बाहरी दिल्ली के कंझावला थाने के अंतर्गत निजामपुर गांव का रहने वाला रोहित छिल्लर कबड्डी का राष्ट्रीय स्तर का खिलाड़ी था. वह सोशल मीडिया का मुरीद था. फेसबुक के द्वारा ही उस की बात ललिता नाम की एक युवती से हुई. ललिता दिल्ली के नांगलोई क्षेत्र में अपने मांबाप के साथ रहती थी और दिल्ली यूनिवर्सिटी से ग्रैजुएट थी.

फेसबुक पर ललिता की फोटो देख कर रोहित बहुत प्रभावित हुआ. वह बेहद खूबसूरत थी. उस के दिल में ललिता के प्रति चाहत पैदा हो गई. अब वह उस से और अधिक चैटिंग करने लगा. ललिता को भी रोहित अच्छा लगता था. वह एक राष्ट्रीय स्तर का खिलाड़ी था और नेवी में नौकरी करता था. उस से दोस्ती कर के वह खुद को गौरवान्वित महसूस कर रही थी. चैटिंग के दौरान ही दोनों ने एकदूसरे को अपने फोन नंबर भी दे दिए तो बाद में उन की फोन पर बात होती रहती.

बातचीत के लहजे से ललिता को रोहित समझदार और शरीफ युवक लगा. फलस्वरूप दोनों के बीच दोस्ती गहरी होती गई और जल्दी ही यह दोस्ती प्यार में बदल गई. अब तो उन की रात की नींद और दिन का चैन गायब हो गया. जब तक वह रोजाना फोन पर बात नहीं कर लेते, उन्हें चैन नहीं आता था. इतना ही नहीं, दोनों ही बालिग थे इसलिए उन्होंने शादी करने का फैसला भी ले लिया. लेकिन वे संभ्रांत परिवार से थे इसलिए ऐसा कोई कदम नहीं उठाना चाहते थे जिस से उन के घर वालों की बदनामी हो. यानी अपनी पसंद में वे घरवालों की सहमति की मुहर लगवाना चाहते थे. लिहाजा उन्होंने इस बारे में अपने घर वालों से बात करने की ठान ली.

रोहित खेल के क्षेत्र में एक उभरता हुआ सितारा था. उस के घर वालों को उम्मीद थी कि उस के लिए अच्छे परिवारों से रिश्ते आएंगे लेकिन एक दिन रोहित ने अपने पिता विजय सिंह से अपने मन की बात बता दी कि वह नांगलोई की ललिता नाम की लड़की को पसंद करता है यदि उस से शादी हो जाए तो अच्छा रहेगा.

बेटे की यह बात सुन कर विजय सिंह चौंकते हुए उसे देखते रह गए कि यह क्या कह रहा है. जवान बेटे से वह सख्ती भी नहीं कर सकते थे. इसलिए उन्होंने उस से ललिता के परिवार आदि के बारे में पूछा तो रोहित को उसे ललिता के परिवार के बारे में जोजो बात मालूम थी, बता दी.

विजय सिंह दिल्ली पुलिस में कांस्टेबल थे. वह उस की शादी किसी बहुत अच्छे परिवार की लड़की से कराने के ख्वाब देख रहे थे, पर बेटे ने यह बात कह कर उन के सपनों को जैसे धराशाई कर दिया. बेटा कोई लफंगा भी नहीं था जो वह उस की बात पर ध्यान नहीं देते. पहले तो उन्होंने बेटे को समझाने की कोशिश की पर जब उन्हें लगा कि उन के समझाने का भी उस पर कोई असर नहीं पड़ रहा है तो बेटे की खुशी के लिए उन्हें कहना पड़ गया कि इस बारे में वह ललिता के घर वालों से मिल कर बात करेंगे.

ललिता उर्फ बाबरी के पिता करण सिंह डबास नांगलोई की भूतों वाली गली में रहते थे. एक दिन विजय सिंह अपने बेटे रोहित की शादी का प्रस्ताव ले कर करण सिंह के घर पहुंच गए. उन्होंने उन्हें बताया, ‘‘आप की बेटी ललिता और मेरा बेटा रोहित एकदूसरे से प्यार करते हैं और शादी करना चाहते हैं. बच्चों की खुशी के लिए इन की शादी कर दी जाए तो ठीक रहेगा.’’

ललिता अपने घर वालों से कोई बात नहीं छिपाती थी. पर ललिता ने इस बारे में अभी तक करण सिंह को कुछ नहीं बताया था इसलिए उन्होंने कह दिया कि इस बारे में उन्हें अभी कुछ पता नहीं है. पहले वह बेटी से बात करेंगे. उस के बाद ही वह कोई जवाब देंगे. तब निराश हो कर विजय सिंह अपने घर लौट आए.

विजय सिंह के जाने के बाद करण सिंह सोचने लगे कि इतनी बड़ी बात के बारे में ललिता ने उन से चर्चा क्यों नहीं की. शाम को ललिता जब घर लौटी तो करण सिंह ने उस से इस बारे में बात की. ललिता ने स्वीकार किया कि वह रोहित को चाहती है. वह बहुत अच्छा लड़का है और कबड्डी का राष्ट्रीय स्तर का खिलाड़ी भी है.

ललिता पहले ही ठोकर खाई हुई थी. दरअसल उस का पहले पति से तलाक हो चुका था. उस के बाद वह पिता के घर पर ही पढ़ाई कर के सरकारी नौकरी की तैयारी कर रही थी. करण सिंह शादी के मामले में जल्दबाजी में कोई कदम नहीं उठाना चाहते थे. सोचसमझ कर ही वह उस का घर बसाना चाहते थे. पता नहीं क्यों रोहित से उस की शादी करने को उन का मन तैयार नहीं हो रहा था. मन की बात उन्होंने बेटी को बताई भी पर वह नहीं मानी. तब वह असमंजस में पड़ गए कि क्या करें. इस बारे में उन्होंने अपनी पत्नी से भी बात की. पत्नी भी उस की शादी रोहित से कराने के पक्ष में नहीं थी. पर ललिता अपनी जिद पर थी.

रोहित और ललिता की फोन पर बातें होती ही रहती थीं. उन की शादी के संबंध में घर में जो बातें होती थीं, उन्हें वे आपस में शेयर करते रहते थे. उसी दौरान रोहित ने अपने पिता को एक बार फिर ललिता के पिता से बात करने के लिए भेजा. बेटे के लिए वह फिर से करण सिंह के घर पहुंच गए. उधर करण सिंह भी बेटी को नाराज नहीं करना चाहते थे, इसलिए दोनों ही अपनेअपने बच्चों की खुशी की खातिर यह रिश्ता करने को मजबूर थे.

बातचीत के बाद दोनों ही परिवार इस रिश्ते के लिए राजी हो गए. रिश्ता तय हो जाने पर रोहित और ललिता बहुत खुश हुए. फिर सामाजिक रीतिरिवाज से 11 मार्च, 2016 को उन की शादी हो गई. करण सिंह ने बड़े ही आलीशान तरीके से बेटी की शादी की. उन्होंने रोहित को होंडा सिटी कार के अलावा लाखों रुपए का दहेज दिया. चूंकि शादी ललिता और रोहित दोनों की ही मरजी से हुई थी, इसलिए उन्हें किसी से कोई शिकायत नहीं थी. ललिता हंसीखुशी से निजामपुर गांव स्थित अपनी ससुराल में रहने लगी.

ललिता की ससुराल में सासससुर के अलावा एक ननद थी. कोई भी लड़की जब विदा हो कर ससुराल पहुंचती है तो उस पर दुख के अलावा उसे खुद को दूसरी जिम्मेदारी उठाने के लिए तैयार करना पड़ता है. दुख उसे मातापिता का घर छोड़ने का होता है. चूंकि वह ससुराल के लोगों के स्वभाव से अनजान होती है, इसलिए वह यही कोशिश करती है कि ससुराल में वह सभी को खुश रखे यानी इस नई जिम्मेदारी को वह ठीक से निभाने की कोशिश करती है.

ललिता रोहित के स्वभाव को तो कुछ समझ चुकी थी, इसलिए वह सासससुर और ननद को भी खुश रखने की कोशिश करने लगी. वह यही कोशिश करती थी कि किसी को उस के काम और बातव्यवहार से कोई परेशानी न हो. लेकिन शादी के 6 महीने बाद ही ललिता के सामने ऐसी परिस्थितियां पैदा हो गईं कि उस का वैवाहिक जीवन एक तरह से डगमगाने लगा. और एक दिन ऐसा आया कि वह अपने मायके वालों को रोताबिलखता छोड़ गई.

करण सिंह दिल्ली परिवहन निगम में कंडक्टर थे. 7-8 साल पहले उन्होंने वीआरएस ले लिया था, जिस के बाद वह घर पर ही रहते थे. उन का नांगलोई की भूतों वाली गली में एक 3 मंजिला आलीशान मकान है. उन की 3 बेटियां थीं जिन में ललिता सब से छोटी थी. बड़ी बेटी एक बैंक में सीनियर मैनेजर है. करण सिंह दूसरे फ्लोर पर रहते थे. तीनों बेटियों की शादी करने के बाद घर में वह और उन की पत्नी ही रह गई थीं. 17 अक्तूबर 2016 को उन की छोटी बेटी ललिता मायके में ही थी. वह पिछले एक महीने से मायके में ही थी.

उस दिन सब कुछ सामान्य था. शाम का समय था. करण सिंह की पत्नी किचन में खाना बनाने की तैयारी कर रही थीं. पहली मंजिल पर ललिता का स्टडीरूम था और वहीं पर उस का जिम था. अपने स्टडीरूम में रखी किताबों की रैक की सफाई करने के लिए ललिता अपनी मां के पास से पहली मंजिल स्थित अपने कमरे में आ गई. वह उस समय रोजाना की तरह सामान्य ही थी. उसे अपने कमरे में आए हुए करीब एकडेढ़ घंटा हो गया. तब तक मां ने खाना भी तैयार कर लिया था. खाना तैयार होने पर मां ने ललिता को खाने के लिए आवाज दी.

कई आवाजें देने के बाद भी ललिता का कोई जवाब नहीं आया तो ललिता की मां खुद ही उसे बुलाने के लिए पहली मंजिल पर पहुंचीं. उन्हें ललिता का कमरा अंदर से बंद मिला. दरवाजा खटखटाते हुए उन्होंने बेटी को फिर से आवाज लगाई. इस के बावजूद भी अंदर से कोई आवाज नहीं आई. तब उन्होंने पति को बुलाया.

करण सिंह जब नीचे पहुंचे तो उन्हें पत्नी घबराई हुई दिखीं. पत्नी ने उन्हें बताया, ‘‘देखिए, ललिता का कमरा अंदर से बंद है. दरवाजा पीटने के बाद भी वह दरवाजा नहीं खोल रही.’’

‘‘तुम क्यों परेशान हो रही हो, वह सो गई होगी. थोड़ी देर में जब सो कर उठ जाएगी तो खुद ही दरवाजा खोल कर आ जाएगी.’’ करण सिंह ने पत्नी को समझाया.

‘‘आज तक वह कभी भी दरवाजा बंद कर के नहीं सोती थी. पता नहीं आज क्यों बंद कर लिया.’’ पत्नी बोलीं.

बात तो सही थी. ललिता सोते समय दरवाजे को केवल भिड़ा देती थी. अंदर सिटकनी नहीं लगाती थी. पर आज उस ने ऐसा क्यों किया. करण सिंह सोचने लगे. उन्होंने उस का फोन नंबर मिलाया तो वह भी स्विच्ड औफ मिला.

अब तो करण सिंह भी परेशान हो गए. उन्होंने भी बेटी को आवाज देते हुए जोर से दरवाजा खटखटाया. जब अंदर से कोई प्रतिक्रिया नहीं हुई तो उन की पत्नी का दिल घबराने लगा. उन्होंने जोर से धक्का दे कर दरवाजे की सिटकनी तोड़ दी.

दरवाजा खुलने पर जैसे ही उन्होंने सामने देखा तो दोनों की चीखें निकल गईं. ललिता पंखे में बंधी चुनरी से लटकी हुई थी. करण सिंह जल्दी से दौड़ कर किचन से चाकू ले आए और उन्होंने पत्नी के सहयोग से बेटी के गले में बंधी चुनरी काटी. बेड पर उसे लिटा कर वह उस की सांस चेक करने लगे. पर उस की मौत हो चुकी थी. बेटी को इस हालत में देख कर पतिपत्नी रोने लगे. पत्नी तो बिलखबिलख कर रो रही थी.

करण सिंह के घर से अचानक ही रोने की आवाजें सुन कर पड़ोसी भी उन के घर पहुंचे. वहां जब उन्हें पता चला कि ललिता ने पंखे से लटक कर खुदकुशी कर ली है तो वे चौंक गए. इस के बाद तो पूरे मोहल्ले में यह खबर फैल गई. करण सिंह ने पुलिस कंट्रोल रूम को फोन कर के इस की सूचना दे दी.

पश्चिमी दिल्ली के थाना नांगलोई के ड्यूटी औफिसर को शाम 7 बज कर 20 मिनट पर पुलिस कंट्रोल रूम से सूचना मिली कि भूतों वाली गली नंबर-2 में करण सिंह की बेटी ने फांसी लगा कर आत्महत्या कर ली है. इस सूचना पर एएसआई मदनमोहन 2 कांस्टेबलों को ले कर घटनास्थल पर पहुंच गए.

पहली मंजिल पर उन्हें करीब 27 साल की ललिता बेड पर पड़ी हुई मिली. अपनी मां की हरे रंग की चुनरी से उस ने जो फांसी लगाई थी, उस चुनरी का आधा हिस्सा वहीं पड़ा था और आधा पंखे में बंधा लटक रहा था. एएसआई मदनमोहन ने करण सिंह से इस घटना के संबंध में बात की तो उन्होंने सिलसिलेवार पूरी बात बता दी.

इस के बाद उन्होंने यह सूचना थानाप्रभारी सुनील शर्मा को दे दी. थानाप्रभारी को जब पता चला कि राष्ट्रीय स्तर के कबड्डी खिलाड़ी की पत्नी ने आत्महत्या कर ली है तो वह भी एसआई प्रेम यादव के साथ मौके पर पहुंच गए.

जिस कमरे में ललिता ने आत्महत्या की थी, उस कमरे का उन्होंने सरसरी तौर पर निरीक्षण किया. ललिता के गले पर चुनरी बांधने का निशान साफ दिखाई दे रहा था. क्राइम इनवैस्टीगेशन टीम को भी उन्होंने मौके पर बुला लिया. खबर मिलने पर डीसीपी विजय कुमार और एसीपी आनंद सागर भी वहां पहुंच गए.

तलाशी लेने पर ललिता के लोअर की जेब से 2 पेज का एक सुसाइड नोट मिला जो अंगरेजी में लिखा था. कमरे में ही टेबल पर मृतका का फोन भी रखा था. पुलिस ने सुसाइड नोट और फोन अपने कब्जे में ले लिया. सुसाइड नोट में उस ने यह भी लिखा था कि उस के मोबाइल फोन में एक वौइस मेसेज है. अंतिम संस्कार से पहले वह मैसेज सभी को सुना दिया जाए. चूंकि मृतका का फोन पुलिस ने अपने कब्जे में ले लिया था, इसलिए परिजनों के मन में यह जिज्ञासा हो रही थी कि पता नहीं उस ने मैसेज में क्या कहा है. खैर, बाद में पुलिस ने वह मैसेज मृतका के घर वालों को सुना दिए.

क्राइम टीम ने कमरे से जरूरी सबूत जुटाए. इस के बाद डीसीपी ने मृतका के पिता करण सिंह से बात की. करण सिंह ने पुलिस को बताया कि ललिता को उस के ससुराल वाले शादी के 15 दिन बाद से ही परेशान करने लगे थे. वह उस से दहेज की मांग कर के उसे मानसिक रूप से प्रताडि़त करते थे. जिस की वजह से उसे यह कदम उठाने के लिए मजबूर होना पड़ा.

पुलिस को मामला दहेज हत्या से संबंधित लगा तो इस की सूचना उपजिलाधिकारी (पंजाबी बाग) अनिल चौधरी को दे दी गई. एसडीएम भी नांगलोई में करण सिंह के घर पहुंच गए. उन्होंने मृतका के घर वालों से बात कर उन के बयान दर्ज किए.

मौके की जरूरी कारवाई निपटाने के बाद पुलिस ने 27 वर्षीय ललिता की लाश को पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया. करण सिंह की तहरीर पर पुलिस ने ललिता के पति रोहित छिल्लर, पिता विजय सिंह और मां सुशीला के खिलाफ भादंवि की धारा 498ए, 304बी, 34 के तहत रिपोर्ट दर्ज कर ली.

ललिता का पति जो कबड्डी का नेशनल प्लेयर था, वह उस समय मुंबई में था. पत्नी की मौत की खबर मिलने के बावजूद भी वह घर नहीं आया था. उस के मातापिता को जब पता चला कि उन के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज हो चुकी है तो वह भी घर से फरार हो गए. चूंकि मामला मीडिया में हाईलाइट हो चुका था, इसलिए पुलिस भी बहुत सक्रिय हो गई थी. थानाप्रभारी सुनील शर्मा एसआई प्रेम यादव को ले कर रोहित की तलाश में मुंबई निकल गए क्योंकि वह नेवी में नौकरी करता था, उस समय उस की पोस्टिंग मुंबई  में थी. दिल्ली पुलिस ने नेवी अधिकारियों से मुलाकात के बाद कबड्डी खिलाड़ी रोहित छिल्लर को हिरासत में ले लिया. यह 19 अक्तूबर, 2016 की बात है. आरोपी रोहित छिल्लर को मुंबई की कोर्ट में पेश करने के बाद पुलिस उसे ट्रांजिट रिमांड पर दिल्ली ले आई. उसी दिन रोहित छिल्लर के पिता विजय सिंह ने भी थाने में आत्मसमर्पण कर दिया. ललिता के सुसाइड नोट, वौइस मैसेज, उस के पिता के बयानों के बाद उस के सुसाइड करने की जो वजह सामने आई, वह इस प्रकार निकली—

रोहित छिल्लर से शादी करने के बाद ललिता के मन में तमाम आकांक्षाएं थीं. चूंकि वह राष्ट्रीय स्तर के कबड्डी प्लेयर की पत्नी बन चुकी थी, इसलिए उसे यह उम्मीद थी कि पति के साथ वह खूब घूमेगी फिरेगी. जहां भी उस का टूर्नामेंट हुआ करेगा, वह भी उस के साथ जाया करेगी. ऐसा वादा रोहित ने शादी से पहले ललिता से किया भी था. पर ऐसा नहीं हो सका. रोहित ने शादी से पहले ललिता से जो वादे किए थे, वह उन्हें पूरा नहीं कर सका. सच बात यह थी कि वह अपने गृहस्थ जीवन के बजाय खेल को ज्यादा महत्त्व देता था.

रोहित को पता था कि अपनी पहचान बनाने के लिए उस ने कितनी मेहनत की थी. तभी तो वह प्रो कबड्डी के पहले सेशन में पटना पायरेट्स की तरफ से खेला तो वहीं प्रो कबड्डी के दूसरे सेशन में वह बेंगलुरु बुल्स की टीम में खेला. 2016 के साउथ एशियन गेम्स में भी वह गोल्ड मेडलिस्ट रहा. इस से पहले उसे स्पोर्ट्स कोटे के तहत नेवी में नौकरी मिली. तब से वह नेवी की तरफ से ही खेल रहा था. शादी के बाद वह अकसर घर से बाहर ही रहा.

ललिता उस से गृहस्थ जीवन के लिए समय देने की मांग करती तो रोहित कोई न कोई बहाना बना देता था. इस के अलावा घर पर उस के सासससुर भी उसे परेशान करते. वह दिन भर घर के सभी कामों में कोल्हू के बैल की तरह जुटी रहती थी. चूंकि ललिता की सन 2012 में नजफगढ़ के पंकज नाम के युवक से शादी हुई थी. पंकज एक अच्छे परिवार से था पर बाद में पता चला कि वह क्रिकेट के आईपीएल मैचों पर मोटा सट्टा खेलता है.

ललिता को यह पसंद नहीं था. वह मना करती तो पंकज घर में कलह करता था. पति की प्रताड़ना से तंग आ कर ललिता ने 2014 में उस से तलाक ले लिया था. रोहित छिल्लर के मातापिता का आरोप है कि ललिता ने पहले पति से तलाक लेने की बात उस से छिपाई जबकि ललिता कहती थी कि उस ने रोहित को अपने बारे में पहले ही सब कुछ बता दिया था. इतना ही नहीं, उस के पिता ने भी रोहित के पिता को सब बता दिया था.

इस के बाद भी पता नहीं क्यों रोहित के मातापिता ललिता को जबतब इसी बात को ले कर ताने मारते रहते थे. ललिता का आरोप था कि एक बार तो ससुर ने उस की पिटाई तक कर दी थी. यह बात उस ने पति को बताई तो उस ने पिता से पिटाई की वजह तक नहीं पूछी बल्कि उसे ही चुप रहने को कहा. ससुराल में ऐसा कोई नहीं था, जिस से वह अपना दर्द कह सके. पति से ही उम्मीद होती है, पर वह भी मांबाप की हां में हां मिला देता था.

वहीं रोहित ने पुलिस को बताया कि ललिता बहुत समझदार थी पर वह कभीकभी छोटीछोटी बातों को ले कर जिद कर बैठती थी. वह उस के साथ मुंबई चलने को कहती पर वह उसे साथ रखने में असमर्थ था. इस की वजह यह थी कि कभी उस की ट्रेनिंग मुंबई में होती तो कभी बेंगलुरु में तो कभी हैदराबाद में तो कभी दिल्ली में. ऐसे हालात में भला वह उसे साथ कैसे रख सकता था. वह उस की मजबूरी को गंभीरता से नहीं समझती थी.

रोहित ने बताया कि एक बार वह शादी में मिली होंडा सिटी कार से दिल्ली में ही अपने दोस्त के घर से अपने घर निजामपुर लौट रहा था, तभी कार का एक्सीडेंट हो गया, जिस में उस के चोट भी आई थी. घर पहुंच कर उस ने एक्सीडेंट वाली बात पत्नी को बताई तो वह उस की चोट की बजाय यह पूछ रही थी कि गाड़ी में कितना नुकसान हुआ है. उस की इस हरकत पर वह गुस्से में अपने घर के नीचे के फ्लोर पर ही सो गया. जबकि ललिता ऊपर के फ्लोर पर बैडरूम में जा कर सो गई.

रात 12 बजे के बाद ललिता उस के पास आई और उसे उठा कर बैडरूम में ले गई. वह कमरे में पहुंचा तो पंखे से एक चुनरी बंधी हुई मिली. चुनरी का आधा हिस्सा फर्श पर पड़ा था. रोहित ने ललिता से जब इस के बारे में पूछा तो उस ने बताया कि उस ने फांसी लगाने की कोशिश की थी पर चुनरी पुरानी थी. जैसे ही वह गले में बांध कर लटकी तो चुनरी के 2 टुकड़े हो गए, जिस से वह फर्श पर गिर गई और चोट भी लग गई.

रोहित ने बताया कि एक बार वह दिल्ली के लाखन माजरा स्थित अपने ट्रेनिंग कैंप में था. ललिता उस से कहती थी कि वह कैंप से रात को घर आ जाया करे, पर रोहित ने ऐसा करने से मना कर दिया तो एक दिन उस ने अपने हाथ की नस काट ली थी. रोहित का कहना है कि वह अपना कैरियर बनाने के लिए भले ही अभी उसे पूरा टाइम नहीं दे पा रहा था, पर वह जो भी कर रहा था, अपने और उस के भावी जीवन को उज्ज्वल बनाने के लिए कर रहा था तो वहीं ललिता के परिवार वालों का कहना है कि शादी के बाद रोहित ने अपनी घरगृहस्थी और जिम्मेदारी को नहीं समझा.

शादी के बाद वह केवल 15 दिन ही ललिता के साथ रहा होगा. वह जब घर से बाहर होता तो ललिता का फोन तक रिसीव नहीं करता था. उस के सासससुर उसे मानसिक और शारीरिक रूप से प्रताडि़त करते. अपना दर्द बयां करने के लिए वह उसे फोन करती पर वह फोन नहीं उठाता था, जिस की वजह से ललिता बहुत तनाव में रहती थी. तब वह अपनी मां को फोन कर के आपबीती सुनाती. मां भी उसे समझा देती थीं. रोहित के मातापिता को पता था कि ललिता के कोई भाई नहीं है. उस की 3 बहनें हैं. इसलिए उस के मातापिता की सारी प्रौपर्टी तीनों बहनों की ही होगी. पिता की प्रौपर्टी से अपना हिस्सा लेने की बात वह उस से कहते रहते थे.

इसी बात को ले कर 24 सितंबर, 2016 को रोहित के घर वालों ने ललिता से झगड़ा किया. रोहित उस दिन घर पर ही था. वह भी अपने मांबाप की तरफ हो गया. इस का ललिता को बड़ा दुख हुआ. उसी दिन रोहित गुस्से में ललिता को अपने घर से ले गया और गांव के बाहर छोड़ कर कहीं चला गया. काफी देर इंतजार करने के बाद भी रोहित नहीं आया तो ललिता ने उसे फोन किया, पर उस का फोन आउट औफ कवरेज आ रहा था. ललिता बहुत परेशान थी. मजबूरी में उस ने वहां से अपने पिता को फोन किया. तब करण सिंह बेटी को घर ले गए.

ललिता ने अपने मांबाप को रोरो कर बताया था कि रोहित ने उस के साथ धोखा किया है. मैं उसे समझती क्या थी और वह क्या निकला. अपनी जिद में आ कर उस ने उस से जो शादी की उस का उसे पछतावा अब हो रहा है. उस ने अपने पिता से कहा उस समय आप ठीक थे, पर मैं ने आप की बात नहीं मानी. शादी से पहले रोहित ने प्यार का जो दिखावा किया था, वह केवल छलावा निकला. यहां तक कि उस ने अपनी गरदन पर उस का नाम जो गोदवाया था, वह केवल दिखावा साबित हुआ. मांबाप ने ललिता को तसल्ली दी कि सब्र करो, कुछ दिन में सब नौरमल हो जाएगा. वह बेटी को हमेशा समझाते रहते थे.

24 सितंबर, 2016 से वह अपने मायके में ही रह रही थी. मांबाप की तसल्ली के बाद उसे उम्मीद थी कि रोहित को एक दिन अपनी गलती का अहसास हो जाएगा. 15 अक्तूबर को वह गुरुद्वारा भी गई और अपनी जिंदगी को पटरी पर लाने की दुआ मांगी. ललिता अब अपने पैरों पर खड़े होने के लिए शिक्षिका की नौकरी की तैयारी कर रही थी. इस के लिए वह एक इंस्टीट्यूट से कोचिंग भी ले रही थी.

ललिता ऊपर से एकदम सामान्य दिखती थी लेकिन अंदर ही अंदर ससुराल वालों की बातों को ले कर वह घुटती जा रही थी. वह कितनी परेशान थी, इस का पता उस के सुसाइड नोट और 1 घंटा 27 मिनट के उस के वौइस मैसेज में देखने को मिला. जिस की वजह से उसे आत्महत्या करने के लिए मजबूर होना पड़ा. करण सिंह ने रोते हुए बताया कि उन की बेटी को आत्महत्या करने के लिए विवश करने वाले नामजद अभियुक्तों को फांसी की सजा मिलनी चाहिए.

पुलिस ने ललिता के ससुर विजय सिंह से पूछताछ के बाद 22 अक्तूबर को कोर्ट में पेश कर जेल भेज दिया. जबकि रोहित छिल्लर को 23 अक्तूबर, 2016 को तीसहजारी कोर्ट के महानगर दंडाधिकारी श्री सुशील कुमार की कोर्ट में पेश कर 2 दिन का पुलिस रिमांड लिया. रिमांड अवधि में विस्तार से पूछताछ के बाद उसे 25 अक्तूबर को पुन: न्यायालय में पेश कर जेल भेज दिया. कथा लिखने तक रोहित की मां सुशीला देवी की गिरफ्तारी नहीं हो सकी थी.

रोहित और ललिता ने प्यार होने के बाद अपनी पसंद से अरेंज मैरिज की थी, पर शादी के बाद दोनों एकदूसरे की भावनाओं को शायद नहीं समझ सके. यदि रोहित घर से बाहर रहता था तो कम से कम उस के मांबाप को ललिता के साथ ऐसा व्यवहार करना चाहिए था, जिस से वह पति की गैरमौजूदगी के दिनों को आसानी से बिता सके. पर वह तो उस के अतीत को ले कर ही उस पर कटाक्ष करते रहते थे. जिस का जिक्र ललिता ने अपने वौइस मैसेज में किया है.

शादी के शुरुआती दिनों में नववधू को एडजस्ट होने में कुछ वक्त जरूर लगता है, इस बात को कुछ सासससुर नहीं समझ पाते. वह तो बहू को कामवाली समझते है और सारे काम उस के जिम्मे छोड़ देते हैं. यहीं से उस नववधू की सोच बदल जाती है.

इस केस में रोहित की जो लापरवाही रही वो थी ही, साथ ही उस के मांबाप का रोल भी विवाद को बढ़ाने में अहम रहा. थोड़ी सी समझदारी दिखाई गई होती तो शायद ललिता यह कदम नहीं उठाती. बहरहाल, उस की मौत का जितना दुख उस के मांबाप को हुआ है, उतना शायद किसी को नहीं हुआ होगा. केस की जांच एसआई प्रेम यादव कर रहे हैं. 

– कथा पुलिस सूत्रों और ललिता के मां बाप से की गई बातचीत पर आधारित

– कपूर चंद     

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