कनछेदी लाल को अनुभूति है, आप भी, इंकार नहीं कर सकेंगे. भ्रष्टाचार के संदर्भ में संपूर्ण विश्व एक साझा सरोकार रखता है . हमारा देश भारत तो इस क्षेत्र में अन्यतम स्थान रखता है .आम आदमी से लेकर देश का उच्चतम न्यायालय इस मामले में एक है- कि भ्रष्टाचार, इस देश की रग- रग में फैल चुका है. इसे सामाजिक स्वीकृति मिल रही है .ऐसे में कनछेदी लाल ने यह प्रस्ताव देश के समक्ष रखने की घृष्टता की है कि क्यों न भ्रष्टाचार को हम राष्ट्रीय पर्व बन लें और उसे सकारात्मक भाव से ले.
भ्रष्टाचार को हम खुले हृदय से अपना मित्र माने. गले से लगाएं. सारी दुनिया से खुलेआम कह डालें- आई लव यू करप्शन. अनेकानेक लाभ होंगे.कनछेदी लाल कई दिनों से निंद्रा देवी से कोसों दूर है.प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री सहित देश के लाड़ले राष्ट्र नायकों पर भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप लग रहे हैं.इन दिनों यह कुछ ज्यादा ही हो रहा है. दरअसल मेरा मानना है इसमें दोष हमारे निर्वाचित जनप्रतिनिधियों का नहीं है. भ्रष्टाचार को दैवीय शक्ति प्राप्त है .वह बढ़ता चला जा रहा है. विस्तारित अपने प्रारब्घ से हो रहा है .खेत में बाड़ लगाई जाती है मगर खरपतवार कहां रुकता है. अब प्रारब्घ है .तो भ्रष्टाचार भी विश्वव्यापी शक्ति प्राप्त संस्था है. कनछेदी लाल को महसूस होता है, इसके पीछे हमारे राष्ट्र नायको का कोई हाथ नहीं है .हमारे नायक तो चुकि पद पर हैं इसलिए आरोप सहने मजबूर हैं. इनकी जगह और कोई भी, आप, मैं या हमारा कोई मित्र पद पर होता, वह भी इससे दो-चार होता. तो हमें विशाल हृदय का बनना होगा.
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कनछेदी लाल तो कहता है ‘भ्रष्टाचार देव भव:’ का नारा दिया जाना समाज और राष्ट्रहित में होगा .कनछेदी लाल बड़ा स्वार्थी है. यह काम किसी राष्ट्रीय पुरुष के हाथों संपन्न होना चाहिए. कनछेदी लाल रात भर जागता है, सोचता है, आंखों में नींद नहीं है. भ्रष्टाचार ने ऐसा जादू किया है कि आंखों से नींद, गधे के सिंग की तरह गायब हो गई है .कनछेदी लाल खुश है,- चलो राष्ट्र चिंतन के लिए जीवन का समय लग रहा है इससे बढ़कर इस मस्तिष्क और शरीर का क्या उपयोग हो सकता है.
आखिरकार इस देश में इतनी बड़ी बड़ी बौद्धिक शख्सियते हैं. फिर क्यों नहीं भ्रष्टाचार को उचित सम्मानजनक स्थान, पद प्रदान किया जाता ? मैंने अन्वेषण कर रात रात जागकर यह अनमोल तथ्य राष्ट्र को समर्पित करने खोज निकाला है भ्रष्टाचार देव भव: यह नारा अगर प्रधानमंत्री अथवा राष्ट्रपति एक सेमिनार आयोजित कर राष्ट्र के समक्ष उद्घाटित करें. राष्ट्र को बताएं कि भ्रष्टाचार के क्या-क्या लाभ हैं. हमारी क्या खामियां हैं तो कनछेदी लाल को महसूस होता है यह दुनिया को शुन्य के बाद हमारी महान देन होगी. कुछ लोग सदैव बाल की खाल निकालने वाले होते हैं. कनछेदी लाल ऐसे दुष्टत्मा चेहरों से वाकिफ है. कुछ बुद्धिजीवी का चेहरा ओढे. कुछ छुटभैया राजनेता. कुछ विपक्षी दल, इस नारे का विरोध करेंगे .मगर कनछेदी लाल के पास उनकी काट भी है…आप चिंता न करें. देखिए…सबसे पहले लाभ देखिए . हमारा देश महान है. महावीर, गौतम बुध्द, गांधी का देश है . हमेशा बताया गया है दुश्मनों से प्रेम करो. प्रेम से दुश्मन की आत्मा, ह्रदय परिवर्तन हो जाता है .यह भारतीय राजनीति में अक्सर देखा गया है .श्रीमती सोनिया गांधी के प्रति करुणानिधि का व्यवहार का अध्ययन करने वालो से पूछिएगा . आप देखेंगे अन्नाद्रमुक अर्थात करुणानिधि की पार्टी पर स्वर्गीय राजीव गांधी की हत्या के दरम्यान प्रभाकरण और लिट्टे समर्थक होने का आरोप था . मगर जब सत्ता की बात आती है. प्रेम की ताकत देखिए श्रीमती गांधी करुणानिधि से हाथ मिला लेती है. आज महबूबा मुफ्ती फूटी आंख नहीं सुहाती मगर प्रेम में इतनी शक्ति है कि हृदय परिवर्तन हो जाता है .लालू प्रसाद कभी नीतिश का विरोध करते थे । शरद पवार, पी. ए. संगमा ने का कांग्रेस छोड़ दी थी मुकुल रॉय ने ममतादी को छोड़ भाजपा का दामन थाम लिया की नही. प्रेम की अक्षत शक्ति का उदाहरण देखिए, सभी का हृदय परिवर्तन हो जाता है . कनछेदी लाल का निवेदन है, आप अपने आसपास देखिए ऐसे सैकड़ों उदाहरण मिल जाएंगे.
कनछेदी लाल का स्वार्थ सिर्फ इतना है कि इससे आप प्रेम के कायल हो जाएंगे और मेरी थ्योरी पर ध्यान देंगे.तो अगर हम भ्रष्टाचार को सम्मान देंगे, हमें लगेगा यह भ्रष्टाचार करना है और कहेंगे,भ्रष्टाचार देवो भव: तो भ्रष्टाचार के प्रति हम सहिष्णु हो जाएंगे .देखिए सब आत्मा और मन का मामला है. आत्मा की स्वीकृरोक्ति सारी समस्या का समाधान है. हमारा परिजन किसी की बलात्कार या हत्या कर दे, तो क्या हम निष्ठुर होकर उसे फांसी पर चढ़ने छोड़ देते हैं ? भई ! अपनी जमीन जायदाद बेचकर झूठ बोलकर भी न्यायालय से बचा लाते हैं कि नहीं.
तो, जिस तरह आत्मा, मन हृदय को मना कर हम मन मार कर स्वीकारोक्ति कर लेते हैं. भ्रष्टाचार के संदर्भ में राष्ट्रीय स्वीकारोक्ति करनी है बस .हो गया काम. भ्रष्टाचार देश से समाप्त. दुनिया हमें सम्मान से देखेगी . वाह ! भारत को देखो… देश से भ्रष्टाचार समाप्त कर दिया . कनछेदी लाल चिंतित है. देश चिंतामग्न है. सुप्रीम कोर्ट कुद्र है . भ्रष्टाचार विकराल होकर देश को तोड़ने का कारक बनने जा रहा है. सुप्रीम कोर्ट कह रहा है, देश में अराजकता का माहौल बन जाएगा .भ्रष्टाचारी लोग सड़क पर पीटेंगे . सुप्रीम कोर्ट की चिंता जायज है . मगर सच्चाई को हम स्वीकार करें .हरि अनंत हरि कथा अनंता एक कहावत है न ! तो भ्रष्टाचार भी अनंत है और भ्रष्टाचार की कथा भी अनंता है. कनछेदी लाल ने बहुत-बहुत चिंतन किया है. निष्कर्ष यही है कि कोई ताकत भ्रष्टाचार का निर्मूलन नहीं कर सकती. भगवान भोलेनाथ के माटी के पुत्र श्री गणेश एक उत्पाती और कुद्र बालक थे. सभी देवता उनसे त्रस्त थे .ऋषिमुनि, देवगण और राक्षसों को अपनी ताकत के मद में गणेश ने हलाकान कर रखा था. अंततः त्रिदेव भगवान ब्रह्मा, विष्णु, महेश ने गणेश को प्रतिष्ठापित किया .सर्वप्रथम पूजा का अधिकार दिया. इस तरह गणेश जी शांत हुए. प्रसन्न हुए .बस कन छेदीलाल का भी यही प्रस्ताव है- देश भ्रष्टाचार से प्रेम करें.देवगण माने और हृदय से पूजा करें .भ्रष्टाचार का रौद्र रूप शांत होता चला जाएगा. भ्रष्टाचार विकास की अनिवार्यता में परिवर्तित होकर देश में जन-जन में स्वीकार हो जाएगा.
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