आप जानते हैं बैंक को, आपको लुभाकर आपसे राशि वसूलने के कई तरीके आते हैं. आइये हम आपको बताते हैं कि वो 6 बातें जो बैंक आपसे छुपाते हैं या नहीं बताते हैं.
विज्ञापन में कुछ और असल में कुछ और...
आपको कभी भी बैंक विज्ञापन में रेट नहीं दी जाती है. बैंकों को हर आवेदक को विज्ञापन में बताई रेट बताने की आवश्यकता नहीं है. वे हर कस्टमर से अलग-अलग रेट लेते हैं. मसलन अगर आप बैंक से उस ऑफर के बारे में पूछताछ करेंगे तो वह नये खाता धारकों के लिए रहती है.
जल्दी ऋण चुकाना ज्यादा महंगा पड़ता है
आप अतिरिक्त शुल्क से बचने के लिए अपना ऋण समय पर चुकाने की कोशिश करते हैं. लोग अपना लोन और ऋण ये सोचकर जल्दी चुकाते हैं कि ज्यादा चार्ज ना लगे. बहुत से बैंक प्रत्याशित तारीख से पहले चुकाने पर भी फीस चार्ज कर लेते हैं. इसलिए तय वक्त पर ही शुल्क जमा करें. या फिर शुल्क जमा करने से पहले बैंक से इसके चार्जेस के बारे में पूछ लें.
कोई बैंकिंग फ्री नहीं होती
चाहे बैंक आपसे मासिक शुल्क ना ले लेकिन फिर भी बैंकिंग फ्री नहीं है. ओवरड्राफ्ट शुल्क, क्रेडिट बैलेंस पर ब्याज के रूप में हम सभी प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से बैंक को शुल्क देते हैं. यहां तक कि डेबिट कार्ड के उपयोग का भी शुल्क आपसे ही बैंक लेता है.
स्वाइप चार्ज
जब आप अपनी राशि इस्तेमाल करते हैं तो भी बैंक आपसे चार्ज करता है. आजकल हर कोई डिजिटल हो रहा है. जब आप अपना डेबिट या क्रेडिट कार्ड दुकान पर इस्तेमाल करते हैं तो रिटेलर को इस ट्रांजेक्शन का शुल्क देना होता है. यह फीस मुख्यतः आपके बैंक खाते से ही जाती है.
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