लेखिका-अनीता श्रीवास्तव

जरूरी तो नहीं कि एक लड़का किसी लड़की के लिए जिम्मेदारी तभी ले जब वह उस से किसी रिश्ते में बंधा हो. वह उस का सिर्फ दोस्त हो कर भी तो उसे सुरक्षित रख सकता है, उस का खयाल रख सकता है. है न?  लड़के ने लड़की को मैसेज किया सुंदर से गुलाब के फूल के साथ, जिस की पंखुडि़यों पर ओस की बूंदें थीं. उस के हाथ जुड़े हुए थे और उस पर लिखा था, ‘‘बीते साल में हम से कोई गलती हुई हो तो माफ कीजिएगा. यह साथ नए वर्ष में भी बना रहे.’’ उस मैसेज को पढ़ कर लड़की ने हंसते हुए अनेक इमोजी दाग दिए. ‘‘अरे, ऐसा तो मैं ने कुछ नहीं कहा कि इतना हंसा जाए,’’ बेचारा हैरान सा हो कर रह गया. अभी सोच ही रहा था कि उधर से हंसी वाले इमोजी की एक कतार और टपक पड़ी. अगले दिन जब मुलाकात हुई तो उस ने पूछ ही लिया, ‘‘भला ऐसा क्या था मेरे मैसेज में जो तुम को हंसी आ गई, जोक तो नहीं भेजा था मैं ने.’’ लड़की फिर भी लगातार हंसे जा रही थी.

उस ने थोड़ा झुक कर पेट पकड़ लिया था और दोहरी हुई जा रही थी. लड़की की विस्मय से आंखें फटी जा रही थीं. ‘‘तुम ने जोक नहीं सुनाया, यह तो सही है मगर तुम ने माफी किस बात की मांगी, यह तो बताओ,’’ लड़की ने कहा. ‘‘ऐसे ही, जानेअनजाने गलती हो जाती है. बस, इसीलिए मैं ने इंसानियत के नाते माफी मांग ली.’’ 18 साल की वह लड़की देखने में पूरी तरह मौडर्न कही जा सकती थी. मिनी स्कर्ट के साथ पिंक स्लीवलैस टौप उस पर खूब फब रहा था. कंधे तक कटे बाल उस पर बहुत सूट कर रहे थे. आंखों में लगे मोटेमोटे काजल ने उन्हें और बड़ा बना दिया था. वह इतनी अदा से बोल रही थी कि लड़के की नजर उस के चेहरे से हट ही नहीं रही थी. लड़का कुछ कम स्मार्ट हो, ऐसा नहीं था. अच्छाखासा कद, चौड़े कंधे, स्टाइलिश बाल, उसे देख कर कोई भी लड़की उस पर फिदा हो सकती थी. वे दोनों दिल्ली विश्वविद्यालय में पढ़ते थे. कालेज औफ कैंपस था. आसपास का माहौल भी ऐसा था कि बिगड़े और कुछ लफंगे लड़के ही नजर आते थे. कालेज में सुबह से शाम तक हलचल रहती थी और किसी न किसी बात पर होहल्ला भी होता रहता था.

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वे दोनों कैंटीन में थे. लड़की चल कर बड़ी टेबल तक पहुंच गई. लड़का भी उस के पीछेपीछे चला जा रहा था जैसे सूई के पीछे धागा. लड़की ने टेबल पर अपना पर्स उलट दिया, छोटेछोटे कई सामान गिर पड़े, ब्रेसलेट, ईयर रिंग, रूमाल आदि. उस ने ब्रेसलेट हाथ में उठाया और लड़के की नाक के पास ले गई. लड़के को लगा था माथे पर मारेगी तो थोड़ा पीछे हटा, लेकिन, लड़की नहीं मानी, वह उतना ही आगे झुक गई. ‘‘यह ब्रेसलेट मुझे उस ने दिया,’’ लड़की ने कहा. ‘‘हकलाते हुए उस ने बोला, ‘‘किस ने?’’ ‘‘वह जो फर्स्ट रौ में सब से लास्ट में बैठता है.’’ ‘‘अच्छाअच्छा वह तो…’’ लड़के ने राहत की सांस ली. लेकिन अगले ही पल लड़की ने परफ्यूम उठा लिया और दाएंबाएं शीशी नचाने लगी. पास आते हुए बोली, ‘‘यह मुझे उस ने दिया.’’ ‘‘किस ने?’’ लड़का फिर घबरा गया उसे समझ नहीं आ रहा था कि उस की सांस क्यों तेज चल रही है. ‘‘वही जिस के बाजू पर टैटू है,’’ लड़की बोली, ‘‘और कुछ कहा भी, सुनना चाहोगे?’’ लड़का हकलाने लगा था, ‘‘हां, ब…ब… बताओ… क क क्या कहा था उस ने?’’ ‘‘न्यू ईयर गिफ्ट जानेमन,’’ लड़की ने बताया. लड़के की आंखों की पुतलियां फैल गईं, ‘‘उस ने ऐसा कहा?’’

लड़की अब एक के बाद एक आइटम उठाउठा कर लड़के की आंखों के सामने नचा रही थी और देने वाले का बखान भी कर रही थी. फिर, लड़की एकदम गंभीर हो गई. ‘‘तुम लड़के क्या समझते हो? मित्रता क्या है?’’ लड़का मौन था. जैसे सांप सूंघ गया हो. उसे लड़की की ओर देखने के अलावा कुछ और सूझ नहीं रहा था. न सूझने के कारण ही वह अवाक था. ऐसा लगने लगा जैसे उस की आंखें 2 बटन की तरह लड़की के चेहरे पर टांक दी गई थीं. लड़की अब तटस्थ हो चली थी, ‘‘तुम लड़के हम से मित्रता करते ही क्यों हो? क्योंकि यह एक अच्छा टाइमपास है?’’ उस ने अपना मुंह दूसरी ओर घुमा लिया. ‘‘नहीं, ऐसा नहीं है,’’ लड़का मुश्किल से बस इतना ही बोल पाया. ‘‘तो फिर बताओ,’’ लड़की अब काफी नजदीक आ गई थी. उस का चेहरा फिर लड़के के चेहरे के बिलकुल सामने था जैसे कि उस की आंखें लड़के की आंखों में कूदी जा रही थीं. ‘‘तुम ने कभी इन सब को रोका क्यों नहीं, तुम तो जानते थे कि ये सब मुझे तंग करते हैं या नहीं, जानते थे. बोलो?’’ उस के हाथ से चुटकी बजी. ‘‘हां, थोड़ा तो…’’ लड़के ने जवाब दिया. ‘‘तो फिर?’’ लड़की ने उसे घूरते हुए कहा. ‘‘सौरी,’’ लड़का झिझकते हुए बोला. ‘

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‘सौरी क्यों बोल रहे हो,’’ लड़की ने आश्चर्य से उस की ओर देखते हुए कहा. ‘‘मुझे इन सब के बारे में पता नहीं था लेकिन जब मैं उन सब को तुम्हारी तरह देखता, तो मुझे लगता था जैसे तुम्हें यह अटैंशन अच्छी लगती है.’’ ‘‘क्या, सच में?’’ ‘‘हां, पर सच अब जान पाया हूं और गलती का एहसास हो रहा है.’’ लड़के को फिर से कुछ सूझ नहीं रहा था. कुछ न सूझने की यह बीमारी उस की एकदम नई थी. बेचारा सही अर्थों में मिट्टी का माधो हो गया था. वैसे लड़का था मेधावी. हमेशा मैरिट लिस्ट में रहता था. स्कूल के दिनों में ऐथलीट भी रहा. लेकिन इधर कालेज में आने के बाद किताबी कीड़ा हो गया था. पिता की बेकरी शौप पर भी कभीकभी बैठ लेता था. ग्राहकों से मिठयामिठया कर बोलता. वैसे कोई ऐब नहीं था लड़के में. बस, दिन में 2-4 मैसेज वह लड़की को कर ही देता था. उस का हालचाल पूछता, गुडमौर्निंग और गुडनाइट के अलावा फलानेढिमकाने दिवस की शुभकामनाएं देता रहता और हां,

उस की डीपी को एकांत में जूम कर के देखा करता. शायद लड़का लड़की को मन ही मन चाहता था पर बेचारा बोलने से घबरा जाता. उसे लगता, कहीं जितनी बात होती है वह भी बंद न हो जाए. इधर लड़की को भी लड़के की संजीदगी पसंद थी. लड़की के सामने आने पर वह मुसकरा कर रह जाता, कभीकभी हाय बोलता. कभी अधिक बात नहीं करता था. यही उस की एक बात थी जो लड़की को अच्छी लगती थी. वह चाहती थी इस घोंचू से कुछ कहे, मगर क्यों कहे, क्या उसे खुद नहीं दिखाई देता? जब परफ्यूम वाले लड़के ने परफ्यूम गिफ्ट किया था और जानेमन कहा था तो सातों समंदर उस के अंदर खौल पड़े थे, फिर भी वह ऊपर से शांत पानी थी. लहर का कोई निशान नहीं. निर्भया के साथ क्या हुआ इधर हैदराबाद में वेटेरिनरी डाक्टर का भी कैसा हाल हुआ था. उन्नाव में भी… तभी उसे उस लड़की का चेहरा याद आ गया. वह किसी से मदद नहीं मांग सकती. हां, यह लड़का है न, कुछ और नहीं तो कम से कम उस के साथ चल तो सकता है, उन से बात कर सकता है समझा सकता है. लेकिन लड़के ने ऐसा कुछ नहीं किया. वह किसी तरह व्हाट्सऐप नंबर पा गया था और इतने में ही खुश था. लड़की ने लंबी सांस ली और बताया,

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‘‘मैं अब क्लासेस अटैंड नहीं करूंगी.’’ ‘‘क्यों?’’ लड़के ने पूछा. ‘‘डर लगता है कहीं मैं भी… निर्भया…डाक्टर… उन्नाव… समझ गए न? मुझे इस माहौल में डर लगता है कभीकभी.’’ ‘‘चुप,’’ न जाने कैसे लड़के का हाथ लड़की के मुंह तक चला गया. लड़की की आंखों में 2 बूंदें आंसू की छलक आई थीं. इस बार सातों समंदर में एकसाथ ज्वार आया था. ‘‘मैं वादा करता हूं,’’ लड़का अब तक स्वयं को संतुलित कर चुका था. ‘‘तुम्हारी सुरक्षा अब मेरी जिम्मेदारी है. तुम्हें अकेला नहीं छोड़ं ूगा. तुम्हें अब से कोई तंग नहीं करेगा,’’ कहते हुए लड़का एक समझदार वयस्क की तरह पेश आ रहा था. लड़की अब सुबकने लगी थी. उस ने लड़के का हाथ अपने मुंह से हटा दिया, ‘‘मगर वे तुम्हें कुछ करेंगे तो नहीं? झगड़ा मत करना प्लीज’’ लड़की को अब एक अलग तरह का डर सताने लगा था.

‘‘मैं ऐसा कुछ नहीं करूंगा,’’ उस ने लड़की का हाथ अपने हाथ में ले लिया, ‘‘मैं सिर्फ और सिर्फ तुम्हारे साथ रहूंगा, देखूंगा तुम्हें कोई तंग न करे, तुम्हें अकेला नहीं छोड़ं ूगा, बस.’’ ‘‘सच?’’ लड़की खुश थी. उस ने लड़के के कंधे को अपने सिर से हलका धक्का दिया, ‘‘जाओ, अब माफ किया.’’ ‘‘हैं?’’ लड़का फिर हैरान था. ‘‘नए साल में अगर मुझ से कोई गलती हो गई हो तो प्लीज मुझे माफ करना. यह साथ यों ही बना रहे,’’ कहते हुए लड़की के मुंह से फूल और सितारे झड़ रहे थे जो सीधे धरती से आकाश तक फैल गए थे. लड़का लड़की को खुश देख कर खुश था.

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