे युद्ध ताकत या इच्छाशक्ति से नहीं बल्कि चालाकी व छल से जीतने के लिए गीता का उपदेश दे कर नरसंहार करवा देते हैं.
इस स्वप्न प्रकरण पर छोटेमोटे भाजपाई तो आदतन हल्ला मचा कर रह गए लेकिन योगी आदित्यनाथ फंस गए हैं, जो बेचारे यह भी नहीं कह सकते कि ‘नहीं, चुनाव जिताने का जिम्मा तो श्रीराम का है.’
मायावती चाहें तो अपने सपने में हनुमान के आने की बात कह सकती हैं क्योंकि योगी की नजर में हनुमान शूद्र थे. कांग्रेस को भी वक्त रहते अपने चुनावी सपनों का देवता घोषित कर देना चाहिए.
मराठी राबड़ी देवी
महिलाओं का मजाक बनाने के सनातनी भाजपाई संस्कार कश्मीर से कन्याकुमारी तक समान हैं. इसी कड़ी में महाराष्ट्र भाजपा के तृतीय श्रेणी के एक नेता जितेन गजरिया ने मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे की पत्नी रश्मि ठाकरे की तुलना राबड़ी देवी से महज इस बिना पर कर दी कि उन के अपने पति की जगह संभालने की अटकलें लग रही हैं.
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इस अनुमान को तथ्य में बदलने के लिए उद्धव की तथाकथित बीमारी को खूब प्रचारित किया जा रहा है. पेशे से पत्रकार रश्मि उन पत्नियों में से एक हैं जिन्होंने पति की इमेज गढ़ने में कोई कसर नहीं छोड़ी और कभी भी चर्चाओं और सुर्खियों में नहीं रहतीं.
उद्धव का कुसूर इतना भर है कि वे राजनीति में एक नई प्रमेय गढ़ दी है कि भाजपा को धता बता कर कांग्रेस और एनसीपी के साथ सरकार सफलतापूर्वक चला रहे हैं.
मुंबई की मेयर किशोरी पेडणेकर ने इस नेता को टर्नकोट कहा तो उसे गिरफ्तार कर लिया गया. कुछ दिनों पहले देवेंद्र फडनवीस की पत्नी अमृता ने भी आदित्य ठाकरे को कीड़ा कहा था. इसी से सम?ा जा सकता है कि भगवा गैंग के जख्म रिसना बंद नहीं हुए हैं.
अनदेखी का लुत्फ
बंगाल की हार अभी तक कसक रही है. तिस पर नगरीय चुनावों ने तो वहां से भाजपा को 9 फीसदी वोटों पर समेटते खत्म कर दिया है. भाड़े पर जो टट्टू भगवा गैंग ने पश्चिम बंगाल में रिक्रूट किए थे, मुमकिन है उन का ट्रांसफर यूपी कर दिया गया हो. कुछ भी हो लेकिन अपने आसमान में ममता बनर्जी नरेंद्र मोदी को ऊंचा न देखने देने का कोई मौका नहीं छोड़तीं.
हुआ सिर्फ इतना था कि कोलकाता स्थित चितरंजन राष्ट्रीय कैंसर अस्पताल का वर्चुअल उद्घाटन नरेंद्र मोदी ने किया, जिस के हो जाने के बाद ममता ने उपहास सा उड़ाया कि इस अस्पताल का उद्घाटन तो वे पहले ही कर चुकी हैं.
बचेखुचे गिनती के भाजपाई चेंचेंपेंपें करते रहे और ममता प्रधानमंत्री के भाषण के दौरान अपने मोबाइल से खेलते यह जताती रहीं कि वे सरासर अनदेखी कर रही हैं और इसे सब देख लें तो बेहतर है.
बिना लक्षणों के विलक्षण
मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह की जिंदगी पर आधारित एक किताब ‘विलक्षण जननायक’ का विमोचन एक हिंदूवादी अखबार ने भोपाल में किया. इन दिनों मोदी और योगी की तरह मूर्तियों, नदियों और गायों की राजनीति कर रहे शिवराज ने इस मौके पर किस्सा भी दलितसवर्ण बैर का सुनाया, जिस से ये बातें सिद्ध हुईं-
1- शिवराज सिंह अपने गांव जेत में 24 घंटे रामायण पढ़ते थे. 2- तब दलितों को रामायण में भागीदारी नहीं करने दी जाती थी. 3- शिवराज ने एक हरिजन दादा मलुआ से चंदा लिया था जिस का उन के रिश्तेदारों व गांव वालों ने विरोध किया था.
निष्कर्ष- विमोचन समारोह में थोक में छोटेबड़े धर्मगुरु उन पर आशीर्वचन बरसा रहे थे लेकिन दादा मलुआ के कहीं अतेपते न थे.