प्रो. रवि प्रकाश धान खरीफ की मुख्य फसल है. अगर कुछ बातों का शुरू से ही ध्यान रखा जाए, तो धान की फसल ज्यादा मुनाफा देगी. धान की खेती की शुरुआत नर्सरी से होती है, इसलिए बीजों का अच्छा होना जरूरी है. कई बार किसान महंगा बीजखाद तो लगाते हैं, लेकिन सही उपज नहीं मिल पाती है, इसलिए बोआई से पहले बीज व खेत का उपचार कर लेना चाहिए.
बीज महंगा होना जरूरी नहीं है, बल्कि विश्वसनीय और आप के क्षेत्र की जलवायु और मिट्टी के मुताबिक होना चाहिए. जगह के हिसाब से धान की किस्में विकसित की जाती हैं, इसलिए किसानों को अपने जनपद या क्षेत्र के हिसाब से विकसित किस्मों की ही खेती करनी चाहिए. मई महीने की शुरुआत से किसानों को खेती की तैयारी शुरू कर देनी चाहिए, ताकि मानसून आते ही धान की रोपाई कर दें.
किसानों को बीज शोधन के प्रति जागरूक होना चाहिए. बीज शोधन कर के धान को कई तरह के रोगों से बचाया जा सकता है. नर्सरी डालने का समय अगर मई महीने के आखिरी हफ्ते में नर्सरी नहीं डाली हो, तो जून के पहले पखवाड़े तक नर्सरी जरूर डाल दें. सुगंधित किस्मों की नर्सरी जून के तीसरे हफ्ते में डालनी चाहिए.
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- अपने क्षेत्र के हिसाब से करें धान की किस्मों का चयन : ज्यादातर किसान बीज विक्रेता, अपने पड़ोसी या रिश्तेदार के कहने पर ही धान के बीज को चुनते हैं, जबकि प्रदेश में अलगअलग क्षेत्र के हिसाब से धान की किस्मों को विकसित किया जाता है, क्योंकि हर जगह की मिट्टी, वातावरण अलग तरह का होता है. अपने क्षेत्र के लिए विकसित धान की किस्मों का चयन करें, तभी अच्छी पैदावार मिलेगी. पूर्वांचल के लिए विकसित किस्में असिंचित दशा में : नरेंद्र-118, नरेंद्र-97, साकेत-4, बरानी दीप, शुष्क सम्राट, नरेंद्र लालमनी. 90-110 दिन में पक कर तैयार. सीधी बोआई. 15 जून से जुलाई का पहला हफ्ता. सिंचित दशा में : सिंचित क्षेत्रों के लिए जल्दी पकने वाली किस्मों में पूसा-169, नरेंद्र-80, पंत धान-12, मालवीय धान-3022, नरेंद्र धान-2065. पकने की अवधि 90-125 दिन. उपज क्षमता 45-60 क्विंटल प्रति हेक्टेयर.
2. मध्यम पकने वाली किस्में : पंत धान-10, पंत धान-4, सरजू-52, नरेंद्र- 359, नरेंद्र-2064, पूसा-44, पीएनआर-381 प्रमुख किस्में हैं, जो 125-135 दिन में पक कर तैयार हो जाती हैं. उपज 60-65 क्विंटल प्रति हेक्टेयर. ऊसरी जमीन के लिए धान की किस्में नरेंद्र ऊसर धान-3, नरेंद्र धान-5050, नरेंद्र ऊसर धान-2008. अवधि 125-145 दिन. उपज 45-55 क्विंटल प्रति हेक्टेयर. जलभराव क्षेत्र के लिए किस्में : वीपीटी-5204, एएनडीआर-8002, स्वर्णा सब-1, जो 145-155 दिन में पक कर तैयार होती है.
3. उपज क्षमता 35-40 क्विंटल प्रति हेक्टेयर. सुगंधित किस्में : टा-3, बासमती-370, पूसा बासमती-1, नरेंद्र सुगंधा. 130-140 दिन में पक कर तैयार. उपज क्षमता 30-45 क्विंटल प्रति हेक्टेयर. बीज की मात्रा : बीज की दर प्रति वर्गमीटर पौधों की सघनता, बिचडे़ की उम्र, बीज के आकार पर निर्भर करती है. एक हेक्टेयर क्षेत्रफल के लिए महीन किस्में 30 किलोग्राम, मध्यम 35 किलोग्राम, मोटे धान 40 किलोग्राम, ऊसर भूमि के लिए 60 किलोग्राम, जबकि संकर किस्मों के लिए 20 किलोग्राम बीज की जरूरत होती है.
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4. नर्सरी के लिए क्षेत्रफल और क्यारियां : एक हेक्टेयर क्षेत्रफल में रोपाई के लिए 800-1000 वर्गमीटर नर्सरी क्षेत्र की जरूरत होती है. पौधे तैयार करने के लिए 1.25 मीटर चौड़ी व 8 मीटर लंबी क्यारियां बना लेते हैं और प्रति क्यारी (10 वर्गमीटर) में 225 ग्राम यूरिया, 500 ग्राम सिंगल सुपर फास्फेट और 50 ग्राम जिंक सल्फेट मिलाते हैं. ऐसे करें अंकुरित बीज : नर्सरी डालने से पहले स्ट्रेप्टोमाइसिन सल्फेट 90 फीसदी+ट्रेट्रासाईक्लीन हाइड्रोक्लोराइड 10 फीसदी की 4 ग्राम मात्रा 100 लिटर पानी में मिला कर बीज को घोल में रातभर भिगो दें.
दूसरे दिन बीज को छान कर उपचारित करें. बीज को गीले बोरे में लपेट कर ठंडे कमरे में रखें. समयसमय पर इस बोरे पर पानी का छींटा देते रहें. तकरीबन 36-48 घंटे बाद बोरे को खोलें. बीज अंकुरित हो कर नर्सरी डालने के लिए तैयार हो जाते हैं. पहले से बनी क्यारियों में शाम को पानी भर कर अंकुरित बीज की बोआई करें. अगर गरम मौसम हो, तो दूसरे दिन सुबह पानी निकाल दें और जरूरत के मुताबिक सिंचाई करते रहें. 21-25 दिन में रोपने लायक नर्सरी तैयार हो जाती है.