श्रीनाथ यादव उर्फ नाथे जितना सीधासादा और सज्जन युवक था, उतना ही मेहनती था. जिसकाम में एक बार जुट जाता, उसे खत्म किए बगैर चैन नहीं आता था. लोग उस की तारीफ करते थे कि काम के प्रति लगन हो तो श्रीनाथ जैसी. इस पर श्रीनाथ कहता, किसान जब तक खेत को अपने पसीने से नहीं सींचता, उस की पैदावार में खुशबू नहीं आती.

गांव वाले श्रीनाथ के मुंह पर कम पीठ पीछे अधिक तारीफ किया करते थे. एक दिन ऐसी ही तारीफ श्रीनाथ की पत्नी संजू के सामने मुन्ना कर रहा था, ‘‘भाभी, मेरे घर वाले कहते हैं मेहनत करने का सबक श्रीनाथ से लो. एक बार जिस काम को करने लगे, उसे पूरा किए बगैर दम नहीं लेता.’’

पति की प्रशंसा सुन कर संजू मुसकराई, लेकिन बोली कुछ नहीं. मुन्ना ने समझा, संजू मन ही मन गदगद हो रही है, इसलिए उस ने तारीफ के पुल बांधना जारी रखा, ‘‘सच भाभी, श्रीनाथ भैया जिस तरह मेहनत करते हैं, उसी को कहते हैं किसी काम में अपने आप को झोंक देना. गांव का हर आदमी तारीफ करता है श्रीनाथ भैया की.’’

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‘‘हां, सुबह से देर शाम तक खेत में ही जुटे रहते हैं,’’ संजू का जी जला तो वह कुढ़ कर बोली, ‘‘जो करना चाहिए वह तो करते नहीं. लोगों को दिखाने के लिए दिन भर खेतों में फावड़ा चलाते हैं.’’

मुन्ना के दिमाग में बिजली सी कौंधी कि ‘जो करना चाहिए वह तो करते नहीं’ का क्या मतलब. कहीं ऐसा तो नहीं कि श्रीनाथ को जो करना चाहिए, वह नहीं करता.

अपने मन की कल्पना से कोई नतीजा निकाल लेना उचित नहीं था. अत: शब्दों की गहराई में पहुंचने के लिए मुन्ना ने संजू के चेहरे पर नजरें जमा कर पूछा, ‘‘भाभी,मैं तुम्हारी बात समझ नहीं पा रहा हूं. श्रीनाथ भैया कौन सा काम नहीं करते, जो उन्हें करना चाहिए.’’

संजू ने अपने मन की भड़ास निकालने के लिए मुंह खोला ही था कि उस की ननद सुमित्र वहां आ गई. इस से दोनों की बातों पर विराम लग गया. सुमित्रा कुछ देर तक उन दोनों के पास बैठी बातें करती रही, उस के बाद वह मुन्ना को अपने साथ अपने घर ले गई.

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उत्तर प्रदेश के जनपद अमेठी के थाना जगदीशपुर के गांव पूरे आधार में राजाराम यादव का परिवार रहता था. परिवार में पत्नी विशना देवी और 4 बेटे रामउदित, रामदत्त, श्रीदत्त और श्रीनाथ उर्फ नाथे व 2 बेटियां फूलकला और सुमित्रा थीं.

फूलकला सब से बड़ी थी तो सुमित्रा सब से छोटी. राजाराम खेतीकिसानी का काम करते थे. उसी से परिवार का भरणपोषण होता था. उन्होंने एक के बाद एक सभी बच्चों का विवाह कर दिया सिवाय श्रीनाथ के.

श्रीनाथ का विवाह भी उस की छोटी बहन सुमित्रा ने कराया था. दरअसल, सुमित्रा का विवाह अमेठी के ही जामो थाना क्षेत्र के गांव बसंतपुर में रामशंकर से हुआ था.

बसंतपुर में सुमित्रा की ससुराल के पड़ोस में संजू नाम की युवती रहती थी. उस की मां का देहांत हो चुका था. पिता गुलरे यादव थे. संजू की बड़ी बहन मंजू का विवाह हो चुका था. घर में सिर्फ बापबेटी रहते थे.

सुमित्रा और संजू की आपस में खूब पटती थी. यही वजह थी कि सुमित्रा उसे अपनी भाभी बनाने को तैयार हो गई. बड़े भाई श्रीनाथ के लिए संजू के रिश्ते की बात सुमित्रा ने अपने परिवार में छेड़ी तो सभी ने संजू को देखा. वह सभी को पसंद आ गई. इस के बाद संजू और श्रीनाम की शादी हो गई. यह बात करीब 12 साल पहले की है.

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संजू को ससुराल आए कुछ ही महीने बीते थे कि उसके पिता गुलरे का देहांत हो गया. पिता की मौत के बाद घर में कोई दीयाबाती करने वाला भी नहीं रहा. इस पर श्रीनाथ संजू के साथ अपनी ससुराल में आ कर रहने लगा.

ससुराल में सिर्फ रहने को मकान था, खेतीबाड़ी कुछ थी नहीं, इसलिए श्रीनाथ दूसरे लोगों के खेतों पर काम कर के अपनी आजीविका चलाने लगा. कालांतर में संजू 2 बेटियों की मां बनी.

2 बेटियों के जन्म के बाद खर्चा बढ़ा तो श्रीनाथ और ज्यादा मेहनत करने लगा. अधिक मेहनत से वह शिथिल पड़ने लगा, जोकि संजू को रास नहीं आ रहा था. उस की शारीरिक जरूरत पूरी नहीं होती तो झुंझला उठती. इसी में वह श्रीनाथ से लड़ बैठती. इस सब को ले कर दोनों में अनबन रहने लगी.

श्रीनाथ के फुफेरे मामा सत्यनारायण यादव का लड़का था मुन्ना उर्फ घनश्याम यादव, जो अमेठी के थाना शिवरतनगंज के गांव लंगोटीपुर में रहता था. मुन्ना पेशे से प्लंबर था. वह 4 भाइयों में सब से बड़ा था. एक बहन थी, उस की मौत हो चुकी थी. मुन्ना का विवाह रानी से हुआ था, उस से उस के 2 बच्चे थे.

बसंतपुर से लंगोटीपुर के बीच की दूरी लगभग 14 किलोमीटर थी. अधिक दूरी न होने के कारण मुन्ना अकसर बाइक से श्रीनाथ और सुमित्रा के घर उन से मिलने आयाजाया करता था. दोनों के घर पासपास ही थे.

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वह संजू के पास अधिक रुकता था क्योंकि वहां संजू के अलावा घर में कोई नहीं होता था. श्रीनाथ काम पर चला जाता था. बेटियां या तो स्कूल में होतीं या बाहर कहीं खेल रही होती थीं. उस के आने का उद्देश्य भी संजू से मिलने और उस के साथ समय बिताने का होता था.

संजू उस के दिल को बहुत ही ज्यादा भा गई थी. दोनों के बीच वैसे भी देवरभाभी का रिश्ता था तो दोनों में खुल कर बातचीत और हंसीमजाक हो जाती थी. मुन्ना जब भी संजू के घर आता तो खुश हो कर ही जाता था.

एक दिन संजू ने बातों ही बातों में मुन्ना से कहा, ‘‘तुम्हारे भैया को जो करना चाहिए, वह तो करते नहीं.’’

संजू की इस बात से मुन्ना को सोच के अंधे कुएं में धकेल दिया था. मुन्ना के दिमाग में सीधी सी एक बात आ रही थी कि कि संजू भाभी श्रीनाथ भैया से संतुष्ट नहीं है. यदि वह संतुष्ट होती तो ऐसी बात नहीं कहती. इस से पहले कि वह संजू से इस बात के मायने समझता, तभी वहां सुमित्रा आ गई. फिर कुछ देर बाद वह वहां से चला गया.

मुन्ना ने बहुत सोचा, पर वह संजू की असंतुष्टि का कारण नहीं जान सका. उसे सुमित्रा पर भी झुंझलाहट हो रही थी, जिस ने उसी समय वहां आ कर उन की चर्चा पर विराम लगा दिया था.

संजू की असंतुष्टि का कारण जानने के लिए मुन्ना देर रात तक माथापच्ची करता रहा. उस के बाद यह सोच कर सो गया कि कल जा कर संजू से जरूर पूछेगा.

दूसरे दिन फिर दोपहर में वह अपनी बाइक से बसंतपुर पहुंच गया. घर में रोज की तरह संजू अकेली थी. दोनों ने दिल से मुसकान बिखेर कर एकदूसरे का अभिवादन किया. उस के बाद मुन्ना के मन की बात होंठों से फिसल गई, ‘‘भाभी, तुम कल कह रही थीं कि श्रीनाथ भैया वह काम नहीं करते जो उन को करना चाहिए. आखिर ऐसा कौन सा काम है जो भैया नहीं करते?’’

संजू ने गहरी नजरों से मुन्ना को देखा, उस के बाद मुसकरा कर बोली, ‘‘कल से इसी उधेड़बुन में लगे हो क्या कि भाभी का ऐसा कौन सा काम है जो उन के पति नहीं करते.’’

‘‘नहीं, ऐसा कुछ नहीं है,’’ मुन्ना ने फौरन बात संभाली, ‘‘कोई बात अधूरी रह जाए तो मेरे मन को मथती रहती है. कल तुम बताने जा रही थीं कि सुमित्रा आ गई.’’

संजू ने मुन्ना की आंखों में आंखें डाल कर प्रश्न किया, ‘‘उसी बात को जानने के लिए बेचैन हो.’’‘हां भाभी,’’ मुन्ना बोला, ‘‘श्रीनाथ भैया की तो पूरे गांव में तारीफ होती है कि आज का काम वह कल पर नहीं छोड़ते. पूरी लगन व मेहनत से अपनी जिम्मेदारी पूरी करते हैं. इस के विपरीत तुम्हारा कहना है कि भैया वह काम नहीं करते जो उन को करना चाहिए.’’

संजू के मुंह से आह सी निकली, ‘‘बता दूंगी तो उस से क्या फायदा होगा. जो काम वह नहीं करते, वह क्या तुम कर दोगे?’’मुन्ना के बदन में सनसनी सी होने लगी. संजू का रूपलावण्य मुन्ना को लुभाता रहा था. हालांकि उस की पत्नी भी सुंदर थी लेकिन बीवी की सुंदरता पति को हमेशा ही तो अपने पाश में जकड़ कर नहीं रख सकती.

मुन्ना को भी रूपसी पत्नी घर की मुर्गी दाल बराबर लगने लगी थी. मन में कामुकता के भाव जागे तो उस ने निश्चय कर लिया कि यदि संजू शारीरिक रूप से असंतुष्ट हुई तो वह उस की संतुष्टि के लिए तुरंत स्वयं को पेश कर देगा. वह उत्साह से भर कर बोला, ‘‘अपने होते हुए भाभी को परेशान थोड़े ही देख सकता हूं. काम बोल कर तो देखो, मैं कर दूंगा.’’

संजू ने तुरंत अपनी बांहें मुन्ना के गले में डाल दीं, ‘‘करो.’’मुन्ना के शरीर में सिहरन तो दौड़ी, संजू के इस अप्रत्याशित प्रस्ताव से नासमझ बनते हुए वह बोला, ‘‘क्या करूं?’  ‘‘वही जो एक मर्द किसी औरत के साथ करता है.’’ संजू ने कहा.

मुन्ना के शरीर में दौड़ रही कामुक सिहरन में इजाफा हुआ. इस के बावजूद मन पर अजीब सी बदहवासी तारी थी. इसी वजह से कुछ करना चाह कर भी कुछ न कर सका.

मुन्ना को सूखे ठूंठ की तरह खड़ा देख कर संजू ने ही पहल की. वह अपने चेहरे को उस के इतना करीब ले आई कि सांसों से सांसें टकराने लगीं. उस के बाद वह आवाज को नशीली बना कर बोली, ‘‘मैं दुख के अंधेरे में जी रही हूं. मेरी आरजू है कि तुम मेरी देह से आत्मा तक सुख की रोशनी भर दो.’’

इस के साथ ही उस ने मुन्ना के होंठ चूम लिए.अब शक की गुंजाइश नहीं रह गई कि संजू प्यासी नार थी. उस ने मुन्ना के होंठ चूम कर सीधा संदेश दिया कि वह देवरभाभी के बीच होने वाला साधारण मजाक नहीं कर रही थी. बल्कि उसे देह सुख की तलाश थी. इस के लिए उस ने मुन्ना को चुना था.

संजू ने होंठ चूमे तो मुन्ना का हौसला बढ़ गया. उस ने भी बांहें संजू के गले में डाल दीं और उस की आंखों में देखते हुए मुसकराया, ‘‘तो यह है वो काम, जो श्रीनाथ भैया नहीं करते.’’

‘‘और नहीं तो क्या, कोई पत्नी क्या यूं ही दूसरे के बाजुओं का सहारा तलाश करती है. मजबूरी में उसे ऐसा करना पड़ता है,’’ शब्दों की शक्ल में संजू के मुंह से उस का दर्द निकला, ‘‘वह तो अपनी सारी एनर्जी खेतों में ही खर्च कर देते हैं. जिस्म भी इस कदर थका लेते हैं कि नहाधो कर खाना खाने के बाद सीधा बिस्तर सूझता है.’’ अपना दुखड़ा सुनाते हुए संजू ने मुन्ना से सीधा प्रश्न पूछ लिया, ‘‘क्या तुम भी अपनी बीवी से दूरदूर रहते हो?’’

‘‘नहीं भाभी, हम दोनों बराबर एकदूसरे की जरूरतों का खयाल रखते हैं.’’‘लेकिन मेरे पतिदेव को मेरी जरूरतों का खयाल रत्ती भर नहीं.’’संजू को बांहों में कस कर अपने से सटाते हुए मुन्ना बोला, ‘‘फिक्र मत करो भाभी, अब तुम्हारा काम मैं कर दिया करूंगा.’’

संजू अपना चेहरा पास ले आई. इतना पास कि दोनों की सांसें एकदूसरे के चेहरे से टकराने लगीं. संजू ने हौले से पूछा,‘‘कब हो जाएगा.’’  ‘‘आज, बल्कि यह कहो कि अभी.’’

‘‘औरत की जवानी किसी तूफान से कम नहीं होती. एक तूफान घर में और एक तूफान बाहर,’’ संजू ने शोखी से आंखें नचाईं, ‘‘2 तूफानों को संभालने में तुम तो नहीं डूब जाओगे.’’

‘‘भाभी, ईश्वर ने मर्दों को बनाया ही है हसीन तूफानों से टकराने और उसे शांत करने के लिए.’’‘‘ठीक है आज आजमा ही लेती हूं तुम को.’’इस के बाद दोनों ने अपनी मर्यादाएं लांघ दीं. तूफान थमने के बाद संजू मुन्ना को प्रशंसा की दृष्टि से देख रही थी. क्योंकि मुन्ना उस की कसौटी पर खरा उतरा था.

उस दिन के बाद से उन के बीच लगभग हर रोज ही अनैतिक खेल खेला जाने लगा.31 जुलाई, 2020 की सुबह 7 बजे बसंतपुर गांव के बाहर प्राइमरी स्कूल के पास एक बाग में गांव वालों ने एक व्यक्ति की लाश देखी. लाश देख कर उस की पहचान हो गई. लाश श्रीनाथ यादव की थी. पता चलते ही श्रीनाथ की पत्नी संजू, बहन सुमित्रा वहां पहुंच गई और रोनेबिलखने लगी.

श्रीनाथ के भाइयों को घटना की सूचना देने के बाद स्थानीय थाना जामो में भी घटना की सूचना दे दी गई. सूचना पा कर इंसपेक्टर संजय सिंह अपनी टीम के साथ घटनास्थल पर पहुंच गए.

मृतक श्रीनाथ के गले पर किसी तेज धारदार हथियार से वार किए गए थे, जिस कारण उस की मौत हुई थी. घटनास्थल का निरीक्षण करने पर कुछ दूरी पर 2 रक्तरंजित चाकू व शराब के खाली पव्वे पड़े मिले, जो इंसपेक्टर सिंह ने अपने कब्जे में ले लिया.

इसी बीच सूचना पा कर एसपी दिनेश सिंह, एएसपी दयाराम सरोज और सीओ अर्पित कपूर भी घटनास्थल पर पहुंच गए. लाश व घटनास्थल का निरीक्षण करने के बाद पुलिस अधिकारियों ने घर वालों से पूछताछ की. इसी बीच श्रीनाथ के सभी भाई भी वहां पहुंच गए.

श्रीनाथ के बड़े भाई रामउदित यादव ने पुलिस अधिकारियों को बताया कि संजू और श्रीनाथ के ममेरे भाई घनश्याम यादव उर्फ मुन्ना के बीच अवैध संबंध थे. इन दोनों ने ही श्रीनाथ की हत्या की है.

पूछताछ के बाद पुलिस अधिकारियों ने इंसपेक्टर संजय सिंह को आवश्यक दिशानिर्देश दिए, फिर वापस चले गए. इंसपेक्टर संजय सिंह ने जरूरी काररवाई के बाद लाश पोस्टमार्टम के लिए मोर्चरी भेज दी और थाने लौट गए.

थाने आ कर रामउदित की लिखित तहरीर के आधार पर उन्होंने संजू और मुन्ना यादव के खिलाफ भादंवि की धारा 302/34 के तहत मुकदमा दर्ज करा दिया.

इस के बाद इंसपेक्टर संजय सिंह ने संजू को हिरासत में ले कर महिला आरक्षी की उपस्थिति में सख्ती से पूछताछ की तो उस ने श्रीनाथ की हत्या का जुर्म स्वीकार कर लिया.

इस घटना को अंजाम उस के प्रेमी मुन्ना यादव ने अपने रिश्तेदार रंजय यादव और साथी संदीप रावत के साथ मिल कर दिया था.

इस के बाद 2 अगस्त, 2020 की सुबह सवा 8 बजे इंसपेक्टर संजय सिंह ने तीनों को कृष्णानगर चौराहे से गिरफ्तार कर लिया. उन के पास से हत्या में प्रयुक्त बाइक नंबर यूपी33 एडी 0265 भी बरामद हो गई. थाने ला कर सब से एक साथ पूछताछ की गई तो कत्ल की सारी कहानी सामने आ गई.

गलत काम की गठरी अधिक दिनों तक बंधी नहीं रहती. एक न एक दिन उस की गांठ खुलती ही है. संजू और मुन्ना के अवैध संबंधों की गठरी भी खुल गई थी.

एक दिन दोपहर में मुन्ना श्रीनाथ के घर पहुंचा तो 2 मिनट पहले ही संजू नहा कर बाथरूम से निकली थी. संजू का भीगा रूप देख कर मुन्ना की तबियत मचल गई. मुन्ना और संजू मस्ती में सराबोर हो कर एकदूसरे में गुंथ गए. जोश में यह भी भूल गए कि मकान का मुख्यद्वार खुला है.

उस दिन दोनों की पोल खुलनी थी, सो खुले दरवाजे से श्रीनाथ बेधड़क भीतर आ गया. उस ने संजू और मुन्ना को देखा तो सदमे से कुछ क्षण जड़ बना रहा. उस के बाद पूरी शक्ति से गरजा, ‘‘मुन्नाऽऽ.’’

उस की आवाज सुनते ही संजू और मुन्ना अलग हो गए. श्रीनाथ ने उस दिन दोनों की खूब लानतमलामत की. दोनों ने माफी मांग कर आगे ऐसा न करने का वादा किया. तब श्रीनाथ शांत हुए.

उस दिन के बाद कुछ दिन तक तो दोनों नहीं मिले लेकिन फिर से पुराने ढर्रे पर आ गए. संजू मुन्ना के साथ जिंदगी बिताने के सपने देख रही थी. लेकिन यह सपना श्रीनाथ के रहते पूरा नहीं हो सकता था.

घटना से एक साल पहले संजू ने श्रीनाथ को खाने में जहर दे कर मारने की कोशिश की, लेकिन श्रीनाथ की किस्मत अच्छी थी, वह बच गया. लेकिन इस घटना से श्रीनाथ के घर वाले भी संजू और मुन्ना के अवैध संबंधों के बारे में जान गए थे.

संजू ने चुप रहने में ही अपनी भलाई समझी. समय अपनी गति से आगे बढ़ता रहा. समय के साथसाथ संजू और मुन्ना की तड़प भी बढ़ती जा रही थी. श्रीनाथ उन के रास्ते का पत्थर था, जिसे हटाए बिना उन का बेधड़क मिलना संभव नहीं था. इसलिए संजू और मुन्ना ने इस बार पूरी योजना के साथ श्रीनाथ को रास्ते से हटाने की सोची.

दोनों ने हत्या की योजना बनाई. इस योजना में मुन्ना ने अपने गांव के ही एक साथी संदीप रावत और रिश्तेदार रंजय यादव निवासी गांव पूरे अवसान

थाना मोहनगंज, अमेठी को भी शामिल कर लिया.

योजनानुसार 30 जुलाई, 2020 की शाम मुन्ना संदीप और रंजय को अपनी बाइक पर बैठा कर बसंतपुर के लिए चल दिया. रास्ते में उस ने सब्जी काटने वाले 2 चाकू और शराब के पव्वे ले लिए. बसंतपुर गांव के बाहर प्राइमरी स्कूल के पास एक बाग में पहुंच कर मुन्ना ने श्रीनाथ को शराब पीने के लिए बुलाया. श्रीनाथ शाम 7 बजे के करीब घर से निकला तो संजू भी उस के साथ हो ली.

श्रीनाथ के वहां पहुंचने पर सब ने मिल कर शराब पी. श्रीनाथ को जानबूझ कर अधिक पिलाई गई.

उस के नशे में होते ही मुन्ना ने रंजय और संदीप की मदद से श्रीनाथ को दबोच लिया. संजू भी उन की मदद करने लगी. मुन्ना ने अपने साथियों की मदद से दोनों चाकुओं से श्रीनाथ का गला रेत दिया, जिस से उस की मौत हो गई. उसे मौत के घाट उतारने के बाद दोनों चाकू वहीं पास में फेंक कर तीनों बाइक से फरार हो गए. संजू भी वापस घरआ गई.  कानूनी लिखापढ़ी के बाद इंसपेक्टर संजय सिंह ने आरोपियों को न्यायालय में पेश किया, वहां से चारों को जेल भेज दिया गया.

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