लेखक-डा. एसएस सिंह
सब्जियों की व्यावसायिक खेती को बढ़ावा देने में इन की स्वस्थ पौध तैयार करना एक महत्त्वपूर्ण विषय है. सब्जियों की स्वस्थ पौध तैयार करने में पौलीटनल तकनीक का विशेष महत्त्व है.
इस प्रकार सब्जियों की व्यावसायिक खेती को बढ़ावा देने में पौलीटनल तकनीक से सब्जियों की पौध तैयार करना व्यावहारिक, कारगर, सस्ती एवं किसानोपयोगी है, इसलिए इस तकनीक का प्रयोग कर किसान अपनी सब्जियों की खेती से ज्यादा उत्पादन और आमदनी हासिल कर सकते हैं.
देश में व्यावसायिक सब्जी उत्पादन को अधिक बढ़ावा देने में सब्जियों की स्वस्थ पौध उत्पादन पर आमतौर से किसान कम ध्यान देते हैं.
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एक अनुमान के मुताबिक, पौधशाला में सब्जी पौधे का औसत नुकसान 20-25 फीसदी होता है. लेकिन कई बार यह नुकसान 70-80 फीसदी तक हो जाता?है.
राष्ट्रीय स्तर पर अभी भी 40-50 फीसदी किसान सब्जियों की पौध खुले वातावरण में उगाते हैं. सब्जियों की पौध खुले वातावरण में उगाने से कई प्रकार की समस्याएं सामने आती हैं. इन समस्याओं में बीज का जमाव कमी होना, जमाव के बाद पौध के समुचित विकास में कमी, कीटों और बीमारियों का ज्यादा से ज्यादा प्रकोप, पौध तैयार होने में अधिक समय का लगना आदि प्रमुख हैं.
पौलीटनल तकनीक
पौलीटनल तकनीक सब्जी पौध उगाने की सस्ती, कारगर व व्यावहारिक तकनीक है. इस तकनीक से पौध उगाने पर बीज का जमाव समुचित ढंग से होता है. जमाव के बाद पौध का विकास बेहतर होता है.
पौध को वातावरण के अनुसार अनुकूलन (हार्डनिंग) में सहायता मिलती है. पौलीटनल तकनीक से पौध उगा कर खेत में रोपाई करने से पौधों की मृत्यु दर नहीं के बराबर होती है. इस तकनीक का सब से बड़ा फायदा यह है कि विपरीत मौसम में (ज्यादा वर्षा, गरमी व ठंड के समय) भी सब्जी पौध कामयाबी से तैयार की जा सकती है, जबकि खुले वातावरण में वर्षा के मौसम में और ज्यादा ठंड के समय पौध उगाना तकरीबन नामुमकिन होता हैं, क्योंकि लगातार वर्षा व ठंड के कारण बीज का जमाव बहुत कम होता है.
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