लेखक-सुजीत सिन्हा

उषा को इस बात का मलाल था कि उस का पति किसान है. वह खेतीकिसानी को गंवारों का काम समझती थी. उसे गांव में रहना बिलकुल पसंद नहीं था. उषा की सारी सहेलियां शहर में रहती थीं. जब वे आपस में बातें करतीं तो शहर के माल्स, मल्टीप्लैक्स, मार्केट के बारे में तरहतरह की बातें बतातीं. उषा के पास बताने के लिए कुछ खास नहीं होता. खेत, बागबगीचे के बारे में बात करना वह अपनी तौहीन समझती थी. उषा अपनी सहेलियों में सब से खूबसूरत और तेजतर्रार थी. गोरा रंग, लंबी छरहरी काया और तीखे नैननक्श वाली उषा के पीछे कई लड़के फिदा थे. शादी से पहले उषा का एक प्रेमी भी था.

उषा के परिवार वालों को जब इस प्रेमलीला के बारे में पता चला, तो आननफानन में उस की शादी एक किसान परिवार में करा दी गई. उषा को ससुराल में कोई कमी नहीं थी. उस का पति अमित उस की हर जरूरत का खयाल रखता था. उषा को भी अमित से कोई दिक्कत नहीं थी. बस उसे गांव का लाइफस्टाइल पसंद नहीं था. वह चाहती थी कि अमित भी शहर में जा बसे. दूसरी ओर अमित खेतीकिसानी में कुछ नया करना चाहता था. इस बात को ले कर अकसर दोनों में कहासुनी होती रहती थी. अमित उसे समझाता था, ‘‘उषा, शहर की जिंदगी में बहुत परेशानियां हैं. वहां की रोशनी का अंधकार बेहद गहरा होता है.’’ ‘‘यहां की जिंदगी कौन सी बेहतर है? शहर में कम से कम मौका तो मिलता है,’’

ये भी पढ़ें- सवाल – भाग 1 : मयंक की मां बहू रुचिका के लिए अपनी सोच बदल पाई

उषा भी तुरंत जवाब देती. ‘‘मौका मिलता है, यह कहना आसान है. हकीकत इस से कोसों दूर है. मेरा एक दोस्त विनोद दिल्ली में नौकरी करता है. वह गांव आने वाला है. मैं तुम्हें उस से मिलवाऊंगा. वह तुम्हें शहर की सचाई बताएगा,’’ अमित ने कहा. कुछ दिन बाद विनोद गांव आया. वह रंगीनमिजाज का बांका नौजवान था. वह जब भी गांव आता, घूमघूम कर गांव वालों पर रोब झाड़ा करता था. हालांकि अमित को उस की असलियत मालूम थी. उसे भरोसा था कि लंगोटिया यार होने के नाते विनोद उस की बीवी को सही सलाह देगा. अमित ने विनोद को उषा से मिलवाया. पहली ही नजर में विनोद उषा पर फिदा हो गया. विनोद ने गांवभर में ऐसी खूबसूरत औरत नहीं देखी थी. उषा की नशीली गहरी आंखें, गुलाबी होंठ और उफनती जवानी विनोद की आंखों में अटक गए. वह उषा को पाने के लिए बेचैन हो उठा.

उषा भी विनोद की रंगीली पर्सनेलिटी पर रीझ गई. बातचीत के दौरान विनोद ने भांप लिया कि उषा गांव में खुश नहीं है और शहर में रहना चाहती है. विनोद ने शहरी जिंदगी के चकाचौंध के सब्जबाग दिखा कर उषा पर डोरे डालने शुरू किए. अमित के घर पर न होने पर विनोद उषा से मिलने पहुंच जाया करता था. उषा को भी विनोद की लुभावनी बातें रास आने लगी थीं. एक दिन दोपहर में उषा नहा कर बाथरूम से निकली ही थी कि विनोद पहुंच गया. उषा के खुले भीगे बाल और पेटीकोट में मचलती जवानी ने विनोद को मदहोश कर दिया. उस ने उषा को अपनी बांहों में भर लिया और बेतहाशा चूमने लगा. उषा भी मचल उठी. उस ने विनोद को अपने आगोश में भींच लिया. जवानी के उफान में वे गोते लगाने लगे. फिर यह सिलसिला चल निकला. वे जिस्मानी संबंध बनाने का कोई मौका नहीं चूकते थे. विनोद के दिल्ली लौटने की तारीख नजदीक आ रही थी. उषा विनोद के प्यार में सुधबुध खो चुकी थी. विनोद भी उषा को चाहने लगा था. दोनों ने शादी करने का फैसला किया. वे भाग कर दिल्ली आ गए. विनोद दिल्ली में झुग्गी में रहता था. उषा ने जब झुग्गी में रहने से मना किया, तो विनोद ने झूठ बोल दिया कि वह जल्दी ही बड़ा घर ले लेगा.

ये भी पढ़ें- शौकीन : मीनू की मुलाकात रास्ते में किससे हुई

थोड़े ही दिनों में विनोद की सचाई सामने आ गई. विनोद सिक्योरिटी गार्ड की नौकरी करता था. उस की तनख्वाह इतनी नहीं थी कि किसी अच्छी जगह पर घर ले सके. विनोद और उषा में रोज किसी न किसी बात पर झगड़ा होने लगा. गुस्से में आ कर विनोद उषा की पिटाई भी कर देता था. उषा के सारे अरमान बिखर गए. अब उसे अपनी गलती का एहसास हो रहा था. विनोद के झांसे में आ कर उस ने जो कदम उठाए थे, उस के आगे अंधकार ही अंधकार दिख रहा था. उषा को अमित के साथ गुजारे दिन याद आ रहे थे. अमित भले ही स्टाइलिश नहीं था, लेकिन सच्चा आदमी था. उषा ने हिम्मत कर के अमित को फोन किया, ‘‘अमित, मुझे माफ कर दो. प्लीज, मुझे अपने पास बुला लो,’’ उषा इस से ज्यादा कुछ कह न सकी. ‘उषा, तुम हमेशा से शहर और शहरी लोगों के साथ रहना चाहती थीं. तुम्हें दोनों मिल भी गए हैं. वहीं हमेशा खुश रहो,’ इतना कह कर अमित ने फोन रख दिया. उषा निढाल हो कर बिस्तर पर गिर पड़ी. उसे अपने बहके कदमों का हिसाब ताउम्र चुकता करना था.

और कहानियां पढ़ने के लिए क्लिक करें...