1 अप्रैल से नया लेंडिंग रेट फॉर्मूला लागू हो गया है. इसके बाद कुछ बैंकों ने इंटरेस्ट रेट कम किया है और वे इसका फायदा अपने कस्टमर्स को दे रहे हैं. आप भी इसका फायदा उठाकर अपने लोन को कम इंटरेस्ट रेट लेने वाले बैंकों में शिफ्ट कर सकते हैं. अगर आपके पास किसी बैंक से लोन शिफ्ट करने की कॉल आई है तो लोन शिफ्ट करने से पहले इन 6 बातों को जरूर ध्यान में रखें.

इंटरेस्ट रेट को कंपेयर करें

सस्ती ब्याज दर का लाभ लेने के लिए और लोन को किसी दूसरे बैंक में शिफ्ट करने से पहले बैंकों के ऑफर पर अच्छी तरह से रिसर्च करें. कौन सा बैंक किस रेट पर लोन ऑफर कर रहा है, यह जानकारी बैंक की वेबसाइट से प्राप्‍त करें. अगर इंटरेस्ट रेट में मामूली फर्क है और आपको बहुत कम सेविंग होगी तो लोन शिफ्ट न करें. इससे आपको कोई खास फायदा नहीं मिलेगा क्‍योंकि प्रो‍सेसिंग फीस और दूसरे चार्ज में आपको इससे अधिक खर्च हो जाएंगे.

टोटल आउट-फ्लो कैलकुलेट करें

लोन शिफ्ट करने से पहले लोन के टोटल आउट-फ्लो को कैलकुलेट करें. टोटल आउट-फ्लो से मतलब है कि आप जब लोन दूसरे बैंक में शिफ्ट करेंगे तो उस बैंक में कुल कितना भुगतान करना होगा.

उदाहरण: आपने एचडीएफसी से होम लोन ले रखा है. अब कोई दूसरा बैंक कम इंटरेस्ट पर लोन शिफ्ट करने का ऑफर दे रहा है. साथ में लोन का टेन्योर बढ़ाने को भी विकल्प दे रहा है. ऐसे में आप लोन शिफ्ट करने से पहले यह चेक कर लें कि आप यहां पर पूरे टेन्योर में कुल कितना रकम चुकाएंगे. अगर, लोन शिफ्ट करते हैं तो उस बैंक में कुल अमाउंट देना होगा. ऐसा कर आप यह पता कर लेंगे कि आपको कितने अमाउंट की बचत होगी.

प्रोसेसिंग फीस और दूसरे चार्ज को पता करें

लोन शिफ्ट करने से पहले प्रोसेसिंग फीस, स्टाम्प फीस, लीगल चार्ज, वैल्युएशन फीस, टेक्निकल आदि के बारे में पता करें. कई बैंक सिर्फ प्रोसेसिंग चार्ज करते हैं और उसी के अंदर सभी चार्ज को मिला देते हैं. वहीं, कुछ बैंक अलग-अलग चार्ज लेते हैं. बैंक प्रोसेसिंग फीस टोटल आउटस्टैंडिंग अमाउंट पर लेते हैं.

पेनल्टी के गणित को समझें

लोन शिफ्ट करने पर बैंक ग्राहकों से पेनल्टी भी वसूल करते हैं. उदाहरण: अगर, आप होम लोन टेन्योर पूरी होने से पहले शिफ्ट करते हैं तो इसके एवज में बैंक प्री-पेमेंट पेनल्टी चार्ज वसूल करता है. यह चार्ज लोन की रकम का2 फीसदी तक होता है. यानी, अधिक लोन की रकम बकाया है तो एक बड़ी राशि बैंक को चुकाना पड़ सकता है. हालांकि, यह फ्लोटिंग रेट पर नहीं लगता है. अगर, आपने फि़क्स्ड रेट पर लोन ले रखा है तो फोरक्‍लोजर चार्ज या पेनल्टी देना होगा.

कुल बकाया अमाउंट को देखकर लें फैसला

अगर, आपने पहले ही लोन का बड़ा हिस्‍सा चुका दिया है और थोड़ा सा भाग बचा हुआ है तो लोन शिफ्ट नहीं करें. कम इंटरेस्ट पर लोन तभी शिफ्ट करें जब लोन का टेन्योर लंबा और लोन अमाउंट 60 से 70 फीसदी तक देना हो. अगर, लोन अमाउंट 20 से 25 फीसदी शेष हैं तो लोन शिफ्ट करना फायदे का सौदा नहीं होगा.

ऐसा इसलिए कि आप जितनी प्रोसेसिंग फीस और दूसरे चार्ज देंगे उससे कम का फायदा आपको इंटरेस्ट के तौर पर मिलेगा.

कॉस्‍ट का विश्लेषण जरूर करें

लोन का ट्रांसफर तभी फायदेमंद होगा जब कुल बचत शिफ्टिंग पर आने वाले खर्च से अधिक होगी. इसको ऐसे समझें कि अगर, आप किसी दूसरे बैंक में लोन को शिफ्ट कर रहे हैं तो आपका मौजूदा बैंक शेष रकम पर पेनल्टी वसूल रहा है और जिस बैंक में लोन शिफ्ट करा रहे हैं वह प्रोसेसिंग फीस वसूल कर रहा है. इन दोनों की कॉस्ट अगर आपके लोन की अवधि में कुल बचत से कम है तो क्‍या फायदा मिलेगा. इसलिए लोन शिफ्ट करने से पहले कॉस्ट का विश्लेषण जरूर कर लें.

लोन शिफ्ट का प्रोसेस?

लोन शिफ्ट करने के लिए सबसे पहले आपको मौजूदा बैंक में आवेदन देना होगा. आपके आवेदन पर बैंक आपको अनापत्ति प्रमाण पत्र (एनओसी) और एक स्टेटमेंट इश्यू करेगा. स्टेटमेंट में आपके ऊपर लोन की बकाया राशि का उल्लेख होगा. फिर आप जिस बैंक में लोन ट्रांसफर करना चाह रहे हैं उस बैंक में एनओसी जमा करेंगे. इसके बाद वह बैंक लोन की राशि पुराने बैंक को ट्रांसफर करेगा और पुराने बैंक में अकाउंट क्लोज हो जाएगा. साथ ही आपका उस बैंक में दिया हुआ पोस्‍ट डेटेड चेक/ईसीएस रद्द हो जाएगा.

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