होली का त्योहार उत्साह, उमंग और उल्लास का त्योहार है. इस दिन रंग-गुलाल उड़ा कर और मिठाइयां खा व खिला कर खुशियां बांटी जाती हैं. लेकिन कई बार जरा सी लापरवाही के चलते इस खूबसूरत त्योहार में रंग में भंग पड़ जाता है और खुशियों व उमंगों वाला यह त्योहार सेहत के साथ खिलवाड़ बन जाता है.

1 बनाएं हैल्दी पकवान :

होली में जहां एक ओर रंगों की फुहार का लोग मजा लेते हैं वहीं दूसरी तरफ बिना मिठाइयों के होली अधूरी लगती है. वहीं, कई बार बाजार की मिलावटी मिठाइयों और गलत खानपान के चलते सेहत की अनदेखी हो जाती है. एशियन इंस्टिट्यूट औफ मैडिकल साइंसैज की डाइटीशियन शिल्पा ठाकुर  के अनुसार, ‘‘होली का सही माने में मजा लेना है तो स्वाद और सेहत दोनों को ध्यान में रखते हुए होली के व्यंजन घर पर ही बनाएं. होली पर घर में बनी ठंडाई, शरबत, गुझिया, कांजी वडा, पापड़ खाएं और इस त्योहार का मजा उठाएं. अगर आप अपने बढ़ते वजन को ले कर परेशान हैं लेकिन साथ ही होली का मजा भी लेना चाहती हैं तो हर चीज खाएं लेकिन सीमित मात्रा में.

‘‘दरअसल, यह बदलता मौसम होता है जब ठंडक जा रही होती है और गरमी का आगमन हो रहा होता है. ऐसे में ठंडा खाने का मन करता है. इस समय होली खेलने के दौरान व होली के समय अपने शरीर को स्वस्थ रखने के लिए तलाभुना व ज्यादा मीठा खाने की जगह फलों का अधिक से अधिक प्रयोग करें. फ्रूटचाट बनाएं और खुद खाएं व मेहमानों को भी खिलाएं.’’

2 पेट का रखें ध्यान :

मिलावटी मिठाइयों का सेवन आप को अस्पताल पहुंचा सकता है. इसलिए कोशिश यही होनी चाहिए कि बाजार की मिलावटी मिठाई खाने से बचें क्योंकि मिलावटी दूध, पनीर व घी से बनी मिठाई खाने से लिवर को नुकसान हो सकता है और आंतों में सूजन, फूड पौइजनिंग, उलटी, दस्त, सिरदर्द, पेटदर्द व त्वचा रोग जैसी स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं हो सकती हैं. रौकलैंड अस्पताल के गैस्ट्रोलौजिस्ट डा. एम पी शर्मा कहते हैं, ‘‘होली में अकसर लोग रंगगुलाल लगे हाथों से खाना खा लेते हैं. गंदे हाथों से खाना खाने से इन्फैक्शन होता है. इन्फैक्शन की वजह से डायरिया, उलटी, दस्त आदि होने लगते हैं.

‘‘होली के दिन कई तरह के तेलों में फ्राइड पकौड़े वगैरा खाने से पेट में गैस बनने लगती है या फिर पेट फूलने लगता है. इसलिए होली के दिन घर से जब भी निकलें तो खाना खा कर निकलें या फिर हाथों में रंग लगाने से पहले खाना खा लें. भांग व शराब का सेवन कतई न करें क्योंकि भांग के रिऐक्शन कई तरह से होते हैं. इसलिए मादक पदार्थों से दूर रहें. होली को मस्ती से मनाएं. पेट को कबाड़ न समझें और खानपान को ठीक रखें.’’

3 रंग में न हो भंग :

अब रंगों का रूप बदल गया है. जहां पहले अबीर, गुलाल, टेसू, केसर आदि रंगों से होली खेली जाती थी, वहीं आज पेंट मिले पक्के रंगों से खेली जाती है. ये रंग शरीर को नुकसान पहुंचाते हैं.

होली खेलने से पहले पूरे शरीर पर वैसलीन या कोल्डक्रीम लगा लें. इस से आप की त्वचा पर रंगों का सीधा प्रभाव नहीं पड़ेगा. बालों पर रंगों का दुष्प्रभाव न पड़े, इस के लिए रात को ही बालों में कोई तेल लगा लें. रंगों से नाखूनों को भी जरूर बचाएं. नाखूनों पर रंग न चढ़े, इसलिए पहले से ही कोई नेलपौलिश नाखूनों पर लगा लें. इस से रंग नाखूनों पर न चढ़ कर नेलपौलिश पर ही चढ़ेगा. यदि रंग नाखूनों के अंदर या आसपास की त्वचा पर चढ़ जाए तो उसे साबुन से रगड़ने के बजाय 2-3 बारी नीबू से रगडें़. होली खेलने के बाद सब से बड़ी परेशानी जिद्दी रंग को साफ करने की होती है. जिद्दी रंग को साफ करने के लिए साबुन के बजाय कच्चे दूध का उपयोग कर त्वचा की धीरेधीरे मसाज करें या मौइश्चराइजिंग क्रीम का उपयोग कर रंग को साफ करने की कोशिश करें. त्वचा में अगर जलन हो रही हो तो जलन को खत्म करने के लिए आप खीरे के रस का प्रयोग करें. बेसन के साथ कच्चे दूध से बना पेस्ट आप के चेहरे के रंग को दूर करने का सब से आसान तरीका है. अगर आंखों में रंग जाने की वजह से आंखों पर जलन महसूस हो रही हो तो खीरे को काट कर थोड़ी देर के लिए पलकों के ऊपर रख लें. इस से आंखों को ठंडक मिलेगी और जलन से भी काफी रहत मिलेगी.

4 गर्भवती महिलाएं ध्यान दें :

यों तो कैमिकलयुक्त रंग और मिलावटी मिठाइयां किसी के लिए भी खतरनाक हो सकती हैं पर गर्भवती महिलाओं को खास खयाल रखने की सलाह दी जाती है. कैमिकलयुक्त रंग और मिलावटी मिठाइयां गर्भवती महिला और उस के गर्भ में पल रहे बच्चे, दोनों ही के लिए नुकसानदेह साबित हो सकती हैं.

एशियन इंस्टिट्यूट औफ मैडिकल साइंसैज की गाइनीकोलौजिस्ट डा. पूजा ठकुराल के अनुसार, ‘‘गर्भावस्था में महिलाओं की रोगप्रतिरोधक क्षमता कम हो जाती है. ऐसे में, होली के समय गर्भावस्था में कैमिकल आधारित रंगों का प्रयोग स्वास्थ्य की दृष्टि से खतरनाक हो सकता है. इन से गर्भवती महिला के रिप्रोडक्टिव सिस्टम को नुकसान पहुंच सकता है और उसे समयपूर्व प्रसव व बच्चे के विकास से जुड़ी समस्याएं हो सकती हैं. अगर गर्भवती महिला को होली पर रंग खेलना ही है तो वह गीले रंगों के बजाय सूखे हर्बल रंगों का इस्तेमाल करे. जहां तक होली के समय मिठाइयों के सेवन की बात है, गर्भवती महिलाएं घर की बनी मिठाइयां, नमकीन आदि खा सकती हैं, साथ ही नारियल पानी वगैरा ले सकती हैं.’’

5 दिल के रोगी रखें खयाल :

इंडियन मैडिकल एशोसिएशन के अध्यक्ष व जानेमाने कार्डियोलौजिस्ट डा. के के अग्रवाल कहते हैं, ‘‘दिल के मरीजों को हमेशा चीनी, चावल व मैदा से दूर रहना चाहिए. मिठाइयों का सीमित मात्रा में सेवन करें क्योंकि इन में अत्यधिक मीठा और ट्रांस फैट होता है. साथ ही, उन्हें डीप फ्राइड चीजें और नमक के अधिक सेवन से भी परहेज करना चाहिए. दिल के रोगी होली खेलते समय ज्यादा दौड़भाग न करें व नशे से दूर रहें. नशा करने से दिल की धड़कन बढ़ने, रक्तचाप बढ़ने और कार्डियक अरेस्ट जैसी समस्याएं हो सकती हैं, जो दिल के रोगियों के लिए जानलेवा भी साबित हो सकती हैं.

‘‘इस के अलावा विशेष रूप से ध्यान देने की जरूरत यह है कि जो रंग या गुलाल ज्यादा चमकदार होगा उस में ज्यादा कैमिकल मौजूद होते हैं. इसलिए ऐसे रंगों से बचें. अब तो रंगों व गुलाल को चमकीला बनाने के लिए उन में घटिया अरारोट या अबरक पीस कर मिला दिया जाता है. बाजार में घटिया क्वालिटी के जो रंग बेचे जाते हैं वे ज्यादातर औक्सीडाइज्ड मैटल होते हैं. हरा रंग कौपर सल्फेट, काला रंग लेड औक्साइड से तैयार किया जाता है. ये रंग बहुत ही खतरनाक होते हैं. आंखों को हरे रंग से बचाना बहुत ही जरूरी है. बेहतर यही है कि हर्बल रंगों से होली का लुत्फ उठाएं.’’

 

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