नोटबंदी के बाद से देश कैशलेस इकॉनमी की तरफ कदम बढ़ा रहा है. जेब में पैसे न होने से कई लोगों ने इस बीच पेटीएम या फ्रीचार्ज जैसी ऑनलाइन ट्रांजैक्शन करने वाली साइट्स का सहारा लेना शुरू कर दिया है. अगर आप भी ऑनलाइन ट्रांजैक्शन के लिए पेटीएम या फ्रीचार्ज जैसे ऐप्स का इस्तेमाल कर रहे हैं तो हैं तो कुछ सावधानियां बरतना जरूरी है.

पैसे के लेन-देन में आसानी और सुविधा डिजिटल ट्रांजैक्शन करने का सबसे बड़ा फायदा है. यह आपको कैश या प्लास्टिक कार्ड्स को रखने और एटीएम में कतार में खड़े होने की दिक्कतों से बचा सकता है. इसके अलावा ट्रैवलिंग के दौरान यह एक सुरक्षित और सुविधाजनक विकल्प है.

2000 रुपए से ऊपर के कार्ड ट्रांजैक्शन्स पर सर्विस टैक्स पर छूट के सरकार के कदम से डिजिटल ट्रांजैक्शन को प्रोत्साहन मिल रहा है. इसके बाद भी कई और तरह की छूट और कटौती की घोषणाएं की गई हैं. यह सही समय है कि आप इसका फायदा उठाकर सेविंग्स करें. उदाहरण के तौर पर, पेट्रोल की डिजिटल खरीद पर 0.75% की छूट का मतलब होगा कि दिल्ली में 63.47 प्रति लीटर की कीमत के पेट्रोल को आप 62.99 प्रति लीटर में खरीद सकते हैं.

इसी तरह रेल टिकट, हाइवे टोल और इंश्योरेंस की खरीददारी पर भी आप बचत कर सकते हैं. मोबाइल वॉलेट पेटीएम या अन्य पर चल रही कैशबैक ऑफर्स और डिस्काउंट्स का लाभ उठा सकते हैं. क्रेडिट कार्ड्स और स्टोर कार्ड्स पर रिवार्ड पॉइंट्स और लॉयलिटी का भी लाभ उठाएं. इससे थोड़ी बहुत मात्रा में आपका कैश फ्लो बना रहेगा.

अगर हर ट्रांजैक्शन का रेकॉर्ड आपके पास मौजूद रहेगा तो आपको अपने खर्च पर नजर रखना बहुत आसान हो जाएगा. इनकम टैक्स रिटर्न भरने और सुरक्षा की दृष्टि से भी ये रास्ते फायदेमंद हैं. अपना बजट बेहतर ढंग से बना पाएंगे. आप इनकम टैक्स रिटर्न भरते समय अपने खर्च का ब्यौरा सही तरीके से और आसानी से दे पाएंगे.

डिजिटल पेमेंट की आदत डालने से आप अपना बजट बेहतर ढंग से बना पाएंगे. अगर आप संयमित होकर खर्च करेंगे तो इससे आपकी निवेश क्षमता भी बढ़ेगी. अगर आप कैंडी और चिप्स पर 10 रुपए खर्च करते हैं या फिर ऑफिस में रोजाना एक कप कॉफी पीते हैं, छुट्टे की कमी की वजह से आप उसमें कटौती करना शुरू कर देंगे. इस तरह आप इधर-उधर खर्च करने की अपनी आदत छोड़ देंगे और बजट के बाहर पार नहीं होंगे.

आपको भले ही यह बहुत बड़ा फायदा नजर न आए पर इस तरह से आप उधार मांगने वालों से भी बच सकेंगे. इसके अलावा आपने जितनी कीमत की खरीददारी की है उतनी ही कीमत अदा करनी होगी, आपको दुकानदार से कुछ रुपए वापस मांगने में आने वाली हिचकिचाहट महसूस नहीं होगी.

डिजिटल ट्रांजैक्शन के फायदे हैं तो कई खतरे भी हैं. सबसे बड़ा डर आइडेंटिटी चोरी हो जाने का है. चूंकि हम डिजिटल ट्रांजैक्शन के आदी नहीं हैं, यहां तक कि पढ़े-लिखे लोग भी हैकर्स के जाल में फंसने से डरते हैं.

ऑनलाइन ट्रांजैक्शन के नुकसान भी हैं

ऑनलाइन फ्रॉड में तेजी से बढ़ोत्तरी हो रही है. जैसे-जैसे डिजिटल प्लैटफॉर्म लोगों के बीच लोकप्रिय होता जाएगा वैसे-वैसे ऑनलाइन फ्रॉड की घटनाएं और बढ़ेंगीं. सरकार ने 2000 रुपए से ऊपर के ऑनलाइन ट्रांजैक्शन के लिए टू फैक्टर ऑथेंटिकेशन को हटा दिया है. ट्रांजैक्शन की किसी सीमा को नजरअंदाज करके आइडेंटिटी चोरी होने का खतरा कई गुना बढ़ गया है.

अगर ऑनलाइन ट्रांजैक्शन में किसी को कोई शिकायत होती है तो उसकी सुनवाई का कोई निश्चित प्लैटफॉर्म नहीं है. अगर कोई ऑनलाइन अपना पैसा खो देता है तो उसके पास कोई आसान विकल्प नहीं होगा. ऑनलाइन धोखेबाजी को लेकर कोई कड़ा कानून भी नहीं है. अगर किसी बैंक या कंपनी के डेटाबेस को हैक करके सामूहिक तौर पर आइडेंटिटी की चोरी कर ली जाएं तो बहुत बड़े वित्तीय संकट का समाना करना पड़ सकता है.

आप अपने ऑनलाइन ट्रांजैक्शन के लिए आप अपने मोबाइल पर निर्भर होंगे और अगर आपका फोन खो गया तो आप दोहरी मुश्किल में फंस जाएंगे. फोन खोने से न केवल आपकी आइडेंटिटी चोरी होने का खतरा रहेगा बल्कि अगर आप पूरी तरह से कैशलेस हैं तो आप किसी तरह का पेमेंट करने में असहाय महसूस करेंगे. कहीं आप अगर विदेश में यात्रा कर रहे हैं या फिर किसी छोटे गांव या कस्बे में जहां बैकिंग व्यवस्था लचर हैं तो आपकी मुश्किल बढ़ जाएगी.

एक नुकसान यह भी है कि आपको अपना फोन हमेशा चार्ज रखना होगा. अगर आपके फोन की बैटरी गई तो आप भी कोई काम नहीं कर पाएंगे. कहीं आप किसी खरीददारी के बीच में होंगे या बाजार में कुछ खरीदने का मन कर गया तब आपको मन मसोस कर रह जाना पड़ेगा.

डिजिटल रास्ते को अपनाने में व्यावहारिक अड़चनों के अलावा कई तरह की अड़चनें भी हैं. सबसे बड़ी दिक्कत हमारी मानसिकता को बदलने की है. यह अचानक से तीन जेनरेशन आगे बढ़ने जैसा है. डिजिटल माध्यम टेक अनफ्रेंडली लोगों के लिए सिरदर्द साबित होगा. उन्हें इस तकनीक को सीखने में अभी काफी समय लगेगा.

इसमें कोई शक नहीं है कि मोबाइल वॉलेट ट्रांजैक्शन्स ज्यादा सुविधाजनक है लेकिन इससे कुछ लोगों में ज्यादा खर्च करने की प्रवृत्ति बढ़ जाएगी. कैश से खरीददारी करना कार्ड या मोबाइल वॉलेट की तुलना में लोगों को ज्यादा खलता है.

अगर जितनी मात्रा में नोट वापस लिए गए हैं उतनी मात्रा में नए नोट नहीं आते हैं तो लोग डिजिटल ट्रांजैक्शन का रुख अपनाएं रहेंगे लेकिन अगर ऐसा हो जाता है तो लोग फिर से कैश इस्तेमाल करने की अपनी पुरानी आदत का रुख कर सकते हैं.

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