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दक्ष नहीं थी पर वह देवेश को खुश करने के साथसाथ सारे क्लाइंट्स का भी ख़याल रखती थी. मधुरिमा ‘पार्टी मास्टर’ की स्टारपरफौर्मर थी.

परंतु आज यह शेख और हसीन चेहरा देख कर हर कोई एकदूसरे की तरफ देख रहा था. तभी मिस्टर देवेश केबिन से बाहर आए और बोले, ‘फ्रेंड्स जैसेजैसे हमारी कंपनी तरक्की कर रही है, हमारा परिवार भी बढ़ रहा है. ये हैं मिस नताशा,जो मिस भोपाल रह चुकी हैं. मैं आशा करता हूं, अब हमारी कंपनी का सक्सैस ग्राफ़ और तेज़ी के साथ ऊपर जाएगा.’

विवेक, जस्सी के कान में फुसफुसा रहा था, ‘हमारा काम तो और बढ़ गया है. ये लड़कियां उलटेसीधे तरीके से प्रोजैक्ट हथिया लेंगी और करिश्मा व मुझे रातदिन मेहनत करनी पड़ेगी.’

आज मधुरिमा के बजाय मिस्टर देवेश का पूरा ध्यान नताशा की तरफ था. मधुरिमा के चेहरे को देख कर ऐसा लग रहा था जैसे किसी ने उस के चेहरे पर राख पोत दी हो.

अब औफिस का नज़ारा बदल गया था. मिस्टर देवेश को नताशा से बहुत उम्मीदें थीं. अब मधुरिमा लिपस्टिक के कितने भी शेड्स लगा ले लेकिन मिस्टर देवेश को कोई भी शेड आकर्षित नहीं कर पाता था. क्लाइंट्स को भी अब नई लिपस्टिक गर्ल में अधिक इंटरैस्ट था. मधुरिमा के इतिहास और भूगोल से वे सब भलीभांति परिचित थे. अब उन्हें कुछ नया चाहिए था.

एक दिन मिस्टर देवेश, नताशा के साथ किसी मीटिंग को अटेंड करने गए हुए थे. करिश्मा विकास के साथ प्रैजेंटेशन बनाने में व्यस्त थी. मधुरिमा जस्सी और सोहैल के साथ ऐसे ही गपें लगा रही थी. तभी एक औरत ने दनदनाते हुए औफिस में प्रवेश किया. गौर वर्ण, छोटीछोटी बिल्ली जैसी सतर्क आंखें, उठी हुई नाक और विलासी मोटे अधर. आते ही  तेजी से हुंकार

भरते हुए बोली, ‘कौन हैं मधुरिमा?’

मधुरिमा उठते हुए बोली, ‘जी, मैं.’

वह औरत लगभग चिग्घाड़ते हुए बोली, ‘तुम जैसी लड़कियां मेरे पति के लिए बस एक टाइमपास हो. तुझे क्या लगा, अपने पेट में किसी का भी पाप ले कर घूमेगी और उस का इलजाम मेरे पति पर लगाएगी? उस की इतनी हिम्मत नहीं है कि वह ऐसा करे, तू बस उस के लिए ऐयाशी के समान से ज्यादा कुछ नहीं है. जिस का बच्चा है, या तो उस के साथ शादी कर ले या मार दे. पर यहां से तेरा कोई फायदा नहीं होगा.’

जैसे आंधी की तरह वह औरत आई थी, वैसे ही तूफान की तरह चली गई. मधुरिमा जहां थी वहीं की वहीं की वही खड़ी रही और उस का शरीर पत्ते की तरह कांप रहा था. करिश्मा ने दूर से देखा, मधुरिमा का चेहरा हल्दी की तरह पीला पड़ गया था. अगर सोहैल सहारा न देता तो मधुरिमा जरूर लड़खड़ा कर गिर पड़ती. विकास और करिश्मा मधुरिमा को डाक्टर के पास ले कर गए. डाक्टर ने विकास से पूछा, ‘आप इन के हस्बैंड हैं क्या? देखिए, इन का तीसरा माह शुरू होने वाला है, ऐसी हालत में इतना तनाव इन के लिए सही नहीं है.’

उस रात विकास की सलाह पर  करिश्मा, मधुरिमा के पास उस के घर में ही रुक गई थी. उस के घर की हर दरोदीवार पर मिस्टर देवेश की मौजूदगी के चिन्ह इंगित थे. रात में खाना खाते हुए जब करिश्मा ने मधुरिमा से पूछा, ‘मधु, क्या करना है, क्या अकेले पाल पाओगी इस बच्चे

को?’

मधु आंखों में आंसू भरते हुए बोली, ‘देवेश इस बच्चे को अपना नाम देने के लिए तैयार नहीं है. उस के हिसाब से यह मेरी मौजमस्ती का परिणाम है. करिश्मा, मैं ने सब देवेश की तरक़्क़ी के लिए किया था और मैं दिल से उसे प्यार करती हूं, पर देवेश ने नताशा के आते ही मुझे दूध में पड़ी मक्खी की तरह निकाल दिया.’

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