सौजन्या-सत्यकथा

30दिसंबर, 2020 सुबह के यही कोई साढ़े 7 बजे का समय था. कर्नाटक के शहर बेलगाम स्थित सिविल अस्पताल के बाल चिकित्सा विभाग की महिला सिक्युरिटी गार्ड सुधारानी वसप्पा हडपद अपनी सहयोगी गायत्री चिदानंद कलगढ के साथ अपनी नाइट ड्यूटी खत्म कर अस्पताल से बाहर निकली थी. तभी उन की नजर बाल चिकित्सा विभाग के पीछे एक मोटरसाइकिल की सीट पर बैठे इरन्ना बाबू जगजंपी के ऊपर पड़ी, जो सुधारानी वसप्पा हडपद की तरफ देख रहा था. वह इरन्ना बाबू जगजंपी को जानती थी.

उसे देख कर सुधारानी के कदम एक क्षण के लिए थम से गए. लेकिन दूसरे पल कुछ सोचते हुए सुधारानी ने अपनी सहयोगी गायत्री चिदानंद से कहा, ‘‘बहन, तुम आगे चलो, मेरी जानपहचान का एक युवक मुझ से मिलने के लिए आया है, मैं उस से मिल कर आती हूं.’’

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‘‘ठीक है, मगर जल्दी आना.’’ कह कर गायत्री चिदानंद आगे बढ़ गई और सुधारानी इरन्ना बाबू जगजंपी की तरफ चली गई. इरन्ना बाबू सुधारानी वसप्पा को अपनी तरफ आते देख थोड़ा मुसकराया और बोला, ‘‘अहो भाग्य मेरे कि तुम मुझे भूली नहीं हो. अस्पताल के कामों में इतनी बिजी हो कि तुम्हारे पास मेरा फोन तक उठाने का समय नहीं है. आखिर मुझ से ऐसी क्या गलती हो गई. जरा हम भी तो जानें.’’ कह कर वह कुटिलता से मुसकराया.

‘‘बोलो, क्या बात है और तुम यहां क्यों आए? मेरे पास समय नहीं है. मुझे जल्दी घर जाना है.’’ सुधारानी ने कहा. ‘‘ठीक है, चली जाना. लेकिन यह तो बता दो कि तुम मुझ से शादी कब करोगी?’’ इरन्ना बाबू ने सुधारानी से सीधा सवाल किया.

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