समीक्षाः
वेब सीरीजः
‘‘इंदोरी इष्कःअभिनेता रित्विक साहोर के शानदार अभिनय पर गंदी गालियों, सेक्स,शराब,सिगरेट,ड्ग्स ने फेर दिया पानी ’’
रेटिगः दो स्टार
निर्माता: समित कक्कड़ फिल्मस
निर्देशकः समित कक्कड़
लेखक: कुणाल मराठे
कलाकार: रित्विक साहोर,वेदिका भंडारी,आशय कुलकर्णी,धीर हीरा, डोन्ना मुंशी,तिथि राज,मीरा जोशी, तरूण दुदेजा,संजय भाटिया, आभा वेलणकर,दीप्ति देवी,अनिल राजपूत व अन्य
अवधिःलगभग साढ़े चार घंटे,25 से 35 मिनट के नौ एपीसोड
ओटीटी प्लेटफार्म: एमएक्स प्लेअर
मशहूर एड मेकर अमर कक्कड़ के बेटे समित कक्कड़ ने बतौर एडीटर टीवी इंडस्ट्री में अपने कैरियर की शुरूआत की थी.बाद में उन्होने ‘‘ऐना का बैना’’,‘‘हाफ टिकट’’और ‘‘आश्चर्य फक इट’’फिल्मों का निर्माण व निर्देशन किया.अब समित कक्कड़ किशोरावस्था में शुरू होने वाली घिसी पिटी प्रेम कहानी को लेकर आए हैं,जिसमें प्रेमिका अपने प्रेमियों को धोखा देती रहती है.
इसी के साथ समित कक्कड़ ने इसमें सेक्षन 375 का मुद्दा भी उठाया है कि एक लड़की को जब प्रेम में लड़का धोखा देता है,तो उस पर सेक्षन 375 के तहत सजा का प्रावधान है.मगर जब एक लड़की किसी लड़के से प्यार का झूठा नाटक कर उसके साथ शारीरिक संबंध बनाने के बाद धोखा देती है,तो उसके खिलाफ सेक्षन 375 लागू नही होता.
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कहानीः
यह कहानी इंदौर शहर के एक ज्यूनियर काॅलेज से षुरू होती है,जहां 12 वीं कक्षा का लड़का कुणाल मराठे(रित्विक साहोर ) अपनी सहपाठिन तारा (वेदिका भंडारी ) से प्यार करता है,मगर अपने प्यार का इजहार नहीं कर पाता.जबकि कुणाल का दोस्त व सहपाठी हरी(धीर हीरा) बार बार उसे प्यार का इजहार करने के लिए उकसाता रहता है.तारा से प्यार के चक्कर में कुणाल अपनी पढ़ाई पर कम ध्यान देता है.इससे कुणाल के पिता(संजय भाटिया) ,माॅं (आभा वेलणकर)व बहन(दीप्ति देवी ) परेशान रहती है.
कुणाल के पिता उसे मर्चेंट नेवी में अफसर बना हुआ देखना चाहते हैं.12वीं की पढ़ाई खत्म होने से पहले कुणाल,तारा के सामने आपने प्यार का इजहार कर देता है,जिसे तारा स्वीकार कर लेती है.फिर दोनों के बीच शारीरिक संबंध भी बनते हैं.दोनों एक दूसरे के संग जीने मरने की कसमें खाते हैं.मर्चेंट नेवी की पढ़ाई के लिए कुणाल को मुंबई जाना पड़ता है.मुंबई में कुणाल को अपने एक रिष्तेदार विक्रम का खाली पड़ा आलीशान मकान रहने को मिल जाता है.
कुणाल को इंटे्ंस परीक्षा की तैयारी कराने के लिए विक्रम के कहने पर महेश उसके साथ रहने आ जाता है.महेश सिगरेट पीने,शराब पीने के साथ ही हर दिन नई लड़की के साथ ‘सेक्स’करने की लत का शिकार है.यहां तक कि एक साथ दो दो लड़कियों के साथ वह रति कीड़ा करता है और बार बार कुणााल से भी यही सब करने के लिए कहता है.मगर कुणाल तो तारा का पवित्र प्रेमी है.विक्रम के फ्लैट के सामने रहने वाली कामना (तिथि राज )के प्यार को भी कुणाल ठुकरा देता है.कुछ दिन तारा व कुणाल के बीच फोन पर बातचीत होती रहती है,फिर तारा,कुणाल को नजरंदाज करने लगती है.कुणाल व महेश दोनो इंट्रेंस परीक्षा पास कर लेते हैं और अब उन्हे कालेज एडमीशन लेना है.
कुणाल की माॅं अपने जेवर बेचकर कालेज की फीस भरने के लिए एक लाख बीस हजार रूपए भेजती है.सी बीच कुणाल को पता चल जाता है कि तारा ने उसे धोखा देकर रोनित के प्यार में दीवानी हो गयी है.कुणाल अपने प्यार यानी कि तारा को पाने के लिए मुंबई से इंदौर आता है,पर तारा साफ की देती है कि अब उसका रिश्ता रोनित से है.इतना ही नही एक दिन तारा,कुणाल के ही घर में कुणाल के सामने रोनित संग शारीरिक संबंध बनाती है.
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प्यार में मिले धोखे से पूरी तरह टूट चुका कुणाल मुंबई वापस आता है और विक्रम के घर से अपना सामान लेकर एक गंदी बस्ती में रहने जाता है,जहां उसे एक रंडी का धंधा कर रही रेश्मा(डोन्ना मंुषी )उसे किराए का मकान दिलाती है.वह बताती है कि उसका प्रेमी बिलाल जेल में है और उसे मजबूरन दिन में खोली की दलाली और रात में जिस्म का सौदा करना पड़ता है.
इधर धोखा खाए प्रेमी की तरह कुणाल चैबिसों घंटे शराब व सिगरेट में डूबा रहता है.महेश उसका पता लगाते हुए आता है और समझाने का प्रयास करता है.यहां तक कि महेश बताता है कि जब से उसे प्रेमिका के रूप में कामना मिली है,तब से उसने शराब छोड़ दी है.पर कुणाल सुनने को तैयार नही है.एक दिन रेशमा भी कुणाल को समझाती है कि अब उसे सही राह पकड़ी चाहिए.जिंदगी हर किसी को दूसरा मौका देती है.तब कुणाल कालेज में एडमीशन लेने का निर्णय लेता है,मगर तब तक बहुत देर हो चुकी थी.महेश के समझाने पर वह आलिया (मीरा जोषी )के साथ प्यार की पेगें बढ़ाता है.
मगर आलिया के साथ यौन सुख लेते समय कुणाल के मुॅह से तारा का नाम निकल जाता है,जिसके चलते आलिया भी उसे छोड़कर अपने पहले प्रेमी रोषन (राहुल देवचके) के पास लौट जाती है.आलिया से संबंध खत्म होने के बाद कुणाल एक फाइव स्टार होटल मेें वेटर की नौकरी कर लेता है,टिप्स में मिली रकम से कार खरीद लेता है.मगर शराब की लत नही गयी.एक वर्ष बाद तारा रोते हुए कुणाल को फोन करती है,कुणाल पागल सा दौड़कर इंदौर पहुॅच जाता है और तारा पर यकीन कर उसकी मदद कर रोनित से छुटकारा दिलाता है.
कुणाल को एक बार फिर अपना प्यार यानी कि तारा मिल जाती है.दोनो शादी करने की बात करते हैं.पर अचानक कुणाल को अपने 21वें जन्मदिन पर पता चलता है कि तारा तो प्रत्यूष(तरूण दुदेजा)के साथ रंगरेलियां मना रही है.उसके बाद कई घटनाक्रम बदलते हैं और कुणाल एक नया निर्णय लेता है.
लेखनः
इस वेब सीरीज की सबसे बड़ी कमजोर कड़ी इसके लेखक है.कहानी में कुछ भी नयापन नही है.पटकथा काफी ढीली ढाली है.कई जगह बहुत बोर करती है.लेखक ने किषोर व की अधूरी प्रेम कहानी के साथ सेक्षन 375 की भी बात की है,मगर इस वेब सीरीज को देखने के बाद इसी बात का अहसास होता है कि लेखक के अनुसार छोटे शहरों में युवा पीढ़ी, खासकर किशोरवय के विद्यार्थी स्कूल पढ़ाई करने नही बल्कि गंदी बातें,गाली गलौज व प्यार करनेजाते हैं और इनके प्यार के मायने है 24 घ्ंाटे सेक्स में डूबे रहना और कपड़ों की तरह प्रेमी (लड़के)व प्रेमिका (लड़की)बदलना.लेखक ने सेक्षन 375 की भी बात की है,मगर सही ढंग से कुछ नही कह पाए.बहुत बचकाने ढंग से यह मुद्दा उठाया गया.इस वेब सीरीज में लेखक ने बेवजह रोजमर्रा की बातचीत के दौरान गंदे गंदे शब्द पिरो दिए हैं.सेक्स दृष्य जिस तरह से परोस गए हैं,उससे अच्छा था कि इसे ब्लू फिल्म ही बना डालते.यहां तक थ्रीसम( एक ही समय में एक लड़के द्वारा दो लड़कियों संग शारीरिक संबंध बनाना) भी दिखा दिया.
कुछ संवाद जरुर अच्छे बन पड़े हैं.लेखक स्वयं महाराष्ट्यिन हैं,मगर उन्हे यही नही पता कि ‘दाल वाटी’राजस्थानी डिश है.
निर्देशन:
निर्देशक समित कक्कड़ ने जो कथा कथन की शैली चुनी है,वह दर्शकों को भ्रमित करती रहती है.कहानी बार बार वर्तमान व अतीत में आती जाती रहती है.हरी के किरदार के साथ न्याय नहीं किया गया.बतौर निर्देशक उनका सारा ध्यान किशोर वय के लड़के व लड़की के बीच शारीरिक संबंधो,शराब,ड्ग्स आदि को ग्लोरीफाई करने में ही ज्यादा रहा.तीस मिनट के एपीसोड नंबर आठ में सिर्फ बीस मिनट तारा व कुणाल के बीच चुम्मा चाटी व शारीरिक संबंधो के अति बोल्ड दृष्य ही हैं.कई घटनाक्रम कुछ फिल्मों व वेब सीरीज से चुराए गए हैं.एपीसोड नंबर तीन में छत के उपर जिस तरह से कुणाल,कामना के साथ षारीरिक संबंध बनाने का प्रयास करता है,
वह न कुणाल के किरदार के साथ मेल खाता है और न हालात से.इतना ही नही कुणाल व तारा के बीच जिस तरह से दो दो मिनट में ‘आई लव यू’का उच्चारण व चंुबन दृष्यों की भरमार की गयी है,वह सब अति बनावटी लगता है.
लोकेशन काफी खूबसूरत है.कैमरामैन ने जिस तरह से अपने कैमरे के कमाल से दृष्यों को जीवंतता प्रदान की है,उसके लिए वह बधाई के पात्र हैं.
अभिनय:
इस वेब सीरीज का सबसे अधिक सकारात्मक व अच्छा पक्ष अभिनेता रित्विक साहोर का अभिनय है.हमने उन्हे ‘दंगल’,‘फेरारी की सवारी’ और ‘सुपर 3’जैसी फिल्मों में देखा है,इसलिए उम्मीद नही थी कि वह कुणाल के किरदार के साथ न्याय कर सकेंगें.मगर सायको व प्यार में पागल ,ड्गिस्ट,शराब में डूबे रहने वाले कुणाल मराठे के किरदार को रित्विक साहोर ने जीवंतता प्रदान की है.तारा के किरदार में वेदिका भ्ंडारी खूबसूरत जरुर लगी हैं,मगर अभिनय के मामले में वह काफी कमजोर साबित हुई हैं.
वेदिका भंडारी की मुस्कुराहट से चेहरे पर इन्नोसेट के भाव जरुर नजर आते हैं.अन्यथा चेहरे पर सदैव एक जैसे ही भाव नजर आते हैं.हरी के छोटे किरदार में धीर हीरा प्रभाव छोड़ जाते हैं.धीर हीरा की प्रतिभा के साथ अन्याय किया गया.कामना के किरदार में तिथि राज ठीक ठाक हैं.हास्य के क्षण लाने वाले महेष के किरदार में आशय कुलकर्णी के अभिनय में नाटकीयता ज्यादा नजर आती है.रेषमा के छोटे किरदार में अभिनेत्री डोन्ना मुंशी अपना प्रभाव छोड़ जाती हैं.
निर्माता व निर्देषक के साथ ही ओटीटी प्लेटफार्म की मंशा यही है कि इस वेब सीरीज को किषोर वय की पीढ़ी देखे,मगर इसे बनाते हुए सेक्स,गंदी गालियों,ड्ग्स,शराब इस कदर पिरोया गया कि इसे 18 वर्ष से बड़ी उम्र के लोग ही देख सकते हैं.